Thursday, December 5, 2013

छत्तीसगढ मे बदलेगा राज- कारण है ज्ञात ।

देश की पांच विधानसभा चुनाव मे अंतिम भाग के रूप मे दिल्ली वासियों ने अपना योगदान दिये हैं । 5 बजे चुनाव का दौर खत्म होते ही सभी चैनलों ने ताबडतोड एक्जिट पोलों की बरसात कर दिये । किसी ने भाजपा को 4 राज्यों मे जिताया तो किसी ने उलझन मे डाल दिया । लेकिन हम तो ठहरे छत्तसीगढिया सो बात करेंगे अपने छत्तीसगढ की । छत्तीसगढ मे कई महान विभूतियां है जो परिणाम को स्पष्टतः भाजपा के पक्ष में बता रहे होंगे तो कुछ कांग्रेस को 70 सीटों पर जीत दिलाने की बात करेंगे और कुछ होंगे जो कहेंगे हमारे बिना सरकार नही बनेगी । तो ... जैसा की भाजपा को जिताने वाले कहते हैं कि भाजपा की सरकार बन रही है तो उनकी बातें आगे करना ही बेमानी है क्योंकि वर्तमान मे उन्ही की सरकार है इसलिए हम उन्ही की सरकार बनेगी मान लेते हैं ।
कांग्रेस के लोगों ने तो कांग्रेस को 70 सीटों पर जीतने का दावा ठोंक दिये हैं तो उनकी बात करना भी व्यर्थ है । ..। तो अब बचते हैं हम जैसे वो लोग जो कहते है कि हमारे बिना सरकार नही बनेगी .... तो किस कारण से कहते हैं ये बात ...
  •  सबसे पहले बात करते हैं प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह जी की - ये भाजपा का राज पाठ 10 सालों तक संभाले हैं और जनता के बीच चाऊर वाले बाबा बन कर अवतरित हुए । इनके राज मे प्रदेश का विकास हुआ है , सडकों का विस्तारीकरण हुआ , प्रदेश के सभी जिलों का विद्युतिकरण हो गया , प्रदेश मे विकास की बयार बहने लगी , गरीबों को सस्ते में अनाज उपलब्ध हो गया । राजनांदगांव से चुनाव लड रहे हैं ।
 रमन सिंह भी हार सकते हैं - रमन राज पहले 5 सालों तक तो ठीक ठाक रहा लेकिन इसके बाद राज्य के बुरे हाल होने शुरू गए । भाजपा के कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया , उन्हे कमाई के लिये कोई अतिरिक्त साधन नही जुटाने दिये गए जबकि पार्टी पद मे बने लोगों ने अपनी संपत्तियां कई गुना बढा लिये । ऊर्झा मंत्री  होते हुए इन्होने छत्तीसगढ विद्युत राज्य मण्डल का विभाजन करके जो कंपनी बनाए वह घाटे मे चलने लगी क्योंकि सरकारी कर्मचारियों से किये जा सकने वाले कामों को निजी ठेकेदार के आदमी करने लगे । हर ठेके मे घोटाले की खबरें बाहर आने लगी, सस्तें मे अनाज मिलने से मजदूरों का अभाव पैदा हो गया  जिससे हर वर्ग दुःखी हो गया है । ये सब तो ठीक था किंतु जिस तरह से गरीब आदिवासीयों को नक्सली बनाने की होड का प्रचलन शुरू हुआ वह रमन सरकार को ले डूबा । आज हर आदिवासी जो जंगल को अपना समझता है डर रहा है कि कहीं उसे नक्सली ना बना दिया जाए । रमन सिंह की विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप मे अलका मुदलियार खडी हैं जिनके पति उदय मुदलियार को दरभा काण्ड मे नक्सलियों ने मार दिया था । अलका मुदलियार के साथ महिलाओं की सहानुभूति लहर खडी है , राजनांदगांव का व्यापारी वर्ग राजनांदगांव के फोर लेन ब्रिज के अब तक अधुरे निर्माण से खासा नाराज है क्योंकि उसकी वजह से उन्हे पिछले 4 सालों से धूल और अव्यवस्थित ट्रैफिक का सामना करना पड रहा है । रही सही कसर अटल बिहारी बाजपेई जी भतीजी करूणा शुक्ला ने वहां पहुंच कर पूरी कर दीं और महिलाओं तथा ब्राह्मण वोटों पर अच्छा खासा प्रभाव डालते हुए अलका मुदलियार का पक्ष मजबूत कर दीं है ............  आगे की बात 8 के बाद ।

                                छत्तीसगढ मे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जिस तरह से योजनाबद्ध होकर काम किए है वह सराहनीय है ।  जनता के बीच मे नरेन्द्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री का चेहरा साबित करके विधानसभा चुनाव मे उन्होने परिवर्तन की अहम् भूमिका निभा दिये । लेकिन एक व्यक्ति ऐसा है जिसने सत्ता परिवर्तन के लिए साम- दाम- दण्ड- भेद का एकदम सही और सटिक इस्तेमाल करके अभी से बाजी अपने हाथों मे  रख लिये हैं ...वह हैं कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ......
                                   अजीत जोगी की एक जबरदस्त पकड ये है कि इनके समर्थक हर दलों मे बराबर भागीदारी बनाए हुए हैं । इनकी क्षमता इतनी जबरदस्त है कि यदि भाजपा को 46 सीटें अब मिलती हैं और कांग्रेस को 41 तो भी अजीत जोगी कांग्रेस की सरकार बना सकते हैं । यदि हम अंदरूनी सूत्रों की मानें तो भाजपा के 5 विधायक वो जीतरहे हैं जिन्हे अजीत जोगी का संरक्षण प्राप्त है यानि की सरकार बनने या बिगडने का समीकरण वो 5 विधायकों से भी संभव हो सकता है । इस विषय मे सोचने पर राजनितिक पंडित दल बदल कानून का हवाला देने लगेंगे लेकिन उन्हे समझाने के लिए इतना ही काफी है कि कानून के  जानकार उसकी कमियों को जानते हैं और उसे अमल मे लाते । दे दिया हूँ ..और दे दिया ..... कानूनी परिभाषा बदल जाती है ।

