Tuesday, November 24, 2015

तीसरा विश्वयुद्ध और भारत - नास्त्रेदमस


From the three water signs will be born a man 
who will celbrate Thursday as his holiday. 
His renown, praise, rule and power will grow 
on land and sea, bringing trouble to the East.  I-50 
इसमे नास्त्रेदमस ने जो लिखे है वह बहुत ही गूढ है । 
यदि इसे हम गूगल मे अनुवाद करें तो यह मिलता है  - 
तीन पानी के संकेत से एक आदमी पैदा हो जाएगा
जो उसकी छुट्टी के रूप में गुरुवार मनाएंगे।
उसका यश, स्तुति, शासन और सत्ता में विकसित होगा
पूर्व के लिए मुसीबत लाने भूमि और समुद्र, पर। 
अब इसका विश्लेषण करें तो जरा। . चूंकि इसके पूर्व मैने गुरूवार की जगह गुरू की महत्ता वाला समझ कर वह नेता मनमोहन सिंह को समझा था किंतु अब जबकि वह नेता नही रहे, तो उनकी बात नही करके आगे भविष्य के नेता की बात करते हैं । हमारे सनातन धर्म में गुरूओं की महत्ता इतनी  अधिक है कि बिना गरू कोई भी कार्य सिद्ध नही किया जाता । हर ग्रंंथ मे गुरूओं की महत्ता बताई गई है और प्राचीन काल मे भारत देश मे गुरूवार को अवकाश रखा जाता था । अब इस दोहे की सीधी व्याख्या करने की कोशिश करते हैं - तीन ओर पानी से घिरे देश ( भारत देश ) में एक महान व्यक्ति पैदा होगा जो गुरूवार के दिन अवकाश रखेगा । उसकी स्तुति गान  चहुं ओर होगी और वह पूर्व देश की भूमि और समुद्र को विकसित करने या मिलाने का कार्य करेगा ।  यदि कोई नेता आकर गुरूवार को अवकाश घोषित करता है तो जाहिर सी बात है वह नास्त्रेदमस की इस भविष्यवाणी का वह प्रमुख नेता बनकर सामने आएगा जिसके पीछे पूरी दुनिया शांति के लिये लडाई लडेगी । 
अब दुसरा दोहा भी देखते हैं  - 
The penultimate of the surname of the Prophet 
Will take Diana for his day and rest: 
He will wander far because of a frantic head, 
And delivering a great people from subjection.  सेंचुरी २-50
अब इसका तोड मरोड किया जाये जरा - इसमे छिपा है पैगंबर के सरनेम के अंत से पहले के नाम वाले व्यक्ति के बारे में। . तो इस पर जरा चिंतन किया जाए कि आखिर पैगंबर कौन है ? ईस्लाम कहता है पैगबंर मुहम्मद है और क्रिश्चियन  कहते हैं पैगंबर ईसा   हैं  … लेकिन तथ्य यह कहते हैं कि पैगंबर यहूदी थे और यहूदी से ही ईसा और मूसा की उत्पत्ति हुई थी । अब हम ईसा मूसा को छोडकर इत्हास के असली पैगंबर यहूदी को माते हुए बात करेंगे क्योंकि कम से कम यह अपवाद नही है । तो यहूदीयों के पैगंबर का नाम मिला है इब्राहिम या अबराहम। .
अब अगर पैगंबर इब्राहिम को मान कर चलें तो उनका नाम यदि इब्राहिम है तो उपनाम भी तो कुछ होगा ?? और नास्त्रेदमस की इस पहेली का हल ये है कि पैगंबर के उपनाम से पहले वाला नाम पैंबर का ही नाम होगा यानि इब्राहिम। .... अब इब्राहिम तो मिल गया लेकिन आगे क्या ?
कौन है वह इब्राहिम जो खूबसूरत  औरतों ( डायना ) को कभी भी अपनी आरामगाह मे ले जाता है  जिसे किसी सिर को काटने मे खूबसूरती दिखती है। । है कोई इब्राहिम नामक ऐसा क्रूर जो खुद को महान समझता हो ?
जी हां। … उस आदमी का नाम है अबु बकर अल बगदादी ....... 
अरे भाई कुछ भी समझ कर मत छोड दिया करो .. आगे भी पढना सिखो
अबु बक्र अल बगदादी जो खुद को महान (खलीफा) कहलाता है , जिसे कटे सिर की सजावट  मे खूबसूरती दिखती है ( यकिन ना हो तो ढेरो विडियो भी देख सकते है जिसमे बडी नजाकत के साथ सिरों को शहर भर मे सजाया जाता है ) वह जो किसी भी खूबसूरत औरत को अपने हरम मे ले जाता है ... उस अबु बकर अल बगदादी का असली और पूरा नाम - इब्राहिम अवाद इब्राहिम अली अल बदरी अल समराई ।

 Earthshaking fire from the centre of the earth

will cause tremors around the New City.
Two great rocks will war for a long time,
then Arethusa will redden a new river.  
( I-87)
The year 1999, seventh month, From the sky will come a great King of Terror: To bring back to life the great King of the Mongols, Before and after Mars to reign by good luck.
(X- 58)

