Sunday, May 18, 2014

नरेन्द्र मोदी - देश के बाद विश्व है ।

" मैं ना तो आया हूँ और ना ही किसी ने भेजा है , मुझे तो माँ गंगा ने बुलाया है " ये वो शब्द हैं जो बोले तो बनारस मे गए थे लेकिन हर बनारस वासियों की तरह सारे भारतीयों के दिलों में घर कर गए । एक सहज भाव जो माँ के आंसूओं और पिता की शहीदी पे भारी पडे । देश के सामने  तीन मुख्य बातें थी जिनमे से एक को चुनना था झुठे वादे के सहारे खडी कांग्रेस, कायरों की तरह जिम्मेदारी से भागी आप पार्टी और ठोस विकास को लेकर खडे नरेन्द्र मोदी । इस बार भाजपा के जीत का चाहे जो भी गणित या आंकलन राजनीतीक पंडित लगाएं मुझे लगता है किसी का भी ध्यान मुख्य जड की ओर नही जा पाएगा कि इतनी बडी जीत आखिर सुनिश्चित कैसे हुई ? दरअसल अभी तक कांग्रेस की जीत की बहुत बडी वजह जो उनका फार्मुला भी था कि जाति और धर्म के नाम पर तो वोट उन्हे नही भी मिलेंगे तो कोई बात नही उनकी सहयोगी सपा, बसपा,एनसीपी जैसे दलों को तो मिल ही जाएंगे और रही बात भ्रष्टाचार की तो कांग्रेस के नेताओं ने एक बात हमेशा कहे हैं कि जनता को भूलने की आदत है । 
                                                  बस इन्ही दो फार्मुलों को भाजपा ने तोड दिया । इस बडी जीत में बहुत बडी भागीदारी कांग्रेस के नेताओं ने भी निभाए है जो गाहे बगाहे उटपटांग बयानबाजी करके जनता के मन में मोदी के प्रति हमदर्दी जगाते रहे । इसमे से एक बयान जिसकी काट भाजपा के बहुत काम आई वह थी " जनता को भूलने की आदत है , जब वह बोफोर्स को भूल गई , वैसे ही सैनिकों के कटे सिर और भ्रष्टाचार को भूल जाएगी " लेकिन मोदी एंड कंपनी ने जनता को भूलने नही दिया । जनता को कटे सिर से लेकर ताजा भ्रष्टाचार और बढती महंगाई को जनता के जेहन मे ताजा रखा जिसका परिणाम ये रहा की जनता ने बैनर पोस्टर तो दुसरे दलों के लगाए लेकिन काम पूरा मोदी जी का कर दिये । 
                                                    बनारस के रोड शो में उमडी भारी भीड से राहुल और केजरीवाल मुगालते मे आ गए कि जनता का उन्हे समर्थन है, जबकि बिना रोड शो किये मोदी के साथ की भीड को उन्होने बाहरी कार्यकर्ताओं का तमगा दे दिया । बनारस ने अपनी सदाबहार मेहमाननवाजी को बरकार रखा जिसमे कांग्रेस, केजरीवाल और सपा को भीड के मामले मे कोई निराशा हाथ नही लगने दी लेकिन प्रत्याशी वही चुने जो उनके दिल मे था । गुजरात और राजस्थान तो समझ आया लेकिन आसाम मे मिली जीत से जनता  मोदी जी की इस बात से सहमत दिखी की " बांग्लादेशीयों को बाहर निकाला जाए " इस मुद्दे पर ऐसा लगा की भाजपा अपना खाता भी नही खोल पाएगी लेकिन वास्तव मे उस क्षेत्र की जनता ने बीजेपी को जीत दिला कर मोदी जी के साथ सहमती दिखा दी । आए दिन दंगे फासदों वाले राज्यं से उन सभी दलों का सफाया हो गया जो दंगो की आड मे केवल जाति और धर्म की राजनीती कर रहे थे ।
