Saturday, December 22, 2012

समस्या से बडा बलात्कार

बडे दिनों से एक मनमोहिनी बांसुरी की गुंज सुनाई पड रही थी । कभी उस धुन से सिलेंडर मरता था तो कभी पेट्रोल जलता था लेकिन उस मनमोहिनी धुन को सुनना सबकी मजबूरी थी क्योंकि उसे बजाने वाला अपनी ही धुन सुनाने में तुला रहता था उसे इस बात से कोई फर्क नही पडता था की कोई उससे बांसुरी रोकने को कह रहा है या कोई उससे कुछ समय चुप रहने की मांग कर रहा है उसे कोई फर्क नही पडता था। तभी उसकी बांसुरी का सुर बदल कर एफडीआई पर आ गये उस धुन पर उसे सुनने वाले खूब चिखे चिल्लाये उसे चुप हो जाने को कहते रहे लेकिन कोई फर्क नही पडा आखिर लोग ही चुप हो गये और धुन यथावत बजती रही । जनता खामोश थी  उसके लिए धुन सुनना इसलिये भी मजबूरी थी क्योंि उसे पता ही नही था की वह मनमोहिनी बांसुरी बजा कौन रहा है ।  
                                                  अब उसके सुर धीरे धीरे थमने लगे ... देश जैसा का तैसा शांति पूर्वक चल रहा था अचानक एक हादसा हो गया । बांसुरी वादक के घर में ही बलात्कार हो गया वो भी ऐसा की जिसने हर किसी के रोंगटे खडे कर दिये जिसने सुना वह उत्तेजित हो गया इस बीच उसके सहयोगी जो अलग अलग वाद्य लेकर बैठे थे उनके आपसी सुर बदल गये और ध्वनी कर्कश हो गई बस फिर क्या था उसल कान फाडू संगीत को बंद कराने के लिये जनता घरों से निकल पडी । अब उसे तलाश है उस बांसुरी वादक की जो देश की   अस्मत  से खिलवाड होने के बाद भी अपने घर में बैठा चैन की बांसुरी बजा रहा है । 

Wednesday, October 17, 2012

मनमोहन के बाद कट्टर हिंदुत्व लाएगी कांग्रेस ।

ये एक दुर्लभ संयोग है की वर्तमान समयकाल जो दृष्य दिखला रहा है उसे सैकडों वर्ष पूर्व नास्त्रेदमस देख चुके हैं औऱ अपनी पुस्तक में लिख भी दिये हैं । यह अजब परिस्थिति शुरू से ही रही है की जब तक वह समय बीत नही जाता है लोगों को यह आभास तक नही होता है की नास्त्रेदमस की पुस्तक के अनुसार वह घटना घटित हो रही है । जैसा की मैने पहले भाग में लिखा था की मनमोहन सिंह वह व्यक्ति है जो हमारे देश का नेतृत्व 9 सालों तक संभालेंगे और उसके बाद कोई दक्षिण भारतीय नेता सत्ता संभालेगा । यह क्यों और कैसे होगा यह तो समय ही बतलाएगा किंतु यह तय है की वह समय किसी भी क्षण आ सकता है । 
                                           इस समय कांग्रेस के लिये कुछ चीजें जो सिरदर्द बनी हुई है वह भ्रष्टाचार , पार्टी की घटती साख और दुसरे क्षेत्रीय दलों  का बढता प्रभाव । इस समय सोनिया अपनी पार्टी की पारंपरिक निती को अपनाते हुए जो कदम उठा सकती है वह है मनमोहन को हटाने का ( या हो सकता है संयोगवश मनमोहन की मृत्यु हो जाये ) मनमोहन के जाते ही नई मंत्रणा चलेगी और पार्टी के सामने जो समस्या सबसे बडी खडी होगी वह होगी स्वयं को धर्मनिरपेक्ष बतलाने की । अभी तक कांग्रेस को मुस्लिम तुष्टिकरण की निती वाला दल माना जाता रहा है कितु सलमान खुर्शीद पर उठ रही उंगली और खुलेआम मिल रहे भ्रष्ट सबूतों के कारण अब उसका यह पत्ता पार्टी और देश दोनो के लिये खतरनाक होग सकता है यह आलाकमान समझने लगा है । 
                              वैसे भी कांग्रेस का मुस्लिम कार्ड पूरी तरह से मुलायम सिंह खेल रहे हैं इसलिये अब कांग्रेस किसी कट्टरवादी हिंदु को अगला प्रधानमंत्री बनाना चाहेगी जो दक्षिण भारत का हो इससे उसे दक्षिण भारत के क्षेत्रीय दलों का समर्थन आसानी से मिल जाएगा और मुलायम के ऊपर दबाव बढ जाएगा जो स्वयं  प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, साथ ही नरेन्द्र मोदी जिनकी छबी कट्टर हिंदुवादी की है और वर्तमान समय में उनके आगे देश के सारे नेता बौने के नजर आ रहे हैं उनसे भी काफी हद तक टक्कर लेने में पार्टी समर्थ हो सकेगी ।  कोई ऐसा व्यक्ति जो देश की सबसे बडी हिंदु बहुसंख्यक आबादी को अपनी कार्यशैली से प्रभावित करके दुसरे दलों को नेस्तनाबूत कर सके और अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का परचम वापस फहरा सके ऐसे वय्कति की तलाश शायद पूरी हो चुकी है और जल्द ही राष्ट्रपति को भी बतला दिया जाएगा की अगला प्रधानमंत्री ये रहे  ।  इस समय प्रधानमंत्री बदल कर  कांग्रेस देश का ध्यान भ्रष्टाचार से भी हटाने में सफल हो सकेगी और अरविंद केजरीवाल जैसे नये सत्तालोलुपों को भी सबक सिखा देगी । 
                                 यह सब कुछ घटित होगा मनमोहन के सत्ता संभालने के 9वें साल में और अब इंतजार करो दो छोटे छोटे देशों के बीच लडाई शुरू होने का और नवंबर में एक उल्का पिंड गिरने का ।

Wednesday, September 26, 2012

नास्त्रेदमस - तीसरे विश्वयुद्ध की आहट शुरू -1

कोई धमकी चमकी नही सीधी खरी बातें लिख रहा हूँ । मुझे कई जगह खोज करने के बाद जो जानकारी मिली वो ना केवल रोंगटे खडे करने वाली रही बल्कि नास्त्रेदमस की लिखि भविष्यकथाओं को प्रमाणिकता भी देती नजर आई । मैंने पहले भी इस बारे में लिख चुका हूं और मनमोहन सिंह के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी का आधार भी नास्त्रेदमस ही थे जिनकी भविष्यवाणी के अनुसार मनमोहन सिंह के इस देश के मुखिया बने रहने के समय काल में ही तीसरे विश्वयुद्ध की शुरूआत होने के संकेत हैं । 

            अब सबसे पहले मैने मनमोहन सिंह के बारे में सोचा की यदि नास्त्रेदमस नें तीसरे महायुद्ध के संकेत की शुरूआत के रूप में इनकी ओर इशारा किया है तो क्या बातों की समानता हो सकती है । अब आगे की बातें बाद में करते हैं पहले मनमोहन सिंह की ओर होने वाले इशारे को आप नास्त्रेदमस के शब्दों में देखें ------
 The man will be called by a barbaric name

that three sisters will receive from destiny.
He will speak then to a great people in words and deeds,
more than any other man will have fame and renown.  (सेंचुरी-1-76)

 इसमे से तीन बहनों के नाम  destiny  पर आधारित होने की बात कही गई है destiny का हिंदी में अर्थ - भाग्य, नियति या प्रारब्ध होता है । मनमोहन सिंह की तीन बेटियां हैं (जो आपस में सगी बहनें हैं) इनके नाम उपेनदर कौर, दमन कौर और अमृत कौर हैं । अब  मैने सोचा इनके नाम भाग्य पर आधारित कैसे हैं  सबसे पहले इनके नाम के पीछे लगा कौर जो हर सिक्ख महिला के नाम में जोडा है इसका अर्थ होता है समृद्धि (जो भाग्य से ही मिलती है) इसके अलावा उपेनदर का अर्थ - उप राजा या छोटे इन्द्र का पद होता है और यह भी भाग्य से मिलता है है, दमन या पतन तभी होता है जब भाग्य में लिखा होता है और अमृत केवल भाग्य से मिलता है । 
                                यानि मनमोहन की तीनों बेटियों के नाम भाग्य पर आधारित हैं और किसी जानवर के नाम वाली जाति पूरे विश्व में केवल सिंह जाति ही है ।
                                   गुरू गोविंद सिंह नें श्रीदशमग्रंथ साहिब में चौबीसवें निष्कलंक अवतार के रूप में महान योद्धा के जन्म लेने की बात लिखें हैं जो भ्रष्टचार, अनैतिकता, अराजकता, अधर्म, नास्तिकता, भोग-विलास, अश्लीलता, अनाचार और कुकर्मों के दौर में प्रकट होगा । वर्तमान समय में हमारा देश इसी दौर से गुजर भी रहा है । 
                             इसके बाद की कुछ भविष्यवाणियां जो वर्तमान काल में पूरी होती जा रही हैं या होने को तैय्यार है उनका कुछ विश्लेषण  भी करने का प्रयास किया हूँ  जैसे--

The false trumpet concealing madness
will cause Byzantium to change its laws.
From Egypt there will go forth a man who wants
the edict withdrawn, changing money and standards.
इसमें मध्य एशिया के किसी देश का जिक्र है जहां नए किस्म के धन (संभवतः तेल) के कारण जीवन स्तर बदलने के संकेत हैं तथा धार्मिक फतवे जारी होने की बातें हैं ( वर्तमान में इरान एख ऐसा देश है जो अपने नये धन के कारण अपनी ताकत पूरी दुनिया को बतलाता है औऱ साथ ही वहीं से सबसे ज्यादा फतवे जारी होते हैं )

Alas, how we will see a great nation sorely troubled

and the holy law in utter ruin.
Christianity (governed) throughout by other laws,
when a new source of gold and silver is discovered. (सेंचुरी-1-49) इसमें नये धन श्रोतों के कारण इसाइयों के लिये सिरदर्द बनने वाले धर्म के बारे में कहा गया है । इस समय सभी ईशाइ देशों के लिये अरब देश सरदर्द बने हुए हैं ।


Nine years the lean one will hold the realm in peace,

Then he will fall into a very bloody thirst:
Because of him a great people will die without faith and law
Killed by one far more good-natured. (सेंचुरी 2-9) 

इसमें इशारा है एक दुबले पतले नेता का जो 9 साल तक शांतिपूर्वक देश चलाने के बाद उसे घातक संघर्ष में धकेल देगा तब उसी के दल का दुसरा नेता आकर उसे मारेगा । मुझे इस समय अपने देश के मनमोहन के अलावा दुसरा कोई नही दिख रहा है । उनके शासन का यह 9वां साल है (2004 से 2012 तक) जो भारी उपद्रव से भरा हुआ लग रहा है । इससे जाहिर तौर पर ऐसा लगता है की कोई दुसरा नेता जो संभवतः दक्षिण भारतीय होना चाहिये मनमोहन के बदले सत्ता संभालेगा और गुरूवार को अवकाश घोषित करवाएगा ।
Eyes closed, opened by antique fantasy,
The garb of the monks they will be put to naught:
The great monarch will chastise their frenzy,
Ravishing the treasure in front of the temples. (सेंचुरी2- 12) इसमें बंद आँखो का जिक्र है जो हमारे देश के कानून के बारे में कही जाती है साथ ही हम अपने उन नेताओं के संदर्भ में भी कह सकते हैं जो अपने धर्म को भूल चुके हैं और एक महान सम्राट के द्वारा उन्हे मंदिर तोडने का दंड दिये जाने से संबंधित लगती है ।   
At Tours, Gien, guarded, eyes will be searching,
Discovering from afar her serene Highness:
She and her suite will enter the port,
Combat, thrust, sovereign power. (सेंचुरी 2- 14 ) इसमें संभवतः किसी द्विप को लेकर होने वाली निगरानी और विवाद का  जिक्र है जो की वर्तमान समय में चीन, जापान और ताइवान में शुरू हो चुका है  ।                                   
                                         शेष अगले भाग में .................             