At sunrise one will see a great fire,
Noise and light extending towards 'Aquilon:'
Within the circle death and one will hear cries,
Through steel, fire, famine, death awaiting them. (II- 91)

 ऊपर तीन अलग अलग सेंचुरी मे लिखी हुई पहेली है और यदि इन तीनों को आप आपस मे जोडकर एक बनायें तो यह बनता है कि 1999 के सातवें महिने में आसमान से आतंक का महान राजा (मंगोल कहा गया गया  ) आएगा । सूर्योदय से एक पर एक बड़ी आग देखेंगे, शोर और दिखेगा विशाल रोशनी का गोला । वृत्त मौत के भीतर और एक रोता सुना होगा,  स्टील, आग, अकाल, मृत्यु के माध्यम से ।  धरती के केन्द्र से  दो विशाल चट्टानें एक युद्ध का कारण बनेंगी । क्या न्यूयार्क का वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर जो दुनिया का मुख्य व्यवसायिक केन्द्र भी था... वह दो विशाल चट्टानो की तरह धराशाही नही हुआ ? आतंक के विरूद्ध मुख्य लडाई इसी कारण से शुरू हो सकी वरना हम आज भी अमेरिका को आतंक का समर्थन करते देखते ।
                                               ये तो केवल एक उदाहरण है जो भविष्य में पूरा उतरा । नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी को समझने के लिये तात्कालिन घटनाक्रम को समझना होता है और उसी से यह अऩुमान लगाया जा सकता है कि आगे क्या होगा । 
                                        अब क्या - यदि देखें तो नास्त्रेदमस ने तीसरे महायुद्ध का विधिवत एळान का वह समय दिये हैं जब समुद्र मे महाशक्ति के जलपोत को डुबा दिया जाएगा ... यानि इस समय आतंक के विरू्दध चल रही लडाई मे किसी मजबूत राष्ट्र के जलपोत पर आतंकी हमला करके उसे तबाह कर देंगे जिसके बाद तीसरे महायुद्ध का एलान करते हुए दुनिया आततायियों के विरूद्ध एकजूट होकर लडेगी ... इसी बीच मे उल्लेख है कि - "" जब यह सब कुछ हो रहा होगा तो एक पूर्वी देश का राष्ट्रध्यक्ष विश्व के सारे देशों को एकजुटता से बांध रहा होगा । उसके पीछे दुनिया का हर देश खडे होगा और चीनी-अरब गठबंधन से लडेगा "" जाहिर सी बात है कि जब चीन अरबों का साथ दे रहा होगा तो वह तो दुनिया को नही बांधेगा  और इस समय मोदी जी के अलावा दुसरा कोई ऐसा नेता नही है जिसकी बात दुनिया सुन और मान रही हो । 

Friday, November 20, 2015

तीसरे विश्वयुद्ध के लक्षण - नास्त्रेदमस

पिछले भाग मे जैसा कि नास्त्रेदमस की भविष्यवाणीयों से यह जानकारी मिली थी की महायुद्ध के समय   सागर सूखकर रेगिस्तान बन जाएगा  और यह भविष्यवाणी पूरी तरह से "अरल सागर " पर खरी उतरती है जो दुनिया का चौथा सागर होने के बाद अब पूरी तरह से रेगिस्तान मे बदल चूका है । तो क्या अब कोई शंका है मन मे कि हम तीसरे महायुद्ध के दौर मे  नही है ? हो सकता है अब भी कई लोगों के मन मे यह बात नही बैठी हो कि नास्त्रेदमस ने क्या देखकर भविष्यवाणी किया होगा , तो उन लोगों के लिये यह जानकारी पहुंचना जरूरी है कि नास्त्रेदमस भविष्यवाणी कैसे करता था और उसे यह ज्ञान कैसे मिला ? 
14 दिसंबर 1503 दिन गुरूवार को फ्रांस के कट्टर यहूदी परिवार मे जन्में मिशेल नास्त्रेदमस नें  बाद मे कैथोलिक ईसाई धर्म अपना लिया था । अपने जीवनकाल में नास्त्रेदमस नें फ्रांसीसी राजपरिवार की कई बार मदद की । उनकी बताई भविष्यवाणी के बाद राजपरिवार कई तरह की मुसीबतों से आसानी से उबर जाता था । लेकिन यह सब ऐसे ही नही हुआ । नास्त्रेदमस   1522 में डॉक्टर बन गए थे और अपना क्लीनिक चलाते थे । सन् 1936-37 में फैले प्लेग के कारण उनकी पत्नि और बच्चे खत्म हो गए और बस्ती वालों ने उन्हे सही चिकित्सक ना मान कर उनके पास जाना बंद कर दिये । इसकेबाद नास्त्रेदमस निरूद्देश्य इधर उधर घूमते रहे , जबकि उनके शिष्य शिग्ने के अनुसार वह उस दौरान मानसिक शांति के लिये भारत के हिमालय  क्षेत्र मे चले गए थे जहां उन्हे किसी साधु के द्वारा भविष्य देखने की सिद्धि मिली । शंकाओं को अलग करते हुए अब यदि नास्त्रेदमस की बात करें तो उन्होने यूँ तो दुनिया के हर देश के बारे मे कुछ ना कुछ भविष्यवाणी किये थे किंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होने भारत के ऊपर सबसे ज्यादा भविष्यवाणी किये हैं । इसमे रानी लक्ष्मीबाई से लेकर नरेन्द्र मोदी तक की भविष्यवाणी है और अभी तक यह सभी भविष्यवाणी तभी सही साबित होती आई है जब वह घटना घट जाती है ।
                                                     अब बात करते हैं भविष्यवाणी की  , तो ..   सेंचुरी V-27 Through fire and arms not far from the Black Sea, He will come from Persia to occupy Trebizond: Pharos, Mytilene to tremble, the Sun joyful, The Adriatic Sea covered with Arab blood.
 में नास्त्रेदमस ने जो लिखे हैं उसका अर्थ यह बनता है कि काला सागर से होकर कोई परशिया (फारस की ओर से ) आएगा वह तुर्की और ग्रीस को कब्जा करके अरबी लोगों के रक्त से अरब सागर को खून से लाल कर देगा । अब तुर्की और ग्रीस पर आतंकी कब्जा होना कोई बडी बात नही रह गई है । इन देशों का बडा हिस्सा आतंकी गतिविधियों वाले तत्वों के हाथ में है । वर्तमान मे आतंकी समूह तुर्की से होकर  ही अपना तेल का अवैध कारोबार संचालित करते हैं ।

