Monday, January 11, 2016

सऊदी अरब, उत्तर कोरिया के बीच चीन के मायने ।

वर्तमान मे दुनिया आईएसआईएस के बाद कहीं और देख सुन रही है तो वह  हैं   उत्तरी कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन और सऊदी अरब के  प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल-सऊद को । मोहम्मद सलमान  जो दुनिया के सबसे युवा रक्षा मंत्री भी है , दुनिया भर मे चल रहे युद्ध के दौरान अपनी अपनी रणनीती और भूमिका को लेकर दुनिया के सामने आयें है और दुनिया केवल इन्हे सुन रही है या हरकते देख रही है लेकिन इरादे नही भांप रही है । जहाँ एक ओर  उत्तरी कोरिया नें अपने देश के प्रमुख  किम जोंग उन को जन्मदिन के तोहफे के रूप में हाइड्रोजन बम की ताकत से नवाजा है,  तो  वहीं दुसरी ओर सऊदी में मोहम्मद सलमान नें एक साथ 48 शियाओं को फांसी पर लटका के ईरान  सहित सभी खाडी देशों को सकते में डाल दिया है ।  
          इन दोनों देशों का नेतृत्व अब युवा संभाल रहे हैं और दोनो के ही हाथों मे शांति के साथ विनाश की भी चाभी है , इसलिये यह सोच कि उत्तर कोरिया और सऊदी अरब मिलकर पूरी दुनिया को युद्ध की आग में झोंक सकते हैं कभी भी सही साबित हो सकती है । उत्तरी कोरिया को हाइड्रोजन बम से लैस करनें मे दुनिया को पाकिस्तान का हाथ दिख रहा है, जबकि दुनिया के देश चीन को भूल जाते हैं । चीन-उत्तरी कोरिया की सीमा सटी हुई है जिसके कारण सबसे ज्यादा आसानी से चीन ही उत्तरी कोरिया को हाइड्रोजन बम से लैस कर सकता है । पाकिस्तान के पास बम बनाने की तकनीकी भले ही हो लेकिन अमेरिका उसे बम बनाने देगा , यह असंभव है । जाहिर सी बात है चीन उत्तरी कोरिया  के कंधे पर बंदुक रख कर दुनिया को धमका रहा है । अब एक कनेक्शन बनानें की कोशिश करते हैं सऊदी अरब, उत्तरी कोरिया, चीन और पाकिस्तान के बीच । सऊदी अरब पाकिस्तान को पैसे देता रहा है ताकि वह अपनी परमाणु ताकत वक्त आने पर सऊदी अरब को सौंप सके यानि एक तरह से सऊदी नें पाकिस्तान को अपना शस्त्रागार बना रखा है । सऊदी अरब और ईरान के मध्य कभी भी जंग छिड सकती है इसलिये सऊदी अरब के रक्षा मंत्री  के रूप में मो. सलमान खुद पाकिस्तान पहुंचे हैं और कहा यह जा रहा है कि ईरान के विरूद्ध कार्यवाही में पाक सऊदीया का सात दे, जबकि रक्षा सूत्रों की मानें तो सऊदी पाकिस्तान से अपने विध्वंसक हथियार लेने की तैय्यारी के सिलसिले में लगातार आवाजाही बना रहा है । 
                                               परमाणु हथियार पहले की तरह अब इतने बडे नही होते कि उन्हे लाते ले जाते कोई देख सके , इसलिये यह आशंका जताई जा रही है कि सऊदी अपने हथियारों को पाकिस्तान से नामचीन लोगों के बेडों के साथ ही ले जा सकता है । अमेरिका ,रूस, फ्रांस सहित संयुक्त राष्ट्र का ध्यान अभी इराक और सीरिया की ओर है और जब फ्रांस पर हमला हुआ तो उस समय ईरान नें सऊदी अरब और आतंक के गठजोड की  एक रिपोर्ट जारी किया था जो सऊदी अरब के कडे विरोध के कारण जर्मनी मे ही दबा दी गई । वहीं दुसरी ओर देखा जाए तो चीन और उत्तरी कोरिया दोनो ही देशों की सीमायें एकदम सरल बना कर रखी गई हैं । यह दोनो ही देश अपने देश को रहस्य मे छिपा कर रखते हैं जिसके कारण दुनिया को इन दोनो देशों की अंदरूनी ताकतों का पता नही चल पाता है । अब अगर सऊदी अरब और ईरान के बीच लडाई छिडती है तो अमेरिका केवल मूक दर्शक के अलावा कुछ नही रह पाएगा क्योंकि दोनों देशों से उसके अपने अपने स्वार्थ गठबंधन बना रखे हैं , वहीं उन हमलों के बीच उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया के ऊपर हमला कर सकता है ( स्मरण रहे कि - उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच कभी भी युद्ध विराम नही हुआ है और संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दोनो देश आज भी आपस म युद्धरत है । जो युद्ध शांतिविराम हुआ था उसे उत्तर कोरिया नें 2009 में खत्म कर दिया था ) चीन अमेरिका, भारत और जापान द्वारा दक्षिणी चीन सागर में लगातार दखलअंदाजी से परेशान है और उसे लगता है कि ये तीनों देश उसकी समुद्री सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं । 
                                           चीन क्या कर सकता है ? वह एक ओर सऊदी अरब और ईरान मे जंग की आग लगाकर आईएसआईएस के द्वारा जर्मनी , फ्रांस और अन्य यूरोपीय मुल्कों मे तबाही फैलवाना चाहेगा और जब दुनिया उस जूझ रही होगी तब वह उत्तर कोरिया के माध्यम से साउथ कोरिया,  जापान और वियतनाम पर हमला करवा सकता है और तब इत्मीनान से लाल ड्रेगन भारत की ओर अपनी जीभ लपलपाएगा  और अपनी सोच के हिसाब से भूटान, बांग्लादेश, नेपाल,और भारत को लीलने का प्रयास करेगा । 
                                              चीन दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद करने की भी क्षमता रखता है जिसमे मुख्य रूप से चीन का शेयर मार्केट गिराना ( जिसमें 90 प्रतिशत कंपनीयां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी ही हैं ) होगा जिसके बाद दुनिया में भय का माहौल देखकर अलीबाबा  जैसी दिग्गज कंपनीयों को दिवालिया करके दुनिया को कंगाल करने का घृणित षणयंत्र रचेगा ।  चीन यह सब करेगा क्योंकि वह जानता है कि उसके पास जो धन है उतने धन को चुकाने के लिये उसके पास सोना नही है ।
                        

No comments:

Post a Comment

आपके विचार