Friday, October 29, 2010

ऐसे नोट छापो

तस्वीर में दिख रही एटीएम की पर्ची केवल देखने के लिये है, बल्कि इसमें एक मानवीय संवेदना भी है । जरी गौर से इस एटीएम से निकाली गई रकम और बची हुई रकम को देखिये । 100 रूपये निकालने के बाद खाते में शेष रकम मात्र 28 रूपये बची हुई है । अब आप सोचेंगे इस बात से क्या खबर बन रही है है अब खबर भी देखें ।
           दुर्ग स्टेशन में हमारे अखबार के रिपोर्टर अनिल राठी  अपनी माताजी के साथ दुर्ग रेल्वे स्टेशन में आज दोपहर 1.30 गोंदिया जाने वाली ट्रेन में बैठाने स्टेशन पहुंचे । दोपहर 2.05 पर रायपुर की ओर जाने वाली ट्रेन प्लेटफार्म में खडी हुई थी कि तभी  उसकी नजर एटीएम पर उमडी भीड की ओर पडी । वहां जाने पर पता चला कि इस 128 रूपये शेष रकम वाले खाते से निकाला गया सौ रूपये एक तरफ से छपा हुआ था और दुसरी ओर से कोरा । वह लडका रूआँसा हो रहा था कि इस संवाददाता  नें उस लडके को तत्काल 200 रूपये देकर ट्रेन की ओर भेजा और वह एक तरफ से कोरा नोट लेकर कार्यालय पहुंचा । नोट देखने के बाद बडी देर विचार विमर्श हुआ और तय किया गया कि इस नोट को संभाल कर रखा जाय । अब ये नोट इस्पात की धडकन अखबार की मिल्कियत बन गया है लेकिन एक बात दिमाग में ये बराबर उठ रही है कि क्यों ना रिजर्व बैंक इसी तरह के नोटों को छापना शुरू कर दे ........
                  एक तरफ की छपाई का पैसा तो बचेगा । 

Wednesday, October 27, 2010

भिलाई- 70 वर्षीय अनुसूचित जाति वृद्ध दंपत्ति को थाने से अपमानित कर भगाया

आज सरकार वृद्धों को न्याय देने की बातें कर रही है लेकिन उन्ही वृद्धों को थाने में क्या क्या हाल झेलना पड रहा है इसकी एक बानगी भिलाई शहर के सुपेला थाने में विगत दिनों देखने को मिली जहां 70 वर्षीय रामनगर, सुपेला निवासी राम लगन प्रसाद अपनी 55 वर्षीय पत्नी के साथ चंगोरभाटा, रायपुर  निवासी राहुल राव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने वैशालीनगर पुलिस चौकी पहुंचे । प्रार्थी दंपत्ति के अनुसार राहुल राव इनके निवास के भीतर चाकू और कट्टा (देसी पिस्तौल) दरवाजे की कुंडी तोडकर भीतर घुसा और इनकी बेटी रंजीता के बारे में पुछताछ करने लगा । इस बारे अनभिज्ञता जाहिर करने पर राहुल द्वारा रामलगन को पूरे परिवार के साथ जान से मारने की बातें करने लगा जिस कारण पूरा परिवार भयभीत हो गया । 
                                ज्ञात हो कि रामलगन की तलाकशुदा बेटी रंजीता को राहुल राव द्वारा जबरन उठाकर रायपुर में अपने साथ रख लिया गया था । रंजीता के पहले पति से 2 लडके और एक लडकी हुए थे जिनमें से बडा लडका अपने पिता के साथ रहता है जबकि एक लडका और एक छेटी लडकी अपने नाना रामलगन के पास रह रहे हैं । राहुल का कहना था कि रंजीता उसके पास से भाग कर कहीं चली गई है और वह अपने पिता के अलावा कहीं नही जा सकती है । जबकि रामलगन को इस बात का अंदेशा था कि राहुल उनकी बेटी की हत्या कर चुका है और अब उसे लापता बताने की कोशिश कर रहा है । राहुल आदतन अपराधी है ।
                                  भयभीत दंपत्ति इस संबंध में वैशालीनगर पुलिस चौकी में जब रिपोर्ट करने पहुंचे तो वहां मौजूद चौकी प्रभारी की उपस्थिति में वहां के सिपाहीयों नें उक्त वृद्ध दंपत्ति की उम्र को नजरअंदाज करते हुए बदतमिजी करते हुए अपमानित करके थाने से भगा दिये । प्रभारी मुंशी  ने रिपोर्ट लिखने से इंकार करते हुए रायपुर थाने में रिपोर्ट करने की बात कही और आवेदन को फाडकर फेंक दिया और दुबारा चौकी में कदम रखने पर अंदर कर देने की धमकी दी । इस बात की कई बार मौखिक शिकायत वैशालीनगर पुलिस चौकी में रामलगन द्वारा की जा चुकी है जिस पर आजतक कोई कार्यवाही नही होने के कारण राहुल रानव कता मनोबल बढा हुआ है ।
                                      क्या प्रशासन गरीब अनुसूचित जाति पर हो रहे पुलसिसिया अत्याचारों को जानता है अथवा जानना नही चाहता । इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होना आवश्यक है क्योंकि नक्सली शहरों में कदम बढा रहे हैं और कहीं औसा ना हो कि गरीबों की सहानुभूति आगे चल कर ऐसे पुलिस वालों के कारण प्रशासन की सिरदर्दी ना बन जाए ।  

