Thursday, June 10, 2010

भ्रष्टाचारी सडक पर बिछी मौत

जब हम घर से निकलते हैं तो ये सोचते हैं कि फलां जगह जाना है , फलां सामान लाना है, फलां आदमी से मिलना है और यही सोच और उधेडबून धाड की आवाज से बीच में टूटती है और सब कुछ भूलाकर हम गाली गलौज, हाथापाई या फिर माफी मांगकर फिर अपने रास्ते पर चल देते हैं । लेकिन हर बार ऐसा नही होता क्योंकि कई लोगों की सोच उनके दिमाग के साथ बाहर सडक पर फैल जाती है ।
क्या सडकों पर होने वाले सभी हादसों की वजह हमारी सोच या उधेडबून होती है ? जवाब है नही । यदि हम सोचते हैं तो हमारे दिमाग का केवल एक हिस्सा ही उस ओर कार्यरत होता है जबकि हमारी आंखें मार्गनिर्देशित करती रहती है । सडक हादसों के पिछे सबसे बडा कारण है हमारे देश का लचर यातायात सिद्धांत, बेपरवाह ड्रायवर, दौलत की ताकत, नशाखोरी और खराब सडकें । यदि आप बडे शहरों को छोड दें तो देश के बाकि शहरों की सडकें निम्न या मध्यम गुणवत्ता की मिलेंगी जबकि उसमें लगने वाली लागत को आप देखेंगे तो आपकी गणना बताएगी की इतने रूपयों में तो आपकी बनाई सडक २५ साल तक नही टूटेगी ।
आज भी हमारे देश में अंग्रेजों की बनाई सडक, पुल और भवन है वो आज भी काम रही हैं जबकि आजके आधुनिक विज्ञान युग में वो टिकाऊपन क्यों नही दिखता । वजह है भ्रष्टाचार, जहां १० बोरी सिमेंट चाहिये वहां १ बोरी लगाई जाती है ४ तगाडी रेत की जगह २० तगाडी रेत लगती है । क्यों ? मंत्री से लेकर संतरी तक, मेयर से लेकर जमादार तक सभी जगह पैसों को खाने वाले बैठे हैं, सबको अपना अपना हिस्सा चाहिये इसलिये वो ९ बोरी सिमेंट सडक में लग कर भ्रष्टाचार में घूस जाती है फिर सडक में मजबूती कैसे आएगी । आज आपके घली मोहल्ले में जो सडक बनती है आप उसमें कितनें ध्यान से होने वाले भ्रष्टाचार को पकडते हैं . जबकि हमारा आपका पहला फर्झ यह बनता है कि समय निकालकर बनने वाली सडक का मुआयना जरूर करें ताकि उसकी खामियों को उजागर किया जा सके ।
आज सूचना पहुंचाना सबसे सरल है । मैने ये विचार यहां लिखकर आप तक पहुंचा दिया है और उम्मीद करता हूँ कि आप अपने शहर की सडकों को अपनी निगरानी में मजबूती प्रदान करेंगे ताकि आपके बच्चे स्कूल से घर सही सलामत घर आना जाना कर सकें ।

1 comment:

  1. ...६,६ ब्लाग ... और नये नये ... क्या माजरा है मिश्रा जी!!!!

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