आज के दौर में हर कोई एक बात जरूर कहता है कि पैसों का जुगाड नही है वरना इतनी अच्छी प्लानिंग है कि बस.... पैसे ही पैसे कमाओ .. लेकिन क्या बताऊं केवल 5 लाख रूपयों से मार खा रहा हूँ । शायद आपने ने भी किसी से ये बात कहे होंगे या मन में सोच रखे होंगे । आज मैं आपको ऐसे व्यक्ति की बात बता रहा हूँ जिसनें सिर्फ लगन से सबकुछ हासिल कर लिया है और अब भी कर रहे हैं ।
छत्तीसगढ की शिक्षाधानी भिलाई नगरी में स्थित इंदु टेक्नीकल इंस्टीट्यूट से पूरा छत्तीसगढ परिचित है लेकिन इस संस्था के संस्थापक श्री एस. एम. उमक के बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी है कि वे किस तरह का व्यक्तित्व रखते हैं । इंदु टेक्नीकल इंस्टीट्यूट की स्थापना के पहले वे इलेक्ट्रानिक्स सामानों से कुछ ना कुछ प्रयोग करते ही रहते थे लेकिन उनके प्रयोग के दौरान जैसे ही पैसों की समस्या आडे आई उन्होने अपना स्वयं का पूरे प्रदेश (तब मध्यप्रदेश था) में पहला रोजगार की गारंटी देने वाला शुद्ध व्यवसायिक संस्थान खोल दिये नाम रखे इंदु टेक्नीकल इंस्टीट्यूट जिसमें हर युवक को उन्होने स्वयं का रोजगार शुरू करने के लिये प्रोत्साहित करना शुरू किये । मोटर बांइटिंग से लेकर कम्प्यूटर तक बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है ... लेकिन उनके प्रयोगधर्मी स्वभाव नें उनके लिये कुछ और ही मंजिल तय कर ऱकी थी जब एक संस्थान पूर्णतः स्थापित हो गया तो इहोने शिक्षा के क्षेत्र में नया प्रयोग करते हुए इंदु आऊ. टी. स्कूल की स्थापना किये जहां छोटे बच्चों के संपूर्ण विकास के लिये योजना रखी गई ।
इस दरम्यान उन्होने साफ्टवेयर पर कार्य़ शुरू किये और अपने स्कूल के बच्चों के लिये नये नये एनिमेटेड साफ्टवेयरों का निर्माण किये जिससे बच्चों का पढाई के प्रति लगाव बढते गया । इंदु आई.टी. स्कूल में हर तरह की सुविधा नाममात्र की फिस पर ली जाती है जिसके कारण पालकों का झुकाव इस स्कूल की ओर बढने लगा । हार्स राइडिंग, स्केटिंग सहित हर तरह के रूचिकर खेलों को देने के बाद भी श्री उमक नें अपने प्रयोग बंद नही करते हुये अनवरत अपना प्रयोगधर्मी व्यवहार जारी रखे ।
यदि आप भिलाई आते हों या फिर आसपास के रहने वाले हों तो एक बार इंदु आई.टी. स्कूल में जरूर जाकर देखें कि वहां लगे एक सामान को चाहे वह बिछा हुआ कालीन हो या फिर पेड पौधे , पार्किंग हो या झुले केवल एख ही व्यक्ति नें सब कुछ सजाया है और वह भी केवल अपनी परोपकारी लगन के साथ ।
इसके बाद जबकि स्कूल में उनका पूरा प्रयास सफल रहा और व ह स्थापित हो गया तो उन्होने अप्रथ्याशित रूप से एक नये प्रयोग की ओर बढते हुये इंदु अप्लायेंस की स्थापना किये जिसके अंर्तगत पूरे मध्यभारत की एकमात्र क्रिकेट बॉलिंग मशीन का निर्णाण किया जाता है । अब उनका प्रयास इस ओर है कि पूरे विश्व में सबसे कम दरों पर बॉलिंग मशीन उपलब्ध कराई जाये और वे इस प्रयास में भी सफल हो रहे हैं ।
अभ तक जो मैने लिखा इससे कई लोगों को गलतफहमी हो गई होगी कि मैं कोई विज्ञापन का काम कर रहा हूँ , यदि आपने ऐसा सोचे तो आफ अपने आप को धोखा देने वाले व्यक्ति साबित होंगे क्योंकि यहां पर मैने इंदु टेक्निकल इंस्टीट्यूट, इंदु आई.टी.स्कूल या फिर इंदु अप्लायंस के बारे में नही एक व्यक्ति के बारे में बताया हूँ । जिस तरह से आज हम बिल गेट्स, प्रेमजी अजीम या फिर नारायण मूर्थि के बारे में बातें तो करते हैं लेकिन उनकी मेहनत को अपनाना नही चाहते । आज देश में कितने लोग ऐसे हैं जिन्होने मिट्टी से आसमां तक का कडी मेहनत से सफर तय कर ऊंचाइयां हासिल किये हैं और उन्हे हम जानते हों । यकिनन ...... हम उन्हे जानते हैं ... लेकिन उन सा बनना नही चाहते .... भाई सभी लोग मेहनती हो जाएंगे तो आलस कौन करेगा ।
मैं आपकी बात से सहमत हूं। इंदू टेक्निकल स्कूल के बारे में मैंने प्रारंभ से देखा है, जाना है, चूंकि मैं राजनांदगांव से हूं इसलिए जानता हूं कि इस संस्थान के प्रमुख ने अपनी मेहनत और लगन से किस तरह ऊंचाई पाई है। उनकी लगन को सलाम।
ReplyDeleteएक दम सही कहा है भाई ...आपकी पोस्ट प्रेरणादायी है ...आपका आभार
ReplyDeleteसफलता के लिये धन नही लगन जरूरी । ..nice..
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