Sunday, October 10, 2010

हे रावण तुम कब आओगे

हे महावीर , पराक्रमी, महाज्ञानी, महाभक्त,  न्यायप्रिय, अपनों से प्रेमभाव रखने वाले , अपनी प्रजा को पुत्र से ज्यादा प्रेम करने वाले, धर्म आचरण रखने वाले,
अपने शत्रुओं को भयभीत रखने वाले, वेदांत प्रिय त्रिलोकस्वामी रावण  आपकी सदा जय हो !

                      हे महावीर आपके समक्ष मैं नासमझ अनजाना बालक आपसे सहायता मांग रहा हूँ । हे रावण मेरे देश को बचा लो उन दुष्ट देवता रूपी नेताओं  से जो हर साल आपके पुतले को जलाकर आपको मार रहे हैं और आपको  मरा समझ अपने को अजेय मान रहे हैं । हे पराक्रमी दसशीशधारी आज मेरे देश को आपकी सख्त जरूरत आन पडी है । जनता त्राही त्राही कर रही है ओर राजशासन इत्मीनान से भ्रष्टाचार, व्याभिचार और धर्मविरोधी कार्यों में लगा हुआ ।
                                         हे रावण मुझे आपकी सहायता चाहिये इस देश में धर्म को बचाने के लिये , उस धर्म को जिसे निभाने के लिये आप स्वयं पुरोहित बनकर राम के समक्ष बैठकर अपनी मृत्यु का  संकल्प करवाए थे । आज हमारे राजमंत्री अपने को बचाने के लिये प्रजा की आहूति दे रहे हैं । हे रावण आप जिस राम के हाथों मुक्ति पाने के लिये अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिये वही राम आज अपने ही देश में, अपनी ही जन्मस्थली को वापस पाने के लिये इस देश के न्यायालय में खडे हैं । हे रावण अब राम में इतना सामर्थ्य नही है कि वह इस देश को बचा सके इसलिये आज हमें आपकी आवश्यकता है ।
                                   हे दशग्रीव हम बालक नादान है जो आपकी महिमा और ज्ञान को परे रखकर अब तक अहंकार को ना जला कर मिटाकर आपको ही जलाते आ रहे हैं । हे परम ज्ञान के सागर, संहिताओं के रचनाकर   अब हमें समझ आ रहा है कि जो दक्षिणवासी आप पर श्रद्धा रखते आ रहे हैं वो हम लोगों से बेहतर क्यों हैं । हे त्रिलोकी सम्राट हमें अपनी शरण में ले लो और केवल दक्षिण को छोड समस्त भारत भूमि की रक्षा करने आ जाओ । हे वीर संयमी आपने जिस सीता को अपने अंतःपुर मे ना रख कर अशोक वाटिका जैसी सार्वजनिक जगह पर रखे ताकि कोई आप पर कटाक्ष ना कर सके वही सीता आज सार्वजनिक बाग बगीचों में भी लज्जाहिन होने में गर्व महसूस  कर रही है ।
                               हे शिवभक्त मेरे देश में  यथा राजा तथा प्रजा का वेदकथन अभी चरितार्थ नही हो पाया है अभी प्रजा में आपका अंश बाकि है लेकिन हे प्रभो ये रामरूपी राजनेता , प्रजा के भीतर बसे रावण को पूरी तरह से समाप्त करने पर तुले हुए हैं ।