                                                     ये तो हुई भारत देश की बातें अब जरा रूख विदेशों की ओर करते हैं । मोदी जी को वीजा देने मे हमेशा कडा रूख अपनाने वाला अमेरिका इस समय केवल मोदी जी को आमंत्रित करके इति श्री कर चूका है । पाकिस्तान की दहशत तो मोदी जी के नाम से ही इतनी ज्यादा थी की वह और उसके नमुांइदे लगातार मोदी विरोध मे लगे रहे । चीन हो या फिर अन्य देश हर किसी को मोदी नाम से ही इतनी ज्यादा दहशत है मानो कोई दुसरा हिटलर सत्ता मे आ गया हो जबकि वास्तविकता ये है कि कांग्रेस और विरोधी दलों ने मोदी के नाम की आड मे केवल अपनी गंदी राजनीती और विदेशी फंड बढाते गए थे । भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां हर किसी को चुनाव लडने का अधिकार है और फिर जब हमारे देश मे ओवैसी जैसे लोग अपनी पार्टी बनाकर  सांसद बन सकते हैं तो उस लिहाज से तो भाजपा कई गुना ज्यादा बेहतर है फिर भी केवल भाजपा को सांप्रदायिक संगठन के रूप मे देखना अमेरिका सहित दुसरे देशों को अब भारी पड रहा है । अमेरिका मे सिक्ख विरोधी दंगों के मामले मे सोनिया की अमेरिका मे पेशी चल रही है लेकिन दंगो का जनक और सूत्रधार मोदी को माना जाता रहा अब वही देश भारत को किस नजरिये से देखेंगे ये सोचने वाली बात है । वैसे नरेन्द्र मोदी ने जो भी कहे उसे पूरा करके दिखलाए हैं और अगर उन्होने कहे थे कि एक ऐसा भारत देश का निर्माण करूंगा जहां आने के लिये अमेरिका जैसे देश कतार मे लग कर वीजा लेंगे , तो मुजे लगता है अब वह वक्त आ गया है । 
                                                              इस समय सारा विश्व लड रहा है । हर देश किसी ना किसी युद्ध मे व्यस्त है कोई गृह युद्ध में तो कोई आतंकियों से तो कहीं आपस मे ही औऱ अगर मनमोहन की कोई उपलब्धी हम मानेंगे तो यही की कम से कम हमारे देश मे ये हालत वो नही बनने दिये । झूक कर औऱ देश की गरिमा को गिरा कर ही सही अभी तक उन्होने देश को युद्ध से बचाए रखा था लेकिन अब देश एक ऐसे हाथों मे आ गया है जिसके आने के पहले ही पडोसी मुल्कों में केवल नाम की ही दहशत है ।  
                                                       आगे ईश्वर की मर्जी ।

