लो भाई राम राम जपते जपते बरखा रानी आ ही गई । अब जब वो आई हैं तो थोडी सी तेज हवा और पानी भी तो लायेगी । जिस तरह शैतान भगवान से डरकर भाग जाते हैं, उसी तरह हमारे शहर की बिजली औऱ नाली दोनो की सांसे थम जाती हैं नतीजा ... वाह वाह ... घना अंधेरा अंधेरे में लबालब भरा पानी और पानी में हम तु..... ना ना ना हमारा पुरा परिवार, किसी के हाथों में कटोरा तो कोई पानी का मग्घा हाथ में धरकर पानी फेंकते नजर आ जाएगा । अब पानी फेंकना हमारा काम है सो हम कर रहे हैं लेकिन पानी घर से बाहर ना जाकर घर के भीतर अपने संगी साथियों के साथ चला आए तो क्या करेंगे । बस हम भी हाथ में हाथ धर कर बरखा रानी के आगमन का भरपुर आनंद लेने में मगन हो जाते हैं । अब इंतजार है कल के अखबार का जिसमें कितने घर डुबे, कितने बहे , कितनों को करंट लगा कितनों को जहरीले जंतुओं नें काटा ये खबरें पढनें का । चलो अब बहुत हुआ ... आओ मानसून का स्वागत करें , किसानों के खिले चेहरों में अपनी नालीयों की गंदगी को छुपा लें, भरपूर फसल होने की आशा में आज चुपचाप अपनी क्रांती को समेट लें ।
जयययययययय पता नही किस किस की ।

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