Saturday, July 21, 2012

कांग्रेस की राजनीती से हिंदु नदारद, ईसाइयों का वर्चस्व ।


 क्यों ...क्या मैने कोई नई बात कह दिया है क्या..... हमारे देश के महान कांग्रेसियों यदि आप हिंदु हैं तो इसे जरूर पढें और सोचें की क्या आपकी अपनी ही पार्टी में एक जोकर से ज्यादा की हैसियत है क्या । जिस समय राजीव गांधी की मौत हुई उस समय बजाय किसी भारतीय कांग्रेसी को बैठाने के आप लोगों नें एक ऐसी औरत का चुनाव कर लिये जो ना केवल कांग्रेस पार्टी की  वरन पूरे देश के लिये घातक बन गई है । मैं यहां साफ साफ कहूंगा की सोनिया गांधी एक ऐसी महिला हैं जो पूर्ण रूप से मिशनरी के हाथो की कठपुतली हैं । आप कांग्रेसी होकर भी किसी महत्वपूर्ण पद पर इसलिये नही बैठ सकते क्योंकि आपमें गुलाम बनने की आदत शुमार नही है आपका अपना जमीर जिंदा है वरना आप प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं । 
                  स्व. श्री अर्जुन सिंह, शरद पवार, पं. श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल, माधवराव सिंधिया सहित ना जाने कितने सशक्त  हिंदु कांग्रेसी नेता थे और हैं भी लेकिन किसी हिंदु के मजबूत बनने पर देश भी मजबूत बन जाता और मैकाले की शिक्षा पद्यति में आमूलचूल परिवर्तन हो जाते जो किसी भी हालत में मिशनरी को स्वीकार नही हो सकता था । मिशनरी आझ पूरे देश पर राज कर रही है । मैं इस भारत देश के सारे हिंदु कांग्रेसियों को आइना दिखा रहा हूँ । अगर अब नही चेते, समझे तो अपनी औलादों को क्या समझाओगे ये अभी से समझना होगा । सोनिया की ताकत केवल पार्टी से ही है अगर किसी भी राज्य से केवल 500 कांग्रेसी इकट्ठा होकर सोनिया के विरोध में किसी हिंदु संगठन के साथ खडे हो जाएंगे ...यकिन मानिये सोनिया माईलो गांधी उसी तरह से गायब हो जाएगी जिस तरह से बीमारी का बहाना करके अन्ना के आंदोलन के समय ढाका से गायब होकर अमेरिका में मिली थी ।     
                                  किसी भी देश की ताकत उसके मंत्रालय होते हैं ...वर्तमान में हमारे देश के सारे मंत्रालयों पर केवल ईसाइ या मुस्लिम बैठे हुए हैं और हमारे देश के महान हिंदु कांग्रेसी सोनिया की चाटुकारिता में अपना धर्म भूल रहे हैं । जयचंद को कोसने वाले कांग्रेसियों को अब अपने गिरेबान में झांकने का समय आ गया है ... नीचे हमारे भारत देश के पदों पर आसिन नेताओं के नाम पद के साथ हैं इनमें से जिने भी नामों के आगे >>> लगे हुए हैं वह सभी विभाग सीधे ईसाइ मिशनरी या फिर सोनिया माईनो के आधीन हैं और इन्ही पदों पर नियंत्रण रखते हुए वर्तमान में कांग्रेसियों की यह त्याग की मूर्ति दुनिया की चौथी सबसे रईस महिला राजनेता बन गईं है ।  (सोनिया गाँधी का असली नाम “सोनिया” नहीं बल्कि “ऎंटोनिया” है, यह बात इटली के राजदूत ने 27 अप्रैल 1983 को लिखे पत्र में स्वीकार की है, यह पत्र गृह मंत्रालय नें अपनी मर्जी से कभी सार्वजनिक नहीं किया। “एंटॊनिया” नाम सोनिया गाँधी के जन्म प्रमाणपत्र में अंकित है। सोनिया गाँधी को “सोनिया” नाम उनके पिता स्व.स्टेफ़ानो माईनो ने दिया था। ...सुरेश चिपलुनकर जी के ब्लॉग से )  
नीचे                 


