Tuesday, January 18, 2011

निधी तिवारी- अंततः हत्या की रिपोर्ट मिली

डॉ. सतपथी नें कहे मामला आत्महत्या का नही ।
23 जुलाई 2010 को जलविहार कालोनी, रायपुर में संदिग्ध जली अवस्था में मिली निधी तिवारी के शव की तस्वीरें और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर निधी के माता पिता व भाई नें हत्या होने की बात लगातार कहते आ रहे थे जिसे मैने कई प्रमाण व सवालों सहित इस ब्लॉग में लगातार लिखता रहा लेकिन रायपुर पुलिस विभाग की आँख नही खुली और वह इसे आत्महत्या का मामला बताती रही । निधी के भाई नवीन से तेलीबांधा थाने के ए.एस.आई. व विवेचना अधिकारी गिरी नें  कहा कि तुम लोग लडके वालों से पैसा वसुलने के लिये  के लिये आत्महत्या को हत्या बता रहे हो तो इसके बाद से निधी के परिवार वाले चुपचाप बैठ गये । इसबीच हम लोगों की रायपुर एस.पी. दीपांशु काबरा से मुलाकात हुई तो उन्होने कहे कि जब तक कोई प्रमाणित फोरेंसिक रिपोर्ट नही आती या हत्या के सबूत नही मिलते हैं तब तक ये हत्या का मामला नही बनता है । एस.पी. साहब की बातें सुनने के बाद निधी के पिता सूर्यकांत शुक्ला नें फोरेंसिक एक्पर्ट डॉ. सतपथी से भोपाल में संपर्क किये तथा अपनी व्यथा बताते हुए फोटोग्राफ, सी.डी., पी.एम.रिपोर्ट व पुलिस चालान की कापी सहित प्रार्थना पत्र दिये तथा अपनी बेटी की मौत की सही वजह जानना चाहे ।
                                                   डॉ. सतपथी की जब राय आई तो वही हुआ जिसकी आशंका  थी । उन्होने निधी द्वारा आत्महत्या की बात को यह कह कर नकार दिये कि जब गले में गहरी चोट के निशान हैं (जो कि पी.एम. रिपोर्ट में भी हैं) उस अवस्था में किसी के भी द्वारा स्वयं को आग लगाया जाना असंभव है । दिनांक 17 जनवरी को सुबह 11 बजे सहारा समय छ.ग. में तथा दोपहर 3 बजे जी24 छत्तीसगढ में इस बाबत सीधा प्रसारण किया गया जिसमें निधी के पिता, भाई, भाभी सहित डॉ सतपथी से भी सीधी बातचीत प्रस्तुत की गई ।
                                 इस केस में सबसे बडी बात ये है कि सारे सबूत हत्या की ओर संकेत कर रहे थे और तेलीबांधा पुलिस इसे आत्महत्या का मामला बताते हुए न्यायालय में चालान पेश कर दी और आरोपी पति राजेश तिवारी के विरूद्ध धारा 306 तथा 498 (अ) के तहत मामला दर्ज किया गया है जबकि निधी को जिस तरह से निर्ममता पूर्वक मारा गया है उसमें एक आदमी का काम नही हो सकता है । किसी भी तरह से पहले जहर पिलाना, उसके बाद बलपूर्वक गला दबाना तथा कोमा की हालत में मिट्टीतेल छिडक कर आग देना एक आदमी के बस का काम नही है औऱ वह भी तब जबकि निधी की बेटी का यह बयान हो कि "पापा आए खाना खाये और बाहर चले गये फिर मम्मी ने कहा चलो ए.सी. वाले कमरे में पढने चलते हैं फिर मम्मी बोली मैं बाथरूम से आती हूँ । मम्मी नही आई देखने गई तो दरवाजा अंदर से बंद था और अह अह करके आवाज आ रही थी खिडकी के कांच को छुआ तो वह गरम लगा अंदर से धुंआ निकल रहा था  "  अगर पुलिस ने निधी की बेटी से यह बयान ली हो तो निःसंदेह इस मामले में पुलिस की भुमिका संदिग्ध है । इस मामले का रहस्यमय पहलू ये भी है कि पुलिस ने चालान के साथ फोटोग्राफ, सी.डी. व घटनास्थल का पंचनामा पेश नही की है और ना ही अभी तक फोरेंसिक रिपोर्ट ही आई है जबकि डॉ.सतपथी द्वारा 15 दिनो के अंदर निधी के पिता को डाक द्वारा रिपोर्ट भेज दी गई 
                                                ये तो तय है कि  निधी की मौत  आत्महत्या नही बल्कि नृशंस हत्या है और हत्या का साक्ष्य छिपाने के लिये उसके शरीर को जलाया गया है । इसके अलावा एक बात और ये है कि मामला हत्या का हो या फिर आत्महत्या का इनके पिछे एक वजह होती है इस माले में आत्महत्या की एक भी वजह स्वीकार योग्य नही है जबकि हत्या का कारण निधी के पति राजेश का अपनी विधवा भाभी रेखा के साथ अवैध संबंध हैं । अब देखना ये है कि डॉ. सतपथी की रिपोर्ट के बाद पुलिस अधिकारी कुछ कार्यवाही करते हैं या नही । कार्यवाही करे तो ठीक वरना हाईकोर्ट में सारे सबूतों के साथ सी.बी.आई. जांच के लिये रिट लगाई जाएगी ।