Sunday, October 13, 2013

हे राम तुम कब आओगे ।

और पिछले हजारों बरसों की तरह रावण आज भी अपनी जगह पर है ।
 वैसे ही निर्लज्जता से भरी हंसी ,
 मनमानी से तैय्यार खुद के नियम कानून, 
बाली के जैसे अपने से बलवान वीरों को अपना मित्र बना कर रखने की कला,
 साधु संतो को प्रताडित करने के लिये खर-दूषण और सूर्पनखा जैसे रिश्तेदार, अपनी सुख सुविधा के लिये दुसरे की सीता का हरण यही तो कर रहा है आज का रावण । लेकिन आज का  रावण अकेला नही है । यह अपने साथ सैकडों बाजू लेकर काम कर रहा है । पहले जो  काम अकेला एक रावण करता था उस काम को आज अलग अलग जगहों पर अलग अलग तरिके से रावण ही कर रहा है नाम बदल कर । कभी वह राम सिंह के रूप मे होता है तो कभी अजमल कसाब के जैसा दिखता है , कभी वह राघव जी की तरह काम करता है तो कभी आसाराम के भेष मे सबके बीच रहता है ।
                                                    रावण ने अपने युग को पूरी तरह से ससम्मान जीया था और अंत काल मे उसने राम को भी सम्मान दिया था । अपने गुरू महादेव शिव के लिये वह अपने ही शत्रु राम के पास जाकर रामेश्वरम् मे रेत के शिवलिंग को बांध कर अप्रतिम स्वरूप दे देता है । रावण सीता का हरण करने के बाद भी अशोक वाटिका जैसी सार्जनिक जगह पर रखता है ताकि बंद कमरे का आरोप कोई उस पर ना लगा दे । 
रावण ने अपनी नगरी को सोने की बना कर रखा था ताकि उसके वैभव से लोग त्रैलोक्य का राजा समझ सकें । वह भरे दरबार मे विभिषण को बडे भाई की हैसियत से केवल भगा देता है वध नही करता है वहीं अपनी एकमात्र पत्नि मंदोदरी को भी सस्मान राजरानी का दर्जा ही मिला रहता है । रावण के राजमहल मे ढेरों दास दासियां थीं किंतु उसका कोई हजारों रानियों वाला रनिवास नही था । रावण अपने पुत्रों को भी वीर बनाकर ही रखा था चाहे वह अक्षय कुमार हो या फिर इंद्र को जीतने वाला मेघनाथ । रावण अतुलित बल का स्वामी था लेकिन राजशास्त्र का भी ज्ञाता था । ज्योंहि वानर राज बाली से उसे हार का सामना होने की स्थिति बनी तत्काल उसने बाली को मित्रता का संदेश देकर अपने साथ कर लिया । उस काल के सभी शक्तिशाली राजा महाराजा रावण के मित्र ही थे कोई भी शत्रु नही था । 
                                  फिर ...... जिसका कोई शत्रु ना हो, देवता जिससे भय खाते हों , स्वर्ग मे इंद्र को जीतने वाला पुत्र हो पाताल मे अहिरावण जैसा शक्तिशाली भाई हो   अपनी बहन के नाक कान कटने के बाद अपनी बहन का बदला लेने के लिये स्वयं ही सीता का हरण कर दिया वह रावण जैसे पराक्रमी, दंभी राक्षसराज रावण का अंत बना ।
                               राम कौन थे, कहां से आए थे ये तो रामायण ने बता दिया लेकिन राम ने जो चौदह सालों तक अपने वनवास को संघर्षपूर्ण तरिके से जीये उसका वर्णन कौन करेगा ? सत्य ये है कि दशरथ पुत्र  राम को भगवान पुरूषोत्तम अर्थात पुरूषों मे उत्तम राम बनाने वाले उनके सदगुरू विश्वामित्र थे । विश्वामित्र ने यदि राम को सहारा नही दिये होते और शक्तिशाली देवास्त्रों दिव्यात्रों से सुसज्जित नही किये होते तो साधारण राम    कितनी देर रावण के आगे टिक पाता । एक साधारण से तीर को भयंकर ब्रह्मास्त्र मे बदलने का दिव्य गुप्त विज्ञान देने वाले विश्वामित्र ही थे जिनकी वजह से राम को विजय प्राप्त हुई । सदगुरू विश्वामित्र ने राम को वह कला दिये जिससे राम ने शिव के धनुष  की प्रत्यांचा चढाकर तोड दियेअन्यथा राजा जनक के दरबार मे सर्वश्रेष्ठ राजा बैठे हुए थे ।
                                राम का जीवन  किसी फिल्म की तरह का नही था जिसमे चमत्कारी ढंग से खाना पीना मिल जाता । राम ने संघर्ष किये वह किसी विमान मे बैठकर जंगल पार नही किये वरन् पैदल बीहड जंगलों को पार किये ।  आज जिन जंगलों को मनोरंजन का साधन बनाया जा रहा है राम ने उन जंगलों का सम्मान करते हुए उस जंगल को क्षति पहुंचाने वाले राक्षसों से मुक्त करवाए थे । राम और लक्ष्मण की मित्रता किसी भी राजा से नही हुई किंतु उन्होने स्वयं राजा ना होते हुए भई अन्यों को राजा बना दिये । खर दूषण को मारकर अपने मित्र निषाद राज को वहां का आधिपत्य सौंप दिये , बाली को मारकर अपने मित्र सुग्रीव को भी राजा बना दिये ..यहां तक की अपनी शरण मे आए विभिषण को भी लंका का राजा बनाकर राजतिलक कर दिये ........।
                             चाहे रामायण हो या फिर हनुमान चालिसा ...सभी पूर्णतः गुरू को समर्पित हैं .. राम, सीता, लक्ष्मण अपने सदगुरू विश्वामित्र के ध्यान मे तल्लीन रहे , रावण अपने गुरू महादेव के ध्यान मे रहे तो हनुमान जी परमपिता परमात्मा प्रभु राम की भक्ति मे तल्लीन रहे । हनुमान जी ने अपने दैहिक गुरू श्री सूर्यदेव के पुत्र अंगद की रक्षा का वचन देकर तब तक उनके साथ रहे जब तक स्वयं अंगद ने उन्हे राम को नही सौंप दिये ।
................ क्या ऐसे हजारों राम के आए बिना आज के लाखों रावणों का विनाश संभव है ????????

