हा हा हा ... ह हहा ... देखे क्या बढिया सीन है । चलो पहले बात करते हैं बांये की ..... ये हैं सेंट वेलेंटाइन जो अपनी प्यार की सेंट हमारी धरती पर धीमे धीमे छोड रहे हैं ... जबरदस्ती ही सही लेकिन इनकी तकनीक कारगर हुई है और अब सारे देश की युवा लडकियां राखी को छोड राखी सावंत को पछाडने पर तुल गई हैं । उन्हे अब दांये में रूचि नही है उन्हे तो अब बांये में ज्यादा दिलचस्पी है । अरे भाई अब गया वो जमाना जब फिल्म अछूत कन्या में अशोक कुमार देविका रानी से चार हाथ दूर होकर गाना गाते थे अब तो फूल फास्ट का जमाना है फिल्म शुरू होते ही हिरोइन के आने की खबर उसकी हिलती छातीयां दिखा कर दी जाती है । .......
अब बांये में हैं सन् 1936 की फिल्म और दांये में है 2003 की बूम , और अब तो माशाअल्लाह 2011 चालू है देखें पिछले साल के हिस्स के बाद और कौन सी चीजें अपने नौजवानों के हिस्से में आती है .।
भाई लोगों ऐसा है कि अपन तो एक बात जानते हैं कि जो काम अपने को नही आता लेकिन उसको दुसरे करते हैं तो अपन को चिढना जरूरी है । तो चलिये फिर .... देर किस बात की है भाई जाहिर सी बात है कि अब तो अपन प्रेमी रोमांस की उम्र से आगे बढ कर खरीदी प्रेम की उम्र में आ गये हैं लिहाजा चलो भारतीय संस्कृति को याद करते हुये लाठीयां तैय्यार करो और निकल चलो मेरे साथ उस मुहिम में कि जो काम हम नही कर सकते वो हमारे सामने आज के नौजवान कैसे कर सकते हैं । ...... ।।
इन बेशर्मो को अब हम नही हमारी लाठीयां सबक सिखाइंगी । ............
..... ................अरे भाई वो बापू वाली तस्वीर गलती से लग है दरअसल में मैं ये वाली लाठी की बात कर रहा था । आशा है कि मेरे लिखे लेख को अच्छा ही कहेंगे .......
हा हा हा बहुत खूब लिखा है
ReplyDeleteकरारा व्यंग्य
और वैसे भी वेलंटाइन का विरोध करने वाले साम्रदायिक कहलाते हैं
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
बिल्कुल अच्छा है जी...
ReplyDeleteबहुत रोचक व्यंग..
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