Sunday, November 15, 2015

फ्रांस अटैक बनाम नास्त्रेदमस का तीसरा महायुद्ध

13 नवंबर को फ्रांस मे जो खूनी खेल खेला गया उसे नास्त्रेदमस ने सालों पहले बर्बर सेना का नाम दिया था । जब मैने पूर्व मे भी लिखा था कि हम लोग वर्तमान मे तीसरे महायुद्ध के दौर से गुजर रहे हैं तो मुझे कई मित्रों की आलोचना का शिकार होना पडा जिसके बाद मैने वह सीरिज लिखना बंद कर दिया । लेकिन अब जबकि मेरे प्रिय आलोचकों को पोप ने तीसरे महायुद्ध की शुरूआत होने की बात कह कर जवाब दे दिये तो मैं उसी कडी को आगे बढाना चाहूँगा । यदि मैने आज से दो माह पूर्व ही यह सब लिख दिया होता तो शायद आप लोगों को तब यकिन नही होता कि इतना भीशण काण्ड होगा और दुनिया अचानक तीसरे महायुद्ध में उलझी नजर नही आती , लेकिन क्या अब आपके पास उन बातों का जवाब है जिसे नास्त्रेदमस नें 400 साल पहले ही बयान कर दिया था ।  खैर अब तीसरे महायुद्ध की बात करते हैं और आपको बताते हैं क नास्त्रेदमस की कूट भविष्यवाणी क्या कहती है -
सेंचुरी 7/70 -  He will enter, wicked, unpleasant, infamous, tyrannizing over Mesopotamia. All friends made by the adulterous lady, the land dreadful and black of aspect. 
ये मूल भविष्यवाणी है जिसका आप कुछ भी अनुवाद कर सकते हैं लेकिन जब इसे अंग्रेजी मे ही लिखा पढते हैं तो कुछ शब्द बनते हैं - मेसोपोटामिया, क्रूर, निर्दयी, व्याभिचार, महिला , दोस्त , मजबूत , काला , जमीन ... 
अब इसका सीधा सा रूपांतर करते हुए बात करते हैं कि एक  क्रूर और निर्दयी व्यक्ति   मेसोपोटामिया मे शासक बनेगा और अनेक प्रबल दोस्त बनाएगा । उसके लोग महिलाओं को व्याभिचार का जरिया बनाएंगे और वह काले लोगों की धरती से होकर अनेक देशों को युद्ध की आग मे झुलसा देगा । 
अब आप जानना चाहेंगे कि ये मोसोपोटामिया कौन सा देश है ? तो दोस्तो  मेसोपोटामिया का यूनानी अर्थ है "दो नदियों के बीच"। यह इलाका दजला और फ़ुरात नदियों के बीच के क्षेत्र में पड़ता है। इसमें आधुनिक इराक़ बाबिल ज़िला, उत्तरपूर्वी सीरिया, दक्षिणपूर्वी तुर्की तथा ईरान का क़ुज़ेस्तान प्रांत के क्षेत्र शामिल हैं यानि लगभग वह सारे क्षेत्र जो वर्तमान में ISIS के पास है ।
अब आते हैं दुसरी कडी पर सेंचुरी 1/51 -  The head of Aries, Jupiter and Saturn. Eternal God, what changes ! Then the bad times will return again after a long century; what turmoil in France and Italy.
इसमें तो शायद कुछ शंका ही नही बचती है । सीधी सी बात है बृहस्पति और शनि जब मेष राशि मे प्रवेश करेंगे तब फ्रांस और इटली दोनो ही देशों मे अफरा तफरी मचेगी । दोनो देश भीषण युद्ध की चपेट मे आकर चरमपंथीयों के गुलाम बन जाएंगे । ( गुलाम बन जाएंगे नास्त्रेदमस के दुसरे दोहों मे अस्पष्ट है ) लेकिन यह होकर रहेगा ।
तीसरी कडी इटली पर ही है - At the New City he is thoughtfil to condemn; the bird of prey offers himself to the gods. After victory he pardons his captives. At Cremona and Mantua great hardships will be suffered.
इटली के दो शहर मान्टुआ और क्रोमिया पर शिकारी पक्षी अपनी प्रार्थना पढेगा , जाहिर सी बात है कि इटली के इन दो शहरो का उल्लेख बताता है कि फ्रांस के साथ ही इटली पर भी तबाही बरपने वाली है ।
और यहां सेंचुरी 1/34 में  ( The bird of prey flying to the left, before battle is joined with the French, he makes preparations. Some will regard him as good, others bad or uncertain. The weaker party will regard him as a good omen. ) शिकारी पक्षी के सामने फ्रांस का झुकना बताता है ।
अब बात करते है आने वाले समय की तो  फ्रांस पर हुए हमले के बाद दुनिया भले ही कहे कि तीसरे महायुद्ध की शुरूआत हो रही है लेकिन हमें तो पहले से पता है कि हम तीसरे महायुद्ध की शुरूआत देख चूके हैं ।
तो अब और आगे क्या ... आगे यह है कि The head of Aries, Jupiter and Saturn.  Eternal God, what changes   ! Then the bad times will return again after a long century;  what turmoil in France and Italy. 
अगर हालात पर ध्यान दें तो साफ जाहिर है कि अब फ्रांस और इटली मे भारी उथल पुथल और मारकाट  का दौर शुरू होने वाला है  . फ्रांस पर हमले के बाद इटली भी  खौफजदा है क्योंकि वर्तमान में उस पर सीधा हमला ईसाईयत के सबसे बडे दुश्मन इस्लाम से हो रहा है जो ईसाइयों से कही ज्यादा क्रूर, खौफनाक और कट्टरपंथी है  और अब आगे की ओर बढते हैं जहां 54 नंबर पर नास्त्रेदमस कहते हैं - I the land with a climate opposite to Babylon there will be great shedding of blood. Heaven will seem unjust both on land and sea and in the air. Sects, famine, kingdoms, plagues, confusion. 
यानि मिश्र (बेबीलोन) की विपरित आबोहवा वाले देश मे प्लेग जैसी बीमारियों के साथ ही खून की नदियां बहेंगी भारी रक्तपात और बीमारीयों से वह राज्य तबाही के कगार पर पहुंच जाएगा ... यहां पर सीधी बात ये समझ मे आती है कि किसी यूरोपीय देश पर कीटाणु या रासायनिक हमला होने की भी संभावना है ।
अब आगे सेंचुरी 2 के 34वें दोहे को देखते है The senseless ire of the furious combat Will cause steel to be flashed at the table by brothers: To part them death, wound, and curiously,  The proud duel will come to harm France. 
 जिसमे लिखा गया है कि एक मेज पर दो भाई विध्वंस के लिये आपस मे ही लड लेंगे और इन सबसे भारी तबाही फ्रांस मे ही मचेगी . यानि की किसी संस्था मे शामिल दो देश आपस मे ही लड जाएंगे और एक आतंक का साथ देगा तो दुसरा शांति के मार्ग की बात करेगा । अभी जी 20 सम्मेलन चल रहा है जिसमे मुझे ऐसा लग रहा है कि शांति बनाने की अपील चीन के द्वारा की जा सकती है ताकि शांति की आड मे वह अपनी आतंकी सहयोग मुहिम को आगे बढा सके ।
लेकिन यह सब कब होगा
इसे नास्त्रेदमस सेंचुरी 6-55 मे कहते हैं कि - By the appeased Duke in drawing up the contract, Arabesque sail seen, sudden discovery: Tripolis, Chios, and those of Trebizond, Duke captured, the Black Sea and the city a desert. 
इसमें एक सागर के सूख कर रेगिस्तान बनने की  बात कही गई है और आपको ये जानकारी होना ही चाहिये की वर्तमान मे दुनिया का चौथा सबसे बडा सागर अरल सागर वर्तमान मे सूख कर रेगिस्तान बन चूका है -
ये थी अरल सागर की पहले की तस्वीर