Sunday, September 22, 2013

छत्तीसगढ में युवा पीढी करेगी त्रिकोणीय मुकाबला ।

यहां पर बात करते हैं छत्तीसगढ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी जी की । अजीत जोगी ने अपने तीन साल के कार्यकाल मे कई महत्वपूर्ण कार्य किये थे जो आज तक वर्तमान सरकार भुना रही है । पूरे राज्य मे बिजली दरों मे कमी, जीरो पावर कट राज्य, शत प्रतिशत विद्युति करण को मंजूरी , सीमेंट के दामों में भारी कमी चुस्त दुरूस्त कानून व्यव्स्था , अपराधों पर नियंत्रण जैसे कई अन्य विकास कार्य जो अजीत जोगी के कार्य काल मे पूरे हुए या आज तक चल रहे हैं जिनका लाभ भाजपा ले रही है । जहां जोगी काल मे 24 घण्टे बिजली हुआ करती थी आज ये आलम है कि राजधानी मे घण्टो बिजली बंद हो जाती है वो भी तब जबकि ऊर्जा मंत्री मुख्यमंत्री ही हैं । जहां एक ओऱ प्रदेश मे आपराधिक गतिविधियां बढी हैं वहीं बेगुनाहों को निजी स्वार्थ सिद्धि के लिये नक्सली बना दिया जाता है ।  
                                                  सबसे ज्यादा दुःखद पहलू ये है कि जिस तरह से केन्द्र की सरकार देश मे मनमानी कर रही है उसी तरह से प्रदेश की भाजपा सरकार भी कोई  कोर कसर बाकि नही रख रही है । उद्योंगो को बढावा देने का ढकोसला करने वाली भाजपा सरकार उद्यमियों को इतना उलझा रही है कि ईमानदारी से काम करने की कोई सोच ही नही सकता । हालात तो ये हैं कि प्रदेश के गृहमंत्री भी अपना दर्द बयां करते है कि - अधिकारी हमारी बात नही सुन रहे हैं । तो क्या बीजेपी की पकड खत्म हो गई मान लें  ??
                                                      नही .. बीजेपी नरेन्द्र मोदी के नाम से स्वयं को सुरक्षित समझ रही है और वास्तविकता भी यही है कि प्रदेश मे कांग्रेस तीन कारणों से शर्मनाक हालात मे है 
कारण 1- हाई कमान मे चापलूसों का जमावडा 
कारण 2- दुसरों के लिये बनाए गए नियमों का स्वयं पालन ना करना । 
कारण 3- झीरम घाटी (दरभा)  कांड मे प्रदेश के प्रमुख नेताओं की शून्यता का बनना ।

                                      इन्ही शून्यता को अवसर समझते हुए प्रदेश के युवा वर्ग ने अप्रयाशित तौर से समाजवादी पार्टी को प्रदेश मे सर्वोच्च प्राथमिकता दे दिया है । बीजेपी सरकार की मनमानी और भ्रष्टाचार से त्रस्त औऱ विपक्ष का गिरता स्तर और अंदरूनी लडाई ने प्रदेश मे समाजवादी पार्टी को नई दिशा तय करने का अवसर दे दिया है । क्षेत्रीय पार्ठीयों मे स्वाभिमान मंच तभी तक कारगर था जब तक उसके संस्थापक ताराचंद साहू जीवित थे आज यह संगठन केवल दुर्ग संभाग में सिमट गया है वहीं छोटे मोटे दल अपनी मौजूदगी दिखाने मे नाकामयाब रहे हैं जबकि समाजवादी पार्टी ने भाजपा के प्रमुख और कद्दावर नेत बृजमोहन अग्रवाल के सामने एकदम नया औऱ युवा चेहरा कुणाल शुक्ला के रूप में दे दिया है । कुणाल शुक्ला रायपुर दक्षिण के ही निवासी हैं तथा वह क्षेत्र ब्राह्मण बहुल क्षेत्र भी है जिससे जातिवाद का गणित एकदम सटिक बैठ गया है ।
                                              कांग्रेस ने मरवाही सीट पर अमीत जोगी या अजीत जोगी दोनो मे से एक को प्रत्याशी बनाने की बात कही है जबकि अजीत जोगी कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता हैं । अजीत जोगी के पीछे सभी विरोधी लगे रहते हैं क्योंकि जो बात गलत होती है वह अजीत जोगी कभी सहन नही करते हैं । वहीं अमित जोगी ने युवा वर्ग मे अपनी मजबूत पैठ बना रखी है, उसके खडे किये गए सभी प्रत्याशी जीतते हैं जो उनकी लोकप्रियता का पैमाना समझा जा सकता है,  लेकिन कांग्रेस ने जिस तरह से जोगी परिवार की अनदेखी की है उससे प्रदेश मे तीसरे मुकाबले की संभावना को बल मिलता है ।
                                                  आज अमित जोगी के साथ प्रदेश के सभी छात्र एक आवाज पर खडे हो जाते हैं वहीं कांग्रेस के संगठन की आवाज पर 10 लोग नही पहुंच पाते हैं । भाजपा की सरकार है इसलिये उसकी डमा की गई भीड को हम वोट नही कह सकते । भाजपा का वोट बैंक वो पीडित उपभोक्ता , जनता है जो केन्द्र सरकार की पैदा की गई महंगाई और भ्रष्टाचार के कारण कांग्रेस से ही दूर हो गई है । 
                                               हालांकि आगे की बात तो समय की कोख मे हैं किंतु  सच कहूँ तो मैं जोगी जी के स्थान पर स्वयं को रख कर देखूं तो मेरे लिये कांग्रेस छोडना बेहद दुःखद हो सकता है,  लेकिन प्रदेश की समस्याओं को देखते हुए किसी पार्टी का ठप्पा लगाए रखना मैं कदापि उचित नही समझता और अपने प्रदेश की समस्याओं आदिवासी और सतनामीयों के शोषण को देखते हुए पार्टी छोड देता ।

