पी.ए. संगमा , 13वें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार । संगमा एक निर्भिक छबी वाले कद्दावर नेता हैं जो पार्टी के नामों से कम और व्यक्तिगत रूप से ज्यादा जाने जाते हैं । मैने फेसबुक में कई बार इस बात का जिक्र किया था की सोनिया गांधी चाहे जिसका नाम राष्ट्रपति के रूप में सामने लाए , बात एक ईसाइ पर जरूर ठहरेगी । जी हां वह नाम है पी.ए. संगमा का ... और इस नाम को लाने वाला कोई विदेशी नही स्वयं को हिंदुत्व का प्रबल समर्थक कहलाने वाली भारतीय जनता पार्टी है । जैसा की मेरा मत था की किसी ईसाइ नाम को सामने लाने वाली कांग्रेस पार्टी या सोनिया गांधी होंगी लेकिन अफसोस मेरी धारणा चूर चूर हो गई और मैने पाया की भाजपा भ मिशनरी की चाल में आ गई है या फिर कह सकते हैं की बिक गई है ( कई बार बिकने के प्रमाण हाजिर हैं कांधार से लेकर संसद तक ) ।
अब जबकी पी.ए. संगमा जो की वेटिकन सिटी , रोम के मानद सदस्य हैं उनके खिलाफ सोनिया कैसे वोट करेंगी इसलिये मुझे पूरा यकिन है की कांग्रेस पार्टी या फिर पूरे यू.पी.ए. में फूट दिखाने की कोशिशें की जा रही है और सामने जाहिर किया जा रहा है की प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार है , जबकि हकीकत ये है की यदि सोनिया गांधी नें संगमा का नाम प्रस्तावित की होती तो लोग इसके पीछे मिशनरी के होने की संभावनाएं भले व्यक्त नही करते लेकिन सोनिया का धर्मप्रेम उजागर हो जाता किंतु अब .... अब क्या......
अब बचते हैं कुछ सवाल जो पुछने है भाजपा से ---
- क्या कारण है की राष्ट्रपति पद के लिये उपयुक्त उम्मीदवार की तलाश भाजपा ने पहले से करने का प्रयास नही की ।
- बीजेपी नें पहले से राष्ट्रपति पद की तैय्यारी क्यों नही की
- आडवाणी, जेठमलानी, जसवंत सिंह सहित कई वरिष्ठ लोग थे जिन्हे इस पद के योग्य माना जा सकता था , इन्हे नजरअंदाज क्यों किया गया
- पी.ए. संगमा नें तथाकथित रूप से सारी कैम्पेन खुद किये हैं और यदि ये जीतते हैं तो जाहिर है की किसी भी दल को इसका श्रेय नही मिलेगा और संभवतः ये अब तक के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति होंगे जिन पर कोई भी दवाब नही बना सकेगा ... यानि इनका निर्णय़ व्यक्तिगत भी हो सकता है । भाजपा को इस प्रत्याशी से क्या लाभ होगा या देश का कैसे हित होगा बताए ।
- जब समय है राष्ट्रपति के चुनाव का उस समय नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का मामला क्यों उठाया जा रहा है जबकी इस समय इस बात का कोई औचित्य नही है ।
- बीजेपी किसके दिमाग से चल रही है और संसद में सही विपक्ष की भूमिका क्यों नही निभा रही है , जबकि सारा देश रामदेव और अन्ना हजारे जैसे अविश्वसनीय लोगों को समर्थन दे रहा है उस समय जनता बीजेपी पर भरोसा क्यों नही कर रही है ...
उठाती चली आ रही है ।
कितने लोगों नें यह जानने का प्रयास किये हैं की वर्तमान सरकार में कितनें अधिकारी ईसाइ हैं , यहां ईसाइ व्यक्ति केवल एक धर्म ही नही बल्कि पूरी कैथोलिक ईसाइ मिशनरी का सदस्य होता है और पी.ए. संगमा रोम कैथोलिक चर्च के मानद सदस्य हैं । यह मैं नही पी.ए. संगमा की बायोग्राफी कहती है ।
अब संगमा की जीत किसकी जीत मानी जाए यह मेरी समझ से परे है , यदि आपको कुछ समझ आ रहा हो तो बताएं ।