                           त्राहीमाम् त्राहीमाम् ....... हे राक्षसराज रावण हमारी इन रामरूपी नेताओं से रक्षा करो ।

Saturday, October 9, 2010

भारत के नागरिकों के लिये सनातनी हिंदु धर्म का पालन अनिवार्य किया जाए

                               शीर्षक पढ कर समझ आ गया होगा कि मैं हिंदुत्व का राग अलापने जा रहा हूँ । हाँ मैं अपने देश के प्रचीन सनातन धर्म के उपनाम हिंदु धर्म पर ही बात करने जा रहा हूँ । कल रात मैं ब्रह्मकुमारी के आश्रम में प्रतिदिन जाने वाले अपने पडोसी दीपक बुक डिपो के संचालक श्री धनराज टहल्यानी से चर्चा कर रहा था और वहीं से निकली बातों की गंभीरता यहां लिख रहा हूँ , क्योंकि उन्हे वहां नही समझा सकता था ।
                               बात निकली हिंदु धर्म की तो उन्होने सनातन धर्म की रट पकड लिये उनका कहना था कि हिंदु शब्द मुस्लिम आक्रांताओं नें दिये हैं जबकि मेरा मत था कि सदियों पहले जब हमारा देश और चीन एक साथ प्रेमभाव में बसते थे उस समय चीनी हमें इन्दु (चंद्रमा)  कहते थे क्योंकि हमारे पंचांग, राशियों का निर्धारण चंद्रमा की गति, स्थान से ही होता है,  जो धीरे धीरे से हि में बदल गया (शब्दों पर ध्यान दिजिये स का ह में बदलना अटपटा लगता है लेकिन इ और हि के उच्चारण समान होते हैं )
                                 अब हम हिंदु  सनातनीयों  को सोचना होगा कि हम क्या कर रहे हैं बजाय विश्व में अपने सनातनी हिंदु धर्म को फैलाने, प्रचार करने के उस एक ही चीज के दो नामों पर अडते हुए लड रहे हैं । आप बताइये मेरे हिंदु कहने पर आपके सनातन नाम पर क्या फर्क पड रहा है । मैं हिंदु हूँ उस पर ब्राह्मण भी हूँ मैं मानव जाति की श्रेष्ठ जाति हूँ लेकिन मैं अपने धर्म को सनातन ना कह कर हिंदु कह रहा हूँ तो क्या आप मेरी जाति बदल देंगे या मेरे विचार मिटा देंगे । हमें आज की बातों को सोचते हुए ये भी सोचना होगा कि हमारे पूर्वजों की इसी अकड के कारण आज हमारी विभिन्न जातियां धर्मों में बदल गई हैं । सिक्ख, जैन, बौद्ध क्या पहले से धर्म हैं ?  नहीं ! फिर सबसे पहले ये सोचिए कि  किस कारण से हिंदु धर्म की जातियां अलग धर्मों में बदल गई हैं ।
                                  यदि मैं ये नही लिखूंगा तो मेरा मन हमेशा मेरे ब्राह्मणत्व को कचोटेगा कि मैने समय पर ये सब क्यों नही बताया । यदि आप सनातन की रट पकड कर रखेंगे तो यकिन जानिये वो दिन दूर नही रहेगा जब आप सनातनी धर्म और मैं हिंदु धर्म का अनुयायी कहलाऊंगा, बजाय आप अपने को केवल सनातनी कहने के सनातनी हिंदु कहें ताकि धीरे धीरे आज के हिंदुओं को लगने लगे कि  हाँ हमारा हिंदु धर्म ही प्राचीन सनातनी धर्म है ।
                                 नाम के पीछे भागने के बदले हमें एकता की जरूरत है केवल यज्ञ कर्म करने से हम अपने देश को मिटने से नही बचा सकेंगे हमें अपने ईश्वर को मानने के साथ साथ अपने कर्मों को भी बदलने की जरूरत है ।
  1. आज सौ करोड हिंदुओं को हमने केवल 800 आदमीयों के भरोसे क्यों रखे हैं ?
  2. आज नेताओं का भ्रष्टाचार खुलेआम चल रहा है इसके लिये हमारे धर्माचार्य क्या कर रहे हैं ?
  3. आज हमारा भविष्य विदेशी महिला और उसके संकर्ण प्रजाती के बच्चों के भरोसे क्यों दिया जा रहा है?
  4. आज भी हमारा संविधान हमें गर्व से हिंदु कहने की आजादी क्यों नही देता है ?
  5. आज हम अपने देश के धर्मदेवताओं की पवित्र भूमि को स्वतंत्र क्यों  नही करा पा रहे हैं ?
  6. आज भी हमारा शिक्षा तंत्र विदेशी शिक्षा (मैकाले) पर क्यों निर्भर है ?
  7. आज हम अपने बच्चों को वैदिक ज्ञान दिलाने वाले शिक्षण संस्थान शुरू नही करवा पा रहे हैं  क्यों ?
  8. आज हमारे देश की पुलिस और सैनिक भ्रष्ट नेताओं के कारण क्यों बलि चढ रहे है ?
  9. आज हम राष्ट्रीय सेवक संघ से क्यों नही जुड पा रहे हैं ?