Sunday, August 19, 2012

ये है भगवा हिंदु आतंकवाद


   मैं अमन-ओ-चैन की परवाह नहीं करता

   दंगा-ओ-फसाद, अजी इनआम है मेरा !

   करता हूँ दिलो जान से, पाकिस्तान की परस्तिश

   कहते हैं जिसे कुफ्र, वह "इस्लाम" है मेरा !!

   अल्लाह ने बख्शा है, मुझे रूतबा-ए-घौंचू

                                                         चूतिया जिसे कहते हैं, वही बाम है मेरा !!

                 धन्य है ब्लॉगर सलीम खान (स्वच्छ संदेश में देखियेगा कितने अच्छे देशभक्ति के संदेश हैं )  जिसने कबूल तो किया कि लखनऊ की तहजीबी नगरी में उसने कैसी तमीज सीखी है । इसने लिखा आइये देखिये हिंदु-आतंकियों का जलील चेहरा और बढिया बढिया हिंदु नेताओं की और कारसेवकों की तस्वीरें लगा दिया । मैने सोचा कि इसके ब्लॉग पर ही धनिया बो दूं लेकिन फिर सोच क्या मतलब ये तो दन् से मेरी प्रतिक्रिया उडा देगा इसलिये अपने ब्लॉग पर लिखने के बाद उसे लिंक दूंगा ।
                                                 (हालांकी ये मेरा सन 2010 में लिखा लेख है लेकिन मुझे लगता है की मेरी कुछ रचना कालजयी हैं जो हर वक्त पर कहीं ना कहीं फिट होती रहती है इसलिये उन्ही रचनाओं में थोडा परिवर्तन कर प्रस्तुति दे रहा हूँ ) 
                                    
                                                                मिस्टर घोचू (इसे आपने अपना रूतबा कहा है जनाब ) आपने जो लिखा है उसमें आपका दोष नही है क्योंकि ये आपके भीतर की भडास है जो आप अपने पूर्वजों पर व्यक्त नही कर पा रहे हैं । मैं आगे की कोई बात लिखने से पहले आपको एक सलाह दूंगा कि आप अपने मां बाप से पूछो कि तुम्हारा खानदान कब से मुसलमान है । अब ये मत कह देना कि जब से इस्लाम बना है तब से तुम लोग मुसलमान हो क्योंकि ऐसा होता तो तुम्हारा चेहरा ओसामा बिन लादेन और अरबी शेखों की तरह होता ना कि आम हिंदुस्तानी भारतीयों की तरह । तुम्हारे हिंदु  आतंक को संबोधित लेख के जवाब में मैं कई मुस्लिम आतंकवाद की घिनौनी तस्वीरें भेज देता जिनमे से सबसे नई तो दो चार माह पुरानी ही होती । आपने तो 1992 की बाबरी मस्जिद की तस्वीरें भेजी हैं तो ये क्यों नही बताया जनाब कि ये रही हिदु आतंकवाद की 2010 की तस्वीरें ?
                                    बाबरी मस्जिद जो किसी बाबर नाम के आक्रमणकारी नें भारत में आकर हमारे धर्म पर, हमारी आस्था पर हमला करके हमारे देश के प्रथम युगपुरूष श्री राम की जन्मभूमि पर कब्जा कर मस्जिद बना दिया था उसे तोड कर अपनी हजारों साल पुरानी सभ्यता को वापस पाने की मुहिम चलाने पर हिंदु आतंकवादी बन गये लेकिन आप क्या रहे हैं सलीम मिंया... आप बजाए ये सोचने के की हो सकता है उस आक्रमणकारी आतंकवादी बाबर के साथ आए मुस्लिम सैनिकों में से या खुद बाबर नें तुम्हारी किसी पूर्वज औरत की इज्जत तार तार करके जबरन मुस्लिम बना दिया जिसके कारण बाबर की मौत के बाद भी तुम उसके धर्म को मान रहे हो । सलीम भाई सोचो कि तुम कौन हो अगर तुम अपने को मुसलमान मानते हो तो तुम्हे ये स्वीकार करना होगा कि तुम कायर हो और अपने पूर्वजों के अत्याचार को सह रहे हो तुम ये नही सोचते हो कि जबरन गऊमांस खिलाकर तुम्हारे पूर्वजों को धर्मभ्रष्ट कर दिया गया था और तुम अपने पुरखों की जबरदस्ती को आज अपने रिवाज में शामिल कर लिये हो । सोचकर देखो और जरूरत पडे तो इतिहास में झांककर देखो कि रेगिस्तान से आए अरब लोगों को गाय का मांस कहां मिला होगा ? जवाब आपके पास नही है कोई बात नही  मैं देता हूँ -
                                बाबर का जन्म फ़रगना घाटी के अंदिजन नामक शहर में हुआ था जो अब उज्बेकिस्तान  में है। उसके पिता उमर शेख़ मिर्ज़ा, जो फरगना घाटी के शासक थे । हालाँकि बाबर का मूल मंगोलिया के बर्लास कबीले से सम्बन्धित था पर उस कबीले के लोगों पर फारसी तथा तुर्क जनजीवन का बहुत असर रहा था, वे इस्लाम में परिवर्तित हुए तथा उन्होने तुर्केस्तान को अपना वासस्थान बनाया।  मंगोल जाति (जिसे फ़ारसी में मुगल कहते थे) का होने के बावजूद उसकी जनता और अनुचर तुर्क तथा फारसी लोग थे। उसकी सेना में तुर्क, फारसी,पश्तो के अलावा बर्लास तथा मध्य एशियाई कबीले के लोग भी थे। बाबर के चचेरे भाई मिर्ज़ा मुहम्मद हैदर ने लिखा है कि उस समय, जब चागताई लोग असभ्य तथा असंस्कृत थे तब उन्हे ज़हिर उद-दिन मुहम्मद का उच्चारण कठिन लगा। इस कारण उन्होंने इसका नाम बाबर रख दिया। इन रेगिस्तानी कबीले वालों का एक ही काम हुआ करता था दुसरे कबीले पर हमला करके उनकी औरतें और ऊंठ और भेडों को लूटना । रेगिस्तान में गाय नही होती हैं इन्हे अखंड भारत के लोगों को गऊमांस इसलिये खिलाया जाता था ताकि इसके बाद उन्हे अन्य हिंदु लोग अलग कर दें और उस समय की हिंदु परंपरा के अनुसार गऊभक्षकों को अछुत कहकर  सनातन धर्म की सभी    जातियों और संप्रदायों द्वारा अलग कर दिया जाता था  जिसके कारण मुस्लिमों को अलग से बसने की जगह मिलती गई ।
                            इसके बाद भी कहने को बहुत कुछ बचता है सलीम खान साहब जिस समय बाबर आया था उस समय हमारा देश धर्म में नही जातियों , वर्णों और  संप्रदायों में बंटा हुआ था और सभी केवल सनातन धर्म को ही मानते थे ।  रेगिस्तान की औलाद बाबर और उसके साथियों नें हमारे देश के धन को लूटा, औरतों की इज्जत तार तार कर दिये, बच्चों का जबरन खतना किया गया, आदमीयों को गऊमांस खिलाया गया ताकि उनका जनेऊ उतर जाए,  मतलब ये कि बाबर नें जो धर्म परिवर्तन किया उसका एक उदाहरण आप भी हो सकते हैं ।
                                अब आप देखिये हमारी भारत माता की पावन धरा का असर की बाबर जैसे आतताई, क्रूर हत्यारे और लुटेरे का पौत्र अकबर इसी धरती पर हिदु मुस्लिम एकता का अनुपम उदाहरण देते हुए दीन ए इलाही का गठन करता है  अल्लाह हो अकबर तो आज भी आप कहते हैं खान साहब ।
                    घोंचू  साहब सोचीये कि भारतीय मुस्लिमों के चेहरे हिंदुओं के चेहरों से क्यों मिलते हैं । हां एक बात और है कि -
                       मुस्लिम पीर पैगंबरों नें अपनी सिद्धियों के एवज में भी धर्म परिवर्तन कराने में भूमिका निभाई है । आपके शहर के आसपास ही कोई जगह है जिसे मौदहा के नाम से जाना जाता है आज की पीढी से तीन पीढी पहले तो वह ठाकुरों का गांव हुआ करता था सलीम साहब आपसे अनुरोध है कि उस घटना के बारे में आप बताएं तो ज्यादा अच्छा होगा कि मौदहा के साथ के 12 गांव और मुसलमान क्यों बने ---  क्योंकि हम तो ठहरे हिंदु आतंकवादी भला हमारी बात आप कैसे समझ सकेंगे ।

Saturday, August 18, 2012

झण्डा उल्टा रहे हमारा ।

 वैधानिक चेतावनी - कृपया देश भक्ति की विचार धारा वाले इसे ना पढें । उनकी विचारधारा पलटने का खतरा है , इसके लिये लेखक याने मैं यानि की डब्बू मिश्रा किसी रूप से जवाबदार नही रहूँगा ।
                   
                          हमारे क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित नेता का नाम था राम इकबाल मिश्रा अब जाहिर सी बात है उनका इंतकाल (निधन नही) हो गया है इसलिये उनके बारे में ज्यादा बातें ना करके केवल नाम और काम की बातें करेंगे । 
                             आजकल कैटरीना कैफ के संबंधों की बडी चर्चा है कभी शाहरूख तो कभी सल्लू के बीच लेटने वाली इमेज बनाकर मिडिया नें उन्हे मुसलमानों की वेश्या बना दिये हैं । यहा तक की विकी पिडिया लिखता है - कश्मीरी पिता और ब्रिटिश माँ के यहाँ जन्मी कैफ़ अपने माता-पिता की आठ संतानों में से एक है।[2] उनका पालन पोषण हवाई में हुआ, और उन्होंने 14 वर्ष की उम्र में मॉडलिंग शुरु की, जब उनसे एक आभूषण अभियान के लिए संपर्क किया गया। उसके बाद वह लंदन में मॉडलिंग करने लगी। अभी वह अभिनेता सलमान खान के साथ डेटिंग कर रही है , यानि उनकी उपलब्धी में शामिल है सलमान के साथ डेटिंग ......... अरररररर मैं तो काम की बातें पहले बताने लगा । चलो काम की बातें यहीं समाप्त करते हुए नाम की बात करते हैं ...
                 हां तो मैं कह रहा था की हमारे देश में राम इकबाल मिश्रा जैसे कई हिंदू और भी मिल जाएंगे  जो अपने  पिता के दिये नामों में किसी मुस्लिम नाम को जोड कर स्वयंसिद्ध धर्मनिरपेक्ष बन जाते हैं ठीक उसी तरह से जैसे गयासुद्दिन गाजी नें अंग्रेजों से जान बचाने के लिये अपना नाम गंगाधर कर लिया और उपनाम रखा नहरवाले नेहरू यानि जवाहर लाल नेहरू के दादा  और उस नेहरू की लडकी इंदिरा नें जब फिरोज खान से शादी कर ली तो धर्म सद्भावना व नेहरू खानदान की इज्जत बचाने के लिये मोहनदास नें देश का करम फोडते हुए उसे स्वयं-भू हिंदु धार्मिक संत की तरह मुसलमान को गांधी उपनाम दे दिये ( ये अलग बात है की मरते दम तक फिरोज ने कभी खुद को गांधी नही कहा और सभी जगह वो फिरोज खान ही  कहे गये )  ।
                          ओह मैं फिर भटक गया  ........ बात तो मैं झण्डे की कर रहा था ना ।  हां तो मैं बता रहा था की  किस तरह से हमारे देश में आसानी के साथ हिंदु धर्म से  खिलवाड किया जा सकता है । अजमल कसाब जैसे आतंकवादीयों को मोहनदास की तथाकथित संतान कांग्रेस सरकार केवल इस लिये पालना मजबूरी बताती है क्योंकी उनके किसी पूर्वज को गाजी से नेहरू बनना पडा था । अब रही बात आतंकवाद की तो देश में अब सांप्रदायिक दंगे होना इसलिये जरूरी है क्योंकी कांग्रेस को मालूम है की देश में तभी तक उनकी सरकार है जब तक देश अशांत है । देसी मुसलमानों ने कांग्रेस के साथ धोखा करके उसे यूपी चुनाव में नीचा दिखा दिये तो उसने उन मुसलमानों से बदला लेने के लिये बांग्लादेश, म्यांमार औऱ बर्मा से कट्टरपंथी मुसलमान आयात किये जो उसकी सहायता कर सके । 
                                                          अब बात हो रही है आतंकवाद की तो ढण्डा कहां से आया ... अरे भाई जब देश के लगभग हर क्षेत्र में देश आतंकवाद, जातिवाद और सांप्रदायिक दंगे झेल रहा है आम जनता मपर रही है और एक आप हो की बस .... झण्डे के पीछे पडे ुए हो...अब झण्डे में हरा ऊपर हो भगवा... झण्डा तो जवाहर का ही बनाया हुआ है ना .. वो कभी सीधा हो ही नही सकता ..क्योंकी मुसलमान उसे ऊपर करेंगे औऱ हिंदु नीचे ... इसलिये सीधा हो या उल्टा रहेगा तो तिरंगा ही ना ...देखा कितनी अच्छी सोच रखी थी हमारे प्यारे जवाहरी ओह जवाहर नें ।