और ये है आज के सूखे अरल सागर की तस्वीर 




.....
शेष जारी रहेगा 

Thursday, October 22, 2015

राम की जय हो, रावण मृत्यु को प्राप्त हों ।

दशहरा आया और लगे लोग रावण के पुतलों को जलाने , बिना उसका अर्थ जाने या समझे । हमें तो बचपन से यही सिखाया गया है न कि जिस दिन प्रभु श्री राम चंद्र जी लंका जीतने के बाद अयोध्या मे वापिसी किये थे उसी दिन को सारे वैष्णव दशहरे  के प्रतिक स्वरूप पुतले दहन करते हैं । 
लेकिन क्या इससे रावण की जीवन गाथा समाप्त हो जाती है ? नही ! हमें राम के बारे मे तो बताया गया लेकिन रावण के बारेे में क्या ? बात बात पर हिंदु धर्म और जाति वाद की बात करने वाले लोगों को यह बात नजर नही आई की इस देश के एक महान प्रकाण्य ब्राह्मण का पुतला ऐसे लोग जलाते हैं जिनकी औकात  रावण का दास  बनने की भी ना हो । रावण की शक्ति का अंदाजा केवल इस बात से लगा लिजिये कि उसकी मृत्यु पर आज तक खुशी मनाई जा रही है जबकि सच्चाई ये थी की रावण ने कभी भी मनुश्य जाति से कोई बैर नही रखा ।  वह त्रैलोक्य सम्राट था लेकिन क्या उसने लंका के बाहर किसी अन्य देश पर कभी आक्रमण किया ? उस समय अयोध्या, काशी और मिथिला सहित कई देश थे लेकिन कहीं भी यह नही बताया गया कि वे रावण के अधीन थे या उन्होने लंका पर हमला किया हो । तो अब सवाल ये उठता है कि फिर रावण के शत्रु कौन थे ?
रावण के सबसे बडे शत्रु थे देवता ... रावण तंत्र के प्रकाण्य ज्ञाता थे और महादेव के परम भक्त होने के साथ साथ शिष्य भी । उन्होने वेदों सहित सभी ऋचाओं का अध्ययन करके यह जाने थे कि देवता लोग मनुष्यों को अपनी पूजा करने के लिये बाध्य करते हैं । देव लोग कभी नही चाहते की मनुष्य जाति के लोग परमात्मा को सीधे जानें जिसके लिये कभी अकला तो कभी बाढ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के स्ामी बनकर स्वयं की पूजा करवाते थे । देव लोक मे सुरा और सुंदरी की बातें लगभग हर जगह पढने मिल जाती है । स्वर्ग अर्थात देव लोक का प्रिय पेय सुरा है भोज्य मांस और नर्तकी के रूप मे मेनका , रंभा तो जग प्रसिद्ध हैं ही । तो...  देवेन्द्र नें जब रावण को सीधे महादेव के साथ जुडा हआ देखा तो उसने लंका पर भी प्राकृतिक आपदायें लाने का  दुष्प्रयास किया जिसका खामियाजा उसे रावण के पुत्र  मेघनाथ के हाथों शर्मनाक हार के रूप में भुगतना पडा और वह लंका की ओर दुबारा देखने की हिम्मत ना कर सका । इस तरह देवताओं का श्रीलंका में पूजन निशेध हो गया क्योंकि रावण की आज्ञा के अनुसार वहां पूर्ण रूप से सात्विकता इस तरह रखी गई ताकि महादेव सपरिवार कभी भी आना जाना कर सकें ।
नोट -  महादेव , माँ पार्वती (भगवती) , गणेश कार्तिकेय, हनुमान जी  ... इन्हे कभी भी मांस मदिरा का भोग नही लगाया जाता ।