>>>1. प्रधानमंत्री के साथ ही उन मंत्रालयों और विभागों का प्रभार
जो किसी मंत्री को नहीं सौंपे गए हैं।
इनमें कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन, योजना मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा
तथा अंतरिक्ष विभाग शामिल हैं। ..........................डॉ. मनमोहन सिंह (जो भी काम,जानकारी आए मैडम से मिले )
>>>>>2. कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय .........  शरद पवार 
>>>>>>3. रक्षा मंत्रालय .................  ए. के. एंटनी 
>>>>>4. गृह मंत्रालय ...................  पी. चिदंबरम 
>>>>>5. विदेश मंत्रालय ................ एस. एम. कृष्णा
6. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय.......................... श्री विलासराव देशमुख 
>>>>>7. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ...........  गुलाम नबी आजाद 
8. ऊर्जा मंत्रालय ................ श्री सुशील कुमार शिंदे
 >>>>>9. कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय .............. एम. वीरप्पा मोइली 
>>>>>10. नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय............ फारूक अब्दुल्ला 
>>>>>11. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ........... एस. जयपाल रेड्डी (कहां कहां मिल रही है गैस पहले हमें बताना ताकि ठेके अपने लोगों को दिये जा सकें और हां 27 प्रतिशत पेट्रोल पंप अपने लोगों के लिये आरक्षित कर दो )
12. शहरी विकास मंत्रालय............. श्री कमलनाथ
>>>>>13. प्रवासी भारतीय मामले का मंत्रालय ...........  वायलार रवि 
>>>>>14. सूचना और प्रसारण मंत्रालय........... अम्बिका सोनी 
>>>>>15. श्रम और रोजगार मंत्रालय......... मल्लिकार्जुन खड़गे 
>>>>>16. मानव संसाधन विकास, दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय....  कपिल सिब्बल (पुच्च्च्च् ध्यान रखना शिक्षा प्रणाली मैकाले साहब से बाहर की ना होने पाए वैदिक ज्ञान सांप्रदायिक घोषित करो
17. वाणिज्य और उद्योग और कपड़ा मंत्रालय .......श्री आनंद शर्मा
18. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय........... श्री डॉ. सी. पी. जोशी
>>>>>19. आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन तथा संस्कृति मंत्रालय........... कुमारी शैलजा
20. पर्यटन मंत्रालय........ श्री सुबोध कांत सहाय
>>>>>21. पोत परिवहन मंत्रालय.........  जी. के. वासन ( ध्यान रखान अपना माल जा रहा है )
22. संसदीय कार्य तथा जल संसाधन मंत्रालय......... श्री पवन कुमार बंसल
23. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय....... श्री मुकुल वासनिक
>>>>>24. रसायन और उर्वरक मंत्रालय...........  एम. के. अलगिरि (
25. भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय.......... श्री प्रफुल्ल पटेल
26. कोयला मंत्रालय ...............श्री श्रीप्रकाश जायसवाल
>>>>>27. विधि और न्याय मंत्रालय तथा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय.......  सलमान खुर्शीद (अब समझे ..क्यों आतंकियों को चिकन बिरयानी और प्रज्ञा को यातनाएं दी जा रही है, बालकृष्ण को जेल के अंदर और सुब्बा को संसद के भातर रखा जा रहा है )
>>>>>28. जनजातीय मामलों के मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय........ वी. किशोर चंद्र देव 
29. इस्पात मंत्रालय....... श्री बेनी प्रसाद वर्मा 
30. रेल मंत्रालय......... श्री मुकुल रॉय 
31. ग्रामीण विकास मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय.....श्री जयराम रमेश
32. नागरिक उड्डयन मंत्रालय.........श्री अजित सिंह 
                                      तो मेरे प्यारे हिंदुस्तान के क्रिश्चियन बन रहे कांग्रेसी भाइयों ... आप क्या कहेंगे ... मुझे गाली देंगे ... धमकी देंगे ... या फिर सीधे हमला कर देंगे..... लेकिन एक बात सोचकर देखो की क्या केवल पैसों से ही हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारी परंपरा , हमारा धर्म चल रहा है । ....नही पैसे की चाह केवल दुसरे धर्म के लोगों को होती है इसलिये वे बारबार हमें लुटने आते रहते हैं .....हमारे देश में केवल तीन धर्म हैं हिंदु , मुस्लिम और ईसाइ........
                             सिक्ख, जैन औऱ बौद्ध तो हिंदु धर्म की ही शाखा हैं ....यदि वे माने तो भी ना माने तो भी ... हमारे देश के धर्म को तोडकर जातियों को धर्म में परिवर्तित कर दिया गया है और ना उन्हे कुछ मिला है और ना हमें कुछ मिल रहा है ।