Saturday, July 21, 2012

कांग्रेस की राजनीती से हिंदु नदारद, ईसाइयों का वर्चस्व ।


 क्यों ...क्या मैने कोई नई बात कह दिया है क्या..... हमारे देश के महान कांग्रेसियों यदि आप हिंदु हैं तो इसे जरूर पढें और सोचें की क्या आपकी अपनी ही पार्टी में एक जोकर से ज्यादा की हैसियत है क्या । जिस समय राजीव गांधी की मौत हुई उस समय बजाय किसी भारतीय कांग्रेसी को बैठाने के आप लोगों नें एक ऐसी औरत का चुनाव कर लिये जो ना केवल कांग्रेस पार्टी की  वरन पूरे देश के लिये घातक बन गई है । मैं यहां साफ साफ कहूंगा की सोनिया गांधी एक ऐसी महिला हैं जो पूर्ण रूप से मिशनरी के हाथो की कठपुतली हैं । आप कांग्रेसी होकर भी किसी महत्वपूर्ण पद पर इसलिये नही बैठ सकते क्योंकि आपमें गुलाम बनने की आदत शुमार नही है आपका अपना जमीर जिंदा है वरना आप प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं । 
                  स्व. श्री अर्जुन सिंह, शरद पवार, पं. श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल, माधवराव सिंधिया सहित ना जाने कितने सशक्त  हिंदु कांग्रेसी नेता थे और हैं भी लेकिन किसी हिंदु के मजबूत बनने पर देश भी मजबूत बन जाता और मैकाले की शिक्षा पद्यति में आमूलचूल परिवर्तन हो जाते जो किसी भी हालत में मिशनरी को स्वीकार नही हो सकता था । मिशनरी आझ पूरे देश पर राज कर रही है । मैं इस भारत देश के सारे हिंदु कांग्रेसियों को आइना दिखा रहा हूँ । अगर अब नही चेते, समझे तो अपनी औलादों को क्या समझाओगे ये अभी से समझना होगा । सोनिया की ताकत केवल पार्टी से ही है अगर किसी भी राज्य से केवल 500 कांग्रेसी इकट्ठा होकर सोनिया के विरोध में किसी हिंदु संगठन के साथ खडे हो जाएंगे ...यकिन मानिये सोनिया माईलो गांधी उसी तरह से गायब हो जाएगी जिस तरह से बीमारी का बहाना करके अन्ना के आंदोलन के समय ढाका से गायब होकर अमेरिका में मिली थी ।     
                                  किसी भी देश की ताकत उसके मंत्रालय होते हैं ...वर्तमान में हमारे देश के सारे मंत्रालयों पर केवल ईसाइ या मुस्लिम बैठे हुए हैं और हमारे देश के महान हिंदु कांग्रेसी सोनिया की चाटुकारिता में अपना धर्म भूल रहे हैं । जयचंद को कोसने वाले कांग्रेसियों को अब अपने गिरेबान में झांकने का समय आ गया है ... नीचे हमारे भारत देश के पदों पर आसिन नेताओं के नाम पद के साथ हैं इनमें से जिने भी नामों के आगे >>> लगे हुए हैं वह सभी विभाग सीधे ईसाइ मिशनरी या फिर सोनिया माईनो के आधीन हैं और इन्ही पदों पर नियंत्रण रखते हुए वर्तमान में कांग्रेसियों की यह त्याग की मूर्ति दुनिया की चौथी सबसे रईस महिला राजनेता बन गईं है ।  (सोनिया गाँधी का असली नाम “सोनिया” नहीं बल्कि “ऎंटोनिया” है, यह बात इटली के राजदूत ने 27 अप्रैल 1983 को लिखे पत्र में स्वीकार की है, यह पत्र गृह मंत्रालय नें अपनी मर्जी से कभी सार्वजनिक नहीं किया। “एंटॊनिया” नाम सोनिया गाँधी के जन्म प्रमाणपत्र में अंकित है। सोनिया गाँधी को “सोनिया” नाम उनके पिता स्व.स्टेफ़ानो माईनो ने दिया था। ...सुरेश चिपलुनकर जी के ब्लॉग से )  
नीचे                 


>>>1. प्रधानमंत्री के साथ ही उन मंत्रालयों और विभागों का प्रभार
जो किसी मंत्री को नहीं सौंपे गए हैं।
इनमें कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन, योजना मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा
तथा अंतरिक्ष विभाग शामिल हैं। ..........................डॉ. मनमोहन सिंह (जो भी काम,जानकारी आए मैडम से मिले )
>>>>>2. कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय .........  शरद पवार 
>>>>>>3. रक्षा मंत्रालय .................  ए. के. एंटनी 
>>>>>4. गृह मंत्रालय ...................  पी. चिदंबरम 
>>>>>5. विदेश मंत्रालय ................ एस. एम. कृष्णा
6. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय.......................... श्री विलासराव देशमुख 
>>>>>7. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ...........  गुलाम नबी आजाद 
8. ऊर्जा मंत्रालय ................ श्री सुशील कुमार शिंदे
 >>>>>9. कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय .............. एम. वीरप्पा मोइली 
>>>>>10. नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय............ फारूक अब्दुल्ला 
>>>>>11. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ........... एस. जयपाल रेड्डी (कहां कहां मिल रही है गैस पहले हमें बताना ताकि ठेके अपने लोगों को दिये जा सकें और हां 27 प्रतिशत पेट्रोल पंप अपने लोगों के लिये आरक्षित कर दो )
12. शहरी विकास मंत्रालय............. श्री कमलनाथ
>>>>>13. प्रवासी भारतीय मामले का मंत्रालय ...........  वायलार रवि 
>>>>>14. सूचना और प्रसारण मंत्रालय........... अम्बिका सोनी 
>>>>>15. श्रम और रोजगार मंत्रालय......... मल्लिकार्जुन खड़गे 
>>>>>16. मानव संसाधन विकास, दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय....  कपिल सिब्बल (पुच्च्च्च् ध्यान रखना शिक्षा प्रणाली मैकाले साहब से बाहर की ना होने पाए वैदिक ज्ञान सांप्रदायिक घोषित करो
17. वाणिज्य और उद्योग और कपड़ा मंत्रालय .......श्री आनंद शर्मा
18. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय........... श्री डॉ. सी. पी. जोशी
>>>>>19. आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन तथा संस्कृति मंत्रालय........... कुमारी शैलजा
20. पर्यटन मंत्रालय........ श्री सुबोध कांत सहाय
>>>>>21. पोत परिवहन मंत्रालय.........  जी. के. वासन ( ध्यान रखान अपना माल जा रहा है )
22. संसदीय कार्य तथा जल संसाधन मंत्रालय......... श्री पवन कुमार बंसल
23. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय....... श्री मुकुल वासनिक
>>>>>24. रसायन और उर्वरक मंत्रालय...........  एम. के. अलगिरि (
25. भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय.......... श्री प्रफुल्ल पटेल
26. कोयला मंत्रालय ...............श्री श्रीप्रकाश जायसवाल
>>>>>27. विधि और न्याय मंत्रालय तथा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय.......  सलमान खुर्शीद (अब समझे ..क्यों आतंकियों को चिकन बिरयानी और प्रज्ञा को यातनाएं दी जा रही है, बालकृष्ण को जेल के अंदर और सुब्बा को संसद के भातर रखा जा रहा है )
>>>>>28. जनजातीय मामलों के मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय........ वी. किशोर चंद्र देव 
29. इस्पात मंत्रालय....... श्री बेनी प्रसाद वर्मा 
30. रेल मंत्रालय......... श्री मुकुल रॉय 
31. ग्रामीण विकास मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय.....श्री जयराम रमेश
32. नागरिक उड्डयन मंत्रालय.........श्री अजित सिंह 
                                      तो मेरे प्यारे हिंदुस्तान के क्रिश्चियन बन रहे कांग्रेसी भाइयों ... आप क्या कहेंगे ... मुझे गाली देंगे ... धमकी देंगे ... या फिर सीधे हमला कर देंगे..... लेकिन एक बात सोचकर देखो की क्या केवल पैसों से ही हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारी परंपरा , हमारा धर्म चल रहा है । ....नही पैसे की चाह केवल दुसरे धर्म के लोगों को होती है इसलिये वे बारबार हमें लुटने आते रहते हैं .....हमारे देश में केवल तीन धर्म हैं हिंदु , मुस्लिम और ईसाइ........
                             सिक्ख, जैन औऱ बौद्ध तो हिंदु धर्म की ही शाखा हैं ....यदि वे माने तो भी ना माने तो भी ... हमारे देश के धर्म को तोडकर जातियों को धर्म में परिवर्तित कर दिया गया है और ना उन्हे कुछ मिला है और ना हमें कुछ मिल रहा है ।

Friday, July 20, 2012

देश में बढते कार्टुनी बच्चे ।

हिन्दू धर्म एक बहती हुई नदी के समान है, जिसमें कई प्रकार की धाराएं आकर मिलती हैं और उसी में एकरूप होती हैं… इस बहती हुई नदी की गहराई में विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु पनपते हैं जो आपसी साहचर्य से रहते हैं…...