किंतु पूर्वकाल सहित आज भी कई स्थानों पर अन्य देवी देवताओं को बलि दी जाती है । तो रावण जो स्वयं इतना प्रकाण्ड पंडित था लंका मे कैसे मांस मदिरा का प्रवेश होने देता ? रावण की मृत्यु के पश्चात देवताओं के प्रिय देवपूजक ऋषियो ने ( जैसे बशिष्ठ ) रावण औक तंत्र को ही बदनाम कर दिये और स्वयं को तथा मंत्रों को महान बता दिये । तंत्र के आविष्कारक शिव नें  रावण  को जिस तरह से गढे थे वैसा शिष्य बनाना किसी के बस मे नही था लेकिन ब्रहर्षि  विश्वामित्र नें दशरथ पुत्र राम को उसी तरह से गढना शुरू किये जिस तरह से रावण का अस्तित्व बना था । राम का उस जानकी से मिलन करवाए जिसके पिता राजा जनक नें अपने राज्य की ऋषि पत्नि गौतमी ( अङिल्या) के बलात्कारी राजा इंद्र का संपूर्ण पृथ्वी से हिस्सा दिलवाना बंद कर दिये थे और यह आदेश जारी कर दिये थे कि यदि किसी भी .यज्ञ में इंद्र को हिस्सा दिया गया तो उस यज्ञ को वह स्वयं जाकर नष्ट कर देंगे । अर्थात रावण के बाद जनक नें भी इंद्र को चुनौती दे रखे थे । विश्वामित्र नें राम को मथे , जगत कल्याण के लिये विश्वामित्र का साथ माता कैकेयी ने भी देते हुए राम को जगत कल्य़ाण के लिये बनवास में भेज दीं ।  इसके बाद की रामायण तो लोगों को पता है किंतु रावण का नही पता ।
रावण के पास जब सूर्पनखा ( असली नाम स्वर्ण रेखा अर्थात सोने की बनी रेखा ) रोते हुए पहुंची तो याद रखिये कहीं भी नही लिखा है कि रावण तुरंत उठ कर चला गया , वरन् अपने गुप्तचरों से सच्चाई जाना और उसके बाद उसने सूर्पनखा को ही डांट लगाया किंतु सूर्पनखा बार बार रावण के पुरूषत्व को चुनौती देने लगी तब वह स्वयं ( ना की किसी अन्य सेनापति या पुत्र भाई ) राम- लक्ष्मण के परिवार की स्त्री का अपहरण करके अपने साथ लंका लाया किंतु उसे अपने किसी रनिवास या बंद कमरे में ना रख कर  अशोक वाटिका जैसी सार्वजनिक जगह पर रखा । और एक बात - रामेश्वरम् मे राम के हाथों स्थापित शिवलिंग जो समुद्र की रेत का ही बना हुआ है आज तक इसलिये बंधा हुआ है क्योंकि उसमें  प्राण प्रतिष्ठा किसी साधारण मानव ने नही बल्कि प्रकाण्ड पंडित ब्राह्मण श्रेष्ठ पुरोहित रावण के द्वारा की गई थी और वह उसी तरह मान्य है जिस तरह राम च्रद्र जी का बनाया हुआ राम सेतु आज भी विद्यमान है ।
आज लोग रावण को बलात्कारी कहते हैं लेकिन इसका प्रमाण केवल तर्कहीन बातें ही हैं  वह ये नही बता पाते कि रावण की एक पत्नि मंदोदरी का ही नाम रावण के साथ क्यों है , किसी अन्य का क्यों नही ? यदि रावण नें महादेव को गुरू माना तो क्या अपने गुरू से छिपाकर कोई दुष्कृत्य वह कर सकता था ?  संभव ही नही क्योंकि स्वयं शिव नें अपनी एक ही पत्नि को सदा अपनाये हैं चाहे उसके लिये जन्मो जन्मांतर तक प्रतिक्षा क्यों न करनी पडी हो । यदि रावण के किसी दुष्कृत्य से महादेव रूष्ट हुए होते तो वह रावण के अंतकाल मे उसके हाथों स्वयं गढकर आज रामेश्वरम् मे नही बैठे होते ...
और अंत में हमें यह कदापि नही भूलना चाहिये की रावण नें प्राणप्रतिष्ठा के बाद जो हवन में आहूति डलवाये वह -  रावण की मृत्यु हो और राम विजय को प्राप्त हों के साथ संपन्न हुई थी ।
अब आप बताइये...जिस रावण की मृत्यु का उत्सव आज कलयुग तक मनाया जा रहा है वह रावण कैसा होगा ।

