Monday, August 18, 2014

कृष्ण प्राप्ति का महामंत्र ।

हे कृष्ण आखिर तुम कौन हो ? 
क्यों तुम्हे जग पाना चाहता है ?
तुम्हे पाने का आसान मार्ग क्या है कृष्ण ?
आखिर मीरा ने ऐसा क्या देख ली जो वो आपमें समा गई ।

कई सवाल हैं कृष्ण से संबंध रखने वाले । आज दुनिया भर मे कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोउल्लास से मना रहे हैं , खुशी खुशी बताते हैं कि देखो कृष्ण जन्म ले रहे है , लेकिन एक सेकेंड के एक पल केवल सोच कर देखो क्या वो पल कृष्ण के लिये खुशियों का था ? जन्म लेते ही सगी माँ से विलग होकर उस माँ की गोद मे जाना जिसकी स्वयं की संतान उसके बदले मृत्यु के घाट उतरने वाली हो । बरसते पानी मे टोकरी मे रखे कान्हा को नंद  के द्वारा उफनती यमुना को पार करना ..  कृष्ण के कष्टों को समझने वाले कितने लोग होंगे आज जो एक धर्मवीर  को केवल राधा के प्रेम मे पडे प्रेमी का रूप देकर रख दिये हैं ।  
                                    कृष्ण को राधा के साथ मंदिरों मे स्थापित करने वाले लोगों से एक सवाल है कि क्या वे अपनी पत्नि की फोटो को हटाकर अपने ही घर मे अफनी प्रेमिका की तस्वीर लगा सकते हैं ? अगर आपमें ये हिम्मत है तो आप साहसी नही बल्कि चरित्रहिन होंगे जो पत्नि के रहते हुए भी उस प्रेमिका को पाने की लालसा कर रहे हैं जो आपकी ही अर्धांगिनी का घर तोड रही है ।  और अगर आपमें ये हिम्मत नही है तो फिर आप माता रूक्मणी की जगह कैसे किसी एक काल्पनिक चरित्र को बैठा सकते हैं ? अगर आप मानते हैं कि कृष्ण हैं , ये भी मानिये कि रूममणी भी हैं । कृष्ण नें केवल एक विवाह किये थे माँ रूकमणी से ,किंतु उनका प्रेम पूर प्रकृति से है । गांव, पर्वत, गाय, बांसुरी, नदि सब कुछ प्रकृति है । कृष्ण के पास  गोप गोपियों के लिये तब समय था जब वो वृंदाववन में थे , जब मथुरा पहुंचे तो उनके जीवन मे संघर्ष था स्वयं और गांव  का जीवन बचाने का संघर्ष । मथुरा से शुरू हुआ यह संघर्ष अंततः महाभारत युद्ध के साथ समाप्त हुआ । 
                                                          कृष्ण को कैसे पाएं हम , क्या मंत्र है कृष्ण को पाने का । किस महामंत्र के सहारे मीरा कृष्ण मे जीवित समा गई । वो कौन सा महामंत्र है जो कृष्ण को पाने मे सहयोग दे ...... 
वह महामंत्र है --- 
हरे राम हरे राम,  राम राम हरे हरे 
हरे कृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।
 --- हरे =  हरना , हरण करना, ले लेना 

 मेरे दुःख हर लो राम , मेरे संकट हर लो राम, हे राम मेरे राम प्रभु राम सारी विपदा हर लो ।
मुझे हर लो कृष्ण,  मेरा परिवार हर लो कृष्ण  , हे कृष्ण मेरे कृष्ण प्रभु कृष्ण मेरा सब कुछ हर लो ।

ये है वो महामंत्र ओर इसका अगर प्रभाव देखना हो तो इस्कान वालों का उदाहरण देखिये .. लाखों , करोडों कमाकर हरे रामा हरे कृष्णा गाते हुए मुक्ति मार्ग के लिये हजारों लोग निकल पडे हैं । जिनके पास धन है वो भी आज कृष्ण मे लीन है और जो दरिद्र है वो पाने के लालच मे इस महामंत्र का जाप करते हैं बिना ये सोचे कि ये जगत कल्याण का नही परमात्मा को पाने का निर्वाण महामंत्र है । ये वो महामंत्र है जो आपको धन वैभव से वंचित रखते हुए कष्ट देते हुए परमात्मा तक पहुंचाता है , इसीलिये कृष्ण सबकुछ पाते हुए भी आज तक अकेले हैं । 
उनके पास एक पत्नि थी जो आज उनसे दूर करके रख दी गई है उनकी समाधी (वीरावल मे भालका तीर्थ )  के बारे मे लोगों को नही पता  । सारा जगत जन्माष्टमी के दिन प्रसन्न है किंतु कृष्ण ........ हरे हरे 

Tuesday, August 5, 2014

नास्त्रेदमस - मोदी है राजा कलि ?

