क्या हो गया है या क्या हो रहा है इस देश को या देश में किसी को कोई मतलब नही । कविताएं अनवरत बन रही है , लेख धडाधड छप रहे हैं , चैनल चीखे जा रहे हैं, अखबार छपते जा रहे हैं । हर किसी को बस एक ही चीज की पडी है नया मैटर क्या है । अरे भाई जिस देश की आबादी सौ करोड पर पहुंच चूकी हो उसके लिये नये न्यूज की जरूरत तो पडेगी ही । आज आप दिल्ली में छाप लो कल हम भिलाई में छाप लेंगे ... हो गया खबरों का आदान प्रदान लेकिन .. एक खबर ऐसी है जो पिछले कई दिनों से चल रही है पर किसी की नजर नही पडी । मुझे लगा शायद ये मेरे लिये ही है सो मैं इसे बना रहा हूँ । ये खबर हैं राष्ट्रीय स्वयं संघ की मैं उसकी तारीफ करने जा रहा हूँ इसलिये इसे ध्यान पढियेगा ताकि मेरे इस लेख की आलोचना कर सकें । यूँ तो हम इसे संघ के नाम से ही ज्यादा अच्छे से परिचित हैं और संघ के कई किस्से इधर उधर से देखने पढने में आते रहते हैं इसलिये यह अक्सर चर्चित ही रहने वाली संस्था है लेकिन इसकी विशेषता आप जानते हैं ? शायद नही - तो अब जानिये संघ को
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ दुनिया का सबसे बडा स्वयंसेवी संगठन है इसके जितने सदस्य प्रत्यक्ष हैं उससे कहीं ज्यादा अप्रत्यक्ष रूप से जुडे हुए हैं । यह एकमात्र पूर्णतः भारत राष्ट्र को समर्पित संगठन है । सन् 1925 में बने इस संगठन नें केवल राष्ट्रहित में ही काम किया है . गांधी जी की हत्या के बाद इस पर प्रतिबंध भी लगा लेकिन सब कुछ भुलते हुए संघ राष्ट्र की हर आपदा में सबसे पहली कतार मे खडा दिखता है । 1939 में डॉ. आंबेडकर नें पूना प्रवास में स्वयंसेवकों से मिलकर इतना प्रभावित हुए कि उसकी तारीफ करना नही भूले उनका कथन था कि स्वयं सेवक आम लोगों के बीच जात पात का कोई भेदभाव नही देखते हुए जिस सेवाभाव से काम कर रहे हैं वह हैरान करने वाला है । हिंदुवादी संगठन कहलाने वाला संघ गोवा मुक्ति आंदोलन, 1962 , 1965 और 1970 के युद्धों के समय स्वयंसेवक निर्भिक होकर भारतीय सैनिकों की सेवा में लगे रहे । गुजरात में आए तुफान और भूकंप के समय सरकारी सहायता बाद में पहुंची थी सबसे पहले पीडित लोगों नें अपने हमदर्द के रूप में खाकी निकर पहने स्वयंसेवको को अपने साथ खडा पाए जो हर हाल में केवल उनकी सहायता करना चाह रहे थे । गुजरात में मोदी की अनवरत जीत का श्रेय इन्ही स्वयंसेवकों को जाता है जो हरदम आम जनता की सहायता में लगे रहते हैं वो भी बिना किसी धर्म भेदभाव के ।
आज कांग्रेस को उसकी करनी का जवाब केवल संघ दे सकता है । उसे अपने संगठनों को एकत्रित करना होगा केवल स्वयं सेवक संघ ही नही विद्यार्थी परिषद से लेकर आदिवासी परिषद तक देश के हर कोने में बैठे एक एक राष्ट्रवादी व्यक्ति को इससे जुडना होगा । आज कांग्रेस जिस सोनिया पर हुए एक वार से बौखला गई है उसे बताना होगा कि भारतीय आमजन भी ऐसा ही महसूस करता है जब कलमाडी जैसे भ्रष्ट्राचारी को केन्द्र सरकार केवल पद से हटा कर इतिश्री कर लेती है । ये केवल एक औरत और संगठन की लडाई नही है बल्कि पूरे देश की इज्जत और उसके धन को बचाने की लडाई है । इसलिये अब जरूरत है सारे देश को ये समझने की कि कोई भी बयान बेवजह नही आता है सुदर्शन जी नें जरूर कोई बात नोटिस किये होंगे तब कहे हैं क्योंकि संघ गैर जिम्मेदारान कभी नही रहा है ।
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