Monday, August 26, 2013

दुनिया का महायुद्ध के शुरूआती दौर में प्रवेश ।

मेरे पूर्व मे लिखी भविष्यवाणीयों पर निराशा रखने वालों के लिये ये उत्साहजनक खबर प्रस्तुत है । अब आप सोचेंगे कि दुनिया तीसरे महायुद्ध में प्रवेश कर रही है तो उत्साह कैसा ? तो मेरा जवाब होगा कि आप जिस तरह से नए निर्माण के लिये उत्सुक होते हैं  वैसे ही सृष्टि भी अपने नियानुसार नया चाहती है । सृष्टि त्रस्त हो चूकि है मनुष्यों की बिछाई विनाश लीला से , हरे भरे जंगलो को काट दिया गया और अनवरत कटाई जारी है , पहाडों से बहने वाली नदियों को बांध बना कर  वहीं पर रोका जा रहा है , मानव अपनी मानवता को छोड रहा है क्योंकि वह धर्म से विमुख हो चूका है । बचपन मे माँ कहती थीं कि एक दिन ऐशा आएगा जब लोग संतो का अपमान करने लगेंगे , एक बटोली (कटोरा) अनाज रखने वाला आदमी बटुकधर राजा कहलाएगा , पैसों का कोई मोल नही होगा हर तरफ अधर्ण और अत्याचार होगा । अब मैं उन्हे कहता हूँ कि माँ आप सही हो लेकिन जो दिन आप कलयुग के अंत मे होगा कहती थी वह तो अब हो रहा है तो क्या अब कलयुग की समाप्ति पर हम खडे हैं ? लेकिन माँ आज भी पूरी तरह से आशांवित जवाब देती हैं कि नही अभी इससे भी बुरा समय आने वाला है , ये तो शुरूआत है ।
                                                              तो हम कहां थे ..... हां दुनिया का महायुद्ध के शुरूआती दौर में प्रवेश पर । इसे आप विषय कहें या फिर भविष्यवाणीयों की पूर्णता लेकिन अब मुझे सबूत मिलते जा रहे हैं कि दुनिया यकिनन विश्वयुद्ध में प्रवेश कर चूकि है , प्रबुद्ध नेता यदि इसे पढें तो शायद कुछ समय के लिये इस महायुद्ध को रोकने का प्रयास भी कर सकते हैं , लेकिन तब कठिनाई और बढेगी । जैसा कि मैने पूर्व में नास्त्रेदमस की भविष्यवाणीयों पर लिखा था उस समय मुख्य रूप से सिरिया का जिक्र हुआ था कि महायुद्ध की शुरूआत लिबिया, इराक या सिरिया से होगा और वह देश रासायनिक युद्ध छेड कर महायुद्ध का आगाज कर देगा  । 
यह सब बताने से पहले उन लक्षणों को निकालते हैं जो तीसरे विश्वयुद्ध के प्रारंभिक लक्षण बताते हैं - 
 1.- तीन ओर समुद्र से घिरे देश का प्रमुख जंगली जानवर के नाम पर आधारित जाति का होगा (मनमोहन सिंह) (1:50)
2.- वह तीन बहनों का पालक होगा जिनके नाम भाग्य पे आधारित होंगे (अमृत , उपेंद्र कौर , दमन  )
3.- दुनिया के शक्तिशाली देश का नेतृत्व ओ अक्षर के हाथों होगा ।
4.- दुनिया के अधिकांश देश आपस में या गृह युद्ध में रत होंगे (इस्राइल-फिलिपिंस, भारत-पाक, दोनो कोरिया, मिश्र, इराक, अफगानिस्तान, लिबिया, मध्य अफ्रीकी देश सुलग रहे हैं )
 5.- ईसाइयत के मुकाबले इस्लाम मजबूत होगा , उन पर कोई नियम कायदे लागू नही होंगे ।
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अब देखें वह समय कब आएगा - 
जब बृहस्पति और शनि मेष राशि में होंगे तब बर्बादी शुरू होगी । फांस और इटली मे अफरा तफरी मचेगी (I-51) जब बृहस्पति और शनि का मे, राशि में सोयगे हो चूका होगा (1999 मे हो चूका है) 
 कैसे आएगा - रातमें ऐसा लगेगा मानो सूरज निकल आया हो । सुअर जैसे मुखौटे पहने लोग दिखेंगे । शोर और चीख पुकार के बीच आसमान में भी युद्ध शुरू हो जाएगा । (I-64)
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इसके अलावा कई ऐसे तथ्य हैं जो महायुद्ध की शुरूआत की ओर इशारा कर रहे हैं -
* एक देश के द्वारा कीटाणु युद्ध की शुरूआत के बाद दो महाशक्ति (अमेरिका - ब्रिटेन) एक साथ आएंगे ।
*नया पोप वेटिकन को छोड फांस मे रहेगा ।
*सभी देश युद्धरत रहेंगे चाहे वह घरेलू हालात हों या दुसरे देशों से ।
*विश्व मे बाढ, भूकंप सहित तमाम प्राकृतिक आपदाएं अपना कहर बरपाएंगी ।
*विशाल पर्वत दहशत पैदा करेंगे और भूकंप देशों को बरबाद करेंगे ।
*भारत के जानवर जाति वाले नाम के मुखिया की मौत के बाद दक्षिण भारतीय नेता कमान संभालेगा ।
*सत्ताधीश कानून का माखौल उडाएंगे और जनता त्राही त्राही करेगी ।
*भय, भूख और भ्रष्टाचार का सर्वत्र माहौल होगा ।
*ताकतवर और ताकतवर बनेंगे लेकिन कमजोरों की लाशों को बिछा कर ।
*इस्लाम अपने सर्वोच्तम पर पहुंचेगा और हर देश में इनका स्वयं का नियम कायदा होगा ।
*इस्राइल को खत्म करने के लिये अरब एकजूट हो जाएगा ।
*चीन अरबों गठबंधन पश्चिमी देशों के लिये परेशानी खडा करेगा ।
*भारत मे मूल धर्म को कुचल दिया जाएगा और हरे सफेद धर्म वाले अपना प्रभुत्व कायम करेंगे  ।
*मुस्लिम शहजादा ईसाइ से प्रेम विवाह करेगा जिसके बाद से उसके देश मे हाहाकार मच जाएगा । 
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अब आगे क्या होगा यह तो समय बताएगा लेकिन अब हमें सोचना है कि हम अपने  धर्म के प्रति क्या भावना रखते हैं ।