Sunday, January 9, 2011

आध्यात्म से देश बचाओ

आप हैं एक साधारण से शरीर में असीमीत आध्यात्म शक्तियों के भण्डार रखे हुए हुये श्री कृष्णानन्द जी महाराज । इनके बारे में मुझे हमारे साथी मित्र डी.डी.1 के आँखो देखी के  कमल शर्मा जी नें बताये (बताये क्या बता बता कर दिमाग खा गये थे) जब सुनो तब गुरूदेव करेंगे, गुरूदेव बतायेंगे सुन सुन कर भेजा आउट हुए जा रहा था गुरूदेव का आगमन 2 जनवरी को भिलाई में हुआ सो जाहिर है कि जाना तो पडा ही और जब गया तो दर्शन भी होना था अपने मित्र अनिल राठी के साथ अग्रसेन भवन पहुंचा जहां गुरूदेव पधारे थे । लेकिन ये क्या ..... दोपहर 2 बजे से शाम के 5 बज गये पर गुरूदेव के दर्शन ही नही हुये । दिमाग उखड गया तो वापस अपने घर की ओर चल दिये । 3 तारिख को कुछ सामान छोडने के लिये दुसरे दिन मैं अकेले भवन गया तो कमल शर्मा जी नें अपने गुरू भाइयों से परिचय करवाये जो तिल्दा के थे कुछ देर रूकने के बाद मैं वापसी के लिये निकलना चाहा तो एक मित्र नें कहे कि अब थोडी देर रूक जाओ भाई गुरूदेव से मुलाकात कर लो लेकिन मैं अपनी व्यस्तता बताते हुए बाहर निकला तो दो लोग किसी गुप्त विज्ञान की कक्षा की बात कर रहे थे उनकी बातें सुन कर मैं रूक कर उनसे चर्चा करने लगा तो पता चला कि दुसरे दिन (4 जनवरी) को दिव्य गुप्त विज्ञान की कक्षा लगने वाली है जिसकी फिस 2500 रूपये है । अब क्या था जहां सुना कि पैसे देकर कुछ मिलने वाला है तो तुरंत शर्माजी को पकडा और फटाफट अपना नाम दर्झ करवा दिया पता चला कि मुझे सबेरे 8 बजे तक पहुंचना है थोडा सा मन कुनमुनाने लगा फिर भी सोचा चलो एक दिन की तो बात है आखिर बिना गुरूदेव के दर्शन किये दुसरे दिन सीधे कक्षा में जा पहुंचा सिखना प्रारंभ हुआ कुछ देर तो लगा मैं सिख रहा हूँ फिर उसके बाद तो मैं मैं ही नही था बिना खाए पिये शाम को 5 बजे तक जडवत सब सिखता रहा । अद्भुत चीजें , अद्भुत, ज्ञान ... सब कुछ अलग अलग सा कोई सन्यास की बातें नही ठोस भौतिकी ज्ञान फर्क रहा तो इतना कि अपने प्राचीन दिव्यास्त्र ज्ञान को पाने के बाद मैं अपने को धन्य समझने लगा और मन में आय़ा कि जिस सद्पुरूष के आचार्य़ ऐसे हैं तो वे स्वयं कैसे होंगे इसलिये दुसरे दिन प्रातः 7 बजे जाकर अपने जीवन की प्रथम गुरूदीक्षा ग्रहण कर लिया ।
