Tuesday, September 23, 2014

हो रहा है तीसरा महायुद्ध- ये रहा प्रमाण ।

" In a short time the temples with colors Of white and black of the two intermixed: Red and yellow ones will carry off theirs from them, Blood, land, plague, famine, fire extinguished by water. "
                             
  जैसा कि आप लोगों को पता है अंगरेजी पर अपनी पकड कितनी मजबूत है , इसलिये इसके अनुवाद  करने मे भारी गल्तीयां हो सकती हैं मुझसे , लेकिन आप तो महान अंगरेजी के ज्ज्ञाता है इसलिये उपरोक्त कथन का हिंदी अनुवाद कर लिजिये और नीचे लिखे मेरे अनुवाद से मैच करिये....
 " कुछ ही समय बाद धर्म बांटेगा लोगों को काले और सफेद मे और इन दोनो के बीच लाल और पीले रंग वाले अपने अपने अधिकारों के लिये भिडेंगे । रक्तपात, भूकंप, बीमारियां, अकाल, युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी  " नास्त्रेदमस - सेंचुरी 6  दसवां छंद ।
अगर ये मैने सही अनुवाद ढुंढा है तो इसका मतलब वर्तमान में  ये निकला कि  .. ..    काले ISIS वाले सफेद रंग वाले ईसाइयों , यहूदियों, यजिदियों व अरबी लोगों को मारने के लिये निकल पडे हैं । इन दोनों के बीच में  लाल यानि चीन  और पीले का मतलब जापान व भारत को लिया जा सकता है । चीन जापान और भारत दोनो के साथ साथ अन्य एशियाई देशों को आँखे दिखा रहा है और इसका जवाब नास्त्रेदमस के दुसरे छंद में मिलता है  ।  " When those of the arctic pole are united together, Great terror and fear in the East: Newly elected, the great trembling supported, Rhodes, Byzantium stained with Barbarian blood."
                 इसका अर्थ ये हो सकता है -  " तुर्की और मध्यपूर्व मे  रक्तपात से धरती दहल रही होगी । पूर्वी देशों मे आतंक और भय का राज होगा तब उत्तरी ध्रुव के देशों के द्वारा  एक नया व्यक्ति चुना जाएगा जिससे उसके शत्रु दहल जाएंगे "  वर्तमान समय मे चीन अपनी महत्वाकांक्षा बढा रहा है , साथ ही जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार चीन ISIS से केवल 25 डॉलर बैरल पर तेल खरीदी करके अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत कर रहा है साथ ही अपने पडोसी देशों पर हमले करनें की रणनीती बना रहा है । चूँकि चीन और ISIS का गठबंधन एक तरह से बन चूका है तो यह समझने मे देर नही लगनी चाहिये कि चीन के हथियारों और तकनीकी का इस्तेमाल करके आतंकी अपने धर्म की आड मे दुसरे देशों पर हमले करते हुए आगे बढते जाएंगे  । यह कैसे होगा आप लोग आगे देखियेगा लेकिन वर्तमान मे तो आपको प्रमाण चाहिये सबसे नजदिकी भविष्यवाणी वाला तो वह प्रमाण ये है कि इस समय एक ओर आतंकीयों को जहां उनके काले कपडों और झण्डों के कारण मुस्लिम धर्म का माना जा सकता है वहीं उसके विरूद्ध लडने वाले देशों को ईसाई या अन्य सफेद रंग को मानने वाले लोग ईसाई, अरबी, यहुदी व अन्य ... Liberty will not be recovered, A proud, villainous, wicked black one will occupy it, When the matter of the bridge will be opened, The republic of Venice vexed by the Danube. 
यानि लिबर्टी (अमेरिका) का वापसी करना मुश्किल होगा , और वह काले को मानने वाले उस पुल को खोल देंगे जो वेनिस (इटली)  के गणतंत्र को बंद करने के लिये होगा । 
फिर है -  In the country of Arabia Felix There will be born one powerful in the law of Mahomet: To vex Spain, to conquer Grenada, And more by sea against the Ligurian people. (V-55)  
यानि दूर अरब देश से आने वाला आतंक इतना ताकतवर हो जाएगा कि वह अपने मोहम्मद का ज्ञान देने के लिये स्पेन को जीतते हुए ग्रेनाडा और इटली पर कब्जा जमाएगा  । 
" The great army led by a young man, It will come to surrender itself into the hands of the enemies: But the old one born to the half-pig, He will cause Ch Ð ‘ lon and M Ð ‘ con to be friends.   " 
इसमें बाकि सब छोडो लेकिन जो MD है क्या वो मोदी हो सकता है । सारी दुनिया जिस एक व्यक्ति के नेतृत्व मे लडेंगे वो मोदी जी हो सकते हैं क्योंकि वर्तमान वही एक नेता है जो सर्वधर्म समभाव की बाते ना केवल करते हैं बल्कि उसे लागू भी करने का प्रयास कर रहे हैं ।

अब अगर आपको इन भविष्यवाणीयों का पूरा प्रमाण चाहिये तो केवल उस समय का इंतजार करिये जब समुद्र मे अमेरिका के पोतों का विनाश किया जाएगा और चीन के माध्यम से परमाणु हथियारों से हमला होगा । .....
 
 

Monday, August 18, 2014

कृष्ण प्राप्ति का महामंत्र ।

हे कृष्ण आखिर तुम कौन हो ? 
क्यों तुम्हे जग पाना चाहता है ?
तुम्हे पाने का आसान मार्ग क्या है कृष्ण ?
आखिर मीरा ने ऐसा क्या देख ली जो वो आपमें समा गई ।

