Saturday, March 31, 2012

छत्तीसगढ में आसान है धन कमाना


जी हां ... आप भी छत्तीसगढ में आते ही साथ लखपति बन सकते हैं भ्रष्टाचार से लबालब भरे हमारे छत्तीसगढ प्रदेश की भोली भाली जनता को उम्मीद से दोगुना मिल रहा है । हमारे पत्रकारों को तो अपनी नई पुस्तकों और अखबारों के विमोचन के लिये मुख्यमंत्री जी से भरपूर मनचाहा समय मिल रहा है औऱ साथ में शुभकामना संदेश के साथ भरपूर विज्ञापन इसलिये उन्हे गुल होती बिजली से अब कोई सरोकार नही रहा क्योंकी उनके यहां जनरेटर पहुंच गये हैं । अब उन्हे जनता को मिल रहे उम्मीद से दोगुने भ्रष्टाचारों से कोई लेना देना नही है , उन्हे इस बात से कोई मतलब नही की 6 फुट बनने वाली सडकें 4 फुट की क्यों बन रही है और ना ही इस बात से मतलब की नेहरू नगर भिलाई से टाटीबंद तक बनने वाली फोरलेन सडक 5 फुट कम चौडी ( दोनो ओर से ढाई -ढाई फुट कम) क्यों बनी है ? बात केवल एक सडक की नही है यह प्रदेश भर में बनने वाली हर सडक का यही हाल है सूचना के अधिकार से जानकारी आप स्वयं निकाल लिजिये और टेप से स्वयं नाप लिजिये यकिन मानिये लखपति बनने में आपको देर नही लगेगी । 
                               केवल सडक ही नही धडाधड बन रहे सरकारी भवनों का भी यही हाल है हमारे प्रदेश में बनने के तीन माह के भीतर भवनों का भरभरा जाना , पुलों का उधड जाना या गिर जाना आम बात हो गई है सडकों का हाल तो इतना बेहतरीन है की नई बनी सडकों को भी हर माह संधारण की आवश्यकता पडते रहती है  । नक्सली क्षेत्रों में तो इतनी कमाई होती है की आप भी नही पुछ सकते । धुर नक्सल क्षेत्र में मुरूम से बनी सडकों को पक्की दिखा कर भुगतान हो जाता है अब आपमें दम है तो जाकर नपवा लो ... उस समय तो नक्सली की आड में यही आपको नाप देंगे ... अब सडक का हाल छोडो ... सरकारी अनाजों का भी यही हाल है ... धान की पैदावार से तीन गुना ज्यादा की खरीदी हमारी सरकार नें कर एक इतिहास रच डाला है । सरकारी दुकानों में पहुंचने वाला अनाज इतनी घटिया क्वालिटी का होता है की गरीब कार्डधारीयों को उसे दस रूपयों हजार में किसी बनिये के हाथों सौंप देना ज्यादा फायदे का काम लगता है । वैसे भी दो रूपये किलो का चांवल प्रदेश के मजदूरों को निकम्मा बना चुका है और अब बाहर के मजदूर हमारे यहां आने लगे हैं कमाने के लिये । 
                                   हमारी सरकार नें विडियोकान कंपनी के हाथों किस तरह से आदिवासी किसानों की जमीनें हथियायी है ये बताने की जरूरत नही है । बेचारे धुर नक्सल क्षेत्र के आदिवासी अपनी पारंपरिक वेशभूषा के साथ तीरकमान लेकर अपनी जमीन के लिये न्याय मांगने रायपुर पहुंचे तो हमारी सरकार को लगा की ये लोग सरकार पर कब्जा करने के लिये पहुंच गये हैं सो प्राचीन राजाओं की तरह लाठी डंडा लेकर आदिवासीयों पर टूट पडे । अब छोडिये कहां सडक अनाज और जमीन के फेर में पडे हो .... हमारे मुख्यमंत्री जी नाराज हो जाएंगे ..और अगर नाराज हो गये तो फिर ये कभी नही बताएंगे की जोगी कांग्रेस के शासन में लगातार कमाई करने वाला छत्तीसगढ विद्युत मण्डल जिसने अपने अंत समय तक 1500 करोड रूपये का मुनाफा कमाया था और 250 मेगावाट की सरप्लस बिजली को अपने पास रखा था वह सब बिजली कहां गई औऱ लगातार मुनाफा कमाने वाला विद्युत मण्डल इतने घाटे में कैसे आ गया । 
जबकी छत्तीसगढ के हर गांव तक पोल लगा कर तारों के सहारे बिजली पहुंचा दी गई है,
बिजली बिल की वसूली भी तीन माह के बदले हर माह कर दी गई है ,
बिल जमा ना करने पर तत्काल बिजली काटने कर्मचारी पहुंच जाते हैं 
मेंटनेंस के नाम पर केवल फ्यूज, कटआउड या फिर आइल बदलना होता है 
बिजली बिल जमा करने के लिये ऑनलाइन सुविधा, ए.टी.एम. सहित कई काउंटर है जहां लोग अपना बिल जमा कर देते हैं
स्पॉट बिलिंग भी चालू है और बिजली कंपनी के पास भरपूर कर्मचारी है 
तो फिर माननीय मुख्यमंत्री जी को ऊर्जा मंत्री के  रूप में मुंबई की कंपनी को रिटेल काउंटर खोलने का ठेका देने की महानतम कला जिसने भी दी हो वह आपको भी लखपति बना सकता है ....
तो फिर देर किस बात की है 

