Tuesday, September 20, 2016

तीसरा महायुद्ध और भारत

" विश्व कल्याण और धर्म रक्षा के लिए युद्ध करने वाला शस्त्रनीती और धर्मशास्त्र में श्रेष्ठ योद्धा कहलाता  है "    
 भारत नें कभी भी पहले हमला नही किया है,  लेकिन 18 सितंबर 2016 को काश्मीर के उरी सेक्टर मे हहुए आतंकी हमले के बाद अब भारत अपनी नीती जरूर बदलेगा । महायुद्ध का आगाज होना है तो तय है ही लेकिन उस युद्ध को टालने के लिए अपने सैनिकों और देशवासियों की कुर्बानीयां देना कहाँ तक जायज है ? जो शत्रु अपनी सीमाओं को भल जाए , जो शांति ना चाह कर हमेशा हिंसा चाहता हो ऐसे शत्रुओं को लाड प्यार देना अब भारत को सहनशील नही कायरता का दर्जा देगा । भारत को लोग एक ऐसे देश के रूप मे याद करेंगे जिसकी सीमा के अंदर घूस कर केवल चार आतंकी 18 सैनिकों को मार देते हैं और सरकार उन सैनिकों को शहिद का दर्जा देकर और कडी कडी , बडी बडी बातें करके फिर बैठ जाती है । अब तक तो ऐसा ही होता आया है .... लेकिन अब ! अब शायद ऐसा नही होगा । देश को जवाब देना ही होगा और देश अब इसके लिए तैय्यार भी है ।
                                                   पाकिस्तान  अपने आतंकीयों को भेजकर हमला कराने के बाद इसे भारत के काश्मीर की आजादी का मुद्दा बनाने की कोशिश करेगा । पाक ने चीन को भी इस मामले मे अपने साथ जरूर शामिल रखा होगा क्योंकि पाक को पता है कि बारत ने यदि पीओके पर हमला किया तो वहां चीन - पाक की करोडों डॉलर की  मिली जुली योजनाओं पर बडा असर पडेगा और चीन को सीधे सीधे अपने 50 करोड डॉलर डुबते दिखेंगे । कोई बडी बात नही की चीन भी पाक के समर्थन मे बात करे लेकिन वो किसी बी हालत मे इस अतिसंवेदनशील समय में भारत के खिलाफ  कोई भभी कडा बयान देने से बचना चाहेगा क्योकि उसे पता है कि इस समय भारत की जनता ही युद्ध के मूड मे आ गई है । अभी तक जो सरकारें रहती थी उनकी युद्धनीतीयों मे कायरता देखकर ही जनता ने इस बार मोदी जी को इस उम्मीद से लाई है कि वह पाकिस्तान को नेस्तनाबूत करेंगे और भारत पर हो रहे बार बार हमलों से निजात दिलाएंगे । 
                                                   मोदी सरकार इस समय चारों मोर्चों पर पूरी मुस्तैदी से काम कर रही है । कहाँ क्या क्या तैय्यारीयां किस किस मोर्चें पर चल रही हैं वह अब तक के समाचारों व पुष्ट, अपुष्ट जानकारीयों पर आधारित है । इसमे लिखी हुई कई जानकारीयां ऐसी भी है जो समय काल स्थिति परिस्थिति पर पूरी होती नजर आएंगी या फिर समयानुसार उन नीतीयों को बदला भी जा सकता है । 
मोदी जी के पाँच मोर्चे  
1. सेना - सेना को पूरी छूट दे दी गई है और साथ ही सैन्य रणनीतीकारों को युद्ध संबंधित सभी तैय्यारीयों के निर्देश दे दिए गए हैं । सेना को पूरी छूट दी गई है कि वह पाक पर सीधा हमला करेगी या केवल सीमित क्षेत्रों मे यह फैसला सेना ही करेगी । इसके साथ ही पहली बार सेना के तीनो सेना प्रमुखों को आपसी तालमेल के आधार पर ही कार्यवाही करना होगा बिना किसी राजनैतिक दबाव के । सेना के साथ भारत के सभी खुफिया विभाग मिलकर काम करेंगे और अपनी सूचनाओं का आदान प्रदान सीधे करेंगे बगैर अपने आला अधिकारियो तक पहुंचाने के ।  
2. गृह - गृह मंत्रालय से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं अलगाववादियों और हमलावरों  पर सख्त कार्यवाही करने के । गृह मंत्रालय के ऊपर बडी जिम्मेदारी ये है कि प्रदर्शनकारियो को पैलेट गन से संभालना है या सीधे गोली मारनी है इसका फैसला तात्कालिक तौर पर कौन करेगा ? सरकार केवल यह चाहती है कि कोई भी निर्दोष ना मारा जाए किंतु उग्र भीड पर जवाबी कार्यवाही मे किसी की मौत होती है , चाहे वह बच्चा ही क्यों ना हो उस पर सरकार क्या जवाब देगी यह पहले से स्पष्ट करने की तैय्यारी है । संभवतः अब किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत होने पर सरकार उसे अलगाववादी समर्थक ही मानगी ऐसी संभावना है ।