   10.  आज हम  देश के भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ खडे होने के बदले हाथ बांधकर  उन संतो      और    बाबाओं के पीछे क्यों खडे होते हैं जो हमें भगवान की महिमा का बखान तो सुनाते हैं लेकिन असल जिंदगी में उनके बनाये उत्पादों का हम प्रचार करते हैं ?

                                     कुछ आप सोचिये कुछ हम सोचेंगे तभी देश को एक रंग में बदल सकेंगे । तिरंगा झंडा हमारा कभी नही हो सकता क्योंकि उसमें तीन धर्मों का मिलान है और अब हम अपने देश को एक रंग में रखना चाहते हैं ।  केसरी हिंदु,  सफेद ईसाइ और हरा मुसलामनों का धर्मरंग है, सारा देश केवल केसरी में रंगेगा तभी हम कह सकेंगे रंग गया बसंती चोला । 

             चक्र को रहने देंगे क्योंकि वह हमारे विश्वसम्राट अशोक का राजचिन्ह है ।


Thursday, October 7, 2010

हिंदु आतंकवाद है ये

मैं अमन-ओ-चैन की परवाह नहीं करता


दंगा-ओ-फसाद, अजी इनआम है मेरा !

करता हूँ दिलो जान से, पाकिस्तान की परस्तिश

कहते हैं जिसे कुफ्र, वह "इस्लाम" है मेरा !!

अल्लाह ने बख्शा है, मुझे रूतबा-ए-घौंचू

चूतिया जिसे कहते हैं, वही बाम है मेरा !!
 