Saturday, August 8, 2015

ऐसे बनेगा आतंक का बादशाह ।

            नास्त्रेदमस की अभी तक की भविष्यवाणीयों मे से एक भविष्यवाणी सटिक रूप से ऐसी है जो दुनिया को पक्का सबूत दे रही है कि नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी समय के अनुसार ही अपने नियत समय पर पूरी हो रही है । नास्त्रेदमस ने सेंचुरी VIII- 70 में स्पष्ट रूप से लिखे हैं -    

      He will enter, wicked, unpleasant, infamous, tyrannizing over Mesopotamia. All friends made by the adulterous lady, the land dreadful and black of aspect. 


    इसका साधारण अर्थ है  -   एक कुख्यात आदमी मेसोपोटामिया का तानाशाह बनेगा और अपने कई मजबूत दोस्त बनाते हुए कई देशों को युद्ध की आग मे जला देगा । 



            अब इस बात की खाल निकालते हैं कि मेसोपोटामिया कौन सा देश है ? दरअसल मेसोपोटामिया का यूनानी अर्थ है "दो नदियों के बीच"। यह इलाका दजला (टिगरिस) और फ़ुरात (इयुफ़्रेटीस) नदियों के बीच के क्षेत्र में पड़ता है। इसमें आधुनिक इराक़ बाबिल ज़िला, उत्तरपूर्वी सीरिया, दक्षिणपूर्वी तुर्की तथा ईरान का क़ुज़ेस्तान प्रांत के क्षेत्र शामिल हैं। संलग्न नक्शे में मेसोपोटामिया राज्य की सीमा है और उस नक्शे मे यदि आप देखें तो पाएंगे कि वर्तमान मे उसके अधिकांश हिस्से पर आज काला आतंकवाद ISIS का खलीफा " अबु बगदादी " अपना पैर जमा चूका है । 

     
                                       यानि जिस जगह को नास्त्रेदमस ने तीसरे महायद्ध की शुरूआत  बताया है वहां पर आज सचमुच एक ऐसा आतंक विराजमान हो चूका है जिसके बढते खतरे से सारी दुनिया भयभीत है । नास्त्रेदमस का यह इशारा की वह कई मजबूत दोस्त बनाएगा से जाहिर है कि कोई महाशक्ति ( वर्तमान हालात मे वह चीन हो सकता है ) बगदादी का साथ देकर दुनिया को जीतने मे उसको सहयोग देगा । चीन का  अनुमान इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि नास्त्रेदमस की एक भविष्यवाणी के अनुसार इरान पर और तुर्की पर होने वाले हमले मे जो लाखो की संख्या में सैनिकों की बात हो रही है वह चीन के अलावा और कोई नही दे सकता । 

                               अब उस समय की गणना देखें जब यह समय आने वाला है -   -  सेंचुरी V-25  The Arab Prince Mars, Sun, Venus, Leo, The rule of the Church will succumb by sea: Towards Persia very nearly a million men, The true serpent will invade Byzantium and Egypt. 
                                             
  - अरबों का राजकुमार जब मंगल, सूर्य और शुक्र ग्रह सिंह राशि मे होंगे तब समुद्री जंग में ईसाईयों को मात देगा ।  रान की ओर से लाखों सैनिक कूच करेंगे लेकिन असली आतंक तुर्की और मिश्र मे घुस आएगा  ।   मतलब साफ है की जो परिस्थिति वर्तमान मे चल रही है उसमे किसी को यह बडी बात नही लग रही है कि ईरान और तुर्की भी बगदादी के कब्जे मे चले जाएंगे । 

अब आगे का हाल और देखते हुए कडी जोडने का प्रयास करते हैं - सेंचुरी V-11  The sea will not be passed over safely by those of the Sun, Those of Venus will hold all Africa: Saturn will no longer occupy their realm, And the Asiatic part will change.