कई सवाल हैं कृष्ण से संबंध रखने वाले । आज दुनिया भर मे कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोउल्लास से मना रहे हैं , खुशी खुशी बताते हैं कि देखो कृष्ण जन्म ले रहे है , लेकिन एक सेकेंड के एक पल केवल सोच कर देखो क्या वो पल कृष्ण के लिये खुशियों का था ? जन्म लेते ही सगी माँ से विलग होकर उस माँ की गोद मे जाना जिसकी स्वयं की संतान उसके बदले मृत्यु के घाट उतरने वाली हो । बरसते पानी मे टोकरी मे रखे कान्हा को नंद  के द्वारा उफनती यमुना को पार करना ..  कृष्ण के कष्टों को समझने वाले कितने लोग होंगे आज जो एक धर्मवीर  को केवल राधा के प्रेम मे पडे प्रेमी का रूप देकर रख दिये हैं ।  
                                    कृष्ण को राधा के साथ मंदिरों मे स्थापित करने वाले लोगों से एक सवाल है कि क्या वे अपनी पत्नि की फोटो को हटाकर अपने ही घर मे अफनी प्रेमिका की तस्वीर लगा सकते हैं ? अगर आपमें ये हिम्मत है तो आप साहसी नही बल्कि चरित्रहिन होंगे जो पत्नि के रहते हुए भी उस प्रेमिका को पाने की लालसा कर रहे हैं जो आपकी ही अर्धांगिनी का घर तोड रही है ।  और अगर आपमें ये हिम्मत नही है तो फिर आप माता रूक्मणी की जगह कैसे किसी एक काल्पनिक चरित्र को बैठा सकते हैं ? अगर आप मानते हैं कि कृष्ण हैं , ये भी मानिये कि रूममणी भी हैं । कृष्ण नें केवल एक विवाह किये थे माँ रूकमणी से ,किंतु उनका प्रेम पूर प्रकृति से है । गांव, पर्वत, गाय, बांसुरी, नदि सब कुछ प्रकृति है । कृष्ण के पास  गोप गोपियों के लिये तब समय था जब वो वृंदाववन में थे , जब मथुरा पहुंचे तो उनके जीवन मे संघर्ष था स्वयं और गांव  का जीवन बचाने का संघर्ष । मथुरा से शुरू हुआ यह संघर्ष अंततः महाभारत युद्ध के साथ समाप्त हुआ । 
                                                          कृष्ण को कैसे पाएं हम , क्या मंत्र है कृष्ण को पाने का । किस महामंत्र के सहारे मीरा कृष्ण मे जीवित समा गई । वो कौन सा महामंत्र है जो कृष्ण को पाने मे सहयोग दे ...... 
वह महामंत्र है --- 
हरे राम हरे राम,  राम राम हरे हरे 
हरे कृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।
 --- हरे =  हरना , हरण करना, ले लेना 

 मेरे दुःख हर लो राम , मेरे संकट हर लो राम, हे राम मेरे राम प्रभु राम सारी विपदा हर लो ।
मुझे हर लो कृष्ण,  मेरा परिवार हर लो कृष्ण  , हे कृष्ण मेरे कृष्ण प्रभु कृष्ण मेरा सब कुछ हर लो ।

ये है वो महामंत्र ओर इसका अगर प्रभाव देखना हो तो इस्कान वालों का उदाहरण देखिये .. लाखों , करोडों कमाकर हरे रामा हरे कृष्णा गाते हुए मुक्ति मार्ग के लिये हजारों लोग निकल पडे हैं । जिनके पास धन है वो भी आज कृष्ण मे लीन है और जो दरिद्र है वो पाने के लालच मे इस महामंत्र का जाप करते हैं बिना ये सोचे कि ये जगत कल्याण का नही परमात्मा को पाने का निर्वाण महामंत्र है । ये वो महामंत्र है जो आपको धन वैभव से वंचित रखते हुए कष्ट देते हुए परमात्मा तक पहुंचाता है , इसीलिये कृष्ण सबकुछ पाते हुए भी आज तक अकेले हैं । 
उनके पास एक पत्नि थी जो आज उनसे दूर करके रख दी गई है उनकी समाधी (वीरावल मे भालका तीर्थ )  के बारे मे लोगों को नही पता  । सारा जगत जन्माष्टमी के दिन प्रसन्न है किंतु कृष्ण ........ हरे हरे 

Tuesday, August 5, 2014

नास्त्रेदमस - मोदी है राजा कलि ?

तीन ओर जल से घिरे , पूर्वी देश में एक शासक पैदा होगा जो गुरूवार को अपना उपासना दिवस घोषित करेगा । इस गैर इसाई महापुरूषकी महानता, सराहना व अधिकारों की चर्चा प्रबल होगी और वह सारी धरती व समुद्रों पर तूफान की तरह हावी रहेगा ( सेंचुरी 1- 50 )      
  एशिया मे वह होगा जो यूरोप मे नही हो सका होगा । एक विद्वान शांति दूत पूर्व के सभी राष्ट्रों पर हावी होगा ( दसवीं सेंचूरी -75 दोहा ) ।

