Friday, September 24, 2010

काग्रेसीयों कसाब को छोड दो

                                             क्या करेंगे रख कर कसाब को जिंदा रख कर ये पुछो इन हरामखोर नेताओं को जिन्हे सिवाय मुफ्तखोरी के कोई काम नही आता है । कसाब को पालेंगे करोडों खर्च कराएंगे उस एक आतंकी को पालेंगे किसलिये ? केवल दुनिया को ये दिखाने के लिये कि देखो हमारे यहां मुसलमान आतंकीयों को भी हम कितने अच्छे से पाल रहे हैं उसको खाना खिला रहे हैं, करोडों अरबों की सुरक्षा दे रहे हैं और हम ऐसा इसलिये कर रहे हैं ताकि कह सकें कि ये है हमारा लोकतंत्र । भूल जाते हैं ये कांग्रेसी नेता कि गरीबों को सडता अनाज नही बांटने का फैसला भी उन्ही का है । कसाब को फांसी की सजा मिली तो चला वह हाईकोर्ट में अपील करने के लिये और बैठे हैं ये कमीने लोग अपनी तनख्वाह बढाने के लिये सदन में एकता दिखाते हुए । क्यों नही कहा किसी ने की ये फोटो देखो कसाब की उसका चेहरा मिला कर देखो औऱ तुरंत बोलो पुलिस वालों की तुम्हारे साथियों को इसने जैसे बीच सडक में मारा है वैसे ही जैसे चाहो वैसे मारो । बजाय ये कहने के की एक झटके में फांसी देने से क्या होगा  ? अरे इसके तो पिछाडे में पेट्रोल डाल कर दौडाओ और जब ये भाग भाग थक जाये तो दोनो हाथों को पकड कर मुंबई से घसीटते हुए बाहर की ओर ले चलो । इसको जमीन पर तब तक घसीटो जब तक उसकी रूह कांपते हुए बाहर आकर ना बोले की अब बख्श दो मैं दुबारा इस देश की ओर पैर करके भी नही सोउंगा ।



                                             लेकिन ये लोग ऐसा नही करेंगे । इसलिये नही की क्यों करें बल्कि इसलिये की इस देश के नागरिकों को मुर्दे की तरह सहने की आदत डाले रखो । अगर इन्हे इनके अधिकार की झलक दिखा दिये तो कल को कसाब के बाद उनकी भी बारी आ जाएगी । दरअसल नेताओं को कसाब में अपना भविष्य सुरक्षित लग रहा है . अभी कोई आतंकी संगठन किसी विमान का अपहरण करके कहे कि कसाब को छोडो तो ये एक पैर पर खडे हैं उसको छोडने के लिये ।

Monday, September 20, 2010

क्या कह रहे हो साहू जी।

आप हैं छत्तीसगढ राज्य के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष धनेन्द्र साहू । 