तीन ओर जल से घिरे , पूर्वी देश में एक शासक पैदा होगा जो गुरूवार को अपना उपासना दिवस घोषित करेगा । इस गैर इसाई महापुरूषकी महानता, सराहना व अधिकारों की चर्चा प्रबल होगी और वह सारी धरती व समुद्रों पर तूफान की तरह हावी रहेगा ( सेंचुरी 1- 50 )      
  एशिया मे वह होगा जो यूरोप मे नही हो सका होगा । एक विद्वान शांति दूत पूर्व के सभी राष्ट्रों पर हावी होगा ( दसवीं सेंचूरी -75 दोहा ) ।

इन दो दोहों की  व्याख्या से मेरे इस लेख के  केंन्द्र बिंदु नरेन्द्र मोदी बने हैं। वर्तमान समय मे पूर्वी देशों मे एकमात्र नरेन्द्र मोदी ही वह व्यक्ति है जो असली शांतिदूत की भूमिका निभा रहे हैं । चाहे वह पाकिस्तान की बात हो , चीन की , भूटान की या फिर नेपाल की उन्होने शुरूआत अपने पडोसियों से संबंध सुधारने से ही किये है और अचानक  सारे पडोसी भी भारतीयों को अपने से लगने लगे हैं । पाकिस्तान मे तो इतना भारी परिवर्तन हुआ कि उसने वजिरिस्तान से सारे आतंकियों को कदेड दिया और अब जो आतंकी काश्मीर मे है ुन्हे भी संरक्षण देना बंद कर रहा है । देश की नक्सल समस्या के समाधान के लिये उन्होने अप्रत्याशित रूप से नेपाल जाकर माओवादी प्रचंड से मुलाकात करे . जिसका परिणाम भी देश के भीतर नक्सल खत्म होने मे कारगर रूप से दिखेगा । मोदी ने कभी भी युद्ध की बात नही किये और ना ही अपने धर्म से डिगे । जब सारे नेता स्वयं को धर्म निरपेक्ष दिखाते फिर रहे थे उस समय मोदी ने अपने धर्म की व्यख्या दकर सभी को हैरान कर दिये । लोक सभा चुनाव मे सभी को उम्मीद थी कि बिना धर्म निरपेक्ष बने जीत हासिल नही हो सकती किंतु मोदी ने अपने को सनातनी धर्म के नियमों पर आधारित धर्म निरपेक्षता का सिद्धांतवादी साबित करके चुनाव मे भारी विजय पा लिये ।  मोदी को अवतारी पुरूष साबित करने मे मुझे पता है भारी दिक्कतें आएंगी , किंतु दुसरे अवतारी पुरूष चाहे वह राम हों या कृष्ण, गुरू गोविंद हों या महावीर हर किसी को अपने अपने काल और युग मे तकलीफें ही झेलनी पडती है ।
                                      अवतारी काल पुरूष वही मनुष्य बन सकता है जो विपरित परिस्थियों से जूझ कर , विपत्तियों से लड कर अपने धर्म पथ पर सदा कायम रहता है । हिंदु धर्म मे राजा कलि के बारे मे कहा गया है कि यह अवतारी राजा चारों युग की प्रधानता के अनुसार शुद्र होगा । सतयुग- ब्राह्मण (राजा हरिशचंद्र ) , त्रेता युग - क्षत्रीय ( राजा राम ), द्वापर युग - वैश्य ( कृष्ण यदु वंशी थे । यादव वैश्यों मे होते है क्योंकि उनका मुख्य कार्य देश के दुग्ध उद्योग को संचालित करना होता है  ) अब बारी है कलयुग की  - अपने शुरूआती तीनों युगों की तरह यह युद्ध भी अधर्म पर विजय पाने के लिये ही लडा जाएगा यह तय है,  लेकिन  जीतेगा कौन ? जीतेगा वह राजा जो धर्म के मार्ग पर चलना जानता हो । जिसे अपने धर्म का ज्ञान हो , जो स्वयं से बढ कर परमात्मा को माने , जो अपने हर कार्य को गंभीरता के साथ पूर्ण करे । ..
                                     ऐसा कोई नेता या राजा जो पूरी दुनिया मे हो तो वर्तमान मे मुझे नरेन्द्र मोदी के अतिरिक्त कोई नही दिखता । हमारे देश का संविधान प्रधानमंत्री को राजा की तरह का अधिकारी बनाता है और अब हमारा राजा अपने जिस कर्म पथ पर आगे बढ रहा है वह उन्हे राजा कलि बनाने के एक कदम और करीब ले जाता है । जिस तरह से मोदी अपने धर्म और कर्म  मार्ग पर आगे बढ रहे हैं उसे देखते हुए यह आंकलन करना कठिन नही है कि वह गुरूवार के दिन अवकाश घोषित करा दें , क्योंकि गुरूवार को सनातनी धर्म के नियमो के अऩुसार केवल साधना का दिन माना जाता है और आज भी कई घरों मे गुरूवार को शरीर पर तेल, साबुन लगाना वर्जित माना जाता है तथा कुछ घरों मे झाडू पोंछा तक नही होता है ।
 
आगे होने वाली घटनाक्रमों की एक महत्वपूर्ण कडी
एक पनडुब्बी में तमाम हथियार और दस्तावेज लेकर वह व्यक्ति इटली के तट पर पहुंचेगा और युद्ध शुरू करेगा । उसका काफिला बहुत दूर से इतालवी तट तक आएगा । ( दुसरी सेंचुरी-5वां दोहा )
 समुद्री मार्ग से इटली पहुंचने का आसान रास्ता समुद्र ही है  और वो देश  जहां से पहुंचा जा सकता हो वह लीबिया, अल्जीरिया, मिश्र, सऊदी अरब, तुर्की और इस्राइल हैं । इन सभी देशों मे से केवल सऊदी अरब को छोडकर शेष सभी देश युद्धरत है , चाहे वह युद्ध आपसी हो या फिर गृह युद्ध । जिस तरह से इराक पर आतंकी कब्जा हो चूका है उसे देखते हुए यह कहना ठीक ही होगा कि उक्त सभी देश आज नही तो कल आतंकीयो के हाथ पडने वाले हैं ।