Wednesday, May 8, 2013

कर्नाटक, कांग्रेस औऱ कराह

8 मई 2013 का दिन कर्नाटक की जीत के साथ देश की दशा और दिशा तय करने वाले दिन के रूप मे याद रखा जाएगा । यह चुनाव उस दौर मे हुए जबकि केन्द्रनीत कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार के साथ साथ ताजा उठे रेलमंत्री के भांजे के घूस कांड मे उलझी हुई दिखलाई पड रही थी । देश को लग रहा था कि कांग्रेस के केन्द्र पर लग रहे भ्रष्टाचार और रिश्वत के साथ साथ सी.बी.आई. को मैनेज करने के आरोपों के बीच बीजेपी कर्नाटक को आसानी से निकाल लेगी और येदि का कोई भी प्रभाव बीजेपी पर नही पडेगा । 
                                                         लेकिन कर्नाटक की जनता  ने जिस शांत भाव से चुनाव मे अपना वोट देकर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत से वापसी करवाई  उससे सभी दलों को  एक स्पष्ट संदेश मिला कि केन्द्र मे जो हो रहा है वह सांसद निपटेंगे और हमारे प्रदेश मे जो लूट खसोट कर रहा है हम उसे बेदखल कर देंगे । भाजपा के बुढऊ रणनीतिकारों की कार्यप्रणाली पर यह प्रश्न चिन्ह लग चूका है कि अब उनमे कोई दमखम नही बचा है और वो पार्टी के लिये केवल एक बोझ हैं । गुजरात के चुनाव को मोदी ने अपने अकेले के दम पर केवल अपने विकास के नाम पर जिताया तो वहीं दुसरी ओर कांग्रेस ने बीजेपी को हिमाचल के बाद कर्नाटक मे भी पटखनी दे दी । 
                                                          चूंकि मोदी कर्नाटक चुनाव मे सक्रिय नही रहे क्योंकि जिन लोगों ने उनके लिये गुजरात में कठिनाई पैदा किये थे कर्नाटक की जवाबदारी उन्ही के हाथों पर थी और उन लोगों ने यहां पर मोदी के जादू चलाने का असफल प्रयास भी किये . दरअसल यह जीत बीजेपी के रूढिवादी बुढऊ नेतृत्व की करारी हार है जिसे मोदी और कांग्रेस दोनों ने मिल कर उन्हे प्रदान किये हैं । कर्नाटक मे पूरी तरह से अपनी मनमानी चलाने वाले तथाकथित लौहपुरूष इतनी करारी शिकस्त के बाद भी जीवित कैसे बचे हैं यह भी जनता के लिये रहस्य रहेगा । 
                                                         कांग्रेस की इस जीत ने उसमे एक नया उत्साह भर दिया है और वह नवंबर मे होने वाले चुनाव के लिये पूरी तरह से तैय्यार हो चुकी है । डर केवल इस बात है कि कहीं कांग्रेस अतिआत्मविश्वास मे आकर कहीं लोकसभा भंग ना करा दे क्योंकि ऐसा हुआ तो बीजेपी पूरी तरह से नरेन्द्र मोदी को आगे कर देगी और फिर कांग्रेस का जादू मोदी के आगे फिका पड सकता है । कर्नाटक चुनाव पूरी तरह से सोनिया और राहुल के नियंत्रण मे रहा है और यह जीत पूरी तरह से जीत का श्रेय केवल इन्ही दोनो को जाएगा । यह पहला चुनाव देखने को मिला है जिसमे सोनिया ने पूरी सक्रियता के साथ अकेले हर मोर्चे पर बीजेपी को शिकस्त दी है जो प्रशंनीय है । राहुल गांधी भी राज्य के युवाओ को रिझाने मे कामयाब रहे उनके भाषण छोटे लेकिन पूरी तरह से आक्रामक रहे और सबसे बडी बात कांग्रेस इसलिये जीती क्योंकि जनता को प्रदेश की भ्रष्ट सरकार से मुक्ति चाहिये थी जैसे छत्तीसगढ की जनता मुक्त होने को तडप रही है ।