ये शब्द लिखे मिले श्री सुरेश चिपलुनकर जी की फेसबुक वाल में औऱ बस फिर क्या था  उन्हे धन्यवाद देते हुए हम भी मैदान में आ गये । जिस तरह से हमारे वेद पुराणों को भुलाते हुए सुपरमैन, बैटमेन, बेन10 वगैरह वगैरह जैसे ना जाने कितने कालपनिक चरित्र हमारे बच्चों के मन में बस चुके हैं । बच्चे कार्टुन देखते हैं और हम एक दुसरे को बताते रहते हैं की देखो ना जब देखो तब बच्चे बस कार्टुन चैनल लगाकर अपने में मस्त रहते हैं ।...लेकिन क्या सचमुच बच्चे  अपने में मस्त रहते हैं ...नही वे ना केवल कार्टुन में मस्त रहते हैं बल्कि जीवन शैली में उसी चरित्र को उतारने का प्रयास करने लगते हैं । मैं अपने बडे बेटे प्रणव को देश के उन 85 प्रतिशत बच्चों में सम्मिलित देखता हूँ जो   12 साल की उम्र होने के बाद भी वह टीवी में कार्टुन चैनल देखना ज्यादा पसंद करता है और पापा देखते ही डिस्कवरी चैनल लगा लेता है । 

          सवाल ये नही की मेरा बच्चा क्या कर रहा है सवाल ये है की इसमें मेरा स्वयं कितना दोष है .... इसमें मैं स्वयं बहुत बडा दोषी हूं प्रणव को पूरा समय ना दे पाना, व्यवसाय का तनाव उसके सामने जाहिर करना और सबसे बडी बात वैदिक पढाई से उसे दूर रखना । .......... । मैने महसूस किया की मैं स्वयं अपने को अपनी प्राचीन शिक्षा पद्यति से दूर होता महसूस कर रहा हूँ । पूजा पाठ में पूरा समय ना दे पाना , बडों को आदर ना देना, चरण स्पर्श करने में हिनता महसूस करना...आखिर ये क्या हो रहा है क्यों मैं और मेरे बच्चे उस विद्या से दूर हो रहे हैं जिनकी बुनियाद पर मेरे संस्कार, मेरा अर्थशास्त्र, मेरे देश की राजनीति, दुश्मनो के लिये कूटनीती सब कुछ खडी थी कहां गया वो बुनियादी ढंचा । अब बच्चे राम औऱ कृष्ण के बने कार्टुन चरित्र देख रहे हैं ऐसी कहानियों के साथ जिनका कोई सिर पैर नही है यानि ...कोरी कल्पना जबकी रामायण से लेकर महाभारत तक सब कुछ वास्तविक घटनाएं हैं । वह हमारा ऐसा इतिहास है जिसे हमें याद रखना होगा और अपने बच्चों को बताना होगा ...लेकिन कैसे ....यह मुझे समझ में नही आ रहा है । 
                                                           कुछ दिन पहले मेरे छोटे बेटे नें अपनी क्लास 5 की पुस्तक पढते हुए पुछा की पापा आपको पता है चिकन में कितनी कैलोरी होती है ..... मैं सन्न रह गया लिखा था चिकन में हरी सब्जियों की तुलना में 25 प्रतिशत ज्यादा कैलोरी होती है ... मात्रा का अता पता नही और लिख दिया गया था की इतने प्रतिशत ज्यादा ...मैने रात 9 बजे के आसपास बच्चे के स्कूल के एम.डी. को फोन करके सीधे पुछा की सरजी चिकन में कैलोरी की मात्रा बताएं... वह हडबडा गये बोले क्या बात है मिश्राजी इतनी रात को ये बात कैसे ...मैने उन्हे पूरी बात बताई तो उन्होने कहा की कल बच्चे के साथ उस पुस्तक को मेरे पास भेजिये ...मैने दुसरे दिन भेजा दोपहर को उनका फोन आया और उन्होने बताये की क्सास 5 की सभी कक्षाओं को सूचित कर दिया गया है की उस चैप्टर को हटा दिया जाए । ....... । लेकिन क्या यह उस समस्या का स्थाई समाधान हुआ .. इससे बाकी स्कूली  बच्चे क्या शिक्षा लेंगे । कक्षा नौंवी तक सभी बच्चों को पास करना जरूरी कर दिया गया है इससे शिक्षा के उस मापदण्ड का क्या होगा जो हमारे बुजुर्गों नें तय किये हैं । इतिहास में क्या पढाया जा रहा है उससे हम सब वाकिफ हैं लेकिन क्या कर रहे हैं ये नही सोचे...सोचने का समय भी नही है अब तो बस मैकालें अंकल का बताया पाठ पढ रहे हैं हम लोग और बच्चों को बता रहे हैं सब्जी छोडो चिकन खाओ ...दुध छोडो अण्डे खाओ....यानि अपनी परंपरा के साथ साथ हम बच्चों को धर्म से दूर करते जा रहे हैं ।
                                                                 एक समय था जब ब्राह्मणों के घर अण्डा या मांस मच्छी कहने पर कुल्ली करवा दी जाती थी और अण्डा छूने पर नहाना पडता था उन्ही ब्राह्मणों  घरों के बच्चे सुबह आमलेट दोपहर को केएफसी शाम को पिज्जाहट और रात में बीयर के साथ तंदूरी मुर्गा खाकर घर पहुंचते हैं और माँ बाप को पता भी नही चलता की बेटा क्या कर रहा है क्योंकी सबको जीने की आजादी सरकार नें दे दी है ....
                                              हमारे हिंदु धर्म के वर्णों को तोडकर अलग अलग धर्म बना दिया गया , एकल परिवार को बढावा दिया गया, परिवार नियोजन केवल हिंदुओं पर लागू करके रखा गया, आदिवासी ईसाइ बन गये हैं लेकिन उन्हे आरक्षण आदिवासियो का दिया जा रहा है , मुगलों के देश में आने पहले बने हमारे मंदिरों को मस्जिद, मजार और दरगाह माना जा रहा है , हमारा देश गाय बैलों के मांस का दुनिया का सबसे बडा निर्यातक बनने की ओर है ...............
                                         और हमारे बच्चे कार्टुनी चरित्र बनने की ओर.......पहली बार लिख रहा हूँ ...वंदे मातरम्

Thursday, June 21, 2012

मिशनरी बनेगी राष्ट्रपति ???

पी.ए. संगमा , 13वें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार । संगमा एक निर्भिक छबी वाले कद्दावर नेता हैं जो पार्टी के नामों से कम और व्यक्तिगत रूप से ज्यादा जाने जाते हैं । मैने फेसबुक में कई बार इस बात का जिक्र किया था की सोनिया गांधी चाहे जिसका नाम राष्ट्रपति के रूप में सामने लाए , बात एक ईसाइ पर जरूर ठहरेगी । जी हां वह नाम है पी.ए. संगमा का ... और इस नाम को लाने वाला कोई विदेशी नही स्वयं को हिंदुत्व का प्रबल समर्थक कहलाने वाली भारतीय जनता पार्टी है । जैसा की मेरा मत था की किसी ईसाइ नाम को सामने लाने वाली कांग्रेस पार्टी या सोनिया गांधी होंगी लेकिन अफसोस मेरी धारणा चूर चूर हो गई और मैने पाया की भाजपा भ मिशनरी की चाल में आ गई है या फिर कह सकते हैं की बिक गई है ( कई बार बिकने के प्रमाण हाजिर हैं कांधार से लेकर संसद तक ) ।
                                  अब जबकी   पी.ए. संगमा   जो की वेटिकन सिटी , रोम के मानद सदस्य हैं उनके खिलाफ सोनिया कैसे वोट करेंगी इसलिये मुझे पूरा यकिन है की कांग्रेस पार्टी या फिर पूरे यू.पी.ए. में फूट दिखाने की कोशिशें की जा रही है और सामने जाहिर किया जा रहा है की प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार है , जबकि हकीकत ये है की यदि सोनिया गांधी नें संगमा का नाम प्रस्तावित की होती तो लोग इसके पीछे मिशनरी के होने की संभावनाएं भले व्यक्त नही करते लेकिन सोनिया का धर्मप्रेम उजागर हो जाता किंतु अब .... अब क्या......
                                      अब बचते हैं कुछ सवाल जो पुछने है भाजपा से ---

  •  क्या कारण है की राष्ट्रपति पद के लिये उपयुक्त उम्मीदवार की तलाश भाजपा ने पहले से करने का प्रयास नही  की ।
  •  बीजेपी नें पहले से राष्ट्रपति पद की तैय्यारी क्यों नही की 
  • आडवाणी, जेठमलानी, जसवंत सिंह सहित कई वरिष्ठ लोग थे जिन्हे इस पद के योग्य माना जा सकता था , इन्हे नजरअंदाज क्यों किया गया 
  • पी.ए. संगमा नें तथाकथित रूप से सारी कैम्पेन खुद किये हैं और यदि ये जीतते हैं तो जाहिर है की किसी भी दल को इसका श्रेय नही मिलेगा और संभवतः ये अब तक के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति होंगे जिन पर कोई भी दवाब नही बना सकेगा ... यानि इनका निर्णय़ व्यक्तिगत भी हो सकता है । भाजपा को इस प्रत्याशी से क्या लाभ होगा या देश का कैसे हित होगा बताए ।
  • जब समय है राष्ट्रपति के चुनाव का उस समय नरेन्द्र मोदी  को प्रधानमंत्री बनाने का मामला क्यों उठाया जा रहा है  जबकी इस समय इस बात का कोई औचित्य नही है  ।
  • बीजेपी किसके दिमाग से चल रही है और संसद में सही विपक्ष की भूमिका क्यों नही निभा रही है , जबकि सारा देश रामदेव और अन्ना हजारे जैसे अविश्वसनीय लोगों को समर्थन दे रहा है उस समय जनता बीजेपी पर भरोसा क्यों नही कर रही है ...
                                                          देश की बदहाली के लिये जितनी जिम्मेदार यूपीए सरकार   है उससे कहीं ज्यादा विपक्ष है , सरकार तो नाकाम हो ही रही है विपक्ष भी कम नाकाम नही रहा है । जिस समय भ्रष्टाचार के मामले उठते हैं उसी समय भाजपा की अदरूनी कलह उजागर होने लगती है । भले ही यह सोची समझी साजिश हो किंतु है वह देश के लिये घातक साबित हो रही है । कभी कलमाणी तो कभी येदुरप्पा चाहे भाजपा हो या कांग्रेस भ्रष्टाचार की कालिख में दोनो ही लिपटे हुए हैं और इस हालत का सबसे ज्यादा फायदा मिशनरी
 उठाती चली आ रही है । 
                                                 कितने लोगों नें यह जानने का प्रयास किये हैं की वर्तमान सरकार में कितनें अधिकारी ईसाइ हैं , यहां ईसाइ व्यक्ति केवल एक धर्म ही नही   बल्कि पूरी कैथोलिक ईसाइ  मिशनरी का सदस्य होता है और पी.ए. संगमा रोम कैथोलिक चर्च के मानद सदस्य हैं । यह मैं नही पी.ए. संगमा की बायोग्राफी कहती है । 
                                              अब संगमा की जीत किसकी जीत मानी जाए यह मेरी समझ से परे है , यदि आपको कुछ समझ आ रहा हो तो बताएं ।

