जी हां यदि आप बाजार से प्याज खरीदने जा रहे हैं तो सावधान रहें यदि पने एकाध दो किलो खरीदे तो कोई बात नही मगर 4-5 किलो खरीदते किसी ने देखा तो हो सकता है कि जलन के मारे वह आयकर विभाग को खबर कर दे कि आपने 5 किलो प्याज खरीदा है ... औऱ फिर आप पर जांच बैठ जाए कि आखिर आपने इतना प्याज कैसे खरीद लिये । अब आप कहेंगे कि लोग तो सोना खरीद लेते हैं उन्हे कुछ क्यों नही कहते तो जनाब उसका जवाब आपको मिलेगा कि भाई लोग सोने को खरीद कर कहां रखते हैं घर में या फिर बैंक लाकर में जिन्हे हम कभी भी ढुंढ निकालेंगे लेकिन तुमने ये क्या दिया ... भई प्याज खरीद कर तो तुम खा जाओगे फिर उसको हम कैसे जब्त कर पायेंगे ।
तो जनाब इसके पहले कि आयकर विभाग से इस तरह के सवाल उठने से बचना चाहते हो तो एकाध पाव प्याज लेकर ही काम चलाओ ।
Thursday, December 23, 2010
Wednesday, December 22, 2010
महंगाई और बढाओ
सरकार ने बुधवार को एमएमटीसी सहित व्यापार करने वाली अपनी तीन कंपनियों से प्याज का आयात करने को कहा है। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मैं एमएमटीसी, एसटीसी और पीईसी जैसी तीन सार्वजनिक कंपनियों के अध्यक्षों से मिला और उनसे प्याज का आयात करने के अनुबंधों की ओर ध्यान देने को कहा है ।
अब प्याज की आड में कितने का घोटाला सामने आएगा ये बाद कि बात है पर अब देश की जनता कह रही है कि हे भगवान महंगाई भले बढ जाये पर इस सरकार के घोटाले तो कम हों । जिस चीज में देखो उसमें भ्रष्टाचार हो रहा है । शरद पवार कहते हैं कि प्याज के भाव अगले 3-4 हफ्ते तक बढे रहेंगे नतीजा दन् से 40 का भाव 70 रूपये पर पहुंच गया । शरद पवार के एक बार इसी तरह के बयान के बाद शक्कर 50 रूपये तक जा पहुंची थी और देश को मालूम हो गया कि शरद पवार की देश में कितनी शक्कर मिलें है इसी तरह से प्याज के भाव को बढाने से कमोबेश यही अंदाजा हो रहा है कि तकरीबन 20 -25 हजार हेक्टेयर जमीन पर लगा प्याज बेचने के लिये पवार का ये शिगुफा होगा ( अऱे भई मैं ये नही कह रहा कि सारी जमीन पवार की होगी ) चलो चाहे जो हो पवार के मुताबिक भाव बराबर आ गये होंगे या शायद उनके अंदाज से 10-20 रूपये कम ही होंगे अभी भी भाव । इसलिये अभी महंगाई औऱ बढाओ वरना पवार कहीं ये ना कह दें कि 6 माह तक प्याज के दाम कम नही होंगे ।
अब प्याज की आड में कितने का घोटाला सामने आएगा ये बाद कि बात है पर अब देश की जनता कह रही है कि हे भगवान महंगाई भले बढ जाये पर इस सरकार के घोटाले तो कम हों । जिस चीज में देखो उसमें भ्रष्टाचार हो रहा है । शरद पवार कहते हैं कि प्याज के भाव अगले 3-4 हफ्ते तक बढे रहेंगे नतीजा दन् से 40 का भाव 70 रूपये पर पहुंच गया । शरद पवार के एक बार इसी तरह के बयान के बाद शक्कर 50 रूपये तक जा पहुंची थी और देश को मालूम हो गया कि शरद पवार की देश में कितनी शक्कर मिलें है इसी तरह से प्याज के भाव को बढाने से कमोबेश यही अंदाजा हो रहा है कि तकरीबन 20 -25 हजार हेक्टेयर जमीन पर लगा प्याज बेचने के लिये पवार का ये शिगुफा होगा ( अऱे भई मैं ये नही कह रहा कि सारी जमीन पवार की होगी ) चलो चाहे जो हो पवार के मुताबिक भाव बराबर आ गये होंगे या शायद उनके अंदाज से 10-20 रूपये कम ही होंगे अभी भी भाव । इसलिये अभी महंगाई औऱ बढाओ वरना पवार कहीं ये ना कह दें कि 6 माह तक प्याज के दाम कम नही होंगे ।
Sunday, December 19, 2010
दिग्गी जोकर की दुक्की चाल
