एक परिवार में माँ सहित तीन बहनों नें केवल इस लिये अपनी जिंदगी खत्म कर ली ताकि उनके परिवार का इकलौता बेटा अपने जीवन का शेष भाग सुखपूर्वक बिता सके । यह दर्दनाक घटना कोई अचानक ही नही घट गई बल्कि इस पूरे परिवार नें अपने को लगातार चार दिनों तक खुद को कैद करते हुए, मीडिया के समक्ष अपनी पूरी बातें रखते हुए और सब कुछ होने के बाद भी अपनी मांगो को पूरा ना होते देखने के बाद जहर खाकर अपनी ईहलीला समाप्त कर ली । ( संलग्न विडियों में महिला विप्र समाज की ममता शुक्ला पूरे केस पर प्रकाश डालते हुए )
सेक्टर-4, सडक 34 , भिलाई में हुए इस ह्दयविदारक घटना में तीन अमानवीय पहलू उभर कर सामने आए हैं
1) भिलाई स्टील प्लांट का अमानवीय प्रबंधन 2) पुलिस प्रशासन की अदूरदर्शीता 3) राज्य शासन की घोर लापरवाही ।
सेक्टर-4, सडक 34 , भिलाई में हुए इस ह्दयविदारक घटना में तीन अमानवीय पहलू उभर कर सामने आए हैं
1) भिलाई स्टील प्लांट का अमानवीय प्रबंधन 2) पुलिस प्रशासन की अदूरदर्शीता 3) राज्य शासन की घोर लापरवाही ।
1. भिलाई स्टील प्लांट के अधिकारीयों ने 17 साल से काबिज पूर्व बीएसपी कर्मी स्व. एमएल शाह जो बीएसपी के औद्योगिक संबंध विभाग में उप प्रबंधक थे कि तीन दिसंबर 1994 को रहस्यमय ढंग से रेल पटरी पर मृत मिले थे । शाह नें अपनी डायरी में उन लोगों के नाम लिखे हुए थे जिनसे उन्हे अपनी जान को खतरा था । उनकी मौत के बाद तात्कालिन नियमों के अनुसार मृतक के पुत्र सुनील कुमार को अनुकंपा नियुक्ति मिल जानी थी लेकिन बीएसपी के अधिकारी उसे नौकरी ना देकर केवल आश्वासन देते रहे । इसके बाद 1995 के नियमो का हवाला देते हुए बताया गया कि अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान हटा दिया गया है जबकि सुनील के पिता की मौत 1994 में हुई थी और उस समय के नियमों के आधार पर सुनील की अनुकंपा नियुक्ति का आधार बनता था ।
जब सुनील नें अपने परिवार को चलाने के लिये नौकरी के एवज में पचास लाख रूपयों की मांग की, जो की वर्तमान रेटिंग के आधार पर सही है तो तत्काल बीएसपी प्रबंधन नें सुनील का परिवार बैकफुट पर जैसी खबरों का प्रचार करवा दिया ।
एक ओऱ बीएसपी प्रबंधन अपने ही मृत कर्मी के परिवार के लिये उसके अधिकार को देने में असमर्थ बता रहा था तो वहीं दुसरी ओर लाखों रूपये खर्च करके हेमा मालिनी के बैले डांस का आयोजन सेक्टर-1 में किया जा रहा था जिसे मंगलवार को सुनील के परिवार द्वारा आत्महत्या कर लेने के बाद रद्द करा दिया गया । अब बीएसपी प्रशासन अपने को बचाने के लिये सुनील को फंसाने का कुत्सिक षणयंत्र रच रहा है । उस पर अपने परिवार को आत्महत्या करने के लिये उकसाने सहित कई मामले बनाने की तैय्यारी चल रही है ।
2). - इस मामले में पुलिस प्रशासन द्वारा घोर लापरवाही की गई । परिवार को केवल आश्वासन ही दिया जाता रहा । एस.पी. अमित कुमार द्वारा हमेशा यही कहा जाता रहा कि हम मामले को देख रहे हैं जबकि ऊपर सुनील का बयान सुनें । इसके अलावा सोमवार की रात को जब मैं सुनील के घर गया तो सुनील की माँ बताते बताते रो पडी की पुलिस वाले आकर कहते हैं कि मरने वाले लोग सीधे मर जाते हैं तुम लोगों के जैसे नौटंकी नही करते .. इसका क्या मतलब है । सुनील अभी जिंदा है और अस्पताल में है पुलिस उसका बयान लेने को आतुरता दिखा रही है लेकिन उन अपराधियों को नही पकड रही जिनके नाम सुनील के पिता ने अपनी डायरी में लिखे थे । अभी तक पुलिस नें बीएसपी प्रशासन के खिलाफ कोई अपराध दर्ज नही किया है जबकि बीएसपी प्रशासन पर मामला बनता है लेकिन इस मामले का सबसे दुःखद पहलू ये है कि पूरा पुलिस विभाग बीएपी की शरण में ही पडा हुआ है और जैसा बीएसपी अधिकारी चाह रहे हैं एस.