Wednesday, March 26, 2014

संयुक्त राष्ट्र - गुलाम तैय्यार करने वाला संगठन ।

फिर से भविष्यवाणी ।  अरे भाई हर बात को आप लोग भविष्यवाणी से क्यों जोड लेते हो ? कभी संभावना की तलाश भी कर लिया करो कि जो हो रहा है अगर वैसे ही चलता रहा तो आगे क्या होगा । अब आपको लग रहा होगा कि संयुक्त राष्ट्र भंग हो या चलता रहे अपने को क्या - तो यह सोच बदल दिजिये क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के द्वारा दुनिया के कई देशों को स्वास्थ्य सुविधा की राशि इसी के माध्यम से मिलती है - भारत को भी । हमारे देश की कई योजनाएं ऐसी है जिनमे सारा पैसा संयुक्त राष्ट्र के द्वारा ही आता है और सरकार उन पैसों का इस्तेमाल नीजी स्वार्थ मे करती हैं.....  खैर  वो भ्रष्टाचार का मामला है ना कि हमारी इस पोस्ट का । तो सबसे पहले बात करते हैं संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का उद्देश्य क्या था ?? संयुक्त राष्ट्र के व्यक्त उद्देश्य हैं युद्ध रोकना, मानव अधिकारों की रक्षा करना, अंतर्राष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना, सामाजिक और आर्थिक विकास उभारना, जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से लड़ना । 
                       1.- युद्ध रोकना संयुक्त राष्ट्र का पहला उद्देश्य है लेकिन यह अपने उस उद्देश्य को वर्तमान मे भूल कर भेदभाव अपना रहा है जैेसे - अमेरिका ने लिबिया औऱ इराक को कथित तौर से आजादी दिला दिया लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ ? इराक से अथवा लीबिया से दुनिया को कोई खतरा नही था और यह शुद्ध रूप से उनके तेल भण्डारो पर कब्जा करने की अमेरिकी साजिश थी जिसमे वह पूर्णतः सफल हो गया । इन युद्धों मे संयुक्त राष्ट्र की भूमिका केवल इतनी भर रही की उसे इराक और लीबिया  की जनता सद्दाम औऱ गद्दाफी के तानाशाही से मुक्त होती दिखलाई पडी, जबकि वर्तमान मे दोनो देश गृहयुद्ध की आग मे जल रहे हैं । 
                    2.- मानव अधिकारों की रक्षा  जबकि वर्तमान समय मे सीरिया, मिश्र, सूडान उत्तर कोरिया सहित कई अफ्रीकी राष्ट्रों की जनता  अपने अधिकारों  को जानना तो दूर अपनी जान बचाने की जद्दोजहद मे है । संयुक्त राष्ट्र अपनी सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से जो दवाएं अथवा रसद उन देशों को पहुंचा रहा है वह पूर्णतः मिशनरी संस्थाएं होती है जो जनता की सेवा के नाम से पैसों की हेरा फेरी करके अपने चर्च को लाभ पहुंचाती है फिर चाहे वह धर्म परिवर्तन हो या फिर चर्च को आर्थिक सहायता । हमारे देश मे भी जो NGO संचालित होते हैं उनके अधिकार धर्म व जाति के आधार पर अलग अलग होते हैं । ईसाइ मिशनरीयों को मिलने वाला धन असीमित हो सकता है किंतु सामान्य NGO को मिलने वाले धन की जांच पर इतने अडंगे रहते है कि संचालक त्रस्त हो  जाते हैं यानि की मानव अधिकारों की रक्षा के नाम से संयुक्त राष्ट्र मिशनरी और यूरोपीय संघों को लाभ पहुंचा रहा है । ताजा जानकारी के अनुसार संयुक्त राष्ट्र आज इटली के उन नौसैनिकों के मामले पर संज्ञान लेने वाला है तथा भारत देश को निर्देश देने वाला है,  जिन पर हमारे देश के नागरिकों की हत्या का मामला चल रहा है ।