Tuesday, May 6, 2014

राम के मोदी या मोदी के राम

लोकसभा 2014 मे यह मेरी पहली और इकलौती पोस्ट है जिसे मै आज इसलिये लिखने जा रहा हूँ क्योंकि मोदी ने आज अपना अंतिम ट्रंप कार्ड खेलकर पूरे लोकसभा चुनाव मे अपनी जीत का स्पष्ट दृष्टिकोंण रख दिये हैं । अब इस लोक सभा चुनाव की पूरी तैय्यारी मे सबसे बडी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नरेन्द्र मोदी की चर्चा ही केंद्र बिंदु मे रखते हुए अपन बात करें तो देखते हैं कि एक ओर संपूर्ण विपक्ष है और एक तरफ अकेले मोदी । ना कोई दल ना कोई अन्य नाम सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी । मोदी ने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत करते ही ये आभास दिला दिया था कि उनके पास विपक्ष की हर प्रश्न का उत्तर है औऱ हर वार की काट भी मौजूद है । 
विपक्ष के पास नरेन्द्र मोदी के लिये केवल गोधरा दंगे के अलावा बाकि सारी कहानी केवल झूठ पर टिकि थी मसलन गुजरात मे विकास नही हुआ, गुजरात के किसान आत्महत्या कर रहे हैं , गुजरात मे केवल अमीर उद्योगपतियों को बढावा दिया जा रहा है , गुजरात मे पंजाब के किसानों को मार कर भगाया जा रहा है वगैरह वगैरह ..... 
                                       लेकिन विपक्ष के इन झूठे दावों की पोल हर चुनाव मे मतदान के पहले ही खुल जाती थी और मोदी को बढत मिल जाती थी जिससे विपक्ष का हर दांव खाली चला जाता था, लेकिन एक बात औऱ गौर करने लायक है कि मोदी का साथ ना केवल मानवों की टीम दे रही है बल्कि कोई ना कोई अदृष्य ताकत भी उनके साथ चल रही है जो हर वार का जवाब उन्हे कुदरती तौर पे दे देती है । कांग्रेसी नेता हों या फिर किसी भी दल के नेता ..जिसने भी मोदी जी के खिलाफ मुंह खोला उसे तत्काल किसी ना किसी मुसीबत मे कुरती तौर से मुश्किलों का सामना करना पड गया । दिग्विजय तो मात्र एक उदाहरण है जिन्होने मोदी जी की पत्नि को लेकर कई अंट शंट बयान देते रहे लेकिन कुदरती तौर पे जब उनका चाहरा अमृता राय के नाम के साथ उजागर हुआ तो वह स्वयं सबसे बडे चरित्रहिन व्यक्ति निकले ।  इशी तरह कपिल सिब्बल, चिंदंबरम औऱ आजम और खुर्शीद के विरूद्ध भी कुछ ना कुछ ऐसा होता चला गया जिसमे उन्हे ही मुंह की खानी पडी । 
                                        पं. बंगाल मे ममता के विरूद्ध जब मोदी ने बिगुल फूंका तो ममता नेबांग्लादेशीयों का सपोर्ट करके खुद अपने जीत का रहस्य एक तरह से कबूल कर ली की उनकी सेना बांग्लादेशियो पर ही टिकी हुई है नतीजा आसाम मे हुई 30 मौतों के रूप मे सामने आया ।   और आखिरकार मोदी जी ने कल की फैजाबाद सभा मे राम जी की तस्वीर के सामने भाषण देकर औऱ राम राज्य की बात कह कर विपक्ष और चुनाव आयोग दोनो को एक साथ पटखनी दे दी है । प्रभु राम जी की तस्वीर लगाने से कांग्रेस और तृणमूल ने तो पूरी भाजपा पार्टी को ही बैन करने की बात कह कर खुद अपने पैर पे कुल्हाडी मार लिये हैं । दरअसल ये एक ऐसा दांव है जिसमे समर्थन ना देने वाला वृहद हिंदु वोट एक झटके मे ही गंवा देगा और वो हिंदु वोट यादव, भूमिहार,   औऱ दलितों मे भी बहुलता के साथ हैं । मुस्लिम वोटर  तो इस बार अप्रत्याशित रूप से खामोशी ओढते हुए स्वयं को निष्पक्ष  बताने की कोशिश मे है ताकि मोदी सरकार आने पर वे कह सकें कि हमारे समर्थन के बिना ये सरकार नही बन सकती थी । 
                                          मोदी ने इस चुनाव मे अपना एकदम स्पष्ट नजरिया रखते हुए कार्य किये है जो केवल मजबूत सेना,  मजबूत देश, विकास पूरक देश, समर्थ राष्ट्र,  भ्रष्टाचार मुक्त देश , महंगाई मु्क्त देश और धर्म से ऊंचा राष्ट्र पर आधारित है । इसके विपरित विपक्षी दलों के पास जाति , धर्म और  झूठे विकास के खोखले दावों के अलावा कुछ नही है । विपक्ष केवल गोधरा दंगो के नाम से देश के मुस्लिम वोटरों को मोदी का भय दिखाकर ही वोट हासिल करना  चाहता है जो वर्तमान मे शिक्षित जनता के गले नही उतर रहा । 
                                              अब फैसला तो 16 मई से ही मिलना शुरू होंगे तब तक हम मोदी राम है या राम के मोदी है पर बहस चालू रखेंगे एबीपी और एनडीटीवी के माध्यम से ।