                                     अर्थात इस्लाम ( जिसे नास्त्रेदमस शुक्र कहते हैं ) अपनी ताकत पूरे अफ्रीका में फैला लेंगे और चर्च वालों के लिए यह बहुत ही बुरा वक्त होगा । एशिया के कुछ भागों मे भी यह अपनी दखल देंगेे । अब अगर इन सभी कडियों को जोडते चलें तो क्या कहानी बनती है यह देखते हैं । ISIS अपना आतंक फिलहाल तुर्की , सीरीया, ईरान औरर सऊदी अरब में बढाते हुए वह  अफ्रीका की ओर बढेगा ना कि ारत की ओर । ISIS का मुख्य लक्ष्य ईसाईयत की तबाही है जो उन्हे भारत मे नही बल्कि तुर्की होकर यूरोप में जाने से पूरा होगा . यानि वह तुर्की ग्रीस स्पेन से होकर इटली को निशाना बनाएगा जिसके बाद फ्रांस का नंबर आएगा । अभी भारत मे जिस तरह की धमकी ISIS की ओर से आ रही है उससे कदापि नही लगता कि बगदादी किसी भी तरह से अफगान पाकिस्तान होकर भारत आने मे दिलचस्पी लेगा , यानि जाहिर सी बात है कि भारत मे ISIS का खौफ पाकिस्तान और चीन द्वारा  प्रायोजित होगा । यदि बगदादी को अफ्रीका मिल जाता है तो उसे यूरोप पहुंचने मे कोई कठिनाई नही होगी और वह चीन के सहयोग से अमेरिका और रूस को मात देने मे सक्षम होगा और फ्रांस इटली को वह स्वयं अपनी सेना से बर्बाद करवाने मे सक्षम रहेगा । 


सेंचुरी II-4/5 - 
4
From Monaco to near Sicily The entire coast will remain desolated:
There will remain there no suburb, city or town Not pillaged and robbed by the Barbarians.
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That which is enclosed in iron and letter in a fish, Out will go one who will then make war, He will have his fleet well rowed by sea, Appearing near Latin land.

         ये दोनो दोहों को एक करके देखा जाए तो ऐसा लगता है कि इटली ( सिसली ) पर समुद्र की ओर से हमला करने का संकेत है ।  अब समुद्र के रास्ते पनडुब्बी का पहुंचना और अचानक से हमला कर देना कोई बडी बात नही है क्योंकि जब अमेरिका जैसे महाशक्ति के नगर को सुबह के 9 बजे हमला किया जा सकता है तो इटली उस नजरिये से कोई भी दम खम नही रखता है । इटली पर स्पेन के रास्ते आसानी से पहुंचा जा सकता है या फिर लिबिया के समुद्री रास्ते से । 
                              इन सभी कडियों को जोडने से एक बात तो साफ हो रही है कि ISIS से फिलहाल भारत को कोई खतरा नही है लेकिन पाकिस्तान और देश के भीतर बैठे गद्दारों के कारण हमारे देश को नुकसान पहुंच सकता है । हाल के घटनाक्रमों को देखा जाए तो ISIS भारत के नागरिकों को भी कोी नुकसान नही पहुंचा रहा है जिससे यह संदेश भी जा सकता है कि फिलहाल वह भारत से उलझने के मूड मे नही हैं । 
                                   लेकिन जो भी हो ISIS के खलीा अबु बगदादी तो फिलहाल आतंक के बादशाह बनने की दिशा मे जा रहे हैं ।




तीसरा विश्वयुद्ध जारी है ।

  आप यदि ये सोच रहे हैं कि जल्दी ही तीसरा महायुद्ध होने वाला है तो आप मुगालते मे है , क्योंकि जनाब तीसरा विश्वयुद्ध जारी है । इस समय सारी दुनिया लड रही है । कोई गृहयुद्द झेल रहा है तो कोई पडोसी देशों मे उलझ रहा है और जो बचे है वो आतंकवाद से लड रहे है । हाल ही में   मित्र   शिखर खरे जी से बात हो रही थी और बात ही बात मे एक लाइन आई की नास्त्रेदमस ने कहे थे कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब लोगों को धर्म बांटेगा । लोगों को  काला और सफेद रंग चुनना होगा लेकिन इन दोनो रंगो के बीच लाल और पीला भी अपने अधिकार के लिये लडेंगा । अब छोटी सी चर्चा मे तो जो कहना था वह कह दिए लेकिन बिना प्रमाण कहना ... ये भी तो गलत है । तो शिखर भाई चूँकि आप स्वयं नास्त्रेदमस के फैन है इसलिए आशा है की आपके मन मे ज्यादा सवाल नही उमडेंगे ... तो सबसे पहले नास्त्रेदमस की वह भविष्यवाणी जो वर्तमान समय मे सही साबित हो रही है ।

नास्त्रेदमस की सेंचुरी VI -10  में लिखा है - In a short time the temples with colors Of white and black of the two intermixed: Red and yellow ones will carry off theirs from them, Blood, land, plague, famine, fire extinguished by water.