बडी जल्दी याद आ गई आपको कि छत्तीसगढ की भाजपा सरकार स्थानीय लोगों को नौकरी ना देकर बाहरी लोगों को नौकरी दे रही है । चलो भाजपा की सरकार कुछ भी करे नौकरी तो दे रही है लेकिन केंद्र में बैठी आपकी सरकार क्या कर रही है ? रोजगार देना तो छोडो मुफ्त अनाज बांटने की सलाह और आदेश को मानने से इंकार कर रही है । आपके साथी कौन है ?  शरद पवार - देश के सबसे बडे पावर इसलिये बन गये हैं क्योंकि इन्हे आपने बढाया है ये ऐसे व्यक्ति हैं जो भगवान की दी गई सजा के बाद भी नही जागे और केवल भगवान ही इन्हे सजा दे सकते हैं इनके कुकर्मों की । 2. मुलायम और लालू जैसे सत्ता के भूखे लोग जिन्हे केवल इसलिये सत्ता चाहिये ताकि वो अपने अपराधी गुर्गों को बचा सकें ।
                                             मैंने इन्ही लोगों के नाम इसलिये चुना क्योंकि अभी तक ये ही लोग सामने आए हैं बाकि शशि थरूर जैसे तो ना जाने कितने लोग होंगे । इन्हे आपकी मैडम नें  शेर क्यों बना रखा है ये तो वही बता सकेंगी लेकिन आप अपनी भी तो सोचिये । आप क्या कह रहे हैं जानते हैं । आप हंसने वाली बात कह रहे हैं , आप ये बता रहे हैं कि विपक्ष के पास अब बाहरी लोगों भीतरी लोगों के अलावा और कोई मुद्दा नही बचा है । लेकिन माफ किजिएगा धनेन्द्र साहू जी यदि आप केवल इन्ही मुद्दों को उठा रहे हैं तो मैं खुले रूप से ये कह सकता हूँ प्रदेश में चल रहे भारी भ्रष्टाचार का एक हिस्सा यकिनन आपके पास आ रहा है । यदि आप प्रदेश से बाहरी लोगों को बाहर करना चाहते हैं तो उनको किजिये जो नक्सली गतिविधीयों से हमारे शांत प्रदेश को अशांत बना रहे हैं । उन नेताओं के साथ आप भी प्रदेश से बाहर चले जाइये जो इस प्रदेश को लूट रहे हैं तो हम सुखी हो जाएंगे । यदि आप प्रदेश से बाहर चले जाएंगे तो इमानदार कहलाएंगे ।
                              आपको प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्यों का घोटाला नही दिख रहा है ? कैसे इस बारिश में पूरी सडकें बह गई हैं आप नही देख रहे हैं ? पुल जर्जर हो रहे हैं या फिर नीचे बना दिये गए हैं । सरकारी निर्माण ध्वस्त हो रहे हैं । अब आप भाजपा सरकारी नेताओं की तरह कहेंगे भई इसका कोई  प्रमाण नही मिल रहा है । चलिये प्रमाण मैं दे रहा हूँ - टाटीबंध से आप चाहे रिंगरोड में जाइये या फिर बिलापुर रोड पर जाइये ... जाकर देखिये तो सही साहू जी और हां पता कर लिजियेगा कि बीरगांव में बह गई रोड कितने माह पहले बनाई गई थी । चलिये छोडिये सडक को क्योंकि वहां तो केवल बडी गाडियों को परेशानी होती है और आपकी पार्टी केवल गरीबों की सोचती है, तो एक काम किजिये गरीब बच्चों के मध्यांह् भोजन कार्यक्रम में शामिल हो जाइये और हां पहले उनके लिये बनाए गये सरकारी भवन को देखना ना भुलियेगा ।
                                 अच्छा चलो इनका हिस्सा तो आपको मिल गया होगा, अब वहां कि बात करते हैं जिसका हिस्सा आप तक नही पहुंचा । जरा ये तो पता करिये की नक्सली क्षेत्रों में कितनी सरकारी मदद किस किस रूप में भेजी जा रही है ? जनाब मैंने अखबारों में पढा है कि करोंडो रूपये की दवाइयां इन क्षेत्रो में भेजी गई है लेकिन देखिये तो सही वहां पहुंची की नही ।
                     लेकिन आपको इन सब बातों से कोई मतलब नही क्योंकि आपको अभी भीतरी लोग- बाहरी लोगों की बात ज्यादा जरूरी लग रही है ताकि आप मैडम को बता सकें देखिये मैने रमन सिंह से इस्तीफे की मांग कर दी है ।

Saturday, September 18, 2010

क्या ये न्याय है ?