बहुत खुब ... दिग्विजय सिंह जो दग्गी राजा कहलाते थे अब कांग्रेस की महारानी और उनके युराज के जोकर बन गये हैं । वैसे भी अब दिग्विजय को लोगों नें महत्व देन बंद कर दिया है और उनकी महत्ता मध्यप्रदेश में तभी तक है जब तक वे अपने आकाओं के जोकर बने रहेंगे । दिग्विजय सिंह अपने को किस हद तक मसखरे साबित कर रहे हैं इसकी बानगी रविवार को देखने को मिली जब उन्होने कांग्रेस महाधिवेशन में संघ के खिलाफ राहुल रागा अलापा । उन्होंने आरएसएस की तुलना जर्मन तानाशाह हिटलर की नाज़ी सेना तक से करने में कोई संकोच नहीं किया। कांग्रेस महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत करते हुए दिग्विजय ने कहा, 'राष्ट्रवादी विचारधारा के नाम पर आरएसएस मुसलमानों को ठीक उसी तरह निशाना बना रही है जिस प्रकार हिटलर ने 1930 में यहूदियों को निशाना बनाने के लिए की गई कार्रवाई को राष्ट्रवाद का नाम दिया था।'
लेकिन एक बात दिग्विजय बताना भूल गये कि आजादी के बाद से अब तक संघ ने कितने मुसलमानों की हत्या की या करवाई है ? दरअसल भारत को संगठित रखने में अब तक के सबसे सफल संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को आतंकवादी संगठन अथवा हिंदु वादी आतंकी संगठन का धब्बा लगाकर कांग्रेस भाजपा को तोडना चाहती है ताकि देश में उनका कोई विरोधी ना बचे । भाजपा नें अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर जैसी ताकत हासिल करी है उसके पीछे कांग्रेसी नेताओं को संघ का महत्व समझ में आ रहा है और वह देश को मजबूत और एकत्रित रखने वाली ताकतों को खत्म करने के लिये संघ पर वार कर रही है ।
दिग्विजय को संघ की तुलना नाजीयों से करनी पडी ताकि राहुल के संघ- सिमि वाले विवाद का पटाक्षेप हो सके लेकिन वे एक बात भूल गये कि यदि संघ हिटलरी सिद्धांत अपनाता तो सोनिया को देश में रहने की अनुमती भी नही मिलती क्योंकि संघ का प्रभाव हर दल और हर भारतीय के ऊपर एक बराबर है चाहे वह कांग्रेसी हो या फिर मुस्लिम । हिटलर ने नस्लवाद को बढावा दिया तथा जर्मनों को शुद्ध आर्य़ रक्त वाला बताते हुए बाकि जातीयों को खत्म करने पर तुल गया था जबकि संघ भारत में हर जाति को साथ लेकर एक मजबूत भारत के निर्माण के लिये प्रयास करता है । कांग्रेसी नेताओं की एक शातिराना चाल होती है जिसके तहत सुनियोजित तरीके से विपक्षी दलों पर हमले किये जाते हैं , उन्हे मानसिक रूप से प्रशानिक अधिकारीयों के द्वारा हतोत्साहित किया जाता है ( जिसे राजनीतीक पद का दुरूपयोग कहा जाता है ) लेकिन खुद की करनी को बडी आसानी से भूला दिया जाता है । घोटाला, भ्रष्टाचार औऱ संघ- सिमि मुद्दे के कांग्रेसी सदमें को दिग्विजय के द्वारा जोकराना अंदाज में उबारने का प्रयास किया जा रहा है । लेकिन याद रखिये संघ पर आरोप लगाने के बाद बिहार में कांग्रेस की जो हालत हुई है उसने केवल देश को मजबूत बनाने की दिशा में एक सुनहरी रोशनी की झलक बाकि देशवासियों को दिखाई है ।
Thursday, December 9, 2010
वर्षा की ठंड में पिघली चुनावी गर्मी
भई वाह 21 दिसंबर को भिलाई नगर निगम के चुनाव होने को हैं और बरखा रानी अपने पूरे शबाब पर आ गई हैं । अकेले आती तो कोई बात नही थी लेकिन साथ में कडकडाती ठंड भी ले आई हैं जिसका नतीजा है प्रत्याशी तो गर्म जोश से भरे हुए हैं लेकिन कार्य़कर्ता ठंड की आड में घरों में घुसे हुए हैं । हर निर्दलीय प्रत्याशी अपना चुनाव चिन्ह छाता लेने के लिये उतावला हो रहा है ताकि छाते के बहाने बरसते पानी में भी उसका प्रचार होता रहे । स्कूली बच्चों के रैनकोट बाहर आ गए हैं, दुकानदारों के लिये ग्राहक दूर हो गये हैं नेताओ को कार्यकर्था नही मिल रहे हैं जो मिल रहे हैं उनके लिये पहले दारू शारू का इंतजाम करना पड रहा है । केवल भिलाई में ही ऐसा नही है बीरगांव का भी यही हाल चल रहा है ।
सडकों पर पानी भर गया है (ये सरकुलर मार्केट की मुख्य सडक है भाई) नेताओं की काली करनी उजागर हो रही है मगर जनता को कोई फर्क नही पडने वाला आखिर उसका क्या जा रहा है जो जा रहा है राज्य का पैसा जो जा रहा है । है नां !