इन दो दोहों की  व्याख्या से मेरे इस लेख के  केंन्द्र बिंदु नरेन्द्र मोदी बने हैं। वर्तमान समय मे पूर्वी देशों मे एकमात्र नरेन्द्र मोदी ही वह व्यक्ति है जो असली शांतिदूत की भूमिका निभा रहे हैं । चाहे वह पाकिस्तान की बात हो , चीन की , भूटान की या फिर नेपाल की उन्होने शुरूआत अपने पडोसियों से संबंध सुधारने से ही किये है और अचानक  सारे पडोसी भी भारतीयों को अपने से लगने लगे हैं । पाकिस्तान मे तो इतना भारी परिवर्तन हुआ कि उसने वजिरिस्तान से सारे आतंकियों को कदेड दिया और अब जो आतंकी काश्मीर मे है ुन्हे भी संरक्षण देना बंद कर रहा है । देश की नक्सल समस्या के समाधान के लिये उन्होने अप्रत्याशित रूप से नेपाल जाकर माओवादी प्रचंड से मुलाकात करे . जिसका परिणाम भी देश के भीतर नक्सल खत्म होने मे कारगर रूप से दिखेगा । मोदी ने कभी भी युद्ध की बात नही किये और ना ही अपने धर्म से डिगे । जब सारे नेता स्वयं को धर्म निरपेक्ष दिखाते फिर रहे थे उस समय मोदी ने अपने धर्म की व्यख्या दकर सभी को हैरान कर दिये । लोक सभा चुनाव मे सभी को उम्मीद थी कि बिना धर्म निरपेक्ष बने जीत हासिल नही हो सकती किंतु मोदी ने अपने को सनातनी धर्म के नियमों पर आधारित धर्म निरपेक्षता का सिद्धांतवादी साबित करके चुनाव मे भारी विजय पा लिये ।  मोदी को अवतारी पुरूष साबित करने मे मुझे पता है भारी दिक्कतें आएंगी , किंतु दुसरे अवतारी पुरूष चाहे वह राम हों या कृष्ण, गुरू गोविंद हों या महावीर हर किसी को अपने अपने काल और युग मे तकलीफें ही झेलनी पडती है ।
                                      अवतारी काल पुरूष वही मनुष्य बन सकता है जो विपरित परिस्थियों से जूझ कर , विपत्तियों से लड कर अपने धर्म पथ पर सदा कायम रहता है । हिंदु धर्म मे राजा कलि के बारे मे कहा गया है कि यह अवतारी राजा चारों युग की प्रधानता के अनुसार शुद्र होगा । सतयुग- ब्राह्मण (राजा हरिशचंद्र ) , त्रेता युग - क्षत्रीय ( राजा राम ), द्वापर युग - वैश्य ( कृष्ण यदु वंशी थे । यादव वैश्यों मे होते है क्योंकि उनका मुख्य कार्य देश के दुग्ध उद्योग को संचालित करना होता है  ) अब बारी है कलयुग की  - अपने शुरूआती तीनों युगों की तरह यह युद्ध भी अधर्म पर विजय पाने के लिये ही लडा जाएगा यह तय है,  लेकिन  जीतेगा कौन ? जीतेगा वह राजा जो धर्म के मार्ग पर चलना जानता हो । जिसे अपने धर्म का ज्ञान हो , जो स्वयं से बढ कर परमात्मा को माने , जो अपने हर कार्य को गंभीरता के साथ पूर्ण करे । ..
                                     ऐसा कोई नेता या राजा जो पूरी दुनिया मे हो तो वर्तमान मे मुझे नरेन्द्र मोदी के अतिरिक्त कोई नही दिखता । हमारे देश का संविधान प्रधानमंत्री को राजा की तरह का अधिकारी बनाता है और अब हमारा राजा अपने जिस कर्म पथ पर आगे बढ रहा है वह उन्हे राजा कलि बनाने के एक कदम और करीब ले जाता है । जिस तरह से मोदी अपने धर्म और कर्म  मार्ग पर आगे बढ रहे हैं उसे देखते हुए यह आंकलन करना कठिन नही है कि वह गुरूवार के दिन अवकाश घोषित करा दें , क्योंकि गुरूवार को सनातनी धर्म के नियमो के अऩुसार केवल साधना का दिन माना जाता है और आज भी कई घरों मे गुरूवार को शरीर पर तेल, साबुन लगाना वर्जित माना जाता है तथा कुछ घरों मे झाडू पोंछा तक नही होता है ।
 
आगे होने वाली घटनाक्रमों की एक महत्वपूर्ण कडी
एक पनडुब्बी में तमाम हथियार और दस्तावेज लेकर वह व्यक्ति इटली के तट पर पहुंचेगा और युद्ध शुरू करेगा । उसका काफिला बहुत दूर से इतालवी तट तक आएगा । ( दुसरी सेंचुरी-5वां दोहा )
 समुद्री मार्ग से इटली पहुंचने का आसान रास्ता समुद्र ही है  और वो देश  जहां से पहुंचा जा सकता हो वह लीबिया, अल्जीरिया, मिश्र, सऊदी अरब, तुर्की और इस्राइल हैं । इन सभी देशों मे से केवल सऊदी अरब को छोडकर शेष सभी देश युद्धरत है , चाहे वह युद्ध आपसी हो या फिर गृह युद्ध । जिस तरह से इराक पर आतंकी कब्जा हो चूका है उसे देखते हुए यह कहना ठीक ही होगा कि उक्त सभी देश आज नही तो कल आतंकीयो के हाथ पडने वाले हैं ।

Tuesday, July 8, 2014

नक्सल , सेना और सरकार


छत्तीसगढ  कांग्रेस के बडे नेताओं का एक साथ नक्सली हमले में सफाया कोई सामान्य घटना नही कही जा सकी । इस दरभा कांड ने पूरे देश की राजनीती को झकझोर कर रख दिया था । दरभा कांड से पहले आम जनता के मन मे यह भावना बैठी हुई थी कि नक्सली केवल पुलिस, सेना और निरीह जनता को ही मारते हैं , लेकिन इस घटना ने इतिहास और सोच को एक साथ बदल दी । इस घटना के बाद एक पक्ष के लोगों के सामने नक्सलियों का क्रूर चेहरा सामने आया जिसमे बताया गया कि नक्सली महिलाएं महेन्द्र कर्मा के शरीर को चाकूओं से गोद गोद कर मारी थी और शरीर मे गोलियो के तो तीन लेकिन चाकूओं के 70 से ज्यादा जख्म थे । अब महेन्द्र कर्मा की मौत का दुसरा पक्ष जो नक्सलीयों की नही ग्रामीणों की बात करता है और कहता है कि महेन्द्र कर्मा के द्वारा सलवा जुडुम की आड मे स्थानीय आदिवासीयों के ऊपर भारी अत्याचार किया गया था तथा कई लडकियां सलवा जुडुम समर्थकों की हवस का शिकार बनी थी और उन्ही शिकार महिलाओं ने महेन्द्र कर्मा को इस प्रतिशोध भरे तरिके से दुर्दांत बदला ली हैं  । 
                                                      नक्सलियों का यह तौर तरीका सभ्य समाज को कतई रास नही आ सकता और ना ही समाज या कानून इसे स्वीकार करेगा किंतु घटना तो घटी है । एक दुसरे पर दोषारोपण चलता रहा और चल भी रहा है किंतु सेना ने दोषारोपण से स्वयं को दूर रखते हुए अपनी सटिक रणीनीतीक कार्यवाही जारी रखी जिसकी वजह से बस्तर कुछ हद तक शांत हो गया ।                 
                  एक बात जो मुझे याद पडती है कि कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर हमले के कुछ दिन पहले महेन्द्र कर्मा के कई साथीयों को छत्तीसगढ हाईकोर्ट क द्वारा बलात्कारों के मामले से बरी कर दिया गया था । इस बात का उस घटना क्या संबंध हो सकता है इस पचडे मे मैं नही पडना चाहता क्योंकि बात केवल हवा हवाई ही होती है । नक्सलियों से मिलने का दावा करने वाले पत्रकार भी खुलेआम यह नही कह सकते कि मैं नकस्लियों से उनकी समस्याएं जानकर आया हूँ क्योंकि तब वह नक्सल समर्थक माना जाता है । आज बस्तर के आदिवासी अपने जल जंगल जमीन के हक मे अकेले लड रहे हैं यह सोचकर कि शायद प्रवीरचंद भंजदेव पुर्नजन्म लेकर उनकी रक्षा कर सके और अपना जंगल बचा सके ।
                           नक्सल क्या है, नक्सली कौन है के बजाय हमे अपनी सेना का मनोबल बढाना होगा जो धुर नक्सली क्षेत्रों मे जाकर नक्सली मुक्त जंगल बनाना चाह रहे हैं । वैसे मुझे एक सीआरपीएफ के जवान के साथ घटी घटनाक्रम भी ध्यान आ रही है जो मोहला मानपुर क्षेत्र मे हुई थी जिसमे उक्त जवान की जान नक्सलियों ने यह वादा करने पर बख्शे थे कि वह वापस जात ही सेना की नकरी छोड देगा और उसने वैसा ही किया भी था । सेना के सामने सबसे बडी जिम्मेदारी यह है कि वह नक्सलियों के खात्मे के अलावा आदिवासीयों के पुर्नवास के लिये भी योजनाएं चलाए ताकि मुहं मे गमछा बांधे नक्सली औऱ उसी गमछे को सिर पर लपेट कर हाथ जोडकर खडे ग्रामीण मे वह अंतर समाप्त कर सके ...................
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जो पूरी तरह से असंभव है क्योंकि लडाई तो नक्सल,  सेना  और सरकार की है लेकिन नाश आदिवासीयों के जल जंगल जमीन का हो रहा है ।