Sunday, March 24, 2013

छत्तीसगढ- कैंसर पीडित की वेदना संयुक्त राष्ट्र परिषद तक पहुंची ।



 ये मेडिकल सर्टीफिकेट पी.जी. कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय , बिलासपुर के प्राध्यापक डॉ. एस.सी. शुक्ला का है जिन्हे मेडिकल डॉक्टरों के द्वारा चेकअप करने के पश्चात कोशिका कैंसर से पीडित पाते हुए उन्हे यह सर्टिफिकेट दिया था । इस मेडिकल सर्टिफिकेट को जारी करने की तिथी है 7 अप्रेल 2012 । यह एक वर्ष की वैधता वाला है तथा इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि छ.ग. शासन कि परिपत्र क्रमांक 2-39/93/17 मेडि. 4 दिनांक 10.11.1995 के अनुसार लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों के उपचार में द्वितीय अभिमत से छूट दी गई है । 
                             अब जबकि इन्हे कैंसर है औऱ इनका नियमित इलाज अपोलो अस्पताल में चल रहा है, इसके बाद भी छत्तीसगढ शासन के उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा 30 जुलाई 2012 को स्थानांतरण आदेश दे दिया जाता है और इनका ट्रांसफर बिलासपुर से बाहर शास. महाविद्यालय पंडरिया, जिला कबीर धाम कर दिया गया । स्थानांतरण के बाद भी सरकार के अन्याय की इंतेहा खत्म नही हुई , बल्कि उसी सूची में इनकी धर्म पत्नी श्रीमती अर्चना शुक्ला का स्थानांतरण भी शास. राजीव गांधी महाविद्यालय लोरमी जिला मुंगेली कर दिया गया । नियमों के अनुसार यदि पति पत्नी एक ही विभाग में कार्यरत हों तो उनका स्थानांतरण एक साथ- एक ही स्थान पर किया जाता है जबकि इस मामले में नियमों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है ।
                      डॉ. एस.सी. शुक्ला की पत्नी व इनके छोटे भाई कमल शुक्ला के द्वारा कई बार मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग सहित मुख्यमंत्री के पास निवेदन दिया गया , यहां तक की मुख्यमंत्री के जनदर्शन में भी यह अपनी बात रख आए किंतु 7-8 माह बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा कोई सुध नही ली गई ।
                   
                       डॉ. शुक्ला का मामला इनके छोटे भाई कमल शुक्ला के द्वारा IHRO छत्तीसगढ के सामने रखा गया । मामले की शुरूआती बातों को जानने के बाद यह समझ में आया कि सरकार अपना रवैय्या नही बदलने वाली है अतः मेरे द्वारा यह मामला अपने मुख्यालय के समक्ष भेज दिया गया ।
                             मुख्यालय द्वारा मांगी गई सारी जानकरी उन्हे उपलब्ध करा दी गई जिसके बाद IHRO के राष्ट्रीय सचिव अनुराग ज्योति के द्वारा मामले को एमनेस्टी इंटरनेशनल, राष्ट्रीय  मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली भेजा गया  , किंतु मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी एक प्रति संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद के मुख्यालय जिनेवा , स्विटजरलैंड  भी भेज दी गई है ।  संभवतः पूरे छत्तीसगढ की यह पहली शिकायत है जो संयुक्त राष्ट्र मा.अ. परिषद को भेजी गई है किंतु यही एक शिकायत पूरे छत्तसीगढ के लोगों को उनके मानव अधिकार के बारे मे जागृत करने के साथ साथ सरकार को भी चेतावनी दे सकती है कि लोकतंत्र की सरकारों को विश्व समुदाय के बनाये नियमों के अनुसार चलना चाहिये अन्यथा भविष्य में इसके दुष्परिणाम झेलने पड सकते हैं ।

                                                

Saturday, February 23, 2013

देश का नकारा विपक्ष

आज देश की दुर्दशा के लिये हर कोई सत्ता पक्ष को कोस रहा है । कांग्रेस के कारण देश में महंगाई बढ गई है कांग्रेस के कारण देश मे आतंकी गतिविधियां बढ रही है , कांग्रेस के राज में भ्रष्टाचार चरम पर है , कांग्रेस के राज में बलात्कार हो रहे हैं , कांग्रेस का वर्तमान राज यानि अप्रत्यक्ष आपातकाल..........  वगैरह वगैरह......... कांग्रेस को सब कोस रहे हैं ..हम भी कोस रहे हैं और कोसते ही रहेंगे लेकिन  जिस तरह से सरकार सोचती है उस तरह से हम नही सोचते । संसद में क्या होता है जनता कुछ जानती है बाकि नही जानती । हर किसी को सोचने की आजादी है लेकिन उस सोच को लिखने की आजादी नही है । सोशल मिडिया में लिखते ही अगर कोई चपडगंजू केस करने की धमकी देता है तो सबसे पहले अपने उस विचार को हटाने की ओर ध्यान जाता है जो इस मानसिकता को दर्शाता है की यदि केस लगा तो कौन फालतू के झंझट में फंसेगा । सोशल मिडिया में हल्ला करने वाले सैकडों है जो देश औऱ धर्म की बातें करते रहते हैं लेकिन अपना नाम और चेहरा अज्ञात रखते हैं । 
                                  चलो अब सोशल मिडिया से बाहर आते हैं औऱ हमला करते हैं विपक्ष पर क्योकि हमारा विपक्ष सबसे अच्छा नकारा साबित हो रहा है । बोफोर्स से लेकर हेलीकॉप्टर घोटाले तक इससे ज्यादा घटिया विपक्ष का दुसरा उदाहरण देखने को नही मिल सकता । जब आम जनता बाबा रामदेव के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ रामलीला मैदान में जुटती है तो ये निकम्मे विपक्षी अपने अपने दडबों में घुसे रहते हैं जब दामिनी के लिये इंसाफ मांगने वालों के ऊपर पानी की बौछारें और आंसू गैस छोडी जाती है तो ये ऊंघते रहते है जब देश के प्रधानमंत्री टी.वी. पर पुछते हैं ठीक है तो ये आलसी सिर तक हिलाने की जहमत नही उठाते । 
                                अब संसद में जाकर बैठे तो कहते हैं गृहमंत्री भगवा आतंकवाद पर देश से माफी मांगे । यानि बजाय देश में हो रहे भ्रष्टाचार और आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने की मांग करने के इन्हे भगवा आतंकवाद की बात सूझ रही है । 
                                    पेट्रोल डीजल के बाद अब शक्कर की किमतें भी  बाजार को तय करने का अधइकार दिया जाने वाला है और शक्कर बाजार देने के बदले मिलने वाले समर्थन से सरकार चलते रहेगी लेकिन विपक्ष को भी लगता है हिस्सा मिलने वाला है औऱ वह शक्कर के बाजारों को नियंत्रण मुक्त होने के बाद देश बंद करने जैसी हरकतें करेंगे । एफ.डी.आई. पर विपक्ष ने क्या किया , हेलीकॉप्टर मामले पर विपक्ष क्या कर रहा है शक्कर को सरकारी नियंत्रण से क्यों मुक्त किया जा रहा है क्या ये सब बातें पुछने के लिये जनता को धरना प्रदर्शन करना पडेगा । ये निकम्मा विपक्ष इस तर की हरकतें कर रहा है मानो कोई उससे विपक्षी दल का पद छिन लेगा ।