दिन ः- शुक्रवार17 सितंबर     समय ः- सायं 4 बजे    स्थान ः- छत्तीसगढ हाईकोर्ट , बिलासपुर
माननीय न्यायाधीश ः- श्री धीरेन्द्र मिश्रा              विषय ः- - निधी तिवारी की मौत
संदर्भ ः- स्व. निधी तिवारी के पति राजेश तिवारी के ऊपर धारा 306, 323, 498-ए  का आरोप लगा कर पुलिस डायरी पेश की गई । डायरी में चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज हैं जो राजेश को निर्दोष बताते हैं  जिसमें प्रमुख गवाह मृतका की 11 वर्षीय पुत्री रितीका तिवारी को बताया गया है । दुसरी ओर मृतका के लिखे पत्र  है जिसमें उसनें अपनी मौत का जिम्मेदार राजेश तिवारी को बताई है और मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट  है ।
      
                                       मैं कोई आरोप नही लगा रहा हूँ और ना ही न्यायपालिका पर उंगली उठा रहा हूँ । मेरी कोई औकात नही है कि मैं ऐसा कर सकूं । विशेषकर तब तो बिल्कुल भी नही जब देश के पूर्व काननूमंत्री शशिभूषण नें देश की सर्वोच्च न्याय मंदिर में हलफनामा देकर  बताये हैं कि उक्त मंदिर के 16 में से 8 न्याय देवता भ्रष्ट थे । जब वे पूर्व की बात कर रहे हैं तो वर्तमान में तो देश नें तरक्की ही की है इसलिये आगे कुछ भी बताना व्यर्थ है ।

                                न्यायालीन  प्रक्रिया प्रारंभ हुई । सबसे पहले आरोपी पक्ष के अधिवक्ता नें रितीका का पत्र पढकर बताया कि -  मैं स्कूल से घर वापस आई । मम्मी नें भिंडी की सब्जी बनाई थी मुझे खाना खिलाकर मम्मी बोली ए.सी. वाले कमरे में पढने चलो । मुझे ए.सी. वाले कमरे में बैठाकर मम्मी अंदर कमरे में चली गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लीं । थोडी देर बाद कमरे से धुंआ निकलता देख कर मैं मम्मी को आवाज देने लगी मैं दरवाजे के पास गई तो अंदर मम्मी की ओह ओह करके आवाज आ रही थी । खिडकी का कांच गर्म हो गया था .................वगैरह वगैरह.........

                                   मृत निधी की ओर से सरकारी वकिल थे जिनकी कार्यशैली निचली अदालतों के सरकारी वकील से जरा भी अलग नही थी । उन्होने निधी के पूर्व में लिखे पत्र को पढकर बताये कि राजेश का अपनी विधवा भाभी से अवैध संबंध है और राजेश उस संबंध के बदले में निधी को जान से भी मार सकता है ... सरकारी वकील की बात को काटते हुए न्यायधीश महोदय नें पुछे चिट्ठी कब लिखी गई है सरकारी वकिल नें जवाब दिये - तारीख नही  दिख रही है सन 1984 है । न्यायधीश महोदय नें कहे कि पुरानी चिट्ठीयों का आज कोई मतलब नही है ।
                                   मृतिका निधी तिवारी के पिता की ओर से नियुक्त विद्धान अधिवक्ता विभाष तिवारी नें सरकारी वकील के समर्थन में  जज महोदय को बताये कि लार्डशिप पोस्टमार्टम रिपोर्ट में निधी की मौत का कारण गला दबने से है इसके अलावा उसके पेट में जहर मिला है और ये दिखाने का प्रयास किया गया है कि उसनें अपने आपको आग लगा ली है । भला ये कैसे मुमकिन है कि कोई इस तरह से आत्महत्या करे ।
                              और फिर जो हुआ मुझे शशिभूषण जी आप बहुत याद आए । जज महोदय नें अपने आदेश में कहे कि ये सही है कि मामला हत्या का लग रहा है लेकिन चश्मदीद गवाह रितीका के बयान से जाहिर है निधी की मौत के समय उसका पति राजेश वहां नही था इसलिये आरोपी का जमानत आवेदन स्वीकार किया जाता है ।
                             मैं आपके के चेहरे के रंग बदलते भी देख रहा था आपके मन की उथापोहल को समझ रहा था आप थोडा जल्दी मे थे शायद घर का कोई काम अधुरा छुट गया होगा । आप मुझे देवता लग रहे थे लेकिन अफसोस आपने वह नही किया जो आपको करना था ।