पी. महोदय वैसा करवा रहे हैं । अभी तक सुनील को सेक्टर-9 हास्पिटल में रखा गया है जो कि भिलाई इस्पात संयंत्र का अश्पताल है और यहां के डॉक्टरों को तनख्वाह बीएसपी से मिलती है सो जाहिर है कि जैसा प्रबंधन चाहेगा वैसा ही वहां के डॉक्टर अपनी रिपोर्ट देंगे । जबकि एसपी अमित कुमार को चाहिये था कि सुनील को तत्काल सेक्टर9 हास्पिटल से निकाल कर दुर्ग के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिये रखा जाता ताकि इलाज व रिपोर्ट निष्पक्ष बन पाती । हो सकता है कि सुनील नें सल्फास की कुछ गोलियां निगल भी ली हों लेकिन असप्ताल इस बारे में मौन साध ले तो एक हफ्ते बाद कौन सा डॉक्टर से बता पाएगा कि सुनील नें जहर खाया था या नही । जिन जिम्मेदारियों के लिये सुनील 17 साल से लड रहा था अब वे जिम्मेदारी सुनील पर नही रही तो क्या ऐसा नही हो सकता कि सुनील अब अपराध की राह अपना ले।
3.- इस मामले में राज्यशासन नें भी अपनी लापरवाही दिखलाने में कोई कसर बाकि नही छोडी । भिलाई इस्पात संयंत्र को केन्द्र की जवाबदारी बताते बताते मुख्यमंत्री ये भूल गये कि यह संयंत्र छत्तीसगढ राज्य का गौरव कहा जाता है । सुनील का परिवार पाँच दिनों तक अपने को कैद करके रखे रहा और राज्य के किसी भी मंत्री तो छोडिये कलेक्टर तक नही पहुंचे । सुनील की मौत नही हुई लेकिन अपनी आँको के सामने पूरे परिवार को मृत देखकर उसकी क्या हालत हो रही होगी इससे राज्यशासन को कोई दरकार नही है । मुख्यमंत्री अपने राज्य के एक इस्पात संयंक्ष को संभाल नही पा रहे हैं जबकि यहां खुलेआम दुसरे राज्यों के लोगों को पैसे लेकर के नौकरी लगाई जा रही है । चाहे वह बीएसपी हो या फिर जे.पी. सीमेंट दोनो जगहों का यही हाल है । स्थानीय लोगों की उपेक्षा की जा रही है औऱ आसपास के लोगों को सारा प्रदूषण झेलना पड रहा है । यहां पर एक जवाबदारी से मुख्यमंत्री अपना पल्ला झाड सकते हैं बाकि मामले में क्या कहेंगे उनसे पुछने वाला कोई नही है । धन्य है रमन सरकार ।
3.- इस मामले में राज्यशासन नें भी अपनी लापरवाही दिखलाने में कोई कसर बाकि नही छोडी । भिलाई इस्पात संयंत्र को केन्द्र की जवाबदारी बताते बताते मुख्यमंत्री ये भूल गये कि यह संयंत्र छत्तीसगढ राज्य का गौरव कहा जाता है । सुनील का परिवार पाँच दिनों तक अपने को कैद करके रखे रहा और राज्य के किसी भी मंत्री तो छोडिये कलेक्टर तक नही पहुंचे । सुनील की मौत नही हुई लेकिन अपनी आँको के सामने पूरे परिवार को मृत देखकर उसकी क्या हालत हो रही होगी इससे राज्यशासन को कोई दरकार नही है । मुख्यमंत्री अपने राज्य के एक इस्पात संयंक्ष को संभाल नही पा रहे हैं जबकि यहां खुलेआम दुसरे राज्यों के लोगों को पैसे लेकर के नौकरी लगाई जा रही है । चाहे वह बीएसपी हो या फिर जे.पी. सीमेंट दोनो जगहों का यही हाल है । स्थानीय लोगों की उपेक्षा की जा रही है औऱ आसपास के लोगों को सारा प्रदूषण झेलना पड रहा है । यहां पर एक जवाबदारी से मुख्यमंत्री अपना पल्ला झाड सकते हैं बाकि मामले में क्या कहेंगे उनसे पुछने वाला कोई नही है । धन्य है रमन सरकार ।
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