भिलाई नगर निगम के चुनाव की सरगर्मीयां बढ गई हैं । प्रत्याशी अपने अपने ढंग से जनता को रिझाने में लगे हुए हैं । भाजपा और कांग्रस दोनो ने अपने प्रत्याशी मनमाने तरीके से चुन लिये हैं । जो नेताओं की चाटुकारी में लगा रहा उसे ही प्रथमिकता मिली है । कई वार्ड ऐसे हैं जिनमें खडे किये गये प्रत्याशी को वहां के निवासी नाम तक से नही जानते हैं (जैसा कि वार्ड 5 में भाजपा प्रत्याशी के साथ हो रहा है) । इस चुनाव का दिलचस्प तथ्य ये है कि मोतीलाल वोरा जो राष्ट्रीय कांग्रेस के कोषाध्यक्ष हैं ने वार्ड -1 से अपने के करीबी के लिये टिकट मांगे तो उनकी पार्टी के दोनो विधायकों नें उसका विरोध कर दिया नतीजतन .... वोरा की किरकिरी .... ।
इस चुनाव में भाजपा को महापौर पद के लिये किसी बगावत का सामना नही करना पडेगा जबकि कांग्रेस की निर्मला यादव के लिये नीता लोधी का निर्दलीय नामांकन अभी से सिरदर्दी बन गया है । वार्ड पार्षदों के लिये इस बार दोनो दलों को तरसना पड सकता है क्योकि जिन युवाओं नें पांच साल की मेहनत से जनता के बीच में अपनी पहचान बनाये थे उन्हे टिकिट ना मिलने पर वे निर्दलीय खडे हो गये हैं हाऊसिंग बोर्ड से पियुष मिश्रा, खुर्सीपार से नजमी भाई इसके सशक्त उदाहरण है । निर्दलीयों के जीतने की सबसे अधिक संभावना इसलिये बन रही है क्योंकि भिलाई की जनता पढी लिखी है और स्वविवेक से काम लेना जानती है जबकि दुर्ग व रायपुर में स्थिति इसके उलट है । वार्ड 25 और 26 में दोनो दलों का सीधा सीधा आमना सामना है वार्ड 26 में भाजपा प्रत्याशी खुबचंद का पलडा भारी है जबकि 25 में दो बार से लगातार जीतते आ रहे कांग्रेस प्रत्याशी गफ्फार खान को भाजपा के चद्र प्रकाश आर्य (मुन्ना आर्य) से कांटे की टक्कर मिलती दिख रही है । 23 नं. वार्ड के प्रत्याशी राजेन्द्र अरोरा को भले ही इस बार कांग्रेस से टिकट मिल गई हो लेकिन जनता की नाराजगी उन्हे धूल चटा सकती है ।
परिणाम चाहे जो आए इस चुनावी उत्सव में जनता को अपने खाने पीने का पूरा इंतजाम दिखलाई पड रहा है और वह उसी में खुश रहेगी ।
... isee khaane-peene ke chakkar men jantaa baad men chakkar kaatate firtee hai ... jantaa men sudhaar ki koi gunjaais najar nahee aa rahee !!!
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