Sunday, April 29, 2012

रामायण छोड, भागवत क्यों बांचे ।

आज हमारे देश की दयनीय हालत के जवाबदेह सरकार को माना जा रहा है । लोग पानी पी पी के सरकार को कोस रहे हैं लेकिन खुद क्या कर रहे हैं उन्हे स्वयं नही मालूम .. भ्रष्टाचार को कोसने वाले मौका मिलने पर खुद भ्रष्टाचारी बन जाते हैं और दलील बडी प्यारी सी देते हैं ...क्या करें भइय़ा जब सब खा रहे हैं तो हम क्या करें कहां तक बचें..... 
             चलो बात थी भष्टाचार की अब बात करते हैं अपने प्रिय विषय की.... सबसे पहले स्पष्ट कर दूं की इस लेख को वह कदापि ना पढे जिसमें सोचने समझने की क्षमता हो .. यह लेख मैं अपने बगल में श्रीमद् भागवत कथा (प्रथम खण्ड) गीता प्रेस द्वारा मुद्रित को रखा हुआ हूँ और इसे पढने के बाद ही कुछ लिखने जा रहा हूँ । 
               इससे पहले एक कथा जो हमने गत वर्ष बद्रीधाम में अपने सदगुरूदेव श्री कृष्णायनजी महाराज के श्रीमुख से सुने थे वह बता रहा हूँ - 
          एक बार किसी गांव में एक कथावाचक रामायण की कथा सुनाने के लिये पहुंचा । कथा सुनाने के पहले कथावाचक नें श्रीराम चंद्र और हनुमान जी का आवाहन कथा सुनने के लिये तो हनुमान जी जो संयोग से वहा से गुजर रहे थे कथा सनने के लिये रूक गये । कथा वाचक उस दिन हनुमान के लंका प्रवेश की कथा सुना रहा था, उसने कहना शुरू किया और बताने लगा की हनुमान जी जब अशोक के वृक्ष पर बैठे तो सारा वृक्ष सफेद सफेद फुलों से भरा हुआ था ... इस बात पर हनुमान जी नें टोक दिये की हे कथाकार  अशोक के वृक्ष पर सफेद नही लाल फूल थे ..,..,
                                       इतना सुनना था की कथावाचक भडक कर कहने लगा तुम कौन हो जो कथा के बीच में टोका टाकी कर रहे हो .. 
हनुमान जी नें कहे कथावाचक मैं हनुमान हूँ और जब मैं स्वयं अशोक के वृक्ष पर बैठा था तो उसमें लाल फूल लगे हुए थे । अब कथा वाचक अपने तर्क देने लगा जब हनुमान जी अपनी बात पर अडिग रहे तो कथावाचक नें कहा - अच्छा अगर तुम हनुमान हो तो बताओ तुमने वृक्ष पर बैठ कर फूलो के अलावा नीचे क्या देखा । 
हनुमानजी बोले - नीचे सीतामाता राक्षसियो से घिरी हुई थी । 
कथावाचक - सीतामाता को देखकर तुम्हारे मन में क्या हुआ प्रेम आया या क्रोध । 
हनुमान- माता को उस हालत में देखकर मुझे बहुत क्रोध आया । 
कथावाचक - बस हनुमान मैं यही सुनना चाहता था , दरअसल मैं सही हूँ किंतु तुम भी गलत नही हो दरअसल अशोक के वृक्ष पर फूल तो सफेद थे किंतु तुम्हारी आँखे के आगे क्रोध के कारण लालिमा उतर गई थी और तुम्हे सफेद फूल लाल दिखलाई पड रहे थे ।
                                           यह सुनकर हनुमान निरूत्तर हो गये किंतु अपनी बात को मनाने के लिये फिर भी कथा वाचक से तर्क देते रहे अंत में खीज कर कथा वाचक नें कहा की देखो अगर तुम हनुमान हो तो अपना कोई गवाह लेकर आओ जो तुम्हारी बात की सत्यता का प्रमाण दे सके । अब हनुमान जी बोले की ठीक है मैं कल अपने गवाह को लेकर आऊंगा ।
                                               अब हनुमान जी सीधे पहुंचे श्रीराम के पास और कहने लगे की हे प्रभु आप मेरे साथ कल पृथ्वीलोक पर चलियेगा । 
राम बोले क्यों क्या हुआ हनुमान ।
 हनुमानजी - प्रभु एक दुष्ट कथावाचक है जो गलत सलत रामायण लोगों को सुना रहा है । 
श्रीराम -  तुम काहे वहां रूक गये हनुमान वह कथावाचक हैं उनका काम है कथा बांचकर अपना पेट भरना तुम भी फालतुन के काम में लग जाते हो । 
हनुमान - प्रभु उसने मेरा आव्हान किया था रामायण सुनने के लिये इसलिये चला गया ।
 श्रीराम - अरे छोडो भी हनुमान उन्हे अपना काम करने दो तुम भी अपना काम करो हमें भी ध्यान करने दो ।                                                                   किंतु हनुमान इतनी आसानी से कहां पीछा छोडने वाले थे । अंततः दुसरे दिन श्रीराम हनुमान के साथ कथावाचक के सामने पहुंचे ।
हनुमानजी- कथावाचक .. लो मै अपना गवाह ले आया हूँ जो मेरी बात को सत्यता का प्रमाण देंगे ।
कथावाचक - ओह तुम फिर आ गये .. कौन है ये तु्म्हारा गवाह ।
हनुमान- ये हैं प्रभु श्रीराम ।
कथावाचक - अच्छा तो बताओ श्रीरामचंद्रजी आपने अशोक के वृक्ष पर कौन से रंग का फूल देखे थे ।
श्रीरामचंद्र - लाल रंग के .. हां कथावाचक अशोक के वृक्ष पर लाल फूल लदे हुए थे ।
कथावाचक - ओह अच्छा अगर तुम राम तो बताओजब तुम उस वृक्ष के पास पहुंचे तो तुम्हारे मन में क्या भाव थे । तुम अपने भीतर क्या महसूस कर रहे थे ।
श्रीराम - मैं यह सोच रहा था की इस वृक्ष के नीचे सीता नें किस तरह से इतना लंबा समय व्यतीत की होंगी .।
कथावाचक - और उस सोच में तुम्हारे निर्मल मन की करूणा अश्रुरूप में निर्झर बह रही थी ... सही है ना राम ।
श्रीराम - हां कथावाचक यह सही है ।
कथावाचक- सुनो हनुमान तुम्हे अशोक के फूल लाल इसलिये दिखलाई पडे क्योंकी तुम्हारे मन का क्रोध आँको में उतर चुका था और तुम्हारे गवाह श्रीराम के अश्रुपूरित नयन जो रोते रोते लाल हो गये थे इस कारण से उन्हे लाल दिखलाई पडे . . । और सुनो हनुमान अगर तुम दुबारा फिर किसी कथा वाचक से वादविवाद करोगे तो मैं रामायण छोडकर भागवत पढाना शुरू कर दूंगा ।
                               
                                इस कथा के अंत में जो बात उस कथा वाचक नें कही वह बात आज सारे देश में लागू हो गई है । जब तक रामायण पाठ होते थे श्रीराम नाम के जाप से देश में सुक शांति का वास रहता था और आज जब भागवत शुरू हो गई है तो देश का हाल कितना बुरा हो रहा है हम सब देख रहे हैं । दरअसल हम जो भी कथा कहानी सुनते हैं उससे हमारी भावनाएं, हमारा अवचेतन मन आसपास के वातावरम में फैल जाता है और जिस तरह का वातावरण फैलता है देश की मनोस्थिति वैसी ही होती जाती है ।
                               हमारा देश ना केवल राजनितीक बल्कि धार्मिक रूप से भी पतन मार्ग की ओर अघ्रसर है । आप स्वयं जो भागवत पुराण को पढ सकते हैं पडकर देखियेगा की उसमें ऐसी क्या बात है या ऐसी कौन सी सीख हमें मिलती है जिससे हम देश या स्वयं को बदल सकते हैं । देश के सारे कथावाचक अपने को धर्मगुरू समझने लगे हैं और हमारी देश की जनता उन्हे गुरू बना रही है जिनका काम केवल कथापढना है यानि लिखे हुए को पढना है । उनसे ज्ञान नही मिलता बल्की उल्टे हमारा समय और पैसा बर्बाद हो जाता है । ये कथआवाचक अपने शिष्यों की संख्या बढाने में मशगुल रहते हैं .. मेरे इतने शिष्य तो मेरे इतने शिष्य.... लेकिन शिष्यों को क्या सीख दे रहे हैं ये धर्म गुरू । स्वयं भ्रष्ट हैं, लगभग हर भागवत कथावाचकों की दो दो स्त्रीयां है अपने स्वार्थ के आगे देश को छोटा कर देते हैं कभी पुलिस अधिकारी को धमकाते हैं तो कभी पत्रकार को चांटा जड देते हैं । ऐसे कथावाचक जो देश का सम्मान नही कर सकते वे अपने शिष्यों को देश का कौन सा हित सिखला रहे हैं यह उन शिष्यों को भी नही मालूम । 
                                  कई तो ऐसे हैं जो किसी पति पत्नि   को दीक्षा देकर कहते हैं की आज से तुम लोग गुरू भाई बहन हो  अपने सांसारिक मोह का त्याग करो और भाई बहनों की तरह रहो .... धन्य हैं रिश्तों को तार तार करते ये महान धर्मगुरू ।

Thursday, April 19, 2012

मत पूजो भगवान को ।

                                      अखण्ड मंडलाकारम् व्याप्तम् येन चराचरम् ।
                                 तद् पदम दर्शितम् येन , तस्स्स्मै श्री गुरूवे नमः ।।

                                 इसके अर्थ बताने का मेरे पास समय नही है । इसके अर्थ बताने के लिये कई लोग आ जाएंगे लेकिन मैं किसी अर्थ अर्थ में ना पडते हुए केवल यह बताना चाहता हूँ की इसका केवल एक ही अर्थ है - सब कुछ छोड कर केवल गुरू की शरण में आ जाओ । अब यहां मैं स्पष्ट कर दूं की गुरू का अर्थ आसाराम बापू, सुंधांशु महाराज, रामदेव बाबा, निर्मल बाबा  वगैरह वगैरह लोगों से कदापि नही है । दरअसल जिस समय इसकी रचना हुई उस समय किसी को नही पता था की आगे चलकर उनकी पीढी इस कदर गुरूओं का भेद तैय्यार करेगी की माता पिता भी गुरू कहलानें लगेंगे । इसमें मैं यह देखता हूँ की पहले के गुरू का अर्थ आज के उन सदगुरूओं की तरह है जो समाज से हट कर परंपराओं को तोडकर ऐसे  पुरूष बनाते थे जो मानव कल्याण के लिये अपना सारा जीवन आहूत कर देते थे । 

                                    जय श्रीराम.....दशरथ पुत्र राजकुमार राम को श्री राम और फिर मर्यादापुरूषोत्तम राम बनाने के लिये सदगुरू विश्वामित्र नें क्या कुछ नही किये । और विश्वमित्र नें जो कहे उसका निःसंकोच बिना प्रति प्रश्न पुछे श्री राम नें किस तरह से पालन किये होंगे यह समझना दुरूह है । आज जय जय श्रीराम के नारे लगाने वालों में से कितने लोग श्री राम के पद चिन्हों पर चले हैं या चल सकते हैं । राम नें गुरू की आज्ञा के बिना कोई कदम नही उठाये और हर जगह उन्हे बचाने वाले सदगुरू विश्वामित्र ही थे अन्यथा राज भवन से सीधे जंगल में जाना किसी के लिये भी आसान नही था । सीता माता नें अपने पति राम का साथ देकर पत्नि धर्म का वचन निभाए तो राम नें उस की बहुपत्निक रिमत पूजो ती को तोडकर एकल पत्नि प्रथा की शुरूआत किये । लक्ष्मण नें अपने भाई के प्रति समर्पण का भाव रखे और गुरू आज्ञा से आखिरी समय तक अपने भाई का साथ नही छोडे । श्रीराम में  सनातन धर्म का नियम है ।
                                         राधे राधे... वाह इनकी जोडी बिल्कुल राधा कृष्ण की तरह लग रही है .... वगैरह वगैरह कितने ही बार कहा जाता है राधा कृष्ण ... किसी नें यह सोचने की जहमत उठाए की जब कृष्ण की पत्नि रूक्मणी थीं तो ये राधा का चरित्र  कृष्ण के जीवन में कैसे आया दरअसल यह पश्चिमी सभ्यता का हिंदु धर्म में प्रवेश माना जा सकता है  मैं पुछना चाहता हूँ उन महिलाओं से जो राधा कृष्ण को बडे सुंदर ढंग से सजाती हैं तो कभी सोचीं की माता रूक्मणी के मन में क्या बीतती होगी । वह कृष्ण जिन्होनें रूक्मणी का भरे मण्डप में उस समय हरण कर लिये जबकि उनका विवाह शिशुपाल से तय किया जा चुका था और वेदी तैय्यार थी । जब कृष्ण नें रूक्मणी का हरण करके विवाह किये तो आज हम कृष्ण की मूर्ति पूजा करने वाले किस आधार पर एक तथाकथित प्रेमिका के रूप में राधा को पूज रहे हैं यदि उन पूजक महिलाओं को पता चले की उनके पति की एक प्रेमिका है तो वे अपने उस प्यारे प्राणपति के प्राण निकाल लेंगी तो फिर क्यों वे लोग रूक्मणी के स्थान पर राधा को पूज रहे हैं । श्री कृष्ण में सनातन धर्म का कर्म है ।
                                         