                             मैने दसवीं के बाद पढाई छोड दी क्योंकि मुझे रट्टू तोता बनना अच्छा नही लगा । मैं खुलकर बोलने और और अपनी कमियों को सुनकर सहने का अभ्यस्थ हूँ । लेकिन ...... माफ किजिएगा सर आपने उस नाबालिक लडकी के बयान को सुनने औऱ समझने के साथ साथ वहां की परिस्थितियों को ना समझने की गलती कर चुके हैं । जब आपको विपक्ष के वकील नें फोटो दिखाना चाहे तो वह आपको देखना था , ना केवल देखना था बल्कि पुछना चाहिये था कि जो फोटो पुलिस डायरी में नही है वह आपके पास कहां से आई ? तब आपको जानकारी मिलती की निधी के पिता ने सुचना के अधिकार के तहत जिन फोटो और सीडीयों को हासिल कर लिये हैं वह पुलिस डायरी में नही लगाई गई है । आपको जानना चाहिये था उस नाबालिक लडकी के बयान को आधार बनाने से पहले कि वह लडकी किसके पास है और कहीं दबाव में तो नही है वह भी बात को यदि हम छोड दें तो भी ये बात हमें भ्रष्टाचार की याद दिलाती रहेगी कि जब आप मान रहे हैं कि हत्या हुई है तो फिर ये कैसे संभव है वह लडकी बाहर मुख्य दरवाजे पर बैठी रहे और अंदर कोई उसकी मां को सिर पर मारकर, जहर मिलाकर , गला घोंटकर मार दे और उसके बाद उसकी माँ के शरीर पर आग लगा कर कहीं गायब हो जाए ?

                                              मैं जानता हूँ इसे पढने के बाद कई लोग कहेंगे कि - हमें न्याय पर विश्वास रखना चाहिये । आज के भ्रष्ट हालातों में न्यायपालिका ही हमें राहत पहुंचाती है लेकिन इस केस में मुझे दुःख केवल इस बात का है कि निधी की जिस विभित्सापूर्क तरीके से हत्या की गई है उसके हत्यारों के लिये फांसी भी कम है ।

Wednesday, September 8, 2010

कुरान बनाम तीसरा विश्वयुद्ध ?