                 धन्य है ब्लॉगर सलीम खान जिसने कबूल तो किया कि लखनऊ की तहजीबी नगरी में उसने कैसी तमीज सीखी है । इसने लिखा आइये देखिये हिंदु-आतंकियों का जलील चेहरा और बढिया बढिया हिंदु नेताओं की और कारसेवकों की तस्वीरें लगा दिया । मैने सोचा कि इसके ब्लॉग पर ही धनिया बो दूं लेकिन फिर सोच क्या मतलब ये तो दन् से मेरी प्रतिक्रिया उडा देगा इसलिये अपने ब्लाग पर लिखने के बाद उसे लिंक दूंगा ।
                                    मिस्टर घोचू (इसे आपने अपना रूतबा कहा है जनाब ) आपने जो लिखा है उसमें आपका दोष नही है क्योंकि ये आपके भीतर की भडास है जो आप अपने पूर्वजों पर व्यक्त नही कर पा रहे हैं । मैं आगे की कोई बात लिखने से पहले आपको एक सलाह दूंगा कि आप अपने मां बाप से पूछो कि तुम्हारा खानदान कब से मुसलमान है । अब ये मत कह देना कि जब से इस्लाम बना है तब से तुम लोग मुसलमान हो क्योंकि ऐसा होता तो तुम्हारा चेहरा ओसामा बिन लादेन और अरबी शेखों की तरह होता ना कि आम हिंदुस्तानी भारतीयों की तरह । तुम्हारे हिंदु  आतंक को संबोधित लेख के जवाब में मैं कई मुस्लिम आतंकवाद की घिनौनी तस्वीरें भेज देता जिनमे से सबसे नई तो दो चार माह पुरानी ही होती । आपने तो 1992 की बाबरी मस्जिद की तस्वीरें भेजी हैं तो ये क्यों नही बताया जनाब कि ये रही हिदु आतंकवाद की 2010 की तस्वीरें ?
                                    बाबरी मस्जिद जो किसी बाबर नाम के आक्रमणकारी नें भारत में आकर हमारे धर्म पर, हमारी आस्था पर हमला करके हमारे देश के प्रथम युगपुरूष श्री राम की जन्मभूमि पर कब्जा कर मस्जिद बना दिया था उसे तोड कर अपनी हजारों साल पुरानी सभ्यता को वापस पाने की मुहिम चलाने पर हिंदु आतंकवादी बन गये लेकिन आप क्या रहे हैं सलीम मिंया... आप बजाए ये सोचने के की हो सकता है उस आक्रमणकारी आतंकवादी बाबर के साथ आए मुस्लिम सैनिकों में से या खुद बाबर नें तुम्हारी किसी पूर्वज औरत की इज्जत तार तार करके जबरन मुस्लिम बना दिया जिसके कारण बाबर की मौत के बाद भी तुम उसके धर्म को मान रहे हो । सलीम भाई सोचो कि तुम कौन हो अगर तुम अपने को मुसलमान मानते हो तो तुम्हे ये स्वीकार करना होगा कि तुम कायर हो और अपने पूर्वजों के अत्याचार को सह रहे हो तुम ये नही सोचते हो कि जबरन गऊमांस खिलाकर तुम्हारे पूर्वजों को धर्मभ्रष्ट कर दिया गया था और तुम अपने पुरखों की जबरदस्ती को आज अपने रिवाज में शामिल कर लिये हो । सोचकर देखो और जरूरत पडे तो इतिहास में झांककर देखो कि रेगिस्तान से आए अरब लोगों को गाय का मांस कहां मिला होगा ? जवाब आपके पास नही है कोई बात नही  मैं देता हूँ -