                                    मैने 2500 रूपयों के बदले में ऐसा हथियार पाया कि तोप तलवार सब धरे रह जाएं । अब मैं अपने को एक समर्थ पुरूष कह सकता हूँ । मैं अपने दिव्यास्त्रों के प्रयोग से आप की भी मदद करने में अपने को सक्षम पा रहा हूँ लेकिन गुरूदेव की आज्ञा होगी तभी । अब आपको लग रहा है कि मैं झेला रहा हूँ (जैसे कभी कमल जी मुझे झेलाते थे ) लेकिन ये एक ऐसा सत्य है जिसके बिना हम सब अधुरे हैं । मैं ब्रह्मकुमारी , श्री रविशंकर जी, आसाराम बापू के शिष्यों की भी संगत रखे हुए था उनके आश्रमों में यदा कदा चले जाता था लेकिन जो दिशा मुझे परम पुज्य गुरूदेव श्री कृष्णानन्द जी महाराज से मिली वह पूर्णता की ओर ले जाती है । मैने गुरूदेव की रचित तीन पुस्तकें स्वर से समाधी (यदि आपने संभोग से समाधी पढे हैं तो इसे जरूर पढें ), यंत्र-मंत्र रहस्य और कहै कबीर कुछ उद्यम कीजै .. लेकर आया और पढने बैठा ...... यकिन जाने दिमाग में लगातार विस्फोच सरीखे होने लगे हर वाक्य से कुछ ना कुछ सिखने को मिल रहा था । जहां संत जन कहते हैं कि क्या रखा है इस संसार में वहीं हमारे गुरूदेव कहते हैं कि सब कुछ इसी संसार में है बाहर कुछ नही है । और जब मैने अपने शरीर में झांका तो सारा स्वर्घ यहीं पर था । टेली पैथी का नाम सुना था अब स्वयं कर रहा हूँ (अभी तो केवल गुरूदेव का आदेश या समझाइश आती है )  मैं ये सब लिख रहा हूँ क्योंकि गुरेव के आदेश पर ही ये सब लिखना हो रहा है । मैं विगत एक माह से घर से बाहर रहा इसलिये मेरी इंरनेट लाइन कट चुकी है फिर भी आज सुबह अनायास चालू मिली और मै यह सब अब लिख रहा हूँ बिना इंटरनेट के ..... हाहाहाहाहाहा 
                                   है ना मेरी हंसी उडाने का सबसे अच्छा शब्द लेकिन यही सत्य है । गुरूदेव  अपनी सभा में किसी नेता अधिकारी या भ्रष्टाचारी के हाथों सम्मानीत नही होते वे ऐसे लोगों से दूर रहते हैं जो देश को क्षति पहुंचाते है लेकिन अपने पुत्रों (शिष्यों ) को उनसे लडने के लिये हथइयार दे रहे हैं । वे कहते हैं कि यदि कोई भ्रष्टारी सामने आये तो पहले उसे समझाओ ना समझे तो उसे छोटा सबक सिखाओ फिर भी ना माने तो उसका पद समाप्त कर दो । अभी तो मैं अपने आपको गुरूसेवा में 21 दिनों के लिये बंद करके रखा हुआ हूँ तीन दिनों में जो मिला है उससे 21 दिनों बाद के अपने स्वयं के होने की कल्पना करके रोमंच भी होता है । मैं अपने को मानसिक रूप से बेहतर समझता था (कभी किसी नें सम्मोहित नही कर पाया) लेकिन अब क्या हुआ है मैं स्वयं नही जानता और ना ही अब जानना चाहता हूँ । 
                                         बाकि कुछ और घटा तो फिर बताऊंगा .. बशर्ते इंटरनेट चालू रहे क्योंकि मैं अब इंटरनेट का पैसा नही पटाऊंगा ये ठान लिया हूँ ।
                 बाकि गुरूहरि इच्छा