                                          बुद्धं शरणम् गच्छामि..... बोलने में कितना अच्छा लगता है धर्मम् शरणम् गच्छामि अहहा सुनकर मानो हममें पूरा धर्म समाहित हो जाता है । आज बुद्ध को मानने वाले दुनिया में सबसे ज्यादा है लेकिन एक बात कोई नही पुछा की बुद्ध .. जो गौतम गोत्र में उत्पन् हुए  और सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बनने में 35 वर्ष का सफर तय किये उन्हे क्या हुआ था जो राजपाट, पत्नि-पुत्र को आधी रात को छोडकर सत्य की तलाश में चले गये... और सत्य भी कैसा .. जिसे ना कोई देखा ना समझा ..बस अनंत सत्य की तलाश में औऱ जब उन्हे वह ज्ञान मिल गया जिससे उन्होने हर सत्य को पहचान लिये तो उन्होने मूर्ति पूजा का विरोध किया जिस पर उन्हे पत्थर तक मारे गये लेकिन उन्होने स्वयं को बुद्ध बना ही लिये । जब बुद्ध नही रहे तो उनके हजारों- लाखों अनुयायी बनते चले गये पूरे विश्व में उस बुद्ध की मूर्तियां करोडों की संख्या में लग गईं जो स्वयं मूर्ति विरोधी थे .. उन्होने केश तक निकाल दिये लेकिन आज बुद्ध को घुंघराले लटों के साथ पूज रहे हैं हम लोग । बुद्ध में सनातन धर्म का सत्य है ।(बुद्ध जो स्वयं राजा थे उन्हे  दलितों   का  भगवान बना दिया गया और इसे सनातन धर्म से अलग करके बौद्ध धर्म बना दिया गया जिसके बाद से सनातन धर्म की वर्ण संरचना टूट गई और सनातन का सत्य अलग हो गया ) 
                                           जियो और जीने दो.... अहिंसा परमोधर्महः का उपदेश जैन समाज का मूल सिध्दांत है औऱ यही एक ऐसा समाज जो आज भी अपने सदगुरूओं की शिक्षा पर अमल कर रहा है किंतु कुछ संशोधन के साथ .. मसलन भारत में इसी समाज से जुडकर कुछ लोगों नें ब्याज का धंधा अपना लिये जो की मूलतः हर समाज में एक बुराई के रूप में देखा जाता है , महानवीर नें अपनें वस्त्रों का त्याग कर दिये किंतु आज सबसे ज्यादा कपडे की दुकान इसी समाज के लोगों द्वारा संचालित है । इस समाज में जारी धर्म हनन लगातार बढते जा रहा है जिससे ना केवल जैन समाज बल्कि हिंदु धर्म की भी क्षति हो रही है । महावीर में सनातन धर्म का ज्ञान और मूल सिद्धांत  है और लुप्त हो चुका तंत्र है। (जैन समाज को आरक्षण की आड में इसे सनातन धर्म से अलग करके जैन धर्म बना दिया गया और किसी जैनी को यह पुछने की नही सुझी की जब हमारे समाज से सनातन धर्म को ज्ञान और अहिंसा मिलती है तो हम इससे अलग कैसे हुए) 
                                            कुछ उद्यम किजे .....कबीर नें अपना पूरा जीवन सूत कातते हुए लोगों को परमात्मा से मिलने की विधी बताए । इसमें सूत कातने का अर्थ यह नही की वे केवल जुलाहे थे दरअसल उन्होने दुनिया को संदेश दिये की मानव योनि में रहते हुए हमें अपने कर्म करना उतना ही आवश्यक है जितना परमात्मा को पाने का प्रयास करना कोई कहते हैं कबीर मुसलमान थे तो कोई उन्हे हिंदु बताने में कोई कसर बाकी नही रखे । मेरे विचार में कबीर सनातन धर्म के ही हैं और जब मुस्लिम शासकों नें इनकी लोकप्रियता देखे तो इन्हे मुसलमान बनाने का भरसक प्रयास किये मुस्लिम तंत्रों का प्रहार किया गया किंतु कबीर अपने गुरू स्वामी रामानंद का नाम लेते हुए हर कठिनाई को पार कर गये । उस दौर में जबकि मुगल जबरदस्ती हिंदुओं का धर्मपरिवर्तन कर रहे थे किसी मुस्लिम का हिंदु बनना वो कैसे बरदाश्त करते इसलिये यह तर्क मुझे नही जमा । कबीर नें लोगों को ज्ञान दिये सिद्धियों के दर्शन करवाए जहां तक हो सका वहां तक जनकल्याण किये किंतु अपनी कुटिया छोडकर कभी बाहर नही निकले वे अनवरत अपने करघे से सूत कात कर अपने परिवार का लालन पालन करते रहे ।  उन्होंने स्वयं ग्रंथ नहीं लिखे, मुँह से भाखे और उनके शिष्यों ने उसे लिख लिया। कबीर समस्त विचारों में रामनाम की महिमा प्रतिध्वनित होती है। वे एक ही ईश्वर को मानते थे और कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे। अवतार, मूर्त्ति, रोज़ा, ईद, मसजिद, मंदिर आदि को वे नहीं मानते थे। जब आप सदगुरू के पास जाते हैं तो सदगुरू आपके भीतर तक झांकते हैं और परखते हैं की यह कहां तक जा सकता है फिर उसे उतना ही देते हैं जितने का वह योग्य होता है । कबीर सनातन धर्म के कर्म प्रधान संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किये थे किंतु उसे एक अलग कबीर पंथ बनाकर सनातन धर्म से तोड दिया गया । (सनातन धर्म के एक सदगुरू जिनसे कर्म प्रकट हुआ उन्हे ही अलग कर दिये जिससे सनातन धर्म का कर्मवादी सिद्धांत टूट गया )
                                             ईश्वर एक है ...नानक देव को बचपन से ही सारी विद्याएं व सिद्धियां प्राप्त थी वे एक ऐसे सदगुरू हुए जिन्होने लोगों को एक ईश्वरवाद का सही तरीके से जीने का सिद्धांत बतलाए किंतु इन्हे भी अन्य समाज की तरह सही तरह से नही समझा जा सका । इसका नतीजा ये निकला की गुरू नानक नें सिक्ख समाज को जो दस नियम दिये उसे उन्होने दस गुरूओं में विभक्त कर दिये । सिक्ख समाज के द्वारा जो गुरूवाणी मिली वह अद्भूत एवं अलौकिक है । अतिम गुरू गोबिंद सिंह नें खालसा पंथ की स्थापना इसलिये किये ताकी मुगलों को मार कर भगा दिया जाए और हिंदु धर्म की रक्षा हो सके । उन्होनें अहिंसा पथ छोडते हुए खालसाओ को सूवर का मांस खाने को कहा ताकि मुसलमान इनसे दूर रहें और गौमाता की रक्षा की जा सके । गुरू गोविंद सिंह एक ऐसे सदगुरू हुए जिसने केवल  सनातन धर्म की रक्षा के लिये, अपनी भारत भूमि की मर्यादा बचाने के लिये 14 बार युद्ध करके यह संदेश दिये की केवल धर्म को पढने से कुछ नही होगा यदि रक्षा करनी है तो हथियार उठाना होगा । सिक्ख धर्म सनातन धर्म की ऐसी शाखा है जिसमें देशभक्ति, धर्म, कर्म और युद्ध कला सब कुछ समाहित है । लेकिन अफसोस गुरू गोबिंद सिंह नें जिस देश और धर्म की रक्षा के लिये सब कुछ कुर्बान कर दिये वही खालसा अब अपने लिये अलग देश और अलग धर्म मांग रहा है । सिक्ख धर्म नें नानक देव और अपने गुरूओं के एक ईश्वर के सिद्धांत को छोडकर ग्रंथ साहिब को पूजने लगे किंतु उसके नियमों का पालन भूल गये । वे भूल गये उस निराकार एकाकर राम को जिसकी बातें उनके दसों गुरू बतलाते आए थे । ( सिक्ख समाज को आरक्षण औऱ आतंकवाद की आड में इसे सनातन धर्म से अलग करके अलग धर्म बना दिया गया  जिससे सनातन धर्म की रक्षा पंक्ति टूट गई और वह असहाय हो गया )
                                              सबका मालिक एक --- सांई बाबा के दर्शन करने सभी जाते हैं किंतु जब तक वे जीवित रहे उनका विरोध होता रहा । कभी मंदिर तो कभी मस्जिद की आड में । सांई बाबा यदि चमत्कार में नही फंसते तो देश का बहुत कुछ भला हो सकता था किंतु अफसोस उन्हे केवल चमत्कारी पुरूष के रूप में ही पूजा गया उन्हे केवल अफनी मानता पूरी करने का साधन बना दिया गया और इस तरह से एक सदगुरू का करूण अंत हो गया और मानव नें अपनी भौतिक इच्छा के आगे इस संत से कुछ नही मांगा । (अभई तक तो सांई बाबा सबके हैं देखिये किस दिन इन्हे अलग पंथ बनाकर बांटा जाता है ।
                                             सभी जातियां एक हों ...आज मैं जिनकी प्रेरणा से यह सब लिख पा रहा हूँ वह हैं मेरे पिता स्वरूप सदगुरू स्वामी कृष्णायन जी महाराज उन्होने कुछ बातें सूक्ष्म में रहते हुए बताये कुछ पुस्तकों में लिखे और कुछ श्रीमुख से सुना था जिन्हे लिख रहा हूँ । सदगुरूदेव नें वर्तमान में सदविप्र समाज की स्थापना किये हैं जिसमें सभी जातियों के लोग जुडे हुए हैं । उसमें ब्राह्मण हैं,  क्षत्रीय हैं वैश्य हैं और शुद्र भी हैं । कहने का तात्पर्य यह है की एक ऐसा समाज जिसमें सनातन धर्म के मूल सिद्धांतो के साथ जुडना है । सदगुरूदेव की हर बात प्रमाण के साथ है यदि वे कहते हैं की सनातन धर्म में भगवानों से ऊपर परमात्मा हैं तो वह इसे साधनाओं  के जरिये दिखलाते भी हैं । वे हमारे भीतर विराजित देवताओं के दर्शन कराते हैं हमें बताते हैं की सनातन धर्म के मूल उद्येश्यों को जानों । देश की रक्षा करो, देश होगा तभी धर्म बचेगा और बिना धर्म के कैसी जातियां और कहां के पंथ । 
                                               फर्ज किजिये आज किसी परिस्थिति में देश गुलाम हो जाता है तो क्या वह देश या व्यक्ति हम पर राज करेंगे वह हमें हमारे धर्म को मानने देंगे । आज पूरी दुनिया में एक भी   हिंदु राष्ट्र नही बचा है । हमारा भारत देश भी दुसरे धर्मों के बोझ तले दबता जा रहा है । आतंकियों को हम खाना खिला रहे हैं  और अपने साधु संतों और साध्वीयों को कारागार में प्रताडना दे रहे हैं । इन बातों को किसी भी तरह से सनातन धर्म के सम्मान की बात नही कहा जा सकता । यह कहां का न्याय है की जिन आतंकियों को पकडने के लिये हमारे पुलिस और सेना के तमाम जवान शहिद हो जाते हैं उन्हे पाला जाता है और किसी नेता के अपहरण के बदले में ससम्मान छोड भी दिया जाता है । 
                      यदि आप अपने देश को नही बदल सकते तो जय श्री राम , राधे राधे, उद्यम की बातें, ईशअवर एक है का सिद्धांत, अपनी अहिंसा और सत्य की बातें ... सब कुछ पकडे रहो और जिस दिन विदेशी धर्म तुम्हे कुचल दें उसके बाद या तो उनके गुणगान करना या फिर चुपचाप   अपनी औरतों और बच्चीयों को उनके धर्म को बढाने के लिये सौंप देना क्योंकी तुम्हे कोई हक नही है अपना नपुंसक वंश बढाने का  ।    इसलिये हे महान देश के लोगों भगवान को पूजना बंद करो और अपने कर्मो को सुधारो ।