Sunday, May 18, 2014

नरेन्द्र मोदी - देश के बाद विश्व है ।

" मैं ना तो आया हूँ और ना ही किसी ने भेजा है , मुझे तो माँ गंगा ने बुलाया है " ये वो शब्द हैं जो बोले तो बनारस मे गए थे लेकिन हर बनारस वासियों की तरह सारे भारतीयों के दिलों में घर कर गए । एक सहज भाव जो माँ के आंसूओं और पिता की शहीदी पे भारी पडे । देश के सामने  तीन मुख्य बातें थी जिनमे से एक को चुनना था झुठे वादे के सहारे खडी कांग्रेस, कायरों की तरह जिम्मेदारी से भागी आप पार्टी और ठोस विकास को लेकर खडे नरेन्द्र मोदी । इस बार भाजपा के जीत का चाहे जो भी गणित या आंकलन राजनीतीक पंडित लगाएं मुझे लगता है किसी का भी ध्यान मुख्य जड की ओर नही जा पाएगा कि इतनी बडी जीत आखिर सुनिश्चित कैसे हुई ? दरअसल अभी तक कांग्रेस की जीत की बहुत बडी वजह जो उनका फार्मुला भी था कि जाति और धर्म के नाम पर तो वोट उन्हे नही भी मिलेंगे तो कोई बात नही उनकी सहयोगी सपा, बसपा,एनसीपी जैसे दलों को तो मिल ही जाएंगे और रही बात भ्रष्टाचार की तो कांग्रेस के नेताओं ने एक बात हमेशा कहे हैं कि जनता को भूलने की आदत है । 
                                                  बस इन्ही दो फार्मुलों को भाजपा ने तोड दिया । इस बडी जीत में बहुत बडी भागीदारी कांग्रेस के नेताओं ने भी निभाए है जो गाहे बगाहे उटपटांग बयानबाजी करके जनता के मन में मोदी के प्रति हमदर्दी जगाते रहे । इसमे से एक बयान जिसकी काट भाजपा के बहुत काम आई वह थी " जनता को भूलने की आदत है , जब वह बोफोर्स को भूल गई , वैसे ही सैनिकों के कटे सिर और भ्रष्टाचार को भूल जाएगी " लेकिन मोदी एंड कंपनी ने जनता को भूलने नही दिया । जनता को कटे सिर से लेकर ताजा भ्रष्टाचार और बढती महंगाई को जनता के जेहन मे ताजा रखा जिसका परिणाम ये रहा की जनता ने बैनर पोस्टर तो दुसरे दलों के लगाए लेकिन काम पूरा मोदी जी का कर दिये । 
                                                    बनारस के रोड शो में उमडी भारी भीड से राहुल और केजरीवाल मुगालते मे आ गए कि जनता का उन्हे समर्थन है, जबकि बिना रोड शो किये मोदी के साथ की भीड को उन्होने बाहरी कार्यकर्ताओं का तमगा दे दिया । बनारस ने अपनी सदाबहार मेहमाननवाजी को बरकार रखा जिसमे कांग्रेस, केजरीवाल और सपा को भीड के मामले मे कोई निराशा हाथ नही लगने दी लेकिन प्रत्याशी वही चुने जो उनके दिल मे था । गुजरात और राजस्थान तो समझ आया लेकिन आसाम मे मिली जीत से जनता  मोदी जी की इस बात से सहमत दिखी की " बांग्लादेशीयों को बाहर निकाला जाए " इस मुद्दे पर ऐसा लगा की भाजपा अपना खाता भी नही खोल पाएगी लेकिन वास्तव मे उस क्षेत्र की जनता ने बीजेपी को जीत दिला कर मोदी जी के साथ सहमती दिखा दी । आए दिन दंगे फासदों वाले राज्यं से उन सभी दलों का सफाया हो गया जो दंगो की आड मे केवल जाति और धर्म की राजनीती कर रहे थे ।
                                                     ये तो हुई भारत देश की बातें अब जरा रूख विदेशों की ओर करते हैं । मोदी जी को वीजा देने मे हमेशा कडा रूख अपनाने वाला अमेरिका इस समय केवल मोदी जी को आमंत्रित करके इति श्री कर चूका है । पाकिस्तान की दहशत तो मोदी जी के नाम से ही इतनी ज्यादा थी की वह और उसके नमुांइदे लगातार मोदी विरोध मे लगे रहे । चीन हो या फिर अन्य देश हर किसी को मोदी नाम से ही इतनी ज्यादा दहशत है मानो कोई दुसरा हिटलर सत्ता मे आ गया हो जबकि वास्तविकता ये है कि कांग्रेस और विरोधी दलों ने मोदी के नाम की आड मे केवल अपनी गंदी राजनीती और विदेशी फंड बढाते गए थे । भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां हर किसी को चुनाव लडने का अधिकार है और फिर जब हमारे देश मे ओवैसी जैसे लोग अपनी पार्टी बनाकर  सांसद बन सकते हैं तो उस लिहाज से तो भाजपा कई गुना ज्यादा बेहतर है फिर भी केवल भाजपा को सांप्रदायिक संगठन के रूप मे देखना अमेरिका सहित दुसरे देशों को अब भारी पड रहा है । अमेरिका मे सिक्ख विरोधी दंगों के मामले मे सोनिया की अमेरिका मे पेशी चल रही है लेकिन दंगो का जनक और सूत्रधार मोदी को माना जाता रहा अब वही देश भारत को किस नजरिये से देखेंगे ये सोचने वाली बात है । वैसे नरेन्द्र मोदी ने जो भी कहे उसे पूरा करके दिखलाए हैं और अगर उन्होने कहे थे कि एक ऐसा भारत देश का निर्माण करूंगा जहां आने के लिये अमेरिका जैसे देश कतार मे लग कर वीजा लेंगे , तो मुजे लगता है अब वह वक्त आ गया है । 
                                                              इस समय सारा विश्व लड रहा है । हर देश किसी ना किसी युद्ध मे व्यस्त है कोई गृह युद्ध में तो कोई आतंकियों से तो कहीं आपस मे ही औऱ अगर मनमोहन की कोई उपलब्धी हम मानेंगे तो यही की कम से कम हमारे देश मे ये हालत वो नही बनने दिये । झूक कर औऱ देश की गरिमा को गिरा कर ही सही अभी तक उन्होने देश को युद्ध से बचाए रखा था लेकिन अब देश एक ऐसे हाथों मे आ गया है जिसके आने के पहले ही पडोसी मुल्कों में केवल नाम की ही दहशत है ।  
                                                       आगे ईश्वर की मर्जी ।