                                                                                एक खबर फेलोरिडा से आई है कि वहां का एक छोटा सा चर्च डोव वर्ल्ड आउटरीच सेंटर 11/9 की बरसी पर कुरआन की प्रतियां जलाने वाला है । इस खबर से ओबामा प्रशासन हिल गया है और वह उस छोटे से चर्च के आगे गिडगिडा रहा है कि कुरआन मत जलाओ ।
                     मंगलवार को अमेरिकी अटॉर्नी जनरल एरिक होल्डर ने ईसाई, इस्लाम और यहूदी समुदाय के नेताओं से मुलाकात की. उन्होंने फ्लोरिडा के चर्च से आग्रह किया कि वह अपने दिमागी फितूर को रद्दी की टोकरी में फेंक दे. होल्डर के मुताबिक अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा, ''यह तुच्छ और खतरनाक मंशा'' है.
                         व्हाइट हाउस के प्रवक्ता रॉबर्ट गिब्स ने कहा, ''इससे हमारे फौजियों की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी. सेना को खतरे में डालने वाली ऐसी भी कोई भी गतिविधि प्रशासन के लिए चिंता की बात है.'' अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो सेनाओं के कमांडर जनरल डेविड पेट्रियास भी ऐसी ही चिंता जता चुके हैं. जनरल पेट्रियास के मुताबिक छोटे चर्च की इन हरकतों से सेना के सारे प्रयास विफल हो जाएंगे.
                          सेंटर के प्रमुख जोन्स का कहना है, ''दूसरे क्या करेंगे या क्या कर सकते हैं, इसके बारे में आरोप लगाने के बजाए हम उन्हें सीधी चेतावनी क्यों नहीं देते. हम इस्लामी कट्टरपंथियों को सीधा ये संदेश क्यों नहीं देते कि अगर ऐसा मत करना. अगर तुम हम पर हमला करोगे तो हम भी तुम पर वार करेंगे.''
                        फ्लोरिडा के गेन्सविल्ले में डोव वर्ल्ड आउटरीच सेंटर नामक इस प्रोटेस्टेंट समुदाय को इस इलाके में भी बहुत से लोग नहीं जानते हैं. लेकिन 11 सितंबर की बरसी पर अपने गिरजे के अहाते में कुरान की प्रतियां जलाने की घोषणा के साथ वह अचानक सुर्खियों में आ गया है. अमेरिका के ईसाई, यहूदी व मुस्लिम संगठन चिंतित हैं. उन्होंने मीडिया से अपील की है कि वे इस मामले को महत्व न दें.
 आखिर चर्च नें ऐसा कदम क्यों उठाया है जिससे एक धार्मिक व पूजनीय स्थान का सीधा सीधा दुसरे धर्म पर हमला करने जैसी बात हो गई है । इसकी वजह है ओबामा का मुस्लिमों के प्रति बढती संवेदना । भले ही ओबामा मुस्लिमो के प्रति प्रेम भाव दिखा कर अफगानिस्तान और ईराक में लड रहे अपने सैनिकों पर हो रहे हमले पर कमी कर रहे हों, लेकिन इससे आम अमेरिकी नागरिक क्रोधित हो उठा है ।  इसका एक उदाहरण तब सामने आया जब  एक विरोधी ने एक बड़ा सा कार्टून तैयार किया है, जिसमें लबादा पहने हाथ में कुरान लिए हुए इमाम ओबामा को दिखाया गया है. इसकी वजह यह है कि राष्ट्रपति का मानना है कि न्यूयार्क के ग्राउंड जीरो के पास अन्य धर्मों के पूजास्थलों के साथ एक इस्लामी सेंटर बनाया जा सकता है ।

                        

