11 अगस्त को एक मामूली सी घटना घटी है । भिलाई पावर हाऊस स्थित अपना केसरी लॉज (सपना टॉकीज के पास) में महिला पुलिस सेल नें छापा मारकर वहां से 6 लडकों व 7 लडकियों को हिरासत में लिया । छावनी थाना प्रभारी डी.एस. परिहार के अनुसार स्कूल - कॉलेज के छात्र छात्रा थे । देर रात धारा 151 के तहत जमानत पर लडकियों को छोड दिया गया व लॉज मालिक रंजन गुप्ता को जेल भेजा गया । ......। चलो कोई बात नही मामूली घटना है इसलिये इसे यहीं खत्म कर दिया जाए । केवल यहीं ऐसा हो रहा है ऐसा नही है पूरे भिलाई शहर का यही हाल है । शहर में आने जाने वालों का तो कोई हिसाब नही रख सकता लेकिन वो जो सालों से सेक्टर क्षेत्रों में या फिर झुग्गी बस्तीयों में आराम से रह रहे हैं उनका भी कोई पता लगाने वाला नही है । जबकि हकीकत ये है की इस संवेदनशील मामले में जितनी जवाबदारी पुलिस की है उससे कहीं ज्यादा यहां के रहवासियों की बनती है जो पुलिस को तो कोस देते हैं पर अपना कर्तव्य नही निभाते ।
.....अररररररर रूकिये जनाब नक्सली गाथा शुरूआत अब यहीं से होती है .... रंगरेलियां मनाते पकडे गये लोग कौन थे, उनके पते क्या क्या थे इस बात की जानकारी लेने पर थाना प्रभारी नें बता दिये की उनके नाम पते नही बताये जा सकते ..... अब सवाल ये था की लडकियों के नाम पते या तस्वीर अखबारों में ना छापी जाये इस बाबत तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू है किंतु ये नियम कहां से आया की पुलिस को जो पते बताये जाएं वो उन्हे ही सच माने । खैर ... युवतियां डोंगरगांव (राजनांदगांव जिला), दल्ली राजहरा (राजनांदगांव जिला), दुर्ग व खैरागढ (राजनांदगांव जिला) की बताई गईं और युवक - केशव साहू, लन्नू साहू (रायपुर), विवेक चतुर्वेदी (अहिवारा), मनोज नेताम (जामुल), अमीन मेनन, ( फरसगांव, बस्तर ) तथा दिल्ली का जसबीर सिंह का बताया गया है ।
.....अररररररर रूकिये जनाब नक्सली गाथा शुरूआत अब यहीं से होती है .... रंगरेलियां मनाते पकडे गये लोग कौन थे, उनके पते क्या क्या थे इस बात की जानकारी लेने पर थाना प्रभारी नें बता दिये की उनके नाम पते नही बताये जा सकते ..... अब सवाल ये था की लडकियों के नाम पते या तस्वीर अखबारों में ना छापी जाये इस बाबत तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू है किंतु ये नियम कहां से आया की पुलिस को जो पते बताये जाएं वो उन्हे ही सच माने । खैर ... युवतियां डोंगरगांव (राजनांदगांव जिला), दल्ली राजहरा (राजनांदगांव जिला), दुर्ग व खैरागढ (राजनांदगांव जिला) की बताई गईं और युवक - केशव साहू, लन्नू साहू (रायपुर), विवेक चतुर्वेदी (अहिवारा), मनोज नेताम (जामुल), अमीन मेनन, ( फरसगांव, बस्तर ) तथा दिल्ली का जसबीर सिंह का बताया गया है ।
अब देखें कहानी का मोड ... लॉज से 8 किलोमीटर की दूरी पर जमुल है जहां का निवासी मनोज नेताम बताया गया । भिलाई के उत्तरी सीमा पर स्थित जामुल तकरीबन 7-8 माह पहले तब सुर्खियों में आया था जब पुलिस नें दो नक्सलीयों को गोली मारकर ढेर की थी । जामुल के बाद अहिवारा आता है जहां से दुर्ग, रायपुर, कवर्धा, नांदगांव जाने के रास्ते हैं । भिलाई की पश्चिम दिशा पर नेशनल हाईवे पर बढते चलें तो दुर्ग के बाद राजनांदगांव आता है जहां से दल्ली राजहरा व खैरागढ पहुचने का मार्ग है । अब पूर्व की ओर चलें तो रायपुर है जहां से धमतरी कांकेर होते हुए फरसगांव का मार्ग है ।
खैर रररर ...। फरसगांव का एक नाम आया है अमीन मेनन ... फरसगांव से जानकारी लेने पर पता चला की इस नाम का कोई लडका वहां नही रहता है ...हां केशकाल के एक पत्रकार हैं अमीन मेनन जिनका उस लडके से कोई लेना देना नही है । जब थाना प्रभारी को ये जानकारी दी गई तो बजाये सत्यता पता करने के उन्होनें बात टाल दिये ।
अभी 8-10 पहले ही धमतरी के नगरी-सिहावा (जहां से आगे बढकर फरसगांव जाया जाता है ) क्षेत्र में नक्सली केंप से सोनिया, राहुल सहित कई राष्ट्रीय और रमन सिंह सहित राज्य स्तर के लगभग हर नेताओं की तस्वीरें बरामद हुई है जिससे ये अंदाजा लगाया जा रहा था की ये नेता नक्सली निशानें पर हैं । भिलाई की जिस लॉज से इन्हे हिरासत में लिया गया था उस लॉज का रजिस्टर खाली था औऱ इन लोगों के कोई नाम पते दर्ज नही थे । महिला सेल प्रभारी अंजना सिंह के अनुसार पिछले कई दिनों से इस लॉज में संदिग्ध गतिविधीयां चल रही थी जिसके बाद छावनी थाने के साथ मिलकर छापामार कार्यवही की गई ।
पीटा एक्ट की कार्यवाही क्यों नही की गई - इस बारे में चर्चा करने पर छावनी थाना प्रभारी व महिला सेल प्रभारी दोनों नें एक ही बात कहे की मैचिंग ना होने के कारण पीटा एक्ट नही लगाया जा सका । जबकि लॉज के दरवाजे को तोडकर लडकी को बाहर निकाला गया था तथा माउथ फ्रेशनर व कंडोम बरामद हुए थे ।
चलो इस बात को छोड भी दें की लडके लडकी कमरे में क्या कर रहे थे तो भी ये बात किसी बडे खतरे से कम नही है की भिलाई शहर में नक्सली जिले के लोग इतनी आसानी से आवाजाही कर रहे हैं की पुलिस को भनक तक नही लग रही है । भिलाई स्टील प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी तो बी.एस.पी. और सी.आई.एस.एस. तय कर लेती है लेकिन उन जगहों का क्या होगा जहां आम जनता की आवाजाही सर्वाधिक रहती है ।
हम केवल इस बात से संतुष्ट नही हो सकते की नक्सली आवाजाही से हम पर कोई फर्क नही पडता क्योंकि हो सकता है योजना भिलाई में बनती हो और कार्यवाही बस्तर या राजनांदगांव में अंजाम दी जाती हो ।
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