                        3.- अंतर्राष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना जबकि इस क्षेत्र मे संयुक्त राष्ट्र के पास ऐसा कोई उल्लेखनीय योगदान नही होगा जिससे यह साबित होता हो कि अंतर्राष्ट्रीय कानून को निभाने मे कोई खास पहल की गई हो । इसका नजरिया हमेशा यह रहता है कि जहां पर अंर्तराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन हो रहा है वह यूरोपीय संघ - अमेरिका के हित मे है या नही । यदि हित मे है तो जायज औऱ अगर नही है तो नाजायज ।  चूँकि इसका नियंत्रण मुख्य रूप से इटली, अमेरिका औऱ फ्रांस के नियंत्रण मे है सो यह संगठन उन्ही के हितों मे बातें और काम करने को प्राथमिकता देता है ।
                      4.- सामाजिक और आर्थिक विकास उभारना इसके आड मे यह पूर्णरूपेण ऐसे कार्यक्रम तैय्यार करवाता है जिससे उस देश की सामाजिक प्रणाली अस्त व्यस्त हो जाती है । हमारे देश मे ही इसका उदाहरण देखिये - सामाजिक स्वतंत्रता के नाम पर सेक्स बढाया गया, धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर हमारे ही देश मे ईसाइ और मुस्लिम धर्म को आरक्षण लाभ दिया जाने लगा , आर्थिक विकास व सहयोग के नाम से अमेरिकी कंपनीयों को बढावा दिया गया जैसा हमारे देश मे किया गया वैसे ही इस संगठन के द्वारा विश्व के अन्य विकासशील देशों के साथ किया जा रहा है औऱ जो देश इसका विरोध करते हैं उन्हे बेवजह के कडे प्रतिबंध के नाम पर धमकाने वाले संयुक्त राष्ट्र के सरपरस्त हावी हो जाते हैं । 
                        5.- जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से लड़ना यह एक ऐसा फार्मुला जिसके लिये दवा कंपनीयां अरबों खरबों खर्च कर रही हैं । जीवन स्तर सुधारने के नाम पर साफ सफाई , साफ पेयजल और बेहतरीन स्वास्थय सुविधाएं दी जानी चाहिये और इन कामों मे होने वाला खर्च यूँही सरकारी खातों मे या तो वापस चले जाता है या फिर नेता अधिकारीयों की जेब मे । बीमारियों से लडने के नाम पर दवा कंपनीयां भारी फर्जीवाडा कर रही है एड्स जैसी बीमारी जिससे विश्व मे एक भी दमी की मौत नही हुई कंडोम बेचने के नाम पर फैला दी गई । यौन संक्रमण , हेपेटाइटिस,  स्वाइन फ्लू जैसी कई बीमारियां ऐसी है जिन्हे हमारे यहां सामान्य दवाओं से ठीक कर लिया जाता था लेकिन संयुक्त राष्ट्र की आड मे 2 का माल 200 बनाकर दवा कंपनीयां सप्लाई कर रही है  और मजे की बात ये है कि ये सभी कंपनीयां या तो अमेरिका की होती है या फिर फ्रांस की ।  
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                                   सच तो ये है कि मुझे कहीं भी संयुक्त राष्ट्र की ऐसी महती भूमिका दिखलाई नही पडी है जिससे मैं यह मान सकूँ कि संयुक्त राष्ट्र विश्व मे कोई परिवर्तन ला सकता है । विश्व बैंक हो या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन , अंतराष्ट्रीय कृषि कोष हो या खाद्य एवं कृषि संगठन  यह सभी पूर्ण रूप से संयुक्त राष्ट्र के अधीन होकर अपने आका मुल्कों के हितों की रक्षा करते हैं । ये हर देश को केवल अपने हिसाब से नियंत्रित करने की चाल चलते हैं और कुछ नही ।

