मैं कोई भविष्य वक्ता नही हूँ लेकिन जैसी परिस्थिति दिख रही है उसी के अनुसार यह खबर बना रहा हूँ । मुझे पता है कि इस पर फटाफट क्लिक लगेंगी । मेरा अनुरोध है की खबर को नजरअंदाज ना करें और सोचें की जब हम कोई गाडी खरीदते हैं तो रजिस्ट्रेशन के समय ही हमसे लाइफ टाइम रोड टैक्स ले लिया जाता है । अब जबकि हमने पूरा रोड टैक्स दे दिये हैं तो फिर जगह जगह टोल नाके पर हमसे सडक के नाम पर पैसे वसूलने का सरकारी औचित्य क्या है । ये कोई व्यंग्य नही सत्यता है की इसी तरह की कई ऐसी चीजें हैं जिन पर हमारा ध्यान नही जाता । हम आज भी नही सोच रहे हैं कि जब एक अन्ना के साथ करोडों अन्ना खडे हो सकते हैं तो वो अन्ना हमेशा खडे क्यों नही होते हैं सरकार के खिलाफ । आज हमारे ही पैसों से सारा देश चल रहा है इन मंत्रीयों संतरीयों को हम ही पैसे दे रहे हैं और ये लोग हमारी ही ऐसी की तैसी कर रहे हैं और हम बडे इत्मीनान से बैठे हैं की कब कोई पार्टी या अन्ना जैसा कोई व्यक्ति आए तो हम उसके साथ खडे हो जाए ं. क्यों नही हम खुद इस काम की शुरूआत करते हैं ताकी कोई एक आगे ना दिखे सब एक साथ दिखें जिससे किसी एक केजरीवाल या रामदेव बाबा या फिर बालकृष्ण जैसे लोग ही जन सेवा के नाम नजरों में आ गये तो सरकार उनके पीछे हाथ धो कर पड गई । हम उनकी उन कारगुजारीयों को ही सच समझने लगे जबकी भूल गये कि यही वो लोग हैं हैं जिन्होने हमें एक आंदोलन की राह दिखलाए हैं ।
पेट्रोल के दाम बढ चुके हैं और अब रसोई गैस की बारी है । सरकार क्यों बढा रही है रसोई गैस के दाम इससे हमें कोई सरोकार नही लेकिन इस बात से सरोकार की जिस घाटे की बात करके सरकार ये दुष्कर्म कर रही है क्या वह घाटा सरकारी एयर लाइनों को बंद करके पूरा नही किया जा सकता । क्या वह घाटा राष्ट्रपति से लेकर एक सरपंच तक की तनख्वाह को कम करके पूरा किया जा सकता ।
मैं लिखना नही चाहता लेकिन लिखना पड रहा है कि इमरजेंसी के समय इंदिरा सरकार नें राजस्थान के राजाओं की जो अकूत खजानों पर कब्जा जमाया था वह सारा खजाना कहां गया । देश का सारा काला धन कब वापस आएगा । अगर कोई बडा जन आंदलोन उठा और माइनो परिवार को देश छोडकर भागना पडा तो भारत देश के वासी अपना खजाना किससे वापस ले पाएंगे । सोनिया गांधी इलाज के नाम पर विदेश गईं क्या कोई इस बात को सोचने की जहमत उछाया की जब तक अन्ना का आंदोलन ठंडा नही पडा तब तक मैडम की तबियत खराब रही । उनका इलाज किस बीमारी का हुआ इसे उनका निजी मामला बता दिया गया लेकिन किसी नें कांग्रेस पार्टी से पुछा कि जब इस देश में सब कुछ सार्वजिनक है तो फिर उनकी बिमारी निजी कैसे हुई । उनकी हालत किसी भी तरह से बीमारों जैसी नही है । इसका मतलब ये है की दुसरे देशों की जैसी जनक्रांति से डर कर मैडम देश छोड कर वैसे ही भाग गई थीं । अगर वो डरी नहीं थी तो फिर बताया जाए कि उन्हे कौन सी बीमारी हुई थी जिसका इलाज हमारे देश में संभव नही है ।
चलो छोडो इन बातों को और सोचो की रसोई गैस के दाम बढनें के बाद आप क्या करने वाले हैं ।
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