3. विदेश- विदेश मंत्रालय को जिम्मेदारी दी गई है विश्व के सभी देशों और संयुक्त राष्ट्र मे पाकिस्तान को आतंकवाद समर्थक देश घोषित करने का दबाव बनाने के लिए । इसके अलावा पाकिस्तान के साथ कडाई से निपटने का और दुसरे मंचो पर पाकिस्तान की बात का जवाब पूरी कठोरता से देने का कार्य भी विदेश मंत्रालय को देखना है । विदेश मंत्रालय को पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक होने संबंधी समस्त दस्तावेज कल गृह मंत्रालय द्वारा सौंप दिए गए हैं ।
4. वित्त - वित्त मंत्री अरूण जेटली से कहा गया है कि सेना को किसी भी साजो सामान की कमी ना होने पाए इसके लिए सारे वित्तीय इंतजाम तैय्यार रखे जाएं . धन की पूर्ति निर्बाध बनाने के लिए देश के भीतर मौजूद बडी मात्रा मे छिपा कर रखे गए काले धन को सीधे जब्त किया जाए । इसमें कई राजनेता व बडे अधिकारी फंसेगे जो अपने समर्थकों के साथ मोदी सरकार पर बदले की कार्यवाही का इल्जाम लगा कर देश के भीतर उपद्रव फैलाने का काम कर सकते हैं , इस बात की आशंका कल जेटली द्वारा पीएमओ से जताई गई है ।
5. पीएमओ - पीएमओ को आशंका है कि जब सेना पाकिस्तान पर जवाबी कार्यवाही करेगी तो भारत के भीतर कई राजनैतिक दल व नेता उसके विरोध मे सामने आकर देश की छबि विश्व के सामने खराब करने का प्रयास करेंगे । इस आशंका के मद्दे नजर राष्ट्रपति जी के पास निवेदन दिया गया है कि भारत - पाक युद्ध की यदि शुरूआत होती है तो वह पूरे  देश में  राष्ट्रपति शासन लागू करवा दें जिससे सेना का अधिकार  बढ जाए और वह  पूरी स्वतंत्रता के साथ देश के भीतर मौजूद देशद्रोहीयों से भी निपटने मे सक्षम हो सके ।  इसका एक फायदा यह भी होगा कि अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव को लोकसभा के साथ कराने के लिए स्थगित किया जा सकता है ताकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जा सकें ।
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मोदी सरकार ने अभी तक अपनी कूटनीतीयों के तहत रूस, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन को अपने साथ ले ली है । चीन को नजरअंदाज करने का फायदा यह मिला है कि अब चीन खुद अपनी बात कहने के लिए तडप रहा है । भारत स्थित चीनी दूतावास ने अपनी चीन सरकार को आगाह कर दिया है कि इस समय भारत के साथ जरा भी कठोरता से बात ना करे और NSG पर सहयोग देने की बात करे । चीन इस समय खुद भी बडे आर्थिक संकट से घिरा हुआ है । उसका व्यापार घाटा लगातार बढ रहा है और इस समय वह यह नही चाहेगा कि भारत के साथ होने वाले उसके ढाई अरब डॉलर के व्यापार पर कोई आंच आए ,  उसकी चिंता फिलहाल पीओके और बलूचिस्तान पर है जहां उसके 50 करोड डॉलर फंसे हुए है । अगर भारत ने उसे जरा सा भी यह आश्वासन दिया कि वह उसके हितों का ख्याल रखेगा तो चीन को भारत के पाले आने मे जरा भी देर नही लगेगी ।
                  रही बात पाकिस्तान की तो उसके पास खोने के लिए कुछ भी नही है । अगर भारत उस पर हमला करता भी है तो कोई बडी बात नही कि उसकी सेना खुद ही सरेंडर करके कहे हमें अपने ही देश मे मिला लो.... इतिहास गवाह है कि 1971 के युद्ध में केवल खाना मिलने के लालच मे पाकिस्तान के 1 लाख सैनिकों ने केवल 12 हजार सैनिको के सामने आत्मसमर्पण कर दिए थे ।

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