Thursday, March 6, 2014

सावधान - तीसरा विश्वयुद्ध जारी है ।

सूखा जरूरी नही की गरमी में आए ओले से भी सूखा पडता है ।
तो कैसे हैं जनाब आप लोग,  औऱ कैसा लग रहा है तीसरे महायुद्ध के दौर मे अपना समय गुजारना ।   जाहिर सी बात है आप कहेंगे मुझे अपने दिमाग का इलाज करवाना चाहिये । मैं आपकी सलाह मान भी लेता लेकिन क्या करूं ये नास्त्रेदमस जी मुझे बार बार झिंझोड कर उठा देते हैं और कहते हैं पढ और लिख । मैंने कई दफा उन्हे समझाया कि आदरणीय मेरा अंगरेजी से दूर दूर तक कोई लेना देना नही है तो बस उत्तराखण्ड के अपने मित्र चेतन हरिया थमा दिये । कहे कि उसके कंधे का आपरेशन हुआ है वो अपने घर मे रहेगा उससे अनुवाद करवाओ तो.. अब क्या किया जा सकता है सिवाय ये बताने के लिये की लो जनाब आप तीसरे महायुद्ध के दौर मे ही अपना जीवन बीता रहे हैं ... पता था आप भी केजरीवाल की तरह प्रमाण मांगेगे तो चलिये क्रमवार प्रमाण पकडते चलिये ... लेकिन उसके पहले मुझे झेलिये ।
                                                      मैं आगे की कडियां बताने से पहले कुछ बाते आप लोगों की जानकारी मे देना चाहता हूँ कि अभी जब मैं पोस्ट को लिख रहा हूँ तो दुनिया मे इस समय क्या हो रहा है - 
1. - दक्षिणी सूडान मे जबरदस्त गृहयुद्ध ।
2. - अफगानिस्तान - तालिबान मे युद्ध ।
3. - चीन और जापान के मध्य द्विप को लेकर युद्ध के हालात ।
4. - ईराक मे गृहयुद्ध जारी ।
5. - इज्राइल द्वारा सीरिया मे बमबारी ।
6. - रूस - यूक्रेन को लेकर पूरे विश्व मे तनाव ।
               इसके अलावा कई अफ्रीकी देशों मे   आपसी लडाईयां या गृहयुद्ध चल रहे है । यानि दुनिया एक तरह से कहीं ना कहीं युद्ध कर ही रही है । अब इन सके बीच नास्त्रेदमस की भूमिका क्या है ये देखिये -- 
 नास्त्रेदमस अपनी तीसरी सेंचुरी के 4- 5  दोहे मे लिखते हैं - 
" Near, far the failure of the two great luminaries Which will occur between April and March. Oh, what a loss! but two great good-natured ones By land and sea will relieve all parts. " 

When they will be close the lunar ones will fail, From one another not greatly distant, Cold, dryness, danger towards the frontiers, Even where the oracle has had its beginning.
                                                   
                                               इसमे नास्त्रेदमस ने अप्रेल और मार्च या मई माह में दो शक्तियों के टकराव के बारे मे लिखा है । इस साल अगले महिने अप्रेल मे अप्रत्याशित रूप से दो सूर्य ग्रहण पड रहे हैं 15 अप्रेल और 29 अप्रेल को । कुछ जानकारों के अनुसार दो सूर्य ग्रहण एक ही माह मे पडना बेहद अशुभ है और ऐसा माना जा रहा है कि महाभारत काल के बाद यह योग बन रहा है । अब अगर इस ग्रहण को हम बेस मानकर  चलें कि इन्ही ग्रहण के कारण बहुत कुछ बदलाव हो सकते हैं । वर्तमान समय मे सारी दुनिया सर्द की तेज लहरों व भारी बरसात से जूझ रही है । इससे फसलें भी बरबाद हो रही है यानि सूखे का खतरा बढ चूका है ।  यानि भविष्यवाणी के अनुसार हम लोग विश्वयुद्ध के दौर मे पहुंच चूके हैं और आगे बढकर झांकने का प्रयास करते हैं कि नास्त्रेदमस क्या कहना चाहते हैं ।
सेंचुरी3/22 में लिखा है
 " Six days the attack made before the city: Battle will be given strong and harsh: Three will surrender it, and to them pardon: The rest to fire and to bloody slicing and cutting. "
                    यह भविष्यवाणी 6 दिन का युद्ध की बात बतलाता है जो 1967 मे इस्राइल ने सीरिया, जॉर्डन और मिश्र को अकेले हरा कर जीता था । इस युद्ध का उल्लेख नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी मे तीसरे विश्वयुद्ध की शुरूआती पृष्ठभूमि के बीच मे आया है इसलिये मेरा ये अनुमान है कि यह घटना दोहराई जा सकती है और शायद इस बार इसका परिणाम अलग हो ।

" By the appeased Duke in drawing up the contract, Arabesque sail seen, sudden discovery: Tripolis, Chios, and those of Trebizond, Duke captured, the Black Sea and the city a desert " 
                                        
                                          इस पहेली मे ब्लैक सी यानि काला सागर का उल्लेख है । काला सागर वह हिस्सा है जहां पर रूस ने अफनी सेना को यूक्रेन के विरूद्ध अलर्ट पर रखा है । मुझे जहां तक समझ पड रहा है कि काला सागर के इस भाग मे जो युद्ध होगा उसमे महाशक्ति को हार का सामना करना पड सकता है यानि रूस की हार हो सकती है ।  चूँकि आज 6 मार्च ही है इसलिये अभ अगले महिने तक देखते हैं क्या क्या हवा बदलती है नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी ...तब तक आप लोग विश्वयुद्ध के शुरूआती भाग का आनंद लिजिये ।
औऱ क्या ............... आगे की खोज जारी है अभी भी ...