Tuesday, May 6, 2014

राम के मोदी या मोदी के राम

लोकसभा 2014 मे यह मेरी पहली और इकलौती पोस्ट है जिसे मै आज इसलिये लिखने जा रहा हूँ क्योंकि मोदी ने आज अपना अंतिम ट्रंप कार्ड खेलकर पूरे लोकसभा चुनाव मे अपनी जीत का स्पष्ट दृष्टिकोंण रख दिये हैं । अब इस लोक सभा चुनाव की पूरी तैय्यारी मे सबसे बडी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नरेन्द्र मोदी की चर्चा ही केंद्र बिंदु मे रखते हुए अपन बात करें तो देखते हैं कि एक ओर संपूर्ण विपक्ष है और एक तरफ अकेले मोदी । ना कोई दल ना कोई अन्य नाम सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी । मोदी ने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत करते ही ये आभास दिला दिया था कि उनके पास विपक्ष की हर प्रश्न का उत्तर है औऱ हर वार की काट भी मौजूद है । 
विपक्ष के पास नरेन्द्र मोदी के लिये केवल गोधरा दंगे के अलावा बाकि सारी कहानी केवल झूठ पर टिकि थी मसलन गुजरात मे विकास नही हुआ, गुजरात के किसान आत्महत्या कर रहे हैं , गुजरात मे केवल अमीर उद्योगपतियों को बढावा दिया जा रहा है , गुजरात मे पंजाब के किसानों को मार कर भगाया जा रहा है वगैरह वगैरह ..... 
                                       लेकिन विपक्ष के इन झूठे दावों की पोल हर चुनाव मे मतदान के पहले ही खुल जाती थी और मोदी को बढत मिल जाती थी जिससे विपक्ष का हर दांव खाली चला जाता था, लेकिन एक बात औऱ गौर करने लायक है कि मोदी का साथ ना केवल मानवों की टीम दे रही है बल्कि कोई ना कोई अदृष्य ताकत भी उनके साथ चल रही है जो हर वार का जवाब उन्हे कुदरती तौर पे दे देती है । कांग्रेसी नेता हों या फिर किसी भी दल के नेता ..जिसने भी मोदी जी के खिलाफ मुंह खोला उसे तत्काल किसी ना किसी मुसीबत मे कुरती तौर से मुश्किलों का सामना करना पड गया । दिग्विजय तो मात्र एक उदाहरण है जिन्होने मोदी जी की पत्नि को लेकर कई अंट शंट बयान देते रहे लेकिन कुदरती तौर पे जब उनका चाहरा अमृता राय के नाम के साथ उजागर हुआ तो वह स्वयं सबसे बडे चरित्रहिन व्यक्ति निकले ।  इशी तरह कपिल सिब्बल, चिंदंबरम औऱ आजम और खुर्शीद के विरूद्ध भी कुछ ना कुछ ऐसा होता चला गया जिसमे उन्हे ही मुंह की खानी पडी । 
                                        पं. बंगाल मे ममता के विरूद्ध जब मोदी ने बिगुल फूंका तो ममता नेबांग्लादेशीयों का सपोर्ट करके खुद अपने जीत का रहस्य एक तरह से कबूल कर ली की उनकी सेना बांग्लादेशियो पर ही टिकी हुई है नतीजा आसाम मे हुई 30 मौतों के रूप मे सामने आया ।   और आखिरकार मोदी जी ने कल की फैजाबाद सभा मे राम जी की तस्वीर के सामने भाषण देकर औऱ राम राज्य की बात कह कर विपक्ष और चुनाव आयोग दोनो को एक साथ पटखनी दे दी है । प्रभु राम जी की तस्वीर लगाने से कांग्रेस और तृणमूल ने तो पूरी भाजपा पार्टी को ही बैन करने की बात कह कर खुद अपने पैर पे कुल्हाडी मार लिये हैं । दरअसल ये एक ऐसा दांव है जिसमे समर्थन ना देने वाला वृहद हिंदु वोट एक झटके मे ही गंवा देगा और वो हिंदु वोट यादव, भूमिहार,   औऱ दलितों मे भी बहुलता के साथ हैं । मुस्लिम वोटर  तो इस बार अप्रत्याशित रूप से खामोशी ओढते हुए स्वयं को निष्पक्ष  बताने की कोशिश मे है ताकि मोदी सरकार आने पर वे कह सकें कि हमारे समर्थन के बिना ये सरकार नही बन सकती थी । 
                                          मोदी ने इस चुनाव मे अपना एकदम स्पष्ट नजरिया रखते हुए कार्य किये है जो केवल मजबूत सेना,  मजबूत देश, विकास पूरक देश, समर्थ राष्ट्र,  भ्रष्टाचार मुक्त देश , महंगाई मु्क्त देश और धर्म से ऊंचा राष्ट्र पर आधारित है । इसके विपरित विपक्षी दलों के पास जाति , धर्म और  झूठे विकास के खोखले दावों के अलावा कुछ नही है । विपक्ष केवल गोधरा दंगो के नाम से देश के मुस्लिम वोटरों को मोदी का भय दिखाकर ही वोट हासिल करना  चाहता है जो वर्तमान मे शिक्षित जनता के गले नही उतर रहा । 
                                              अब फैसला तो 16 मई से ही मिलना शुरू होंगे तब तक हम मोदी राम है या राम के मोदी है पर बहस चालू रखेंगे एबीपी और एनडीटीवी के माध्यम से ।