Friday, July 20, 2012

देश में बढते कार्टुनी बच्चे ।

हिन्दू धर्म एक बहती हुई नदी के समान है, जिसमें कई प्रकार की धाराएं आकर मिलती हैं और उसी में एकरूप होती हैं… इस बहती हुई नदी की गहराई में विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु पनपते हैं जो आपसी साहचर्य से रहते हैं…...

ये शब्द लिखे मिले श्री सुरेश चिपलुनकर जी की फेसबुक वाल में औऱ बस फिर क्या था  उन्हे धन्यवाद देते हुए हम भी मैदान में आ गये । जिस तरह से हमारे वेद पुराणों को भुलाते हुए सुपरमैन, बैटमेन, बेन10 वगैरह वगैरह जैसे ना जाने कितने कालपनिक चरित्र हमारे बच्चों के मन में बस चुके हैं । बच्चे कार्टुन देखते हैं और हम एक दुसरे को बताते रहते हैं की देखो ना जब देखो तब बच्चे बस कार्टुन चैनल लगाकर अपने में मस्त रहते हैं ।...लेकिन क्या सचमुच बच्चे  अपने में मस्त रहते हैं ...नही वे ना केवल कार्टुन में मस्त रहते हैं बल्कि जीवन शैली में उसी चरित्र को उतारने का प्रयास करने लगते हैं । मैं अपने बडे बेटे प्रणव को देश के उन 85 प्रतिशत बच्चों में सम्मिलित देखता हूँ जो   12 साल की उम्र होने के बाद भी वह टीवी में कार्टुन चैनल देखना ज्यादा पसंद करता है और पापा देखते ही डिस्कवरी चैनल लगा लेता है । 

