यदि आप मेरी तरह आत्मविशवासी और सकारात्मक सोच वाले हैं तो आपका स्वागत है आगे के विचारों में । हेडिंग पढकर आपको लगेगा कि मैं कोई अमीरजादा हूँ जो अपने पैसों से अपने भिलाई को दुबई बनाना चाहता हूँ । लेकिन अफसोस मैं इस देश की सौ करोड की जनता के बीच एक गुमनाम शख्सियत हूँ लेकिन एक मामले में मैं दुसरों से अलग हूँ मैं सरकारी पैसों का दुरूपयोग देखकर चुपचाप नही बैठने वाला मैं सरकार से उन पैसों के बारे मे नही पुछुंगा जो उन्होने दलाली में खा गए, मैं आपसे पुछता हूँ आप बताएं कि वो पैसे कहां गए जो नेताओं नें बंदरबांट कर लिये हैं । आपको नही पता ? वो पैसे गए बडे बडे माँलों के बनने में, शापिंग काम्पलेक्स में, अनजानी कंपनीयों के शेयरों के रूप में हर उन जगहों पर जहां से हमें विलासिता परोससी जाती है । अगर आपको मेरी बात गलत लगे तो अपने हर बडे होटलों, शाँपिंग मालों और बडी कंपनीयों के शेयर होल्डरों के नामों की जांच करके देख लें आपको यकिन हो जाएगा कि हमारा पूरा सिस्टम हजारों शरद पवारी घूनों से जर्जर हो चुका है ।
यदि भिलाई क्षेत्र में खर्च होने वाले पूरे रूपयों का सही उपयोग निगम प्रशासन, पार्षद, विधायक और सांसद मिलकर करें तो भिलाई को दुबई बनाने में ज्यादा समय नही लगेगा लेकिन जो ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, मेहनत और एकजुटता की जरूरत है वह नही रही तो भिलाई को कुडा बनने में भी ज्यादा समय नही लगेगा । आज भिलाई नगर निगम आयुक्त राजेश सुकुमार टोप्पो जिस तरह से भिलाई को संवारने का प्रयास कर रहे हैं उसमें वे अगर सफल हो गये तो हमारे शहर की तस्वीर अगले २-३ सालों में एकदम अलग बन जाएगी । आज जिन जगहों को अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है वहां बनने वाली सडकें, पार्क और पार्कींग हमारे शहर को एक अलग रूप में दिखाएगी ।
लेकिन ये सब इतना आसान नही है, हमें हर दल से लडना पडेगा, हर अतिक्रमणकारी का आक्रमण झेलना होगा, उन 200 रूपये कमाने वाले ठेले वालों को भगाना पडेगा जिनके कारण बाजार का ग्राहक बाहर से ही भाग जाते है । हम सब कुछ करना चाहते हैं और यकिनन करेंगे क्योंकि हमारी एकता घरतोडू सिरीयल वाली एकता बहन नही बल्कि घरों को जोडने वाली मजबूत मनोबल वाली आपसी एकता है ।
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