Wednesday, March 26, 2014

संयुक्त राष्ट्र - गुलाम तैय्यार करने वाला संगठन ।

फिर से भविष्यवाणी ।  अरे भाई हर बात को आप लोग भविष्यवाणी से क्यों जोड लेते हो ? कभी संभावना की तलाश भी कर लिया करो कि जो हो रहा है अगर वैसे ही चलता रहा तो आगे क्या होगा । अब आपको लग रहा होगा कि संयुक्त राष्ट्र भंग हो या चलता रहे अपने को क्या - तो यह सोच बदल दिजिये क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के द्वारा दुनिया के कई देशों को स्वास्थ्य सुविधा की राशि इसी के माध्यम से मिलती है - भारत को भी । हमारे देश की कई योजनाएं ऐसी है जिनमे सारा पैसा संयुक्त राष्ट्र के द्वारा ही आता है और सरकार उन पैसों का इस्तेमाल नीजी स्वार्थ मे करती हैं.....  खैर  वो भ्रष्टाचार का मामला है ना कि हमारी इस पोस्ट का । तो सबसे पहले बात करते हैं संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का उद्देश्य क्या था ?? संयुक्त राष्ट्र के व्यक्त उद्देश्य हैं युद्ध रोकना, मानव अधिकारों की रक्षा करना, अंतर्राष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना, सामाजिक और आर्थिक विकास उभारना, जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से लड़ना । 
                       1.- युद्ध रोकना संयुक्त राष्ट्र का पहला उद्देश्य है लेकिन यह अपने उस उद्देश्य को वर्तमान मे भूल कर भेदभाव अपना रहा है जैेसे - अमेरिका ने लिबिया औऱ इराक को कथित तौर से आजादी दिला दिया लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ ? इराक से अथवा लीबिया से दुनिया को कोई खतरा नही था और यह शुद्ध रूप से उनके तेल भण्डारो पर कब्जा करने की अमेरिकी साजिश थी जिसमे वह पूर्णतः सफल हो गया । इन युद्धों मे संयुक्त राष्ट्र की भूमिका केवल इतनी भर रही की उसे इराक और लीबिया  की जनता सद्दाम औऱ गद्दाफी के तानाशाही से मुक्त होती दिखलाई पडी, जबकि वर्तमान मे दोनो देश गृहयुद्ध की आग मे जल रहे हैं । 
                    2.- मानव अधिकारों की रक्षा  जबकि वर्तमान समय मे सीरिया, मिश्र, सूडान उत्तर कोरिया सहित कई अफ्रीकी राष्ट्रों की जनता  अपने अधिकारों  को जानना तो दूर अपनी जान बचाने की जद्दोजहद मे है । संयुक्त राष्ट्र अपनी सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से जो दवाएं अथवा रसद उन देशों को पहुंचा रहा है वह पूर्णतः मिशनरी संस्थाएं होती है जो जनता की सेवा के नाम से पैसों की हेरा फेरी करके अपने चर्च को लाभ पहुंचाती है फिर चाहे वह धर्म परिवर्तन हो या फिर चर्च को आर्थिक सहायता । हमारे देश मे भी जो NGO संचालित होते हैं उनके अधिकार धर्म व जाति के आधार पर अलग अलग होते हैं । ईसाइ मिशनरीयों को मिलने वाला धन असीमित हो सकता है किंतु सामान्य NGO को मिलने वाले धन की जांच पर इतने अडंगे रहते है कि संचालक त्रस्त हो  जाते हैं यानि की मानव अधिकारों की रक्षा के नाम से संयुक्त राष्ट्र मिशनरी और यूरोपीय संघों को लाभ पहुंचा रहा है । ताजा जानकारी के अनुसार संयुक्त राष्ट्र आज इटली के उन नौसैनिकों के मामले पर संज्ञान लेने वाला है तथा भारत देश को निर्देश देने वाला है,  जिन पर हमारे देश के नागरिकों की हत्या का मामला चल रहा है ।
                        3.- अंतर्राष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना जबकि इस क्षेत्र मे संयुक्त राष्ट्र के पास ऐसा कोई उल्लेखनीय योगदान नही होगा जिससे यह साबित होता हो कि अंतर्राष्ट्रीय कानून को निभाने मे कोई खास पहल की गई हो । इसका नजरिया हमेशा यह रहता है कि जहां पर अंर्तराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन हो रहा है वह यूरोपीय संघ - अमेरिका के हित मे है या नही । यदि हित मे है तो जायज औऱ अगर नही है तो नाजायज ।  चूँकि इसका नियंत्रण मुख्य रूप से इटली, अमेरिका औऱ फ्रांस के नियंत्रण मे है सो यह संगठन उन्ही के हितों मे बातें और काम करने को प्राथमिकता देता है ।
                      4.- सामाजिक और आर्थिक विकास उभारना इसके आड मे यह पूर्णरूपेण ऐसे कार्यक्रम तैय्यार करवाता है जिससे उस देश की सामाजिक प्रणाली अस्त व्यस्त हो जाती है । हमारे देश मे ही इसका उदाहरण देखिये - सामाजिक स्वतंत्रता के नाम पर सेक्स बढाया गया, धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर हमारे ही देश मे ईसाइ और मुस्लिम धर्म को आरक्षण लाभ दिया जाने लगा , आर्थिक विकास व सहयोग के नाम से अमेरिकी कंपनीयों को बढावा दिया गया जैसा हमारे देश मे किया गया वैसे ही इस संगठन के द्वारा विश्व के अन्य विकासशील देशों के साथ किया जा रहा है औऱ जो देश इसका विरोध करते हैं उन्हे बेवजह के कडे प्रतिबंध के नाम पर धमकाने वाले संयुक्त राष्ट्र के सरपरस्त हावी हो जाते हैं । 
                        5.- जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से लड़ना यह एक ऐसा फार्मुला जिसके लिये दवा कंपनीयां अरबों खरबों खर्च कर रही हैं । जीवन स्तर सुधारने के नाम पर साफ सफाई , साफ पेयजल और बेहतरीन स्वास्थय सुविधाएं दी जानी चाहिये और इन कामों मे होने वाला खर्च यूँही सरकारी खातों मे या तो वापस चले जाता है या फिर नेता अधिकारीयों की जेब मे । बीमारियों से लडने के नाम पर दवा कंपनीयां भारी फर्जीवाडा कर रही है एड्स जैसी बीमारी जिससे विश्व मे एक भी दमी की मौत नही हुई कंडोम बेचने के नाम पर फैला दी गई । यौन संक्रमण , हेपेटाइटिस,  स्वाइन फ्लू जैसी कई बीमारियां ऐसी है जिन्हे हमारे यहां सामान्य दवाओं से ठीक कर लिया जाता था लेकिन संयुक्त राष्ट्र की आड मे 2 का माल 200 बनाकर दवा कंपनीयां सप्लाई कर रही है  और मजे की बात ये है कि ये सभी कंपनीयां या तो अमेरिका की होती है या फिर फ्रांस की ।  
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                                   सच तो ये है कि मुझे कहीं भी संयुक्त राष्ट्र की ऐसी महती भूमिका दिखलाई नही पडी है जिससे मैं यह मान सकूँ कि संयुक्त राष्ट्र विश्व मे कोई परिवर्तन ला सकता है । विश्व बैंक हो या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन , अंतराष्ट्रीय कृषि कोष हो या खाद्य एवं कृषि संगठन  यह सभी पूर्ण रूप से संयुक्त राष्ट्र के अधीन होकर अपने आका मुल्कों के हितों की रक्षा करते हैं । ये हर देश को केवल अपने हिसाब से नियंत्रित करने की चाल चलते हैं और कुछ नही ।