                   इंग्लिश में लिखी गई इस पहेली को वर्तमान दृष्टिकोंण में दो भाग करके देखते हैं  - सबसे पहले मौौसम की बात करते हैं । वर्तमान समय मे सारी दुनिया मे बाढ , तूफान, चक्रवात, भूकंप, इबोला जैसी बीमारी और ज्वालामुखी सहित विभिन्न प्राकृतिक आपदाएं चल रही है । इनसे कोई भी देश अछूता नही है  और जो देश इनसे बच रहे हैं वहां पर युद्ध चल रहे हैं । हमारे देश को तो प्राकृतिक आपदाओं के साथ साथ पाकिस्तान के आतंकवाद और सीमा पर बमबारी के साथ साथ चीन से भी घूसपैठ झेलनी पड रही है । यानि मौसम का हाल देखें तो यह वातावरण नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी मे दिये गए विवरण के हिसाब से सही है ।
                           अब बात करते हैं धर्म की - आज इस्लाम का अर्थ हरा ना होकर काला हो गया है और वह काला रंग लगातार दुनिया में आतंक बढाते हुए आगे बढते जा रहा है । सफेद रंग जो ईसाइयत का प्रतीक है वह तो इससे भयभीत हो ही रहा है लेकिन अकारण भारत का लाल+पीला = भगवा रंग भी प्रभावित हो रहा है । नास्त्रेदमस ने उस समय सीधे काले रंग को स्पष्ट रूप से देख लिए थे जबकि ISIS का काला रंग हाल ही के समय मे अचानक अपने भयावह रूप मे दुनिया के सामने आया है । उन्होने केवल इस काले रंग वाले धर्म को ही नही बल्कि इसके साथ ही और भी कई बातें अलग अलग खण्डों मे लिखकर डालेे  हैं , जैसे "अ" नाम वाला वह क्रूर काला आदमी जो अपने धर्म का प्रखर ज्ञाता होगा । उसकी बोली बहुत ही नरम होगी लेकिन उसका केवल नाम दुश्मनो के दिलों मे खौफ पैदा कर देगा ।
इस बारे मे बाकी विवरण अतिशिघ्र देंगे ......... तब तक वर्तमान हालात और भविष्यवाणी को मिलाने मे आसानी होगी ।

Saturday, August 1, 2015

याकूब अभी जिंदा है ।

30 जुलाई की सुबह खबर आई कि याकूब मेनन को फांसी हो गई है और उसकी लाश पोस्टमार्टटम के बाद उसके परिवार वालों को दे दी गई । लेकिन क्या सचमुच याकूब मर गया है ? क्योंकि याकूब तो कभी अकेला था ही नही । इस याकूब के साथ और भी कई याकूब थे । एक याकूब को तो उसके फर्जी नाम और  पासपोर्ट के बाद भी खुफिया एजेंसी पकड लाई लेकिन जो याकूब पकडाया वो तो केवल एक था । इसके बाद देश ने देखा  एक साथ 40 और याकूबों को  जो अलग अलग नामों और चेहरों  के साथ अपने शरीर के ही एक हिस्से याकूब को बचाने की लिए भागदौड कर रहे थे । फिर देखा ऐसे ही 12 और याकूबों को जो आधी रात को देश की सबसे बडी अदालत को रात मे ही उठा कर बैठा दिये और तब तक अपने शरीर के एक अंग को बचाने का प्रयास करते रहे जब तक कि उसके नष्ट होने की खबर नही मिली । इसके बाद फिर से देश ने देखा दुसरे दिन देश के महानायक स्व. अब्दुल कलाम की खबर को  एक खलनायक याकूब मेमन के जनाजे तले दबते हुए ।
                                                                    यदि अपने प्राचीन कथाओं पर यकिं करें तो इस याकूब का असली नाम  रक्तबीज है जिसके गिरे हर खून के कतरे से एक नया याकूब तैय्यार हो रहा है । वह याकूब इतनी तेजी से जमीन पर गिर कर फैले कि समझ ही नही पडा कि वो याकूब कब अभिनेता बन गया या कब पत्रकार कब विधायक और कब सांसद या समाजसेवी , ये देश को पता ही नही चला । अब याकूब को मारना असंभव हो गया है क्योंकि उसकी जडें तो संसद मे भी है मिडिया मे भी और जनता के बीच मे भी ..
                                                    इसीलिये मैने यह निष्कर्ष निकाला है कि याकूब ना तो मरा है ना ही मर सकता है क्योंकि रक्तबीज को खत्म करना  अब किसी के वश मे नही है । विदेश मे बैठे ढेर याकूबों को मारने की बात करने   वाले लोग क्या ये बताएंगे कि जब अपने ही देश के याकूब को मारने पर सैकडों याकूब खडे हो सकते है तो दस पंद्रह याकूबों के लिए कितने याकूब आ जाएंगे ?
                                                    अब तो मान ही लो भाई याकूब अमर है ।