Saturday, February 16, 2013

देश का सत्यानाशी मुद्दा ।

बहुत दिन पहले की बात है जब मैं लिखने की कोशिश करता था उस समय सोचता था ऐसा लिखूंगा वैसा लिखूंगा फिर अखबार में छपेगा और देश का कल्याण हो जाएगा । वैसे भी लेखकों के लिये अगर कोई विषय बचता है तो वह देश होता है । महंगाई से लेकर दामिनी तक जैसे  मुद्दे तो आते जाते रहते हैं लेकिन देश का मुद्दा एक ऐसा मुद्दा है जो   देश के नेताओं से लेकर भीखारी तक की सभी की भूख मिटाने में कारगर रहता है । देश के मुद्दों पर  औऱ घर के चुल्हों मं बहुत ही कम फर्क होता है । हम घर में रोटी पकाने के लिये पहले गेहूँ पिसकर आटा तैय्यार करते हैं फिर उस आटे में पानी मिलाकर गुंथते हैं फिर  उसकी लोई काटते हैं उसके बाद चुल्हा जला रोटी बेलते और सेकते जाते हैं । लेकिन देश के मुद्दों की रोटी पकाने की विधी उलट होती है । अब  अभी अपने पास कोई मुद्दा नही है  इसलिये पुराने मुद्दे को देखते की उसकी रोटी कैसे पकी । बहुत पहले यानि की लगभग दो तीन माह पहले का ये मुद्दा है दामिनी वाला उस दामिनी की रोटी देखिये कैसे पकी .... दामिनी अपने भावी मंगेतर के साथ घर के लिये लौटने हेतु बस का इंतजार कर रही थी । एक बस रूकी और उससे कहा गया कहां जाता है बहन जी ..आइये आइये ऊपर आ जाइये ... इसके बाद उस बस में बैठे 6 लोगों ने उसके साथ जो किया वो बताने के लिये आप किसी दुसरी साइट पर ढुंढिये क्योंकि यहां पर केवल मुद्दों की रोटी बन रही है । 
                                                 उसके बाद जो हुआ वो सब अचानक होता गया अचानक कई लोगों का विजय चौक पर जमा हो जाना अचानक से आप का आ जाना अचानक से राष्ट्रपति भवन पहुंचने की कोशिश करना , आधी रात को अचानक सोनिया का मोमबत्ती धारकों से मिलने आ जाना वगैरह वगैरह ... 
            अब देखिये इसकी रोटी कैसे बनती है - 
सबसे पहले दामिनी अस्पताल पहुंची  मुद्दा  बना अस्पताल पहुंचाने में देर लगाई गई 
फिर उसे इंसाफ दिलाने के लिये मोमबत्ती धारकों पर पुलिस प्रहार हुआ - मुद्दा बना पुलिस की क्रूरता
सोनिया रात को मोमबत्ती धारकों से मिली - मुद्दा  बना देश के लिये सोनिया जाग भी सकती हैं
फिर दामिनी को सिंगापुर ले गये -  मुद्दा बना मुर्दा शरीर को सिंगापुर क्यों ले जाया गया
फिर दामिनी को अधिकृत तौर से मृतिका घोषित करके वापस लाया गया और अँतिम संस्कार कर दिया गया-  मुद्दा बना गुप्त रूप से क्यों ये सब किया गया ।
फिर दामिनी के मातापिता को पैसे दिये गये -  मुद्दा बना पैसों से माँ बाप को खरीदा गया
फिर इंसाफ की मांग की गई -  मुद्दा  बना नाबालिग को कैसे फांसी की सजा दी जा सकती है
अब मामला फास्ट कोर्ट में है -  मुद्दा बना मामले में गति धीमी चल रही है ।
                                                               अब ये मुद्दे पर मुद्दे बनते चले गये और कई लोगों ने इसकी बनी रोटीयाँ खाई । किसी ने प्रेम से बैठकर तो किसी ने लाठी खाकर लेकिन दामिनी मुद्दे से रोटीयां सबको मिली । भीख मांगने वाला भी अपनी बेटी की ओर देखकर कहने लगा था बेटी संभल कर भीख मांगना दामिनी का मु्दा चल रहा है ।
                                        खैर ये तो हुई पुरानी बात अब एकदम ताजी ताजी खबर को मुद्दा बनाते हैं । ये मुद्दा इतनी तेजी से उछल रहा है की आप लोगों तक पहुंच ही चुका होगा या पहुंचने वाला होगा
                              ये मामला है गोधरा का जी हाँ  2002 को हुआ मामले में अभी तक रोटी बनाई और खाई जा रही है । ये हमारे देश के  लिये बेहद शर्मनाक मामला है और इसके मुद्दे की रोटी बहुत स्वादिष्ट होती है जबकि हमारे देश के लिये गौरव शाली इतिहास बनाते बोफोर्स, कामनवेल्थ, 2जी हेलीकाप्टर खरीद दलाली और महंगाई , भ्रष्टाचार  जैसे मामलों की रोटीयां इतनी कडवी होती है की बडी मुश्किल से इसका निवाला भीतर जा पाता है ।
                               इसलिये हे देश के लोगों यदि तु्म्हे मजेदार लज्जतदार मुद्दों की रोटीयां खानी हो तो दामिनी , एफ.डी.आई., भगवा आतंकवाद , क्रिकेट जैसे मु्द्दों  पर ही कायम रहना होगा क्योंकि इस देश में इस्लामी जेहाद, सरकारी घोटाले, नेताओं की काली करनी, आतंकवाद, पाकिस्तान, सैनिकों के सिर कटने जैसे मुद्दों की रोटियां आपके लिये महंगाई बढाकर स्वाद कडवा कर देंगी । 
                                   देख नही रहे हो हेलीकाप्टर घोटाले में फंसते ही सरकार ने पेट्रोल, डीजल के दाम बढा दी है और अब शक्कर को भी खुले बाजार में बिकवा कर महंगी करने की तैय्यारी में है ताकि ऐसे मुद्दे उठाने की कीमत तुम्हे कडवी रोटी देकर चुकानी पडे ।