          सवाल ये नही की मेरा बच्चा क्या कर रहा है सवाल ये है की इसमें मेरा स्वयं कितना दोष है .... इसमें मैं स्वयं बहुत बडा दोषी हूं प्रणव को पूरा समय ना दे पाना, व्यवसाय का तनाव उसके सामने जाहिर करना और सबसे बडी बात वैदिक पढाई से उसे दूर रखना । .......... । मैने महसूस किया की मैं स्वयं अपने को अपनी प्राचीन शिक्षा पद्यति से दूर होता महसूस कर रहा हूँ । पूजा पाठ में पूरा समय ना दे पाना , बडों को आदर ना देना, चरण स्पर्श करने में हिनता महसूस करना...आखिर ये क्या हो रहा है क्यों मैं और मेरे बच्चे उस विद्या से दूर हो रहे हैं जिनकी बुनियाद पर मेरे संस्कार, मेरा अर्थशास्त्र, मेरे देश की राजनीति, दुश्मनो के लिये कूटनीती सब कुछ खडी थी कहां गया वो बुनियादी ढंचा । अब बच्चे राम औऱ कृष्ण के बने कार्टुन चरित्र देख रहे हैं ऐसी कहानियों के साथ जिनका कोई सिर पैर नही है यानि ...कोरी कल्पना जबकी रामायण से लेकर महाभारत तक सब कुछ वास्तविक घटनाएं हैं । वह हमारा ऐसा इतिहास है जिसे हमें याद रखना होगा और अपने बच्चों को बताना होगा ...लेकिन कैसे ....यह मुझे समझ में नही आ रहा है । 
                                                           कुछ दिन पहले मेरे छोटे बेटे नें अपनी क्लास 5 की पुस्तक पढते हुए पुछा की पापा आपको पता है चिकन में कितनी कैलोरी होती है ..... मैं सन्न रह गया लिखा था चिकन में हरी सब्जियों की तुलना में 25 प्रतिशत ज्यादा कैलोरी होती है ... मात्रा का अता पता नही और लिख दिया गया था की इतने प्रतिशत ज्यादा ...मैने रात 9 बजे के आसपास बच्चे के स्कूल के एम.डी. को फोन करके सीधे पुछा की सरजी चिकन में कैलोरी की मात्रा बताएं... वह हडबडा गये बोले क्या बात है मिश्राजी इतनी रात को ये बात कैसे ...मैने उन्हे पूरी बात बताई तो उन्होने कहा की कल बच्चे के साथ उस पुस्तक को मेरे पास भेजिये ...मैने दुसरे दिन भेजा दोपहर को उनका फोन आया और उन्होने बताये की क्सास 5 की सभी कक्षाओं को सूचित कर दिया गया है की उस चैप्टर को हटा दिया जाए । ....... । लेकिन क्या यह उस समस्या का स्थाई समाधान हुआ .. इससे बाकी स्कूली  बच्चे क्या शिक्षा लेंगे । कक्षा नौंवी तक सभी बच्चों को पास करना जरूरी कर दिया गया है इससे शिक्षा के उस मापदण्ड का क्या होगा जो हमारे बुजुर्गों नें तय किये हैं । इतिहास में क्या पढाया जा रहा है उससे हम सब वाकिफ हैं लेकिन क्या कर रहे हैं ये नही सोचे...सोचने का समय भी नही है अब तो बस मैकालें अंकल का बताया पाठ पढ रहे हैं हम लोग और बच्चों को बता रहे हैं सब्जी छोडो चिकन खाओ ...दुध छोडो अण्डे खाओ....यानि अपनी परंपरा के साथ साथ हम बच्चों को धर्म से दूर करते जा रहे हैं ।
                                                                 एक समय था जब ब्राह्मणों के घर अण्डा या मांस मच्छी कहने पर कुल्ली करवा दी जाती थी और अण्डा छूने पर नहाना पडता था उन्ही ब्राह्मणों  घरों के बच्चे सुबह आमलेट दोपहर को केएफसी शाम को पिज्जाहट और रात में बीयर के साथ तंदूरी मुर्गा खाकर घर पहुंचते हैं और माँ बाप को पता भी नही चलता की बेटा क्या कर रहा है क्योंकी सबको जीने की आजादी सरकार नें दे दी है ....
                                              हमारे हिंदु धर्म के वर्णों को तोडकर अलग अलग धर्म बना दिया गया , एकल परिवार को बढावा दिया गया, परिवार नियोजन केवल हिंदुओं पर लागू करके रखा गया, आदिवासी ईसाइ बन गये हैं लेकिन उन्हे आरक्षण आदिवासियो का दिया जा रहा है , मुगलों के देश में आने पहले बने हमारे मंदिरों को मस्जिद, मजार और दरगाह माना जा रहा है , हमारा देश गाय बैलों के मांस का दुनिया का सबसे बडा निर्यातक बनने की ओर है ...............
                                         और हमारे बच्चे कार्टुनी चरित्र बनने की ओर.......पहली बार लिख रहा हूँ ...वंदे मातरम्