                                बाबर का जन्म फ़रगना घाटी के अंदिजन नामक शहर में हुआ था जो अब उज्बेकिस्तान  में है। उसके पिता उमर शेख़ मिर्ज़ा, जो फरगना घाटी के शासक थे । हालाँकि बाबर का मूल मंगोलिया के बर्लास कबीले से सम्बन्धित था पर उस कबीले के लोगों पर फारसी तथा तुर्क जनजीवन का बहुत असर रहा था, वे इस्लाम में परिवर्तित हुए तथा उन्होने तुर्केस्तान को अपना वासस्थान बनाया।  मंगोल जाति (जिसे फ़ारसी में मुगल कहते थे) का होने के बावजूद उसकी जनता और अनुचर तुर्क तथा फारसी लोग थे। उसकी सेना में तुर्क, फारसी,पश्तो के अलावा बर्लास तथा मध्य एशियाई कबीले के लोग भी थे। बाबर के चचेरे भाई मिर्ज़ा मुहम्मद हैदर ने लिखा है कि उस समय, जब चागताई लोग असभ्य तथा असंस्कृत थे तब उन्हे ज़हिर उद-दिन मुहम्मद का उच्चारण कठिन लगा। इस कारण उन्होंने इसका नाम बाबर रख दिया। इन रेगिस्तानी कबीले वालों का एक ही काम हुआ करता था दुसरे कबीले पर हमला करके उनकी औरतें और ऊंठ और भेडों को लूटना । रेगिस्तान में गाय नही होती हैं इन्हे अखंड भारत के लोगों को गऊमांस इसलिये खिलाया जाता था ताकि इसके बाद उन्हे अन्य हिंदु लोग अलग कर दें और उस समय की हिंदु परंपरा के अनुसार गऊभक्षकों को अछुत कहकर  सनातन धर्म की सभी    जातियों और संप्रदायों द्वारा अलग कर दिया जाता था  जिसके कारण मुस्लिमों को अलग से बसने की जगह मिलती गई ।
                            इसके बाद भी कहने को बहुत कुछ बचता है सलीम खान साहब जिस समय बाबर आया था उस समय हमारा देश धर्म में नही जातियों , वर्णों और  संप्रदायों में बंटा हुआ था और सभी केवल सनातन धर्म को ही मानते थे ।  रेगिस्तान की औलाद बाबर और उसके साथियों नें हमारे देश के धन को लूटा, औरतों की इज्जत तार तार कर दिये, बच्चों का जबरन खतना किया गया, आदमीयों को गऊमांस खिलाया गया ताकि उनका जनेऊ उतर जाए,  मतलब ये कि बाबर नें जो धर्म परिवर्तन किया उसका एक उदाहरण आप भी हो सकते हैं ।
                                अब आप देखिये हमारी भारत माता की पावन धरा का असर की बाबर जैसे आतताई, क्रूर हत्यारे और लुटेरे का पौत्र अकबर इसी धरती पर हिदु मुस्लिम एकता का अनुपम उदाहरण देते हुए दीन ए इलाही का गठन करता है  अल्लाह हो अकबर तो आज भी आप कहते हैं खान साहब ।
                    घोंचू  साहब सोचीये कि भारतीय मुस्लिमों के चेहरे हिंदुओं के चेहरों से क्यों मिलते हैं । हां एक बात और है कि -
                       मुस्लिम पीर पैगंबरों नें अपनी सिद्धियों के एवज में भी धर्म परिवर्तन कराने में भूमिका निभाई है । आपके शहर के आसपास ही कोई जगह है जिसे मौदहा के नाम से जाना जाता है आज की पीढी से तीन पीढी पहले तो वह ठाकुरों का गांव हुआ करता था सलीम साहब आपसे अनुरोध है कि उस घटना के बारे में आप बताएं तो ज्यादा अच्छा होगा कि मौदहा के साथ के 7 गांव और मुसलमान क्यों बने ---  क्योंकि हम तो ठहरे हिंदु आतंकवादी भला हमारी बात आप कैसे समझ सकेंगे ।

