Thursday, December 1, 2016

कलयुग के बटुकधर राजा

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणीयों को आप मानो या ना मानो पर कलयुग को तो मानोगे न ! तो बात करते हैं कलयुग की । चारो युग मे कलयुग का अर्थ क्या होता है यह कोई शास्त्री बता सकता है लेकिन हमारा तो दिमाग यही कहता है कि कल का मतलब मशीन और युग का अर्थ जमाना .. यानि मशीनों का जमाना . हर जगह मशीनें कार्य करने लगें अपने पुर्जों के साथ तो समझ लिजिये कलयुग चल रहा है । अब कलयुग है तो जाहिर सी बात है पैसा भी होगा और जहां पैसा होगा वहां धन संपत्ति होगी और जब यह सब होगा तो लडाई तो होनी ही है न ! अब कलयुग के कई लक्षण जिसमे पुत्र कपूत होंगे माता कुमाता होगी परिवार भी एकता से अनेकता मे बंटेंगे धन प्रमुख होगा वगैरह वगैरह .... तो  .. तो यहां से शुरू होती है बात राजा बटुकधर की । बटुक होता है एक पीतल या कांसे का  बना बर्तन जिसे आज  बटलोई कहते हैं ।  बुजुर्गों से आप सबने भी सुने होगे कि एक दिन ऐसा आएगा जब आदमी के पास ढेरों पैसे होंगे सोना होगा लेकिन खाने को एक दाना नही होगा पीने को पानी नही होगा । तो समझिये कि वह समय आ रहा है । राजा कलि के अवतार युगपुरूष श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो विमुद्रिकरण किये है वह उसी दिशा मे आगे बढने की पहली सीढी है । 
                                                              आपके खाते मे लाखों रूपये होंगे पर उसे आप निकाल नही पाएंगे , घर मे सोना होगा लेकिन उससे आप कुछ खरीद नही सकेंगे ऐसे समय वह व्यक्ति जिसके पास एक बटलोई अनाज का भरा होगा वही बटुकधर राजा कहलाएगा । यह कटु सत्य है कि हम लोग आज अनाज की कीमत केवल धन से आंकते है जबकि वास्तविकता यह होती है कि वह अनाज धरती मैय्या की कोख से उत्पन्न होता है जिसमे किसान की मेहनत होती है । किसी की मेहनत और धरती माता के वरदान से मिले अनाज को हम लोग पैसों से खरीद तो लेते है लेकिन क्या उस अनाज का सम्मान करते हैं ? हमे याद है बचपन मे पिताजी या अन्य बुजुर्ग जरा सा चांवल का या गेहूँ का दाना गिरने पर कभी भी झाडु से नही उठवाते थे ... उसे गमछे से समेटते थे या फिर बच्चो को बैठा कर एक एक दाना चुनवाते थे जबकि आज .. हम इतने आधुनिक हो चूके है कि गिरे हुए अनाज को सीधे झाडू मारकर कचरे के साथ बाहर डाल देते हैं , बचे हुए बासी भोजन को यूँ ही फेंक देते है । 
                                                                   याद रखिये परमात्मा नें हर किसी के हिस्से का  अनाज तय कर रखा है कि किसे कितना मिलेगा । आप आजमा कर देखियेगा कि जिस दिन भी आप अनाज को बर्बाद करते हैं उसी हफ्ते या एक दो दिन के बाद ही आपकी तबियत बिगडती है या कुच ऐसी परिस्थिति बनती है कि आपुको भोजन नही मिलता या आप भोजन नही कर पाते हैं । मोदी जी जो भी कर रहे हैं वह नियति के अनुसार हो रहा है लेकिन हमे और आपको भी बदलना होगा । अनाज का सम्मान करना सिखिये और स्वयं को भी बटुकधर राजा के रूप मे विकसित करने का प्रयास किजिये अन्यथा आप चाहे जितने अमीर हो , केवल एक बार उन अमीरों के बारे मे सोच लिजियेगा जो केदार आपदा के समय पूरे खानदान के साथ लापता हो गए हैं । केदार ने भी बताये थे कि आपके पास पैसा तो है लेकिन उससे आप अनाज नही खरीद सकते , सोने के जेवर से लदे और बटुवे मे हजारों रूपये होने के बाद भी आप अपने ऊपर गिरी उस टनो वजनी मिट्टी को नही हटवा सकते जिसके नीचे दब कर आपकी मृत्यु निश्चित है । इसलिये....... नास्त्रेदमस के अनुसार युग पुरूष मोदी जी के कहे अनुसार स्वयं को ढालो वही हमें बचाएंगे और सुरक्षित रखेंगे क्योकि हर लडाई मे जीत अंततः धर्म और सत्य की ही होती है ।