Thursday, March 6, 2014

सावधान - तीसरा विश्वयुद्ध जारी है ।

सूखा जरूरी नही की गरमी में आए ओले से भी सूखा पडता है ।
तो कैसे हैं जनाब आप लोग,  औऱ कैसा लग रहा है तीसरे महायुद्ध के दौर मे अपना समय गुजारना ।   जाहिर सी बात है आप कहेंगे मुझे अपने दिमाग का इलाज करवाना चाहिये । मैं आपकी सलाह मान भी लेता लेकिन क्या करूं ये नास्त्रेदमस जी मुझे बार बार झिंझोड कर उठा देते हैं और कहते हैं पढ और लिख । मैंने कई दफा उन्हे समझाया कि आदरणीय मेरा अंगरेजी से दूर दूर तक कोई लेना देना नही है तो बस उत्तराखण्ड के अपने मित्र चेतन हरिया थमा दिये । कहे कि उसके कंधे का आपरेशन हुआ है वो अपने घर मे रहेगा उससे अनुवाद करवाओ तो.. अब क्या किया जा सकता है सिवाय ये बताने के लिये की लो जनाब आप तीसरे महायुद्ध के दौर मे ही अपना जीवन बीता रहे हैं ... पता था आप भी केजरीवाल की तरह प्रमाण मांगेगे तो चलिये क्रमवार प्रमाण पकडते चलिये ... लेकिन उसके पहले मुझे झेलिये ।
                                                      मैं आगे की कडियां बताने से पहले कुछ बाते आप लोगों की जानकारी मे देना चाहता हूँ कि अभी जब मैं पोस्ट को लिख रहा हूँ तो दुनिया मे इस समय क्या हो रहा है - 
1. - दक्षिणी सूडान मे जबरदस्त गृहयुद्ध ।
2. - अफगानिस्तान - तालिबान मे युद्ध ।
3. - चीन और जापान के मध्य द्विप को लेकर युद्ध के हालात ।
4. - ईराक मे गृहयुद्ध जारी ।
5. - इज्राइल द्वारा सीरिया मे बमबारी ।
6. - रूस - यूक्रेन को लेकर पूरे विश्व मे तनाव ।
               इसके अलावा कई अफ्रीकी देशों मे   आपसी लडाईयां या गृहयुद्ध चल रहे है । यानि दुनिया एक तरह से कहीं ना कहीं युद्ध कर ही रही है । अब इन सके बीच नास्त्रेदमस की भूमिका क्या है ये देखिये -- 
 नास्त्रेदमस अपनी तीसरी सेंचुरी के 4- 5  दोहे मे लिखते हैं - 
" Near, far the failure of the two great luminaries Which will occur between April and March. Oh, what a loss! but two great good-natured ones By land and sea will relieve all parts. " 

When they will be close the lunar ones will fail, From one another not greatly distant, Cold, dryness, danger towards the frontiers, Even where the oracle has had its beginning.
                                                   
                                               इसमे नास्त्रेदमस ने अप्रेल और मार्च या मई माह में दो शक्तियों के टकराव के बारे मे लिखा है । इस साल अगले महिने अप्रेल मे अप्रत्याशित रूप से दो सूर्य ग्रहण पड रहे हैं 15 अप्रेल और 29 अप्रेल को । कुछ जानकारों के अनुसार दो सूर्य ग्रहण एक ही माह मे पडना बेहद अशुभ है और ऐसा माना जा रहा है कि महाभारत काल के बाद यह योग बन रहा है । अब अगर इस ग्रहण को हम बेस मानकर  चलें कि इन्ही ग्रहण के कारण बहुत कुछ बदलाव हो सकते हैं । वर्तमान समय मे सारी दुनिया सर्द की तेज लहरों व भारी बरसात से जूझ रही है । इससे फसलें भी बरबाद हो रही है यानि सूखे का खतरा बढ चूका है ।  यानि भविष्यवाणी के अनुसार हम लोग विश्वयुद्ध के दौर मे पहुंच चूके हैं और आगे बढकर झांकने का प्रयास करते हैं कि नास्त्रेदमस क्या कहना चाहते हैं ।
सेंचुरी3/22 में लिखा है
 " Six days the attack made before the city: Battle will be given strong and harsh: Three will surrender it, and to them pardon: The rest to fire and to bloody slicing and cutting. "
                    यह भविष्यवाणी 6 दिन का युद्ध की बात बतलाता है जो 1967 मे इस्राइल ने सीरिया, जॉर्डन और मिश्र को अकेले हरा कर जीता था । इस युद्ध का उल्लेख नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी मे तीसरे विश्वयुद्ध की शुरूआती पृष्ठभूमि के बीच मे आया है इसलिये मेरा ये अनुमान है कि यह घटना दोहराई जा सकती है और शायद इस बार इसका परिणाम अलग हो ।