बिना सडक के बने सडकों के बिल पास होना, जंगल के जंगल साफ हो जाना और फिर जंगल बसाने के लिये योजना लाना, आदिवासीयों की जमीनों पर जबरन उद्योगपतियों का कब्जा करवाना और फिर उनके नाम पर करोडों की योजना लागू करवाना , हर तरफ बिजली लाइनें बिछ चूकी हैं , मेटनेंस के लिये भर पूर कर्मचारी हैं पैसों की वसूली तत्काल हो रही है , हर जगह वसूली के बूथ बने हुए हैं बिजली बील देर से होने पर शुल्क अलग से ले रहे हैं और कठोरता से लाइन काटने का काम कर रहे हैं ...फिर भी घाटे में चलने वाली बिजली कंपनी के लिये मुंबई से कंपनी को बुला कर ठेके दिये जा रहे हैं ...जय हो


अरे अब क्या सोच रहे हैं उठाइये कागज और कलम ... और चलिये सूचना के अधिकार में यह सब कुछ जानकारी निकालने के लिये ... 

   चूंकी मैं अपने प्रदेश से देश की तरह ही प्यार करता हूँ इसलिये देश की और प्रदेश की कमजोरी का फायदा उठाना गलत समझता हूँ .. लेकिन आप लोगों से भी प्यार करता हूँ .. सो एक अच्छा व्यवसाय बता दिया हूँ , अब आप कैसे कमाएंगे ये आप पर निर्भर करता है ।