चुनावी बयार में बरखा की फुहारें एक अलग नजारा भी बना रही हैं . अभी निर्दलीयों को उनके चुनावी चिन्ह नही बंटे हैं इसलिये अभी माहौल भी ठंडा है । यदा कदा वार्ड में प्रत्याशी अकेले ही लोगों के घरों में जाकर अपने पक्ष में माहौल बना रहे हैं जिसका फायदा ये हो रहा है कि लोगों के घरों में अभी मेहमानों की आवाजाही भी तकरीबन बंद होन से वोटर भी अपने प्रत्याशी को अच्छे से समझ रहे हैं ।
बीरगांव (रायपुर) का हाल तो और भी बुरा है वहां के निवासी भाजपा से अपने को इतने ज्यादा त्रस्त मान रहे हैं कि शायद वहां पर कमल सडकों पर बने किचड में दब जाएगा क्योंकि जनता हाथ के सहारे अपनी सडक और बिजली की बदहाली को सुधारने की आस लगा रही है । बीरगांव के रहवासी अपनी बीमारी की जड कमल को मान रहे हैं और उसे दूर करना चाहते हैं जबकि बीमारी का इलाज डाक्टर साहेब को कमल के डुब मरने पर ही समझ आएगा । खैर एक संतोष की बात ये है कि कांग्रेस की बागी भिलाई में भाजपा का बेडा पार लगाने को तैय्यार है और भाजपा के बागी पार्षद चुनाव में अपने को मजबूत दिखाने के लिये भाजपा को मटियामेट करने पर तुले हुए हैं यानि महापौर भाजपा की औऱ ज्यादा पार्षद कांग्रेस के .... बनाम जनता की मुसीबतें और भी ज्यादा बढने वाली है ।
सडकों पर पानी भर गया है (ये सरकुलर मार्केट की मुख्य सडक है भाई) नेताओं की काली करनी उजागर हो रही है मगर जनता को कोई फर्क नही पडने वाला आखिर उसका क्या जा रहा है जो जा रहा है राज्य का पैसा जो जा रहा है । है नां !
चुनावी बयार में बरखा की फुहारें एक अलग नजारा भी बना रही हैं . अभी निर्दलीयों को उनके चुनावी चिन्ह नही बंटे हैं इसलिये अभी माहौल भी ठंडा है । यदा कदा वार्ड में प्रत्याशी अकेले ही लोगों के घरों में जाकर अपने पक्ष में माहौल बना रहे हैं जिसका फायदा ये हो रहा है कि लोगों के घरों में अभी मेहमानों की आवाजाही भी तकरीबन बंद होन से वोटर भी अपने प्रत्याशी को अच्छे से समझ रहे हैं ।
बीरगांव (रायपुर) का हाल तो और भी बुरा है वहां के निवासी भाजपा से अपने को इतने ज्यादा त्रस्त मान रहे हैं कि शायद वहां पर कमल सडकों पर बने किचड में दब जाएगा क्योंकि जनता हाथ के सहारे अपनी सडक और बिजली की बदहाली को सुधारने की आस लगा रही है । बीरगांव के रहवासी अपनी बीमारी की जड कमल को मान रहे हैं और उसे दूर करना चाहते हैं जबकि बीमारी का इलाज डाक्टर साहेब को कमल के डुब मरने पर ही समझ आएगा । खैर एक संतोष की बात ये है कि कांग्रेस की बागी भिलाई में भाजपा का बेडा पार लगाने को तैय्यार है और भाजपा के बागी पार्षद चुनाव में अपने को मजबूत दिखाने के लिये भाजपा को मटियामेट करने पर तुले हुए हैं यानि महापौर भाजपा की औऱ ज्यादा पार्षद कांग्रेस के .... बनाम जनता की मुसीबतें और भी ज्यादा बढने वाली है ।
Wednesday, December 8, 2010
भिलाई चुनाव- किसकी नाव डुबेगी