" By the appeased Duke in drawing up the contract, Arabesque sail seen, sudden discovery: Tripolis, Chios, and those of Trebizond, Duke captured, the Black Sea and the city a desert " 
                                        
                                          इस पहेली मे ब्लैक सी यानि काला सागर का उल्लेख है । काला सागर वह हिस्सा है जहां पर रूस ने अफनी सेना को यूक्रेन के विरूद्ध अलर्ट पर रखा है । मुझे जहां तक समझ पड रहा है कि काला सागर के इस भाग मे जो युद्ध होगा उसमे महाशक्ति को हार का सामना करना पड सकता है यानि रूस की हार हो सकती है ।  चूँकि आज 6 मार्च ही है इसलिये अभ अगले महिने तक देखते हैं क्या क्या हवा बदलती है नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी ...तब तक आप लोग विश्वयुद्ध के शुरूआती भाग का आनंद लिजिये ।
औऱ क्या ............... आगे की खोज जारी है अभी भी ... 

Saturday, February 15, 2014

बिजली का झटका लगा केजरीवाल को ।

राजनीती के क्रकेट मैदान मे अरविंद केजरीवाल 49 रनों की पारी मे हिट विकेट आउट हो गए हैं । जनलोकपाल को लेकर इन्होने जो बखेडा खडा किये वो इनकी अदूरदर्शिता नही बल्कि सोची समझी रणनीती समझी जा सकती है । इन्होने दिल्ली सरकार से जो वादे करके सत्ता पे आए उनमें वो हर तरह से नाकाम हुए और अपनी नाकामियों को " हमें तो जानकारी ही नही थी कि ऐसा करना होता है " जैसी बेतुके बायनों से और भी जलील हुए । आज राजनीती के नजरिये से लोग केवल आप पार्टी और केजरीवाल को हेय दृष्टि से देखेंगे औऱ होना भी यही चाहिये क्योंकि आप को पता होना चाहिये था कि जिस भ्रष्ट सिस्टम से वो लडने के लिये आए हैं वो कौन लोग हैं । केजरीवाल की 49 दिन की सरकार ने ऐसा कोई भी काम नही की जिससे यह साबित हो सके कि वे एक बेहतर राष्ट्र का निर्णाण कर सकते हैं । दिल्ली की सत्ता पाने के बाद केजरीवाल ने बजाय केन्द्र सरकार की नाकामी को सामने लाने के केवल भाजपा और मोदी के ऊपर ध्यान केंद्रित रखा जिससे जनता को यह समझ आने लगा कि कांग्रेस ने ही आप पार्टी को जन्म दिया है औऱ यह पार्टी उसी तरह से काम करेगी जैसे शरद पवार, मायावती, मुलायम सिंह  और लालू यादव कर रहे हैं । यदि केजरीवाल सचमुच भ्रष्टाचार से लडना चाहते तो उनके पास कई रास्ते थे जिनमे से सबसे आसान रास्ता यह था कि वे अंबानी- कांग्रेस गठबंधन को जनता के सामने ढंग से उजागर करते । बजाय गैस के मूल्यों को बढाने के मुद्दो को सामने लाने के ,  वो सबसे पहले ये सवाल करते कि हमारे देश में पैदा होने वाली प्राकृतिक गैस के दाम डॉलर मे क्यों तय किये जा रहे हैं  ?  
                                            यह सवाल आमजन के दिमाग मे सबसे पहले आना चाहिये था कि हमारे ही देश मे पैदा होने वाले सामान को हम डॉलर के रूप मे भुगतान कर रहे हैं । जब एक उद्योगपति को पेट्रोलियम गैस के दाम का भुगतान सरकार डॉलर मे कर सकती है तो इस देश के किसानों को भी वह डॉलर मे ही भुगतान करे उसकी फसलों का । यह मामला एक ऐसा था जिसे वह ढंग से प्रस्तुत कर सकते थे किंतु इसके बदले उन्होने कांग्रेस - भाजपा को आपस मे हाथ मिलाने का मौका दे दिये  और जनलोकपाल जैसे मामलों मे खुद को शहिद साबित करने की नाकाम कोशिश किये ।
                                         यदि केजरीवाल ने वीरप्पा मोइली और अंबानी के विरूद्ध मोर्चा नही खोला होता तो शायद कुछ दिन और यह सरकार चल लेती किंतु वो भूल गए कि दिल्ली को बिजली  रिलायंस  एनर्जी ही दे रही है और बिजली दिल्ली की जान है । दिल्ली एक निकम्मा राज्य है इतना ज्यादा निकम्मा की उसके पास कुछ भी नही है सिवाय नेताओं और संसद के । दिल्ली का अपना कोई मौसम नही है ना ही कोई प्राकृतिक उपज जिससे वह पैसे कमा सके , ना तो कोई नदि उसकी धरा से उत्पन्न हुई है ना ही कोई पर्वत उसकी रक्षा कर सकता है , उसके वाशिंदे हरियाणा, यूपी और पंजाब के ही लोग हैं जिनकी बदौलत वहां काम चल रहा है । ऐसे निकम्मे राज्य का मुख्यमंत्री बनकर उसमे असफल होना केजरीवाल की नियती नही योजना कही जा सकती है । दिल्ली केन्द्र शासित राज्य है और वहां की विधानसभा का पूर्ण स्वामित्व केन्द्र के हाथों मे होता है ,  केन्द्र के पैसों से ही दिल्ली विधानसभा चलती है यानि केन्द्र सरकार को आप कोई चुनौती नही दे सकते ।
                                     अब केजरीवाल के पास लोकसभा मे बुरी तरह से परास्त होने के अलावा कोई रास्ता नही बचा है । आम जनता को जनलोकपाल उतनी आसानी से नही समझ पडेगा जितनी आसानी से विदेशी डॉलर और भारतीय करेंसी की समझ आ सकती है । बात बात पे धरना देने वाले केजरीवाल के खिलाफ कौन धरने पे बैठेगा पहले ये सोचना है ।