Sunday, March 25, 2012

सलमान खुर्शीद फंसे यू.पी. के अनाज घोटाले में

सरकार सपा की घोटाला कानून मंत्री का 


देश के सबसे गरीब राज्य उत्तर प्रदेश में 2 लाख करोड़ रुपये के इस घोटाले में गरीबों के लिए तय अनाज को जानबूझकर और एक प्रक्रिया के तहत खुलेबाजार में देश और विदेश में बेचा गया। यह घोटाला साल तक चला और इसमें 5,000 एफआईआर भी दर्ज हुईं। इस घोटाले में इतनी पारदर्शिता थी की इसे रेलगाडी के माध्यम से देश के दुसरे हिस्सों में भेजवाया गया । जो अनाज गरीबों तक पहुंचना था उसे देश विदेश के खुले बाजारों में बेचा गया । इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में  न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह ओर न्यायमूर्ति एस.सी.चौरसिया की खंडपीठ ने 3 दिसंबर 2010 को अनाज घोटाले के मामले में कहा था कि यदि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमें के लिए तीन महीने में अनुमति नहीं देती है तो उसके लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। खंडपीठ ने सीबीआई को आदेश दिया कि बलिया. लखीमपुरखीरी और सीतापुर के साथ ही वाराणसी, गोंडा तथा राजधानी लखनऊ में भी हुए अनाज घोटाले की जाँच को अपनी जद में लाए।
 प्रर्वतन निदेशालय और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय इस बात की जाँच करे कि घोटाले की करोड़ों रुपए की राशि कहाँ गई। खंडपीठ ने केन्द्र सरकार को सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के कानून में संशोधन करने को भी कहा। खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई अधिकारी बाहर का है तो उसके खिलाफ जाँच सी  बी आई करेगी।


                     एक खबर सुप्रीम कोर्ट से प्राप्त हुई है की सी.बी.आई. नें सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है की  कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और रीता बहुगुणा जोशी को भी अनाज घोटाले अपराधी की तौर पर  शामिल है । 
           कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के द्वारा ज्योंही लखनऊ खंड पीठ नें अपना फैसला 2010 में सुनाया तुरंत इलाहाबाद हाई कोर्ट में उनके एक रिश्तेदार रफत आलम की नियुक्ति प्रधान न्यायाधीश के रूप में कर दी गई जिसके बाद यह मामला इस घोटाले को उठाने वाले याचिकाकर्ता नें सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करवा दिया । मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने के बाद कानून मंत्री महोदय नें अपने पद का फायदा उठाते हुए अपने एक अन्य रिश्तेदार जावेद अहमद को लखनऊ सी.बी.आई. में ज्वाइंट डायरेक्टर बना कर बैठा दिये जिसके बाद से सी.बी.आई. के वकीलों पर अनावश्यक रूप से इस मामले को निपटाने का या रफा दफा करने के लिये दबाव पडने लगा, जिनमें से कुछ मामले दिल्ली तक पहुंच गये हैं । 
            
           इस मामले को दुसरे नजरिये से देखा जाय तो अनाज घोटाले में मुलायम या समाजवादी पार्टी अथवा कांग्रेस पार्टी किसी भी रूप से जिम्मेदार नही बनती दिखलाई पड रही है इस मामले में शंका जाहिर की जा रही है की उक्त सारा अनाज घोटाला अमर सिंह, सलमान खुर्शीद और रीता बहुगुणा जोशी की मिली भगत से हुआ होगा । इस मामले में जनता मुलायम को या समाजवादी पार्टी को इसलिये जिम्मेदार नही मान रही है क्योंकी उस समय मुलायम से ज्यादा अमर सिंह की चला करती थी । 
           अब देखना यह है की कांग्रेस पार्टी जो कई घोटालों में लिपटी हुई है अपने कानून मंत्री से किस तरह से निपटती है . यदि कांग्रेस मामले के उठते ही सलमान से केवल इस्तीफा ना लेकर उनके खिलाफ कडा बयान जारी करती है तो   गांधी परिवार यू.पी. के दिलों में वापसी की उम्मीदें जगा सकते हैं । 
             
विधान सभा चुनाव के समय राहुल गांधी को अक्सर एक जुमला मुसलमान लोग सुनाते थे की क्या राहुल बाबा हमनें मांगा था मुसलमान और आपने भेज दिया सलमान ...... 
          हकीकत ये है की गांधी परिवार नें अपने ऊपर लगने वाले सारे भ्रष्टाचारों को केवल इसलिये सहन किया है क्योंकी वे इस मामले में लिप्त लोगों को अपने परिवार का हिस्सा समझने की भूल करने लगे थे और उन्हे लगता की ये लोग ऐसा नही कर सकते जबकी हकीकत ये थी की इन लोगों नें देश का पैसा खाकर गांधी परिवार को बदनाम करने के अलावा कुछ नही किये ।