इस चुनाव में भाजपा को महापौर पद के लिये किसी बगावत का सामना नही करना पडेगा जबकि कांग्रेस की निर्मला यादव के लिये नीता लोधी का निर्दलीय नामांकन अभी से सिरदर्दी बन गया है । वार्ड पार्षदों के लिये इस बार दोनो दलों को तरसना पड सकता है क्योकि जिन युवाओं नें पांच साल की मेहनत से जनता के बीच में अपनी पहचान बनाये थे उन्हे टिकिट ना मिलने पर वे निर्दलीय खडे हो गये हैं हाऊसिंग बोर्ड से पियुष मिश्रा, खुर्सीपार से नजमी भाई इसके सशक्त उदाहरण है । निर्दलीयों के जीतने की सबसे अधिक संभावना इसलिये बन रही है क्योंकि भिलाई की जनता पढी लिखी है और स्वविवेक से काम लेना जानती है जबकि दुर्ग व रायपुर में स्थिति इसके उलट है । वार्ड 25 और 26 में दोनो दलों का सीधा सीधा आमना सामना है वार्ड 26 में भाजपा प्रत्याशी खुबचंद का पलडा भारी है जबकि 25 में दो बार से लगातार जीतते आ रहे कांग्रेस प्रत्याशी गफ्फार खान को भाजपा के चद्र प्रकाश आर्य (मुन्ना आर्य) से कांटे की टक्कर मिलती दिख रही है । 23 नं. वार्ड के प्रत्याशी राजेन्द्र अरोरा को भले ही इस बार कांग्रेस से टिकट मिल गई हो लेकिन जनता की नाराजगी उन्हे धूल चटा सकती है ।
परिणाम चाहे जो आए इस चुनावी उत्सव में जनता को अपने खाने पीने का पूरा इंतजाम दिखलाई पड रहा है और वह उसी में खुश रहेगी ।
Friday, December 3, 2010
प्रणव कहिन - भ्रष्टाचार पर खामोश रहो
भाजपा के चूक चुके राष्ट्रीय नेता आडवाणी नें संप्रग पर भ्रष्टाचार बढाने और भ्रष्टों को संरक्षण देने का आरोप लगाए जिसके जवाब में प्रणव मुखर्जी नें एक डायलागी बयान दिया कि भाजपा को भ्रष्टाचार पर मुंह खोलने का कोई अधिकार नही है क्योकि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष कैमरे में रिश्वत लेते देखे जा चुके हैं ।
तो जरा प्रणव साहेब आप बतायें कि क्या हम पत्रकारीता करने वालों को जनता की समस्या छोडकर अब नेताओं के पीछे पीछे चलना पडेगा कि कौन कब कहां किससे कितनी घूस मांग रहा है । प्रणव मुखर्जी को खुद बोलने से पहले सोचना चाहिये कि किस बात पर वो मूर्ख बन जाएंगे । एक बंगारू के रिश्वत लेने का मामला किनारे करके जरा प्रणव साहेब आफ जवाब दिजिये कि आपकी टीम के कलमुंहे कलमाणी की काली करामात कितनी घिनौनी थी जिसकी वजह से पूरा देश अफने को ठगा महसूस कर रहा है औऱ तो औऱ कलमाडी कांड के तुरंत बाद राजा की कहानी भी सामने आ गई । अब आप ठहरे वित्त मंत्री सो जरा हिसाब किताब करके आप ही बता दें कि जितना धन आपके दो आदमीयों नें खाया उससे देश की पूरी जनता के बीच यदि बांटा जाता तो एक एक के हिस्से में कितना धन आता । भई हमें तो हिसाब किताब नही आता पर इतना जरूर जानते हैं कि देश के सारे नागरिकों का कर्जा उतर जाता ।
अब छोडो बंगारू की बात और केन्द्र की करनी की बात करते हैं । आपके साथी तो इतने कमीने और बेशरम है कि उन्हे देश का अनाज सडना पसंद है मगर बांटना गवारा नही है । खुद सैकडा पार फैक्ट्रीयां लगा कर रखे हैं और अपने धंधे की खातिर देश के नागरिकों को चूना लगा रहे हैं । सोनिया राहुल की बात छोडो उनकी औकात तो बिहारी बाबूओं नें बता दिये हैं अपने मनमोहन की सोचो जिसके कंधे पर भी एस.आर.पी. (सोनिया राहुल प्रियंका) की एक बंदुक वैसे ही रखी है जैसे कलमाणी, राजा, क्वात्रोची, सहित सभी कांग्रेसीयों पर रखी हुई है ( आप भी अपने कंधे देख लें) लोकतंत्र की आढ में देश में चल रही राजशाही कहीं कत्लेआम में ना बदल जाए क्योंकि पूरा विश्व गवाह है कि यदि जनता बागी होती है तो शांति राजशाही के खत्म होने के बाद ही होती है । इसलिये सावधान हो जाओ और अपने कंधे को साफ करके कि तुम राजवंश के वफादार हो या देश के ।
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