Wednesday, October 6, 2010

पुलिस मर रही है नेता क्यों नही ?


                                                चलो बच्चे लोग.... सब मिलकर ताली बजाओ आज एक नया खेल दिखाएगे ये नक्सली ... चार पुलिस वालों को बांधकर उन्हे एक एक कर धीरे धीरे गले पर धारदार हथियार से हलाक कर देंगे । पुलिस वाले चिल्लाते रहेंगे मगर हम सब लोग हंसते रहेंगे और उन्हे तडप तडप कर मरते देखते रहेंगे । तो फिर क्या कहते हो , खेल शुरू किया जाये । आंआंआं ... रूको रूको पहले कुछ और तमाशाबीनों को बुलाते हैं ः- 
   सबसे पहले आ रहे हैं वीरों के वीर प्रदेश के  सरदार    वैद्यराज   रमन सिंह जी
                                                          आप इनके मुस्कुराते चेहरे पर ना जाएं । ये मुस्कान तो  हमेशा ही रहती है । इनके पास  प्रदेश के हर रोगों की दवा हैं इनकी दवायें एकदम अचूक होती हैं बस कभी कभी जरा सी समस्या ये आ जाती है कि जिस आदमी के हाथों दवा भेजते हैं वह रास्ते में महंगी दवाओं को बेच देता है जिससे कोई कोई मौत हो जाती है लेकिन एक बात समझ में नही आती कि इनका परिवार कैसे चल रहा है । छोडिये व्यंग्यात्मकता को सीधे सीधे कहते हैं । ये हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी है स्वभाव से सरल व मृदुभाषी । ये प्रदेश की जनता के भलाई के बारे में हमेशा चिंतित रहते हैं लेकिन इनके बाकि बचे संगी साथी इनके ऊपर दाग धब्बे लगाते रहते हैं । ये पुलिस के हित की बातें गंभीरता से सोचते हैं ...... लेकिन सोचते हैं अमल में नही ला पाते ।
                    इसके बाद  आता है नंबर बाकियों का जिनमें से अपने गृहमंत्री को याद ना करना  शहिद पुलिस का अपमान होगा । ये साहेबान जिनका नाम ननकीराम कंवर है ये  प्रदेश में बढते अपराधों से बेहद चिंतित हैं इनका दर्द तब और बढ जाता है जब इनके करीबी गंभीर अपराधों में कभी कभार लिप्त मिलते हैं तो उन्हे छुडाने में इन्हे बहुत मेहनत करना पड जाता है । खैर आखिर हैं तो बेचारे मानव ही जब अपनों से फुरसत पाएंगे तब तो अपने सैनिकों का हालचाल जान पाएंगे ।
                      और हां एक आदमी नही पूरी संस्था की बात किये बिना तो बात पूरी ही नही होगी ... जी हां ठीक समझे मानवाधिकार आयोग । ये आयोग बडे ध्यान से देखता है कि कितने नक्सली मरे और कितनें ग्रामीण मरे । मृतकों की जांच पडताल करने ये  किरंदुल के घने जंगलों में जाकर पडताल करके बता सकते हैं कि फलां आदमी तो ग्रामीण था पुलिस नें उसे नक्सली बता कर मार डाला । अब इन्हे कौन समझाकर अपनी माथा फोडी करे इसलिये पुलिस अधिकारी कहते हैं कि देखो जवानो भले गोली खाकर मर जाना हम तुम्हे शहीद का दर्जा दे देंगे लेकिन किसी बिना वर्दी वाले नक्सली को मारे तो जीते जी हम मर जाएंगे । 
                      मतलब समझे आप ... चाहे कुछ भी हो .. नेता अधिकारी सब मिल कर पुलिस को शहीद करना चाहते हैं लेकिन एक बात जो सच है वो ये कि हमारे राज्य की पुलिस सबसे ज्यादा कर्तव्य परायण है वह बेधडक गोली खा लेती हैं मगर उफ्फ तक नही करती ।
                      
                               हमारे राज्य की पुलिसिया शहादत अमर रहे ।