                                   चुनाव के समय अमेरिकी राष्ट्रपति अपने साथ हनुमानजी की मूर्ति लेकर चलते थे जिससे लोगों को यकिन हुआ कि वे हिंदु धर्मावलंबी होंगे, लेकिन अब वही ओबामा अब उन्हे मुस्लिम लगने लगे हैं । जबकि मेरी धारणा कहती है कि कोई भी लोकतांत्रिक देश का नेता धर्म को नही मानता । यदि हमारे देश के हिंदु नेता एक साथ हो जाएं तो हमारा देश हिंदु देश बन जाएगा लेकिन हम दुनिया को बताने के लिये धर्म निरपेक्षता का लबादा ओढे हुए हैं ।
                                  यूं तो चर्च अपने खतरनाक हमलों के लिये कुख्यात है लेकिन जबसे मुस्लिमो का वर्चस्व बढा उसनें अपने हमले बंद करके मिशनरियों के माध्यम से धर्म परिवर्तन का रूख अख्तियार कर लिया । इनकी मिशनरियों के द्वारा संचालित स्कूलों व अस्पतालों के बारे में आपने कभी गौर किये हैं ! नही । इनकी हकिकत पर गौर फरमाइये - 
                             भिलाई शहर के एक मिशनरी हास्पिटल का नाम है करूणा अस्पताल । यहां आप इलाज करवाने के लिये जार आइये और देखिये इनकी करूणा के भाव । गरीबों का मुफ्त या सस्ते में इलाज का दावा ठोंकने वाली मिशनरीज की पोल खुल जाएगी । यहां के स्टाफ का दुर्व्यवहार अब हर जगह पहुंच गया है जिससे लोग यहां आने से अब कतरा रहे हैं । अस्पताल के साथ के मेडिकल स्टोर्स में जिन दरों पर दवाइयां मिलती है वही दवाइयां दुसरे मेडिकलों में 20 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं और अगर आपने गलती से बाहर की दवाइयां ले लिये हैं तो फिर भूल जाइये कि इस अस्पताल में आपकी खातिर हो सकेगी ।
                                   ये तो मेरे शहर के एक अस्पताल का हाल है तो बाकि जगहों के हाल की कल्पना हम कर सकते हैं । हां एक बात सही है कि मिशनरी आदिवासी इलाकों में मुफ्त इलाज और मुफ्त शिक्षा जरूर बांटती है लेकिन एक छोटी सी शर्थ के साथ कि आप हमारे धर्म को अपनाओ । ईसाई बन जाओ ताकि जन्नत में आपको पूरे एशोआराम मिल सकें । 
                                 मेरी ऊपर लिखी बातें जादू के पिटारे की तरह है ताकि आप वह पढें जो मैने लिखा है अब बात करें कुरआन जलाने की ।
कुरआन जलाकर चर्च क्या बताना चाहता है ? दरअसल चर्च अपने घटते वर्चस्व को लेकर चिंतित हो रहे हैं । रविवार को चर्च  में लोग कम आ रहे हैं लेकिन शुक्रवार को मस्जिदों में भीड बढ रही है , मंदिरों से लोग जुड रहे हैं । इसलिये मुस्लिम आतंकी संगठनों की आड में चर्च कुरआन जलाने जैसा घिनौना षणयंत्र रच रहा है वह बताना चाहता है कि पूरा मुस्लिम धर्म ही आतंकी हैं ।
क्या होगा जब कुरआन जलेगी ?    जब चर्च कुरआन जलाएगी तो इसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया होगी, आतंकी संगठनों को फसाद फैलाने का भरपूर मौका । आतंकी संगठन तुरंत इस्लाम खतरे में है कहकर मुस्लिम युवाओं का उन्माद बढाएंगे और चर्च पर हमले शुरू करवा देंगे । जब चर्च पर हमले होंगे तो मजबूरन वेटिकन चर्चों के बचाव में उतरेगा और इसका अर्थ होगा धर्म की आड में दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की कगार पर खडा हो जाएगा । ईरान इस्त्रायल पर हमला बोलेगा, चीन पाकिस्तान की मदद से अफगानिस्तान पर हमला बोलते हुए अफ्रीका पर कब्जा जमाने पहुंचेगा . उधर सूडान भी मौका पाकर अपने आसपास के कबीलेनुमा देशों पर हमला बोल देगा । 
    

Friday, September 3, 2010

दबे कुचले देश की राष्ट्रीय अध्यक्ष को बधाई

"हम लोगों को हमेशा ही दबे कुचले लोगों के लिए काम करना चाहिए भले ही सत्ता में हों या न हों."

यह बात कह कर सोनिया गांधी नें साबित कर दी की कांग्रेस पार्टी का भला इसी में है कि देश में दबे कुचले लोग ही रहें और जो स्वस्थ, मजबूत  और ताकतवर हों वो देश के नेता बन जाए । सोनिया गांधी बजाय दबे कुचले लोगों की बात कहने के ये कहती कि देश के विकास, अभिमान और समृद्धि के लिये काम करना चाहिये तो शायद ज्यादा अच्छा होता , लेकिन जो महिला स्वयं अपना देश छोडकर दबे कुचले देश की सबसे ताकतवर महिला बन गई हो उसके लिये ये शब्द तुच्छ हैं ।

                                 देश के सांसद अपने वेतन बढाने के लिये एकमत हो जाते हैं और देश के गोदामों में सड रहे अनाज को जनता के बीच मुफ्त बांटने के मुद्दे पर चुप हो जाते हैं । ऐसा केवल उसी देश में हो सकता है जो दबा कुचला हो । हम लोकतांत्रिक देशवासी कहलाते हैं हमें हर बात को खुल कर कहने की आजादी है लेकिन देश में सड रहे अनाजों के भंडार, खेल के पीछे हो रहे भ्रष्टाचार, सडकों पर हो रहे घोटाले, दफ्तरों में चल रहे अन्याय, नेताओं की दादागीरी गुंडो की मनमर्जी हर नागरिक की आजादी छिन लेती है ।