Sunday, September 22, 2013

छत्तीसगढ में युवा पीढी करेगी त्रिकोणीय मुकाबला ।

यहां पर बात करते हैं छत्तीसगढ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी जी की । अजीत जोगी ने अपने तीन साल के कार्यकाल मे कई महत्वपूर्ण कार्य किये थे जो आज तक वर्तमान सरकार भुना रही है । पूरे राज्य मे बिजली दरों मे कमी, जीरो पावर कट राज्य, शत प्रतिशत विद्युति करण को मंजूरी , सीमेंट के दामों में भारी कमी चुस्त दुरूस्त कानून व्यव्स्था , अपराधों पर नियंत्रण जैसे कई अन्य विकास कार्य जो अजीत जोगी के कार्य काल मे पूरे हुए या आज तक चल रहे हैं जिनका लाभ भाजपा ले रही है । जहां जोगी काल मे 24 घण्टे बिजली हुआ करती थी आज ये आलम है कि राजधानी मे घण्टो बिजली बंद हो जाती है वो भी तब जबकि ऊर्जा मंत्री मुख्यमंत्री ही हैं । जहां एक ओऱ प्रदेश मे आपराधिक गतिविधियां बढी हैं वहीं बेगुनाहों को निजी स्वार्थ सिद्धि के लिये नक्सली बना दिया जाता है ।  
                                                  सबसे ज्यादा दुःखद पहलू ये है कि जिस तरह से केन्द्र की सरकार देश मे मनमानी कर रही है उसी तरह से प्रदेश की भाजपा सरकार भी कोई  कोर कसर बाकि नही रख रही है । उद्योंगो को बढावा देने का ढकोसला करने वाली भाजपा सरकार उद्यमियों को इतना उलझा रही है कि ईमानदारी से काम करने की कोई सोच ही नही सकता । हालात तो ये हैं कि प्रदेश के गृहमंत्री भी अपना दर्द बयां करते है कि - अधिकारी हमारी बात नही सुन रहे हैं । तो क्या बीजेपी की पकड खत्म हो गई मान लें  ??
                                                      नही .. बीजेपी नरेन्द्र मोदी के नाम से स्वयं को सुरक्षित समझ रही है और वास्तविकता भी यही है कि प्रदेश मे कांग्रेस तीन कारणों से शर्मनाक हालात मे है 
कारण 1- हाई कमान मे चापलूसों का जमावडा 
कारण 2- दुसरों के लिये बनाए गए नियमों का स्वयं पालन ना करना । 
कारण 3- झीरम घाटी (दरभा)  कांड मे प्रदेश के प्रमुख नेताओं की शून्यता का बनना ।

                                      इन्ही शून्यता को अवसर समझते हुए प्रदेश के युवा वर्ग ने अप्रयाशित तौर से समाजवादी पार्टी को प्रदेश मे सर्वोच्च प्राथमिकता दे दिया है । बीजेपी सरकार की मनमानी और भ्रष्टाचार से त्रस्त औऱ विपक्ष का गिरता स्तर और अंदरूनी लडाई ने प्रदेश मे समाजवादी पार्टी को नई दिशा तय करने का अवसर दे दिया है । क्षेत्रीय पार्ठीयों मे स्वाभिमान मंच तभी तक कारगर था जब तक उसके संस्थापक ताराचंद साहू जीवित थे आज यह संगठन केवल दुर्ग संभाग में सिमट गया है वहीं छोटे मोटे दल अपनी मौजूदगी दिखाने मे नाकामयाब रहे हैं जबकि समाजवादी पार्टी ने भाजपा के प्रमुख और कद्दावर नेत बृजमोहन अग्रवाल के सामने एकदम नया औऱ युवा चेहरा कुणाल शुक्ला के रूप में दे दिया है । कुणाल शुक्ला रायपुर दक्षिण के ही निवासी हैं तथा वह क्षेत्र ब्राह्मण बहुल क्षेत्र भी है जिससे जातिवाद का गणित एकदम सटिक बैठ गया है ।
                                              कांग्रेस ने मरवाही सीट पर अमीत जोगी या अजीत जोगी दोनो मे से एक को प्रत्याशी बनाने की बात कही है जबकि अजीत जोगी कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता हैं । अजीत जोगी के पीछे सभी विरोधी लगे रहते हैं क्योंकि जो बात गलत होती है वह अजीत जोगी कभी सहन नही करते हैं । वहीं अमित जोगी ने युवा वर्ग मे अपनी मजबूत पैठ बना रखी है, उसके खडे किये गए सभी प्रत्याशी जीतते हैं जो उनकी लोकप्रियता का पैमाना समझा जा सकता है,  लेकिन कांग्रेस ने जिस तरह से जोगी परिवार की अनदेखी की है उससे प्रदेश मे तीसरे मुकाबले की संभावना को बल मिलता है ।
                                                  आज अमित जोगी के साथ प्रदेश के सभी छात्र एक आवाज पर खडे हो जाते हैं वहीं कांग्रेस के संगठन की आवाज पर 10 लोग नही पहुंच पाते हैं । भाजपा की सरकार है इसलिये उसकी डमा की गई भीड को हम वोट नही कह सकते । भाजपा का वोट बैंक वो पीडित उपभोक्ता , जनता है जो केन्द्र सरकार की पैदा की गई महंगाई और भ्रष्टाचार के कारण कांग्रेस से ही दूर हो गई है । 
                                               हालांकि आगे की बात तो समय की कोख मे हैं किंतु  सच कहूँ तो मैं जोगी जी के स्थान पर स्वयं को रख कर देखूं तो मेरे लिये कांग्रेस छोडना बेहद दुःखद हो सकता है,  लेकिन प्रदेश की समस्याओं को देखते हुए किसी पार्टी का ठप्पा लगाए रखना मैं कदापि उचित नही समझता और अपने प्रदेश की समस्याओं आदिवासी और सतनामीयों के शोषण को देखते हुए पार्टी छोड देता ।