इस चेहरे को देख कर आप क्या महसूस कर रहे हैं ... क्या आप बता सकते हैं इसका धर्म क्या हो सकता है.... नही... मैं बताता हूँ ये कौन है । ये है एक आम हिंदुस्तानी जिसे केवल अपने परिवार की रोजी रोटी की चिंता लगी रहती है । यदि शहर में हडताल हो जाये तो इसका परिवार भूखा सोता है, यदि दंगे फसाद हो जाएं तो सबसे पहले यही मरता है और अगर सरकार इसके नाम पर कुछ पैसे देती भी है तो वह सिस्टम के भ्रष्ट हाथों में चला जाता है । ये है नौशाद ।
यदि इसके चेहरे को देखें तो आप इसके धर्म से इसे नही पहचान पाएंगे, इसे ही क्या आप किसी भी भारतीय को नही पहचान सकते कि आपके बाजू में बैठा सभ्रांत युवक मुस्लिम हो सकता है । हमारे देश के मुसलमान कोई दुसरे देशों से नही आए हैं वे इसी देश की धरा से जुडे हुए हैं उसी तरह से जैसे देश के सारे क्रिश्चियन हमारे ही भाई बंधु थे जिन्हे इसाई मिशनरीयों नें लालच देकर, इलाज करके और शिक्षा देने के बहाने अपने धर्म से जोड लिये ।
हमारे देश की मजबूती के लिये अपने उन सारे भाइयों को एक मंच पर लाने की आवश्यकता है जो उलजलूल धर्म या संप्रदाय के चंगुल में फंसते जा रहे हैं या फिर तथाकथित धर्म गुरूओं के शोषण का शिकार बनते जा रहे हैं ।
भारत में मुस्लिम धर्म को लाने वाले तो मुगल थे लेकिन अप्रत्याशित तरीके से उनके फैलाव को हिंदु पंडितों ने ही बढावा दिया था । मैं स्वयं कान्यकुब्ज ब्राह्मण हूँ लेकिन आज जब भी अपने आसपास के मुस्लिम भाइयों से मिलता हूँ तो बिल्कुल नही लगता कि मैं किसी दुसरे देशवासी से बात कर रहा हूँ । जिस तरह से ऊपर नौशाद की तस्वीर देखकर आप नही बता सकते उसी तरह यकिन रखें कि कोई दुसरा भी चेहरा देखकर हिंदु मुस्लिम का अंतर नही बता सकता । अब हमें बजाये ये सोचने के कि हिंदु राष्ट्र बनाया जाये हमें ये सोचना होगा कि एक ऐसा समाज बनाया जाये जहां हर संप्रदाय केवल मानव हित की सोचे और केवल एक ईश्वर की अराधना करे । आज कई गुरूओं ने अपने अपने आश्रम बना लिये हैं जिनमे एक ईश्वर की बातें बताई जाती है लेकिन घुमा फिरा कर वे भी गीता पर आ जाते हैं यानि उनका ज्ञान कहीं ना कहीं से रटा हुआ होता है । अधिकांश धर्म गुरू हास्यापद तरीके से पति पत्नि को दीक्षा देकर भाई बहन बना देते हैं यानि संबंधों की ऐसी की तैसी करने और सामाजिक गठबंधन को तोडने वालों की कोई बात नही करना चाहता उन्हे तो लगता है कि मात्र शारीरिक संबंधो से दूरी करवाने से ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है । ऐसे तथाकथित धर्म गुरूओं नें ही हमारे सनातन धर्म का सत्यानाश करने में अहम भूमिका निभाये हैं यदि किसी मुस्लिम ने हिंदु को छू भी दिया तो वह हिंदु भी मुसलमान माना जाता था जिसे उस समय के हिसाब से धार्मिक रिवाज बना दिया गया (दलितों का उदाहरण अब भी हमारे सामने है) ऐसा होने का दुष्परिणाम ये हुआ कि हमारे ही कई पूर्वज और उनके रिश्तेदार आज मुस्लिम समाज में प्रतिष्ठित हो चुके हैं ।
( इस लेख के कई भाग परम पूज्य गुरूदेव स्वामी श्री कृष्णायन जी महाराज के द्वारा उपदेशित हैं )