Saturday, January 19, 2013

देश भक्ति मत झाडो, देश हम चला रहे हैं ।

डीजल हर महिने 50 पैसे की दर से बढते हुए अंततः सब्सीडी मुक्त हो जाएगा .औऱ हाँ रसोई के दामों की चिंता ना करे वो तो आप जब खरीदने के लिये पहुंचेगे तब बता दिया जाएगा की उसकी किमत कितनी बढाई गई है आप तो इस बात पर खुश हो जाइये की कांग्रेस ने सिलेंडर की संख्या 6 से बढा कर 9 कर दी है । ये हमारे देश की बदकिस्मती है की  जनविरोधी सरकार हम पर राज कर रही है और जनता केवल लोकतंत्र का ढोल अपने माथे पर फोड रही है । देश में एक बदलाव की उम्मीद जागी थी अन्ना हजारे से, लेकिन वो केजरीवाल के भ्रष्ट आचरण में ढह गई फिर लगा बाबा रामदेव कुछ कर दिखलाएंगे लेकिन आधी रात के सरकारी लाठीचार्ज से वो भी भाग गये । जनता खामोश रही चुपचाप एफ.डी.आई. औऱ भ्रष्टाचार को सहती रही फिर आ गई दामिनी , इसने एक नई दिशा दिखलाई लोग बिना किसी बाबा या नेता के सहारे खुद ब खुद जमा हो गये और देश की लाखों दामिनी के लिये लडते दिखलाई पडे । लेकिन फिर वही हुआ जिसका देश को से अंदेशा था दामिनी की आग को बुझाने के लिये सबसे पहले एफ.डी.आई. लागू कर दिया गया उससे फर्क ना पडते देख सचिन से सन्यास दिलवाया गया उसमें भी सचिन की बेइज्जती होती देख लाठी डंडो और आंसू गैस का सहारा लिया गया सब कुछ होता रहा लेकिन दामिनी की आग नही बुझ पाई ।
                                    जिस दामिनी के लिये पूरा देश लडने के लिये दिल्ली पहुंच रहा था उस दामिनी को भी सरकार इंसाफ नही दिला पा रही है इससे ज्यादा शर्म की बात कांग्रेस के लिये नही देश के लोगों के लिये है, देश की जनता के लिये है । कितनी आसानी से दामिनी को लोग भुला कर सैनिकों के कटे सिर के पीछे दौड पडे    कट्टर राष्ट्रवाद से बचने की नसीहतें सरकार देती दिखलाई पडने लगी । कांग्रेस भूल गई की ये देश केवल सरकार को सत्ता संभालने के लिये दिया गया है ना कि जनता को गुलाम बना कर रखने के लिये  और फिर कटे सिर के सैनिक ने सरकार की सारी खामियों को दबा दिया । लोग भ्रष्टाचार भूल गये, एफ.डी.आई. भूल गये, दामिनी भूल गये औऱ आज देश की जनता सैनिक के कटे सिर को केवल इसलिये भूल गई क्योंकि उन सैनिको के घर सेना प्रमुख चले गये     और इसके साथ ही उन सैनिकों की याद मिटाने के लिये सरकार ने डीजल की आग लगा दी ताकि उसमें उसके सारे पाप जल जायें ।
                                                                अब कांग्रेस का चिंतन शिविर लगेगा जिसमें बात होगी अपनी छबी सुधारने की । किस तरह से सोशल मिडिया पर नियंत्रण किया जाय या उसके बडे ग्रुप के लोगों को किस तरह से मिडिया की तरह मैनेज किया जा सके क्योंकि खुद कांग्रेस के नेताओं की फालोवर संख्या उतनी नही हो पाती है जितनी एक देशभक्ति से ओत प्रोत एंटी कांग्रेस वाले किसी ग्रुप की हो जाती है ।
                                                   हर बडी घटना से बडी घटना बनाने के बाद पहली घटना को दबाने की ये कांग्रेसी चाल कब आम जनता को समझ पडेगी ये देखने और समझने की बात है । वैसे अब ज्यादा समय नही है जब कांग्रेस को उसके गुनाहों की सजा मिलेगी । ये भारत देश है जहां के लोगों का अटल विश्वास  है की हर गुनाहों की सजा ईश्वर जरूर देता है । वैसे भी कांग्रेस के चिंतन शिविर में सुबह सोनिया ने कही की कांग्रेसी आपस में लडना बंद करें और उसी रात छत्तीसगढ भिलाई की होटल अमित में कांग्रेसी शराब के नशे में धुत होकर गोलीयां चला दिये आपसी झगडे में ।