Sunday, April 1, 2012

छत्तीसगढ कांग्रेसः- जोगी नही तो कौन

जबकि छत्तीसगढ राज्य इस समय अपने सबसे बुरे दौर में पहुचने को है औऱ  इस समय नवभारत अखबार में छपे इस ( http://www.navabharat.org/images/010412p1news14.jpg )लेख नें मुझे यह सब लिखने को आतुर कर दिया है । रमन सरकार में चारो ओर लूट मची हुई है मामला चाहे आदिवासियों की जमीन का हो या उनपर हुए लाठी डंडे के प्रयोग का हो .. किसानों की जमीनों का अधिग्रहण हो या सरकारी ठेके का मामला हो ...हर तरफ खुले आम लूट मची हुई है राज्य में पुल गिर रहे हैं बिना सडकों को बनाए ही  सडकों का भुगतान हो रहा है , बिजली की आड में अरबों का घोटाला हो चुका है और अभी होने को भी है... नक्सली खौफ बता कर उन क्षेत्रों की राशी भी कहां जा रही है कुछ नही पता .. अब जबकी हर ओर अराजकता और महंगाई अपने पैर पसार चुकी है तब जनता अपनी मायूसी निगाहें विपक्ष पर डालती है लेकिन अफसोस.... यहां तो विपक्ष भी बेवजह की लडाई लड रहा है इस राज्य में हर नेता अपने को सबसे ऊपर मान रहा है सबसे दुःख की बात तो ये है की जिन नेताओं को भाजपा कुशासन की बखिया उधेडनी चाहिये वह दिल्ली में बैठकर मंत्रणा कर रहे हैं की किस तरह से कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को बाहर का रास्ता दिखलाया जाए ।  इसके लिये कहा गया की दिल्ली में बैठकर नंदकुमार पटेल और चरणदास महंत भाजपा के खिलाफ रणनिती तय करेंगे लेकिन भीतरी सूत्रों की मानें तो ये दोनो महानुभाव दिल्ली में बैठकर अजीत जोगी को किसी दुसरे प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेजने का दबाव आलाकमान पर डाल रहे हैं और इसमें अप्रत्यक्ष तौर से मोतीलाल वोरा भी सहयोग कर रहे हैं । 
                       अब जरा एक नजर कांग्रेस के इन बडे नेताओं के ऊपर डालते हैं ।. 
सबसे पहले आते हैं श्रीमान चरणदास महंत ः- इनकी उपलब्धी ये है की जांजगीर, चांपा और कोरबा के बाहर किसी छत्तीसगढ की जनता से पुछो तो वह कहेगा कुछ तो हैं इसके अलावा कुछ पता नही । इन सांसद महोदय को केन्द्रिय राज्य कृषि मंत्री के बनते ही सीधे मुख्यमंत्री का सपना आने लगा है और ये अपने को बहुत महान समझने लगे है जबकि इनकी वास्तविकता हकीकत से कोसो दूर है । हैं तो कृषि मंत्री लेकिन राज्य तो छोडिये अपने संसदीय क्षेत्र के किसानों के हित में कोई कदम नही उठाये वहां के किसानों की जमीन धोखे से हथियाई गई और ये अपने ओहदे को पकडे दिल्ली में बैठे जोगी बुराई करते रहे ।

दुसरे हैं आदरणीय रविंद्र चौबे -- इनकी विधानसभा साजा है और वर्तमान में विपक्ष के नेता कम सत्ता के दलाल ज्यादा समझे जाते हैं । इन्होने एक बार भी भाजपा सरकार को इस तरह से नही घेरा की सरकार हिल जाए इससे सीधा असर जनता पर ये पडा की जनता इन्हे रमन का दल्ला कहने से नही चूकती । कई मौके ऐसे आए जब भाजपा नतमस्तक हो सकती थी उल्टा ये जनाब कोई दुसरे कांग्रेसी के द्वारा उन मुद्दों को उठाने पर बिफर पडते थे । जोगी जी एक ऐसे कद्दावर नेता हैं जिनके आगे सबकी तूती बंद हो जाती है और ये महानुभाव बजाय उनसे सलाह मशविरा करने के दिल्ली जाकर बैठे हैं जोगी जी को राज्यपाल बनाने के लिये अपना दावा लेकर ।
तीसरे परम आदरणीय सज्जन पुरूष हैं नंदकुमार पटेल --  8वीं कक्षा पढे ये जनाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हैं और इन्हे मीठी छुरी कहा जाता है । इनका विधानसभा क्षेत्र कहां का है किसी आम छत्तीसगढी से पुछिये ... वह तो इनका नाम भी सुना हो तो बडी बात होगी जो किसी प्रदेश अध्यक्ष के लिये शर्म की बात होनी चाहिये। वैसे इन्होने बस्तर में अपना एक दांव खेलना चाहा था की बस्तर को अलग राज्य बना दिया जाए यानि जब कोई काम ना हो तो जो दिमाग में आए बोलते चलो । बस्तर वासियों नें कभी खुद को छत्ीसगढ से अलग नही समझे और ये जनाब बिना सोचे समझे उन्हे बांटने चले थे । पार्टी की एकता तो दूर की बात प्रदेश की एकता भी इन्हे नही भा रही है ।
 यानि कांग्रेस की तिकडी केवल दो काम पर लगी हुई है ।
1. भाजपा से सांठ गांठ करके अपना काम निकालो और अपना स्वार्थ निकालते चलो 
2. जोगी जी को प्रदेश से बाहर का रास्ता दिखलाओ क्योंकी यही एक ऐसे व्यक्ति हैं जो गलत नीतियों के लिये  भाजपा के साथ साथ कांग्रेसीयों को भी नही बख्शते हैं ।

इनके अलावा चौथे शख्स हैं राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल जी वोरा -- इन्हे प्रदेश की राजनीती से कोई लेना देना नही है ये सज्जन पुरूष इतने सीधे हैं की अपने बच्चों को भी गलत काम करने से रोक देते हैं । लेकिन उनके भोलेपन का नाजायज फायदा ये तीकडी उठा रही है । मोतीलाल वोरा को गुमराह करके बताया जाता है की अजीत जोगी के राज्य में रहते कोई भला नही होगा लेकिन वो भला किसका नही होगा ये नही बताते । 
हालांकी अजीत जोगी के शासन को प्रदेश की जनता सबसे बुरा दौर का समझती थी लेकिन कहते हैं की जब तक आपके पास कोई दुसरा ना हो जिससे आप तुलना कर सकें तब तक आप निर्णय नही ले सकते । कुछ ऐसा ही छत्तीसगढ में चल रहा है ।
                   यहां की जनता वर्तमान में इन तीन बडे नेताओं के कारण अब तक भ्रष्टाचार को झेलने के लिये मजबूर हो रही है । राहुल शर्मा मौत एक ऐसा हादसा है जिसके बदले भाजपा सरकार की बलि चढ जाती , आदिवासियों पर डंडे चलो इसके कारण वह गिर जाती, सडकों पर , बिजली के मुद्दों पर , अवैध शराब के मुद्दों पर  एसे कई मोड आए जहां पर भाजपा सरकार या गिर जाती या घुटने टेक जाती । जब रमन सिंह पर म.प्र. की खदानों का मामला उठा तो बजाय उसकी सच्चाई जाने अपना मौन समर्थन कांग्रेस नें दे दिया ।
                  दरअसल अजीत जोगी को बाहर रखने की एक वजह है प्रशासन पर गहरी पकड । चूंकी वे एक दूरदर्शी की सोच रखते हैं इसलिये कोई भी उन्हे जल्दी घुमा नही सकता ना अधिकारी और ना ही कोई दलाल .. जोगी जी साफ और स्पष्ट कहने के लिये बदनाम हैं जब नंदकुमार नें अलग बस्तर की मांग उठाए तो सबसे पहली कडी प्रतिक्रिया स्वयं अजीत जोगी नें ही दिये थे इसके अलावा उन्हे राजनितीक समझ भी गहराई तक है वे जानते हैं की जनता क्या चाहती है । हालांकी उनके कार्यकाल को जबरन बदनाम किया गया और इसकी वजह थे यही कांग्रेसी जो आज जोगी जी को अलग करके भाजपा सरकार से हाथ मिलाकर अपने को शहंशाह समझ रहे हैं जबकि आगामी चुनाव उन्हे धरातल दिखाने वाला है । 
          चूंकी जोगी जी को तत्काल छत्तीसगढ आकर एक बडा पद संभालना पडा था सो उन्होने रविंद्र चौबे जैसे लोगों पर भरोसा कर लिये जो आज उन्हे और पार्टी को खोखला करके खुद राजा बनने को ऊतारू हो रहे हैं जबकी स्वंय अजीत जोगी पहले इंजिनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर थे फिर आई.पी.एस. बने उसके बाद आई.ए.एस. की शिक्षा भी पूरी कर लिये । कहने का मतलब यह है की जो व्यक्ति अपने कर्मों से राजा साबित हो चुका हो उसे किसी के रहमो करम की आवश्यकता नही होती है जबकी इन्हे विशेष  तौर पर पटेल जी को तो कोई ना कोई सरपस्ती जरूरी लगती है ।    

              अब दुसरी ओर केंन्द्र को देखें ... क्या ममता बनर्जी से उसे कोई सबक नही मिला ... जो ममता बनर्जी कांग्रेस की मुख्यमंत्री बन सकती थीं आज अपनी क्षेत्रीय पार्टी के बल पर वाम पंथीयों को परास्त कर दी कहीं अजीत जोगी नें भी वैसा करने की ठाने तो ये जरूर है की प्रदेश की जनता का समर्थन उन्हे अपने आप मिल जाएगा .... क्योंकी छत्तीसगढ की जनता केवल तीन नेताओं को जानती है और उनमें से एक को चुनेगी एक अजीत जोगी दुसरे रमन सिंह तीसरे दिलीप सिंह जुदेव.....कांग्रेस में दुसरा कौन ...आप बतलाएं
वैसे नीचे कुछ महत्वपूर्ण लिंक दे रहा हूँ जो आँखे खोलने को काफी है-
http://www.bhaskar.com/article/CHH-OTH-1910058-2996331.html (बस इतिश्री हो गई आदिवासी मामले की)
                  वैसे कांग्रेस  आलाकमान को चाहिये की वह अजीत जोगी के बारे में कोई फैसला करने के पहले हर जिले में एक सर्वे करा ले और जो गल्तीयां उत्तर प्रदेश में कर चूकी है वह छत्तीसगढ में दोहराने की गल्ती ना करे । क्योकी छत्तीसगढ में मिली हार के बाद से अब तक कांग्रेस पार्टी क्या मंथन कर रही है ये केवल तीन बडे नेता ही बता सकते हैं । 

Saturday, March 31, 2012

छत्तीसगढ में आसान है धन कमाना


जी हां ... आप भी छत्तीसगढ में आते ही साथ लखपति बन सकते हैं भ्रष्टाचार से लबालब भरे हमारे छत्तीसगढ प्रदेश की भोली भाली जनता को उम्मीद से दोगुना मिल रहा है । हमारे पत्रकारों को तो अपनी नई पुस्तकों और अखबारों के विमोचन के लिये मुख्यमंत्री जी से भरपूर मनचाहा समय मिल रहा है औऱ साथ में शुभकामना संदेश के साथ भरपूर विज्ञापन इसलिये उन्हे गुल होती बिजली से अब कोई सरोकार नही रहा क्योंकी उनके यहां जनरेटर पहुंच गये हैं । अब उन्हे जनता को मिल रहे उम्मीद से दोगुने भ्रष्टाचारों से कोई लेना देना नही है , उन्हे इस बात से कोई मतलब नही की 6 फुट बनने वाली सडकें 4 फुट की क्यों बन रही है और ना ही इस बात से मतलब की नेहरू नगर भिलाई से टाटीबंद तक बनने वाली फोरलेन सडक 5 फुट कम चौडी ( दोनो ओर से ढाई -ढाई फुट कम) क्यों बनी है ? बात केवल एक सडक की नही है यह प्रदेश भर में बनने वाली हर सडक का यही हाल है सूचना के अधिकार से जानकारी आप स्वयं निकाल लिजिये और टेप से स्वयं नाप लिजिये यकिन मानिये लखपति बनने में आपको देर नही लगेगी । 
                               केवल सडक ही नही धडाधड बन रहे सरकारी भवनों का भी यही हाल है हमारे प्रदेश में बनने के तीन माह के भीतर भवनों का भरभरा जाना , पुलों का उधड जाना या गिर जाना आम बात हो गई है सडकों का हाल तो इतना बेहतरीन है की नई बनी सडकों को भी हर माह संधारण की आवश्यकता पडते रहती है  । नक्सली क्षेत्रों में तो इतनी कमाई होती है की आप भी नही पुछ सकते । धुर नक्सल क्षेत्र में मुरूम से बनी सडकों को पक्की दिखा कर भुगतान हो जाता है अब आपमें दम है तो जाकर नपवा लो ... उस समय तो नक्सली की आड में यही आपको नाप देंगे ... अब सडक का हाल छोडो ... सरकारी अनाजों का भी यही हाल है ... धान की पैदावार से तीन गुना ज्यादा की खरीदी हमारी सरकार नें कर एक इतिहास रच डाला है । सरकारी दुकानों में पहुंचने वाला अनाज इतनी घटिया क्वालिटी का होता है की गरीब कार्डधारीयों को उसे दस रूपयों हजार में किसी बनिये के हाथों सौंप देना ज्यादा फायदे का काम लगता है । वैसे भी दो रूपये किलो का चांवल प्रदेश के मजदूरों को निकम्मा बना चुका है और अब बाहर के मजदूर हमारे यहां आने लगे हैं कमाने के लिये । 
                                   हमारी सरकार नें विडियोकान कंपनी के हाथों किस तरह से आदिवासी किसानों की जमीनें हथियायी है ये बताने की जरूरत नही है । बेचारे धुर नक्सल क्षेत्र के आदिवासी अपनी पारंपरिक वेशभूषा के साथ तीरकमान लेकर अपनी जमीन के लिये न्याय मांगने रायपुर पहुंचे तो हमारी सरकार को लगा की ये लोग सरकार पर कब्जा करने के लिये पहुंच गये हैं सो प्राचीन राजाओं की तरह लाठी डंडा लेकर आदिवासीयों पर टूट पडे । अब छोडिये कहां सडक अनाज और जमीन के फेर में पडे हो .... हमारे मुख्यमंत्री जी नाराज हो जाएंगे ..और अगर नाराज हो गये तो फिर ये कभी नही बताएंगे की जोगी कांग्रेस के शासन में लगातार कमाई करने वाला छत्तीसगढ विद्युत मण्डल जिसने अपने अंत समय तक 1500 करोड रूपये का मुनाफा कमाया था और 250 मेगावाट की सरप्लस बिजली को अपने पास रखा था वह सब बिजली कहां गई औऱ लगातार मुनाफा कमाने वाला विद्युत मण्डल इतने घाटे में कैसे आ गया । 
जबकी छत्तीसगढ के हर गांव तक पोल लगा कर तारों के सहारे बिजली पहुंचा दी गई है,
बिजली बिल की वसूली भी तीन माह के बदले हर माह कर दी गई है ,
बिल जमा ना करने पर तत्काल बिजली काटने कर्मचारी पहुंच जाते हैं 
मेंटनेंस के नाम पर केवल फ्यूज, कटआउड या फिर आइल बदलना होता है 
बिजली बिल जमा करने के लिये ऑनलाइन सुविधा, ए.टी.एम. सहित कई काउंटर है जहां लोग अपना बिल जमा कर देते हैं
स्पॉट बिलिंग भी चालू है और बिजली कंपनी के पास भरपूर कर्मचारी है 
तो फिर माननीय मुख्यमंत्री जी को ऊर्जा मंत्री के  रूप में मुंबई की कंपनी को रिटेल काउंटर खोलने का ठेका देने की महानतम कला जिसने भी दी हो वह आपको भी लखपति बना सकता है ....
तो फिर देर किस बात की है 

बिना सडक के बने सडकों के बिल पास होना, जंगल के जंगल साफ हो जाना और फिर जंगल बसाने के लिये योजना लाना, आदिवासीयों की जमीनों पर जबरन उद्योगपतियों का कब्जा करवाना और फिर उनके नाम पर करोडों की योजना लागू करवाना , हर तरफ बिजली लाइनें बिछ चूकी हैं , मेटनेंस के लिये भर पूर कर्मचारी हैं पैसों की वसूली तत्काल हो रही है , हर जगह वसूली के बूथ बने हुए हैं बिजली बील देर से होने पर शुल्क अलग से ले रहे हैं और कठोरता से लाइन काटने का काम कर रहे हैं ...फिर भी घाटे में चलने वाली बिजली कंपनी के लिये मुंबई से कंपनी को बुला कर ठेके दिये जा रहे हैं ...जय हो


अरे अब क्या सोच रहे हैं उठाइये कागज और कलम ... और चलिये सूचना के अधिकार में यह सब कुछ जानकारी निकालने के लिये ... 

   चूंकी मैं अपने प्रदेश से देश की तरह ही प्यार करता हूँ इसलिये देश की और प्रदेश की कमजोरी का फायदा उठाना गलत समझता हूँ .. लेकिन आप लोगों से भी प्यार करता हूँ .. सो एक अच्छा व्यवसाय बता दिया हूँ , अब आप कैसे कमाएंगे ये आप पर निर्भर करता है ।

Sunday, March 25, 2012

सलमान खुर्शीद फंसे यू.पी. के अनाज घोटाले में

सरकार सपा की घोटाला कानून मंत्री का 


देश के सबसे गरीब राज्य उत्तर प्रदेश में 2 लाख करोड़ रुपये के इस घोटाले में गरीबों के लिए तय अनाज को जानबूझकर और एक प्रक्रिया के तहत खुलेबाजार में देश और विदेश में बेचा गया। यह घोटाला साल तक चला और इसमें 5,000 एफआईआर भी दर्ज हुईं। इस घोटाले में इतनी पारदर्शिता थी की इसे रेलगाडी के माध्यम से देश के दुसरे हिस्सों में भेजवाया गया । जो अनाज गरीबों तक पहुंचना था उसे देश विदेश के खुले बाजारों में बेचा गया । इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में  न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह ओर न्यायमूर्ति एस.सी.चौरसिया की खंडपीठ ने 3 दिसंबर 2010 को अनाज घोटाले के मामले में कहा था कि यदि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमें के लिए तीन महीने में अनुमति नहीं देती है तो उसके लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। खंडपीठ ने सीबीआई को आदेश दिया कि बलिया. लखीमपुरखीरी और सीतापुर के साथ ही वाराणसी, गोंडा तथा राजधानी लखनऊ में भी हुए अनाज घोटाले की जाँच को अपनी जद में लाए।
 प्रर्वतन निदेशालय और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय इस बात की जाँच करे कि घोटाले की करोड़ों रुपए की राशि कहाँ गई। खंडपीठ ने केन्द्र सरकार को सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के कानून में संशोधन करने को भी कहा। खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई अधिकारी बाहर का है तो उसके खिलाफ जाँच सी  बी आई करेगी।


                     एक खबर सुप्रीम कोर्ट से प्राप्त हुई है की सी.बी.आई. नें सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है की  कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और रीता बहुगुणा जोशी को भी अनाज घोटाले अपराधी की तौर पर  शामिल है । 
           कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के द्वारा ज्योंही लखनऊ खंड पीठ नें अपना फैसला 2010 में सुनाया तुरंत इलाहाबाद हाई कोर्ट में उनके एक रिश्तेदार रफत आलम की नियुक्ति प्रधान न्यायाधीश के रूप में कर दी गई जिसके बाद यह मामला इस घोटाले को उठाने वाले याचिकाकर्ता नें सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करवा दिया । मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने के बाद कानून मंत्री महोदय नें अपने पद का फायदा उठाते हुए अपने एक अन्य रिश्तेदार जावेद अहमद को लखनऊ सी.बी.आई. में ज्वाइंट डायरेक्टर बना कर बैठा दिये जिसके बाद से सी.बी.आई. के वकीलों पर अनावश्यक रूप से इस मामले को निपटाने का या रफा दफा करने के लिये दबाव पडने लगा, जिनमें से कुछ मामले दिल्ली तक पहुंच गये हैं । 
            
           इस मामले को दुसरे नजरिये से देखा जाय तो अनाज घोटाले में मुलायम या समाजवादी पार्टी अथवा कांग्रेस पार्टी किसी भी रूप से जिम्मेदार नही बनती दिखलाई पड रही है इस मामले में शंका जाहिर की जा रही है की उक्त सारा अनाज घोटाला अमर सिंह, सलमान खुर्शीद और रीता बहुगुणा जोशी की मिली भगत से हुआ होगा । इस मामले में जनता मुलायम को या समाजवादी पार्टी को इसलिये जिम्मेदार नही मान रही है क्योंकी उस समय मुलायम से ज्यादा अमर सिंह की चला करती थी । 
           अब देखना यह है की कांग्रेस पार्टी जो कई घोटालों में लिपटी हुई है अपने कानून मंत्री से किस तरह से निपटती है . यदि कांग्रेस मामले के उठते ही सलमान से केवल इस्तीफा ना लेकर उनके खिलाफ कडा बयान जारी करती है तो   गांधी परिवार यू.पी. के दिलों में वापसी की उम्मीदें जगा सकते हैं । 
             
विधान सभा चुनाव के समय राहुल गांधी को अक्सर एक जुमला मुसलमान लोग सुनाते थे की क्या राहुल बाबा हमनें मांगा था मुसलमान और आपने भेज दिया सलमान ...... 
          हकीकत ये है की गांधी परिवार नें अपने ऊपर लगने वाले सारे भ्रष्टाचारों को केवल इसलिये सहन किया है क्योंकी वे इस मामले में लिप्त लोगों को अपने परिवार का हिस्सा समझने की भूल करने लगे थे और उन्हे लगता की ये लोग ऐसा नही कर सकते जबकी हकीकत ये थी की इन लोगों नें देश का पैसा खाकर गांधी परिवार को